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deshi kahani

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श्रेणियाँ: वयस्क सामग्री (18+)
भाषा: हिंदी
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नवीनतम संदेश 8

2022-06-12 19:30:06 वो बोलीं- अभी उनकी बात मत करो, लो दूध चूसो.
उन्होंने अपनी एक चूची निकाल कर मेरे मुँह में दे दी. मैं चूची और निप्पल काटते हुए दीदी की चुत चोदने लगा.
कुछ पल बाद दीदी बोलीं- एक बार चिकन चला दो.
मैं उठकर चिकन चला आया और वापस आकर घुटने के बल बैठ कर चूत में लंड डाल दिया.
दीदी बोलीं- अपने ऊपर के कपड़े उतार दो … आज तक नहीं उतारे.
मैंने टी-शर्ट को उतार दिया. दीदी मेरी छाती पर हाथ से सहलाने लगीं. मैं चुत में धक्के मारने लगा, वो मेरी छाती चूमती हुई मेरे निप्पल्स काट रही थीं.
छत के फर्श पर चुदाई हो रही थी, चटाई सरक कर निकल गई थी.
इस वजह से मेरा घुटना छिलने को हो रहा था, दर्द होने लगा था. मैंने अपने दोनों हाथ उनकी चूचियों पर रखे और चूची मसल मसल कर जोर जोर से चोदने लगा.
पन्द्रह मिनट में झड़ कर मैं उनके ऊपर ही लेट गया.
उन्होंने मेरा पसीना पौंछा और बैठ गईं.
चिकन भी तैयार होने को था, तब तक हम दोनों बात करने लगे.
दीदी अचानक बोल पड़ीं- तुम्हारे जीजा बहुत मोटे हो गए हैं. ना तो वो अच्छे से कर पाते हैं और ना मैं उनका वजन झेल पाती हूं. इस बार 5-6 महीने घर पर रहे, मगर 15-16 बार ही किए होंगे. वो आठ दस झटके देकर अन्दर झड़ जाते थे और मैं गर्म रह जाती थी. उस समय मैं तुमको याद करती थी कि कब आओगे.
मैंने कहा- अब मैं आ तो गया हूं!
वो बोलीं- हां मैं भी जब तक तुम्हारी सेवा कर सकती हूं, करूंगी. अब बच्चे भी बड़े हो रहे हैं तो संभल कर करना पड़ेगा. पर एक वादा करो राज … तुम मेरे अलावा किसी को नहीं देखोगे, भले शादी के बाद अपनी बीवी से कर लेना, पर अभी मुझे ही अपनी बीवी समझो. तुमको हर तरह का हक है.
दीदी भावुक हो गई थीं.
मैंने कहा- जैसा आप चाहती हैं, वैसा ही होगा.
मैं अभी जवान हो रहा था और दीदी की जवानी ढल रही थी. फिर भी अभी लगभग 10 साल तक उनकी चूत चोदने को मिलेगी.
फिर हम चिकन खाने के व्यस्था में लग गए. अब वक़्त 10 बजे का हो गया था.
मम्मी का कॉल आया- आओगे?
मैंने मना कर दिया.
मम्मी बोलीं- ठीक है.
खाना खाने के बाद हम लोग नीचे चले गए.
दीदी ने तीन गिलास दूध गर्म किया. दोनों बच्चों और मुझे दिया. मैंने दूध ठंडा किया और सेक्स की गोली खा ली.
मैंने सोच लिया था कि आज उनकी चूत लाल कर दूंगा. बच्चे टीवी देखने लगे दीदी मेरे साथ बैठ गईं.
मैंने कहा- बच्चे कब तक सोएंगे?
दीदी बोलीं- सो जाएंगे अभी, मैंने दूध में उनको नींद की गोली दे दी है.
मैंने पूछा- गोलियां कहां से आईं?
वो बोलीं- मैं कभी कभी रात में लेकर सोती हूं … डॉक्टर ने लिखा है.
मैंने कहा- आज आप कराहने वाली हैं.
दीदी बोलीं- वो तो तुम्हारी ताकत और हथियार देख कर लगता है. मैं हर दर्द के लिए तैयार हूं.
दीदी मेरे कंधे पर सिर रखकर बोलीं- राज मुझे तुमसे प्यार हो गया है, तुम्हारा नहीं पता.
मैंने कहा- मुझे भी हो गया है, मर्द अपनी पूरी चाहत नहीं दिखाता.
दीदी बोलीं- मैंने कभी गलत कदम नहीं उठाया, ये मत सोचना कि मैं ऐसी वैसी हूं.
मैंने कहा- अरे ना ना!
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दीदी अपना हाथ मेरे लंड पर ले आईं और लंड मसलती हुई बोलीं- आज इसको मैं तबाह कर दूंगी.
मैंने कहा- ऐसा क्या!
वो बोलीं- हां आज तुमको अपने प्यार की गहराई दिखाऊंगी.
मैंने कहा- जिसने सब कुछ सौंप दिया … अब क्या उसकी गहराई देखना.
वो मुस्कुराने लगीं.
मैंने पूछा- बच्चे सो गए क्या?
दीदी बोलीं- मैं देख कर आती हूं.
हम दोनों आज लॉबी में ही चुदाई करने वाले थे क्योंकि बेडरूम में बच्चे सोते हैं.
लॉबी एक तरह से गेस्ट रूम है. दीदी का घर ज्यादा बड़ा नहीं है. उसी में सोफ़ा और एक बेड लगा है.
मेरी दवा असर कर रही थी, लंड अपने आकार में आ गया था.
दीदी आईं और बोलीं- बस बच्चे सोने ही वाले हैं. पर आएंगे नहीं, गेट भिड़ा कर आई हूं.
