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मेरा लंड तम्बू में बम्बू की तरह अकड़ा हुआ था. दीदी ने हाथों से | deshi kahani

मेरा लंड तम्बू में बम्बू की तरह अकड़ा हुआ था.
दीदी ने हाथों से निक्कर के ऊपर से ही लंड को दबाया और मुँह में लेकर दांतों से पकड़ने लगीं.
फिर उन्होंने मेरी निक्कर नीचे खींच दी, तो लंड एकदम उनके मुँह पर जाकर लगा.
अंधेरा होने के कारण कोई डर नहीं था. हमारे बीच बातें कम, काम ज्यादा हो रहा था.
दीदी ने मेरा लंड पकड़ कर अपने पूरे चेहरे पर फेरा, फिर मेरे लंड का टोपा होंठ गोल करके अपने मुँह में ले लिया.
अभी दीदी ने पूरा लंड मुँह में नहीं लिया था, वो अपनी जीभ लंड के टोपे पर चारों ओर फेरने लगी थीं.
मैं उनका सिर पकड़ कर खड़ा रहा और जब मुझसे बर्दाश्त नहीं हुआ तो मैंने पूरा लंड गच्च से उनके मुँह में पेल दिया.
उनके बाल पकड़ कर लंड पेलने लगा.
दीदी भी गों गों करके लंड गले तक लेने लगीं.
कुछ ही देर में मेरी टांगें कांपने लगी थीं.
फिर जब मुझसे नहीं रहा गया, तो मैं लेट गया और दीदी लंड चूसने लगीं.
मैं झड़ने को हुआ तो दीदी ने अपनी मैक्सी लंड पर लगा दी ताकि वीर्य छत के फर्श पर ना गिरे या चटाई पर … क्योंकि चटाई पर दाग पड़ जाते, तो उसे धोना मुश्किल था.
दीदी ने लंड का माल अपनी मैक्सी से पौंछ दिया.
फिर मैं उनकी चूची पीने लगा, चूचुकों को काटने लगा.
दीदी बस अपने कंठ से कामुक आवाज़ें निकाल रही थीं.
उधर कुकर की सीटी बजने लगी थी और चिकन पकने वाला था. इधर लंड खड़ा हुआ था और दीदी अपनी मैक्सी कमर तक करके लेट गई थीं.
मैंने घुटनों के बल बैठ कर दीदी की चूत में उंगली डाल दी.
उंगली घुसेड़ते ही ऐसा लगा कि चूत में पानी है या पानी में चूत है.
मैं उनकी चूत के छल्ले को रगड़ने लगा तो दीदी की मादक आह निकल गई.
उसी पल उन्होंने झट से उठकर मुझे गर्दन से पकड़ लिया और चूमने लगीं.
दीदी हद से ज्यादा चुदासी हो गई थीं.
वो कहने लगीं- आंह अब अन्दर डाल दो.
मैं दीदी की जांघ को चूमने लगा, जीभ से चाटने लगा.
दीदी ‘आह आह उम्म …’ कर रही थीं.
मैंने उनकी दोनों जांघों को फैला कर चूत पर जीभ लगा दी. दीदी अपनी कमर उठाने और पटकने लगीं.
वो मेरे बाल खीं चने लगीं, अपने पैर से धकेलने लगीं.
कभी अपनी कमर ऊपर उठा कर अपनी जांघों से और हाथों से मेरे सिर को चूत में दबाने लगीं.
दीदी की लम्बी लंबी सांसों से बहुत तेज आवाज आने लगी थी.
तभी नीचे से उनकी बेटी ने आवाज दी- मम्मी, रोटी बन गई.
दीदी कामुकता को दबाती हुई बोलीं- हां, आती हूं.
दीदी लंड लेने को बेताब थीं … मगर मामला जल्दी का था.
हम दोनों को काफी पसीना भी आ गया था.
लंड तो एकदम खड़ा था ही. मैंने कुछ नहीं सोचा बस अपनी निक्कर नीचे करके उनकी टांगों के बीच आकर चूत में लगा दिया.
न दीदी ने लंड को हाथ लगाया … ना मैंने.
दोनों की समझ की बाती बुझ चुकी थी. लंड और चूत ने अपना रास्ता खुद ढूंढ लिया था.
चूत के मुँह पर लंड का टोपा लगा … और चूत में रास्ता बनता चला गया.
दीदी की चुत इतनी पानी वाली हो गई थी कि पूरा लंड एक बार में सरसराता हुआ चूत में घुसता चला गया.
एक मादक आह लेकर दीदी मुझे चूमने लगीं. उन्होंने मुझे खींचा और अपने सीने से लगा लिया. अपनी दोनों टांगों से मेरी कमर जकड़ ली.
मैंने जैसे ही धक्का देने को अपनी कमर को ऊपर किया, दीदी कामुकता से भरी आवाज में बोलीं- आंह थोड़ी देर रुक जा … ऐसे ही अच्छा लग रहा है.
वो लंड को भरपूर तरीके से चूत में महसूस करना चाह रही थीं और मैं तो जैसे स्वर्ग में था.
तभी नीचे मेरा फोन बज गया उसकी घंटी की आवाज सुनाई दे गई.
दीदी का लड़का मुझे आवाज देता हुआ फोन लेकर ऊपर आने लगा.
मैंने झट से चूत से लंड निकाला और निक्कर पहन कर तुरंत जाकर दरवाज़ा खोल दिया.
दीदी ने भी अपनी मैक्सी से पसीना पौंछ लिया और उसे नीचे कर लिया.
उनकी सांसें धौंकनी की तरह चल रही थीं, रुक ही नहीं रही थीं, सांसों ने पूरी रफ्तार पकड़ी हुई थी.
मैंने देखा कि पापा का फोन था.
पापा बोले- खाना खा लिया?
मैंने कहा- अभी नहीं.
पापा बोले- तुमको गांव जाना है, गांव में जमीन का विवाद हो गया था.@desi_story