उन्होंने हमारे रूम का पर्दा डाल दिया. मैंने दीदी को बांहों में भर लिया, उन्होंने अपने दोनों हाथ @desi_story
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2022-06-12 19:30:06 दूर की रिश्तेदारी में दीदी की चुत चुदाई- 3@desi_story
दोस्तो, मैं राज ठाकुर आपको अपनी सेक्स कहानी में फिर से स्वागत करता हूँ.
मैं आपको रिश्ते में लगने वाली अपनी एक दीदी की Xxx ब्रदर सिस्टर कहानी सुना रहा था.
पिछले भाग
रात को छत पर दीदी ने लंड चूसा
में अब तक मैंने दीदी को स्कूटी सिखाने के बहाने ले जाकर एक जगह स्कूटी पर ही दीदी को चोद दिया था. दीदी मेरे लंड से चुदकर बड़ी खुश थीं.
अब आगे Xxx ब्रदर सिस्टर कहानी:
फिर हम दोनों वहां से सड़क पर आ गए और मैंने गाड़ी सिखाते हुए दीदी की चूचियों को दबाने लगा.
मैंने पूछा- मज़ा आया?
दीदी बोलीं- हां बहुत … तुम पूरी ताकत से कर रहे थे, पर मुझे खुल कर मजा लेना है. चुदाई करते हुए तुम मेरी चूची पियो, बदन को काटो ऐसा वाला, पूरी नंगी होकर बिस्तर पर लेट कर चुदना है. ऐसे थोड़ी सी जगह में कुछ नहीं होता.
मैंने कहा- कोई जुगाड़ लगाइए न दीदी, घर पर चुदाई का मजा लेते हैं.
वो बोलीं- क्या लगाऊं यार … बच्चे हमेशा घर ही रहते हैं.
घर का कोई जुगाड़ बन ही नहीं पा रहा था, तो हम दोनों का ऐसे ही चलता रहा.
रोज सुबह मॉर्निंग वॉक के बहाने मैं दीदी को चोदता रहा.
कभी पेड़ के नीचे चोदता तो कभी कहीं दुकान के बेसमेंट में मजा ले लेता. कभी खड़े खड़े ही चुदाई चल जाती थी.
एक दिन मैंने दीदी से कहा- मुर्गा वाला प्रोग्राम बनाइए. मैं रात में घर पर रुक जाऊंगा.
दीदी को बात जम गई, वो बोलीं- ठीक है.
दीदी ने दो दिन बाद मम्मी को फोन करके कहा कि मैं घर पर चिकन बना रही हूं, आप सब लोगों को आना है.
मम्मी ने कह दिया- राज ही आ जाएगा … हम सब नहीं आ पाएंगे.
बात जम गई और मैं चला गया.
रात भर दीदी को चोदना था, तो मैंने चुदाई की पावर बढ़ाने वाली दो गोली ले लीं.
उनके घर पहुंचा तो दीदी ने गेट खोला.
हम दोनों लॉबी में चले गए, बच्चे भी आ गए.
बच्चों ने मेरा फोन ले लिया और लॉबी में ही गेम खेलने लगे.
मैं दीदी को इशारे करने लगा, वो मुस्कुरा रही थीं.
उन्होंने मुँह से काटने का इशारा किया, तो मैंने लंड की तरफ इशारा कर दिया.
तो उन्होंने लंड काट खाने का इशारा कर दिया.
अब दीदी अपनी मैक्सी उठा कर अपनी चिकनी टांगें दिखा कर सिड्यूस करने लगीं. मैक्सी की चैन को भी थोड़ा खोल दिया और अपना क्लीवेज दिखाने लगीं.
जब घड़ी ने 8.30 का टाइम बताया, तो मैंने दीदी से कहा- मम्मी को बोल दीजिए कि टाइम लगेगा, मैं रात में यहीं रुक जाऊंगा.
दीदी ने मम्मी को फोन कर दिया.
मम्मी ने कहा- ठीक है.
दीदी अपने बच्चों से बोलीं- चलो छत पर चिकन बनाने चलते हैं, तुम दोनों वहीं छत पर रहना.
उन दोनों ने मना कर दिया.
बेटी बोली- मैं रोटी बनाने जा रही हूँ.
बेटा बोला- मैं यहीं हूं गेम खेलूंगा.
दीदी ने मुझसे कहा- राज, तुम चलो.
दीदी प्याज़, मसाला, सब सामान लेकर चल दीं, कुछ सामान मेरे हाथ में भी था, नहीं तो दीदी की गांड में मैं उंगली करने की सोच रहा था.
छत पर सामान रखने के बाद दीदी ने कहा- प्याज़ जल्दी से काटो, मैं बाकी का सब तैयार करती हूं.
दस मिनट में काट-पीट कर सब रेडी हो गया. दीदी झुक कर मसाला भूनने लगीं, तो मैंने अपनी उंगली दीदी की गांड में कर दी.
दीदी उछल गईं और मैं जोर से हंस पड़ा.
तो दीदी बोली- उधर नहीं, साले मैं मार दूंगी.
मैंने धीरे से जाकर गेट में कुण्डी लगा दी.
दीदी छत पर लेट गईं और अपनी बांहें फैला दीं.
मैं उनकी टांगों के बीच से होकर उनके ऊपर लेट गया. मैंने सबसे पहले उनके माथे को चूमा, फिर आंखों को, गाल को, होंठ और गर्दन को चूमता चला गया.
दीदी मस्ती से बोलीं- आज ये बदलाव कैसे हो गया … इतना प्यार! नहीं तो सीधे चूची पीने के लिए पगलाए रहते हो.
मैं मुस्कुरा कर उनके होंठ चूसने लगा. वो भी इत्मीनान से साथ देने लगीं. धीरे धीरे उन्होंने अपनी मैक्सी कमर तक सरका ली.
अब दीदी बोलीं- जो भी करना है, अपना अन्दर डालकर जल्दी से करो.
मैंने अपनी निक्कर और चड्डी सरका कर लंड चूत में डाल दिया और धीरे धीरे धक्का मारने लगा.
हर धक्के पर दीदी उह उह कर रही थीं.
मैंने कहा- जीजा जी इतने दिन रहे … क्या आपने उनसे मजा नहीं लिया!@desi_story
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2022-06-12 18:32:01 लंड पेल कर मैं दीदी के ऊपर लेट गया और पीछे जो फाइबर का पकड़ने वाला होता है, उसे पकड़ कर धक्का मारने लगा.
दीदी इतने दिनों बाद मेरा लंड लेकर तृप्त हो गईं, उनकी कामुक आह निकल गई.
मैं धीरे धीरे दीदी को चोदने लगा.
टांगें फैलाकर लेटने से चूत में लंड एकदम घस घस कर जाने लगा था. मुझे कुछ डर भी लग रहा था कि गाड़ी स्टैंड से ना उतर जाए.
जब लगा कि नहीं उतरेगी, तब मैंने धक्का देना तेज कर दिया. दीदी मुझे पीठ से पकड़ कर लेटी हुई थीं.
मैं चोदता गया और दीदी ‘अम्म उह …’ कर रही थीं.
कुछ ही देर में मेरी कमर दर्द होने लगी क्योंकि मुझे ज्यादा झुकना पड़ रहा था.
मैंने कहा- अब उतरकर घोड़ी हो जाइए.
दीदी स्कूटी का सहारा लेकर घोड़ी बन गईं.
मैंने पीछे से लौड़ा पेला और मैं दीदी के कंधे पकड़ कर धकापेल करने लगा.
मैं इतनी गन्दी तरह से चूत मारने लगा था कि वो बस अपना सिर ऊपर करके सिसकारियां ले रही थीं.
दस मिनट तक हचक कर चोदने के बाद में दीदी की चूत में ही स्खलित हो गया.
दीदी लंड का रस लेकर एकदम खुश हो गई थीं.
कुछ देर बाद हम दोनों ने अपने कपड़े सही करते हुए उधर से निकलना तय किया और स्कूटी लेकर सड़क पर आ गए.
दोस्तो, हॉट सिस्टर सेक्स कहानी के अगले भाग में आगे क्या हुआ, उसे लिखूंगा. @desi_story
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2022-06-12 18:32:01 ते पर ले चलिए.
दीदी ने उसी रास्ते पर स्कूटी डाल दी. वहां घुप्प अंधेरा था, मैंने गाड़ी रुकवा दी.
मैंने गाड़ी को डबल स्टैंड पर लगा कर उसे खड़ी कर दी.
हम दोनों गले लग गए. मैंने दीदी के होंठों पर होंठ रख दिए और अपना हाथ दीदी की चूची पर ले गया. उनका हाथ मेरे लंड पर आ गया.
दीदी लंड सहलाती हुई बोलीं- अब लंड डाल दो. चूची, लंड चूसने का खेल घर पर मौका देख कर कर लिया जाएगा.
उनको तो बस अपनी चूत में मेरा लंड समाया हुआ चाहिए था.
मैंने दीदी को सीट पर लिटाया, उनकी कमर पर मैक्सी उठा कर दोनों पांव दोनों तरफ की फुटरेस्ट पर रखवा दिए.
वो चुत पसार कर लेट गईं और मैं स्कूटी के बीच में जो जगह होती है, उसमें खड़ा हो गया. मैंने अपना दीदी की चूत में सैट किया और एक झटके डाल दिया. @desi_story
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2022-06-12 18:32:01 मैंने हां कहा, तो दीदी उदास हो गईं.
बच्चे भी छत पर रोटियां लेकर आ गए. हम सब खाना खाने लगे.
मैंने दीदी को देखा तो उनकी चूचियां एकदम तनी हुई थीं. खाते वक्त लेग पीस को मुँह में लेकर चूसते हुए ऐसे इशारा करे जा रही थीं, जैसे लंड चूस रही हों.
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खाना निपटने के बाद, मैंने कहा- मैं जा रहा हूं.
दीदी ने कहा- चलो नीचे तक छोड़ दूं.
दीदी नीचे जाते वक़्त बोलीं- एक बार पूरा करके जाओ, मुझे प्यासी ना छोड़ो … बहुत आग लगी है.
मैंने कहा- मेरा भी वही हाल है.
हम दोनों उनके बेडरूम में आ गए.
दीदी ने मैक्सी उतार दी और पूरी नंगी हो गईं. उनकी चूचियां तनी हुई थीं और निप्पल्स अकड़े हुए थे.
अब दीदी बोलीं- दो मिनट के लिए अपने कपड़े खोल कर मुझे अपने जिस्म की गर्मी दे जाओ.
मैंने तुरंत कपड़े उतार दिए और नंगा हो गया. मैं भी डर रहा था कि कहीं बच्चे ना आ जाएं.
दीदी मदहोश थीं, वो मुझे बांहों में भरके मुझे अपने ऊपर लेकर बेड पर गिर गईं और चूमने लगीं.
कुछ देर यूं ही मेरे नंगे जिस्म से अपने जिस्म को रगड़ कर दीदी मजा लेने लगी थीं.
मैंने उन्हें चूमते हुए कहा- गांव से वापस आकर सब होगा, मुझे 2-3 दिन लगेंगे.
फिर मैंने कपड़े पहने और चल दिया.
गांव जाने के बाद वक़्त लग गया, दीदी से एक हफ्ते तक बात हुई.
आठवें दिन दीदी ने बताया कि तुम्हारे जीजा आ रहे हैं.
मैंने कहा- अब क्या चाहिए मौज लीजिए जीजा से.
वो बोलीं- चुप रहो, मुझे तुम्हारा लेना है.
मगर इधर गांव में रायता फैला हुआ था विवाद बढ़ गया था, तो मैं गांव में ही रुक गया.
मुझे 4 महीने लग गए.
फिर मैं वहां से दिल्ली चला गया, जहां लॉकडाउन में कजिन दीदी को चोदा. वो सेक्स कहानी मैंने आपको पहले भेजी थी आपने पढ़ी ही होगी. मैं कजिन दीदी को चोदकर वापस आ गया.
यहां पर आकर मेरी दीदी से मेरी बात हुई और बीच में मौका पाकर वो भी कर बात लेती थीं.
इधर वापस आया तो दीदी ने फोन करके कहा- घर आओ.
मैं घर गया तो स्कूटी खड़ी मिली. मुझे लगा कोई आया है.
दीदी को मैंने देखा और उन्होंने मुझे!
वो मैक्सी में ही थीं.
हम दोनों की बांहें गले लगाने को मचलने लगीं. हमारी खुशी का ठिकाना नहीं था.
पर बच्चे लॉकडाउन की वजह से घर पर ही थे. बच्चे भी मुझे आया देख कर खुश हो गए थे.
मैं लॉबी में बैठा था, दीदी पानी और चाय लेकर आईं और बगल में ही बैठ गईं.
मौका देखकर हम दोनों गले लग गए.
बच्चे टीवी देख रहे थे, मौका पाकर मैंने चूची मींजने लगा, इससे दीदी गर्म हो गईं.
वो बोलीं- उफ्फ तेरे हाथों के इस जादू को मैं बहुत मिस कर रही थी.
मैंने कहा- और मैं इन रसभरी चुचियों को.
दीदी हंस दीं.
मैंने कहा- ऊपर ऊपर ही मज़ा लेंगी-देंगी या नीचे भी कुछ होगा!
दीदी बोलीं- कैसे होगा यार … बच्चे दिन भर घर में ही रहते हैं.
मैंने पूछा- ये स्कूटी किसकी है?
दीदी बोलीं- तुम्हारे जीजा आए थे, तब लेकर दे गए हैं.
फिर लॉबी में ही धीरे धीरे मैं कभी दीदी की चूची पी रहा था, कभी उनसे लंड चुसवा रहा था.
मैंने कहा- चूत देखनी है.
दीदी सामने सोफे पर बैठ गईं और मैक्सी कमर तक उठा ली. उनकी चूत एकदम चमक रही थी. चुत की झांटें साफ़ थीं.
मैंने उंगलियों के इशारे से चुत की चमक की तारीफ़ की तो दीदी ने शर्माते हुए कहा- आज सुबह ही सफाई की है.
फिर वो मेरे बगल में आ गईं.
मैंने कहा- मेरा झाड़ दीजिए.
दीदी ने दरवाजे को बंद किया और लंड की मुठ मारके, कभी मुँह में लेकर लंड झाड़ दिया.
फिर दीदी बोलीं- अब मेरा भी कुछ सोचो.
मैंने कहा- घर में तो ये सब होना मुश्किल है. अगर आप स्कूटी सीखने के बहाने सुबह आइए, तो कुछ हो सकता है.
दीदी बोलीं- बाहर … ना बाबा डर लगता है … कोरोना है.
मैंने कहा- आप बस मुझ पर भरोसा रखिए.
सितंबर के इस महीने में सुबह 6 बजे तक अंधेरा रहता है.
अगली सुबह 4 बजे ही फोन आया ‘फ्रेश होकर आ जाओ, मैं भी फ्रेश होकर आती हूं.’
सुबह 4.30 दीदी और मैं मिले.
मैं बस निक्कर में गया था, दोनों चुदाई के लिए वशीभूत हुए चल दिए.
स्कूटी पर बैठते ही मैंने दीदी को कमर से पकड़ लिया और एकदम सट कर बैठ गया. मैं अपने हाथ दीदी की कमर से उनकी चूची पर ले गया. जैसे ही मैंने चूची दबाई, तो देखा कि दीदी ने ब्रा पहन रखी थी.
मैंने कहा- ब्रा क्यूं?
वो बोलीं- ब्रा नहीं पहनती तो तुम सारा समय चूची पीने में बिता देते. अब छोड़ो न … ऐसे में मैं गाड़ी नहीं चला पाऊंगी.
मैंने गाल पर चुम्मा लेते हुए कहा- आप गाड़ी चलाइए … मैं हॉर्न दबाता हूं.
दीदी बोलने लगीं- पूरे बदतमीज हो.
मेरा लंड खड़ा हो गया था, मैंने लंड सीधा किया और उनके चूतड़ों पर हाथ रखकर कहा- इनको उठाइए.
जैसे ही वो उठीं, मैंने लंड सीधा करके कहा- अब बैठ जाइए.
दीदी मेरे खड़े लंड पर बैठ गईं.
अब दीदी स्कूटी चला तो ले रही थीं, पर स्कूटी चलाने में उनका हाथ साफ नहीं था.
थोड़ी दूर चलकर एक कच्चा रास्ता पड़ता था. मैंने कहा- इस रास्
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2022-06-12 18:31:01 मेरा लंड तम्बू में बम्बू की तरह अकड़ा हुआ था.
दीदी ने हाथों से निक्कर के ऊपर से ही लंड को दबाया और मुँह में लेकर दांतों से पकड़ने लगीं.
फिर उन्होंने मेरी निक्कर नीचे खींच दी, तो लंड एकदम उनके मुँह पर जाकर लगा.
अंधेरा होने के कारण कोई डर नहीं था. हमारे बीच बातें कम, काम ज्यादा हो रहा था.
दीदी ने मेरा लंड पकड़ कर अपने पूरे चेहरे पर फेरा, फिर मेरे लंड का टोपा होंठ गोल करके अपने मुँह में ले लिया.
अभी दीदी ने पूरा लंड मुँह में नहीं लिया था, वो अपनी जीभ लंड के टोपे पर चारों ओर फेरने लगी थीं.
मैं उनका सिर पकड़ कर खड़ा रहा और जब मुझसे बर्दाश्त नहीं हुआ तो मैंने पूरा लंड गच्च से उनके मुँह में पेल दिया.
उनके बाल पकड़ कर लंड पेलने लगा.
दीदी भी गों गों करके लंड गले तक लेने लगीं.
कुछ ही देर में मेरी टांगें कांपने लगी थीं.
फिर जब मुझसे नहीं रहा गया, तो मैं लेट गया और दीदी लंड चूसने लगीं.
मैं झड़ने को हुआ तो दीदी ने अपनी मैक्सी लंड पर लगा दी ताकि वीर्य छत के फर्श पर ना गिरे या चटाई पर … क्योंकि चटाई पर दाग पड़ जाते, तो उसे धोना मुश्किल था.
दीदी ने लंड का माल अपनी मैक्सी से पौंछ दिया.
फिर मैं उनकी चूची पीने लगा, चूचुकों को काटने लगा.
दीदी बस अपने कंठ से कामुक आवाज़ें निकाल रही थीं.
उधर कुकर की सीटी बजने लगी थी और चिकन पकने वाला था. इधर लंड खड़ा हुआ था और दीदी अपनी मैक्सी कमर तक करके लेट गई थीं.
मैंने घुटनों के बल बैठ कर दीदी की चूत में उंगली डाल दी.
उंगली घुसेड़ते ही ऐसा लगा कि चूत में पानी है या पानी में चूत है.
मैं उनकी चूत के छल्ले को रगड़ने लगा तो दीदी की मादक आह निकल गई.
उसी पल उन्होंने झट से उठकर मुझे गर्दन से पकड़ लिया और चूमने लगीं.
दीदी हद से ज्यादा चुदासी हो गई थीं.
वो कहने लगीं- आंह अब अन्दर डाल दो.
मैं दीदी की जांघ को चूमने लगा, जीभ से चाटने लगा.
दीदी ‘आह आह उम्म …’ कर रही थीं.
मैंने उनकी दोनों जांघों को फैला कर चूत पर जीभ लगा दी. दीदी अपनी कमर उठाने और पटकने लगीं.
वो मेरे बाल खीं चने लगीं, अपने पैर से धकेलने लगीं.
कभी अपनी कमर ऊपर उठा कर अपनी जांघों से और हाथों से मेरे सिर को चूत में दबाने लगीं.
दीदी की लम्बी लंबी सांसों से बहुत तेज आवाज आने लगी थी.
तभी नीचे से उनकी बेटी ने आवाज दी- मम्मी, रोटी बन गई.
दीदी कामुकता को दबाती हुई बोलीं- हां, आती हूं.
दीदी लंड लेने को बेताब थीं … मगर मामला जल्दी का था.
हम दोनों को काफी पसीना भी आ गया था.
लंड तो एकदम खड़ा था ही. मैंने कुछ नहीं सोचा बस अपनी निक्कर नीचे करके उनकी टांगों के बीच आकर चूत में लगा दिया.
न दीदी ने लंड को हाथ लगाया … ना मैंने.
दोनों की समझ की बाती बुझ चुकी थी. लंड और चूत ने अपना रास्ता खुद ढूंढ लिया था.
चूत के मुँह पर लंड का टोपा लगा … और चूत में रास्ता बनता चला गया.
दीदी की चुत इतनी पानी वाली हो गई थी कि पूरा लंड एक बार में सरसराता हुआ चूत में घुसता चला गया.
एक मादक आह लेकर दीदी मुझे चूमने लगीं. उन्होंने मुझे खींचा और अपने सीने से लगा लिया. अपनी दोनों टांगों से मेरी कमर जकड़ ली.
मैंने जैसे ही धक्का देने को अपनी कमर को ऊपर किया, दीदी कामुकता से भरी आवाज में बोलीं- आंह थोड़ी देर रुक जा … ऐसे ही अच्छा लग रहा है.
वो लंड को भरपूर तरीके से चूत में महसूस करना चाह रही थीं और मैं तो जैसे स्वर्ग में था.
तभी नीचे मेरा फोन बज गया उसकी घंटी की आवाज सुनाई दे गई.
दीदी का लड़का मुझे आवाज देता हुआ फोन लेकर ऊपर आने लगा.
मैंने झट से चूत से लंड निकाला और निक्कर पहन कर तुरंत जाकर दरवाज़ा खोल दिया.
दीदी ने भी अपनी मैक्सी से पसीना पौंछ लिया और उसे नीचे कर लिया.
उनकी सांसें धौंकनी की तरह चल रही थीं, रुक ही नहीं रही थीं, सांसों ने पूरी रफ्तार पकड़ी हुई थी.
मैंने देखा कि पापा का फोन था.
पापा बोले- खाना खा लिया?
मैंने कहा- अभी नहीं.
पापा बोले- तुमको गांव जाना है, गांव में जमीन का विवाद हो गया था.@desi_story
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2022-06-12 18:31:01 दूर की रिश्तेदारी में दीदी की चुत चुदाई- 2@desi_story
नमस्कार दोस्तो, मैं राज ठाकुर आपको अपनी हॉट सिस्टर सेक्स कहानी में स्वागत करता हूँ. मेरी ये दीदी दूर के रिश्ते में बहन लगती थीं और जीजा जी का लंड न मिलने से चुदासी थीं.
पिछले भाग
रिश्तेदारी में दीदी के साथ सेक्सी मस्ती
अब तक आपने पढ़ा था कि दीदी ने घर पर चिकन बनाया था और मुझे डिनर पर बुलाया था. मैं आज उन्हें चोदने के पूरे मूड में था.
अब आगे हॉट सिस्टर सेक्स कहानी:
मेरे उनके घर जाते ही बच्चों ने मेरा फोन ले लिया. दीदी और मैंने एक दूसरे को कातिल मुस्कान दे दी.
मैं दीदी के पास गया और धीरे से कहा- लेग पीस खिलाएंगी क्या?
मैं हंसने लगा, वो होंठों पर उंगली रखती हुई बोलीं- शश … चुप.
मैंने कहा- चिकन कहां है?
वो बोलीं- छत पर.
वो नानवेज अपने किचन में नहीं बनाती थीं. छत पर ही बनाती थीं. बाकी नीचे किचन में रोटी वगैरह.
दीदी और मैं छत पर चले गए, उन्होंने अपनी लड़की को रोटी बनाने को बोल दिया और लड़का मेरे फोन पर गेम खेलने लगा.
हम दोनों छत पर चले गए.
अब 7.30 बज चुके थे, अंधेरा हो गया था.
दीदी ने छत पर पहुंचते ही मुझे पलट कर जोर से गले से लगा लिया.
मैंने भी वही किया.
फिर उनसे अलग होकर छत का मुयायना करने के बाद उनको दीवार से लगा दिया और उनकी गर्दन को चूमने लगा, चूची दबाने लगा.
दीदी ‘आह आह उं …’ करने लगीं. मेरी कमर को जोर से पकड़ कर अपनी चूत मेरे लंड पर ऊपर से रगड़ने लगीं.
मैंने भी लंड चुत से रगड़ा और उनके होंठों को अपने होंठों में लेकर चूसने लगा.
एक मिनट बाद दीदी चुदासी आवाज में बोलीं- अब छोड़, काम करने दे. मैं यहीं तो हूं.
मैंने छोड़ दिया और कहा- जरा अपनी चूची दिखाओ दीदी.
दीदी बोलीं- पहले चिकन चूल्हे पर चढ़ा लेने दो … फिर अपने चूल्हे की आग बुझवाती हूं.
मैंने तुरंत निक्कर खोल कर अपना लंड उनके हाथ में दे दिया.
लंड पकड़ते ही उनकी आंखें बंद हो गईं.
उन्होंने छत पर एक चटाई बिछा रखी थी. मैं उसी पर बैठ कर लंड सहलाने लगा.
मैंने कहा- छत की लाइट बंद कर दीजिए.
दीदी ने लाइट बन्द कर दी और झुक कर प्याज़, मसाला वगैरह भूनने लगीं.
मैंने पीछे से लंड उनकी गांड के दरार में फंसा दिया. मैं उनके कूल्हे पकड़ कर चूत से गांड तक लंड रगड़ रहा था. मैंने थोड़ा झुक कर एक चूची को पकड़ लिया.
दीदी पलटा दिखाती हुई बोलीं- हट जा … मैं मार दूंगी.
मगर मुझे चूत का भूत सवार हो गया था; मैंने उनकी मैक्सी को कमर पर चढ़ा दिया और चूत पर दो उंगली फिरा दीं.
दीदी की चुत एकदम गीली पानी पानी हो चुकी थी.
दीदी- रुको ना, अभी दे रही हूं, जाओ पहले जीने का दरवाज़ा बन्द करके आओ … बच्चे ना आ जाएं!
मैं दरवाज़ा बंद करके आ गया और चटाई पर बैठ गया. दीदी चिकन कुकर में डाल कर आ गईं.
वो पास में बैठ गईं … तो मैं अपना हाथ सीधे उनकी चूची पर ले गया और क्लॉक वाइज एंटी क्लॉक वाइज चूची को घुमाने लगा.
उनकी चूची को मैंने मैक्सी से ऊपर से बाहर निकाल दिया और उनको चटाई पर लिटा कर चूची पीने लगा.
दोनों चूचियों को एक साथ सटा कर मैं दोनों निप्पलों को एक साथ चूसने की कोशिश कर रहा था और लंड उनकी चूत पर रगड़ रहा था.
दीदी टांगें मोड़ कर लेटी हुई थीं. मैं उनकी टांगों के बीच में था.
मैं उनके होंठों पर, गर्दन पर खूब चुम्मा लेता रहा … नीचे से वो कमर हिला हिला कर लंड का स्वाद ले रही थीं.
मैंने अभी निक्कर पहन ही रखा था.
दीदी बोलीं- रुको मैं एक बार चिकन चला दूं, नहीं तो जल जाएगा.
मैंने कहा- जल जाने दीजिए … कौन सा भोसड़ी वाला जिन्दा हो जाएगा.
वो हंसने लगीं.
मैं- दीदी, मैक्सी उतार दीजिए.
वो बोलीं- नहीं, ऐसे ही रहने दो.
मैं खड़ा हो गया.@desi_story
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2022-06-12 17:27:43 दीदी शर्माती हुई बोलीं- कल बच्चे स्कूल चले जाएंगे, तो मैं फोन करूंगी.
चाय पीकर मैं घर चला आया.
शाम सात बजे दीदी ने कॉल किया- आ जाओ, मैं चिकन बना रही हूँ. तुम्हारा डिनर यहीं है.
मैं समझ गया कि आज चूत मिल जाएगी.
मैंने मम्मी से कह दिया- आज मेरा खाना दीदी के यहां है. मैं जा रहा हूं, रात को देर हुई तो उधर ही सो जाऊंगा.
ये कह कर मैं चला गया.
मैं टी-शर्ट और निक्कर में गया था. मैंने अन्दर अंडरवियर भी नहीं पहना था. मैं सोच कर गया था कि आज दीदी को लंड के दर्शन कराके ही वापस आऊंगा.
दोस्तो, मेरी अन्तर्वासना की कहानी के अगले भाग में मैं आपको आगे दीदी की चूत चुदाई की बात लिखूंगा. @desi_story
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2022-06-12 17:27:22 मैं अपने हाथ बांध कर बैठा था, तो उनका एक बूब मेरी कोहनी को छूने लगा.
उन्होंने अपना बैग मेरी गोद में रख दिया और मुझसे चिपक गईं.
मतलब दीदी सो नहीं रही थीं, वो बस मज़ा लेना चाह रही थीं.
उन्होंने अपनी कांख में फंसाया हुआ पल्लू भी कंधे से गिराने के लिए अपनी साड़ी पिन हटा दी थी.
दीदी का पल्लू गिर गया था जिससे मेरा हाथ ढक गया था.
मैं समझ गया कि जब दीदी इतना कर रही हैं, तो पीछे रहने से मेरी मर्दानगी पर दाग लग जाएगा.
मैंने अपने हाथ से उनकी एक चूची पकड़ ली और धीरे धीरे दबाने लगा.
दीदी थोड़ा और मेरी तरफ को खिसक आईं ताकि मैं आसानी से उनकी चूची दबा सकूं.
मैं दीदी की चूची के निप्पल को ढूंढने लगा. अगले ही पल निप्पल मेरे हाथ लग गया तो मैं उसको अपने अंगूठे और उंगली से मसलने लगा.
दीदी आंख बंद करके मजे ले रही थीं. उनकी चूचियां नर्म नर्म थीं. मैं कामवासना में लंड दबाए जा रहा था.
तभी दीदी के बेटे ने उन्हें आवाज दी- मम्मी सुनो.
दीदी बोलीं- सोने दो, मुझे नींद लग रही है.
उनका बेटा चुप हो गया.
दीदी फिलहाल मजे लेने में व्यस्त थीं.
पर दोस्तो … मैं मजबूर था, दीदी से अपना लंड नहीं पकड़वा सकता था, कार में ऐसी ही नाजुक परिस्थिति थी.
मैंने दीदी की चूची को ब्रा और ब्लाउज से बाहर निकालने की बहुत कोशिश की, मगर दीदी ने कंधे पर से ही अपना सिर ना में हिला दिया. मैंने उत्तेजना में चूची जोर जोर से दबाना शुरू कर दी.
उनसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था, तो द्विअर्थी भाषा में मुझे इशारा करती हुई ड्राइवर से बोलीं- गाड़ी धीरे चलाओ.
मैंने मुस्कुरा कर दीदी की चूची को हल्के हाथ से दबाना शुरू कर दिया.
अब हम लोग घर पहुंचने वाले थे.
दीदी एकदम सहज हो गई थीं मगर उनकी आंखों में चुदाई का नशा मुझे साफ़ समझ आ रहा था.
गाड़ी से उतरते ही बच्चे बाथरूम चले गए.
मेरा लंड तना हुआ था, तो मैं दीदी से बोला- आप चलिए, मैं किराया देकर आता हूं.
दीदी अन्दर चली गईं.
मैं कार वाले का किराया देकर लॉबी में बैठ गया.
लॉबी के एकदम सामने दीदी का रूम था, उनके कमरे का दरवाज़ा हल्का सा खुला था.
अन्दर दीदी कपड़े बदल रही थीं. उन्होंने साड़ी उतारकर दरवाज़ा खोल दिया और मुस्कुराती हुई आंख मारके पेटीकोट और ब्लाउज में सामने खड़ी हो गईं.
उफ्फ … काले ब्लाउज में दीदी की ब्रा ट्यूबलाइट की तरह टिमटिमा रही थी.
बिना बोले हम दोनों के बीच इतना सब हो गया था. फिर अब तो दीदी ने मैदान खुला छोड़ दिया था.
मैं लॉबी में मुस्कुराते हुए अपना लंड मसल रहा था. मैंने इशारे से ब्लाउज खोलने को कहा.
उन्होंने नीचे का बस एक हुक खोला और शर्मा कर दरवाज़ा बंद कर दिया.
फिर दीदी मैक्सी पहन कर बाहर आ गईं. उनकी चूचियां एकदम तनी हुई थीं और बिना ब्रा के डोल रही थीं, निप्पल्स साफ झलक रहे थे.
मैं बेशर्मों की तरफ दीदी की चूचियों को देख रहा था और वो अपनी चुचियों को हिलाती हुई दिखा रही थीं.
तभी उनके बच्चों की आवाज आई तो दीदी बोलीं- चाय पीकर जाना.
मैं लॉबी से किचन में आ गया.
वो शर्मा कर लाल हो चुकी थीं क्योंकि मैंने उनकी चूची बहुत दबाई थीं.
किचन में मौका पाकर मैंने पीछे से दोनों चूचियां पकड़ लीं और कहा- चाय नहीं, मुझे दूध पीना है.
वो बोली- छोड़ बेशर्म, अब उनमें दूध नहीं आता.
मैं पीछे से आगे हाथ किये हुए था और दीदी के दोनों निप्पल्स मींजते हुए बोला- मैं दूध भी निकाल दूंगा, इसमें कौन सी बड़ी बात है.
दीदी ने मुझे अपनी कोहनी मारते हुए अलग कर दिया और हंसने लगीं.
फिर थोड़ी दूर खड़े होकर मैंने पूछा- मेरा इलाज कब होगा?@desi_story
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2022-06-12 17:26:33 वो शायद आने जाने का धन्यवाद देने के एवज में ऐसा करती थीं.
मैं दीदी के यहां पहुंचा, तो दीदी ने साड़ी पहनी हुई थी.
दीदी ने अपनी साड़ी के पल्लू से पीठ ढकी हुई थी, फिर वो पल्ला छाती से ले जाकर दूसरी तरफ अपनी कांख में फंसा लिया था.
मतलब ना उनकी पीठ देखी जा सकती थी और ना साइड से बूब्स.
मगर ऐसे में बूब्स के उभार बड़े मस्त दिख रहे थे.
अब बाइक पर तो अकेले दीदी की गांड ही मुश्किल से सैट होती थी तो चार लोग कैसे बैठ सकते थे.
हम लोगों ने एक कैब बुक की.
उनके बच्चे बहुत चंट हैं. दोनों बच्चे खिड़की पकड़ कर बैठ गए. लड़की आगे बैठ गई. लड़का पीछे एक किनारे, मैं बीच में … और दीदी दूसरी साइड.
गाड़ी चल दी, दीदी ने साड़ी हटा दी. अब उनकी चिकनी कमर दिख रही थी. साइड से बूब्स भी दिखने लगे थे.
दादा रे … काले रंग का ब्लाउज पहनी हुई थी; एकदम पारदर्शी टू बाय टू रुबिया का ब्लाउज था.
आप लोगों को पता ही होगा ये कितना झीना कपड़ा होता है. उनके इस ब्लाउज में से सफेद प्रिंटेड ब्रा दिख रही थी. उनकी ब्रा पर लाल नीले गोल गोल डॉट प्रिंट थे.
मेरा लंड बेकाबू हो गया, मैं समझ गया कि ये मुझे उत्तेजित करने के लिए ऐसा कर रही हैं.
कार में वो एक बार खिड़की की तरफ मुड़ीं, तो पीछे से उनकी ब्रा की पट्टी झलकने लगी थी.
उस पर साइज़ टैग साफ दिख रहा था और 36 इंच लिखा था.
दीदी की गोरी पीठ मुझे गर्म किए जा रही थी.
मुझसे तो बर्दाश्त से बाहर होने लगा था.
मैंने अपने दोनों हाथ लंड पर रख लिए. दीदी इस पर भी नहीं मानीं. उन्होंने अपनी एक चूची मेरी कोहनी में सटा दी और मुझसे बात करने लगीं.
मेरा हाल बुरा हो रहा था, लंड मान ही नहीं रहा था.
दीदी मेरे चेहरे के भाव देख कर मजा ले रही थीं.
मेरा हाल ना मरने लायक था, ना जीने लायक था.
जब अपने गंतव्य पर पहुंचकर हम सब कार से निकले, तो दीदी ने फिर से साड़ी लपेट ली और सुशील महिला बन गईं.
अब मैं समझ गया कि इनको एक बार चोदना ही पड़ेगा.
बच्चे और हम दोनों, सब लोग पार्क में आ गए.
उधर का नजारा बड़ा हसीन था. पति पत्नी लड़के लड़की सब थे, कोई कोई तो किस कर रहा था … कोई किसी की चूची दबा रहा था.
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ये सब देख कर मैं कामयोग की गहराई में पहुंच कर सोच रहा था कि अभी दीदी की चूत मिल जाए तो हचक के पेल दूँ.
दीदी की भी नज़रें वही सब देख रही थीं, जो मेरी नजरें देख रही थीं. कामाग्नि में हम दोनों जल रहे थे.
तभी एक बहुत मोटा आदमी दिखा, जिसका पेट बहुत बाहर निकला था. बच्चे उसे देख कर हंसने लगे.
दीदी बोलीं- हंस क्या रहे हो? तुम्हारे पापा का भी तो ऐसे ही है.
मैं एकदम से समझ गया कि इनकी चुदाई अच्छे से नहीं हो पाती होगी. जीजा का पेट बाहर निकलने के कारण ये चुदासी ही रहती होंगी.
वैसे भी जीजा जी को साल में एक बार आना होता है और उस पर भी दीदी की चुत लंड के लिए भूखी ही बनी रहती होगी.
दीदी के बच्चे आगे आगे दौड़ रहे थे और दीदी मुझसे चिपक कर चल रही थीं.
कभी कभी उनकी चूची मेरी बांह से छू जाती, तो कभी उनका हाथ मेरे खड़े लंड पर चला जाता.
मैंने दीदी से कहा- कहीं बैठा जाए.
दीदी ने हां कर दी.
हम दोनों एक जगह बैठ गए और बच्चे खेलने लगे.
दीदी मेरे पास ही बैठी थीं.
अब उनको लेकर मेरे अन्दर अधिकार की भावना आने लगी थी. मैंने सोचा अगर दीदी से अपने मन की बात बोल देता हूँ, या तो मामला आर होगा या पार.
मैंने उत्तेजना में दीदी से कह दिया- पब्लिक प्लेस में थोड़े सही कपड़े पहन कर बाहर आया जाता है.
दीदी समझ गईं कि मैं ब्लाउज की बात कर रहा हूँ. वो हंसती हुई बोलीं- कौन सा सबको दिखा रही हूं.
मैं तुरंत समझ गया कि आग उधर भी लगी है. अब दीदी ने साइड से बूब्स दिखाने शुरू कर दिए. मेरा ध्यान वहीं था.
दीदी मेरी नज़रों से गर्म हो रही थीं. उनकी चूचियां तनी हुई लग रही थीं.
काफी देर तक पार्क में घूमने के बाद हम दोनों बच्चों को लेकर घर की तरफ रवाना हो गए.
रास्ते में दीदी को नींद लगने सी लगी या वो सोने का ड्रामा करने लगीं.
उन्होंने मेरे कंधे पर सिर रख दिया और ऊंघने लगीं. @desi_story
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