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दूर की रिश्तेदारी में दीदी की चुत चुदाई- 2@desi_story नमस्कार | deshi kahani

दूर की रिश्तेदारी में दीदी की चुत चुदाई- 2@desi_story
नमस्कार दोस्तो, मैं राज ठाकुर आपको अपनी हॉट सिस्टर सेक्स कहानी में स्वागत करता हूँ. मेरी ये दीदी दूर के रिश्ते में बहन लगती थीं और जीजा जी का लंड न मिलने से चुदासी थीं.
पिछले भाग
रिश्तेदारी में दीदी के साथ सेक्सी मस्ती
अब तक आपने पढ़ा था कि दीदी ने घर पर चिकन बनाया था और मुझे डिनर पर बुलाया था. मैं आज उन्हें चोदने के पूरे मूड में था.
अब आगे हॉट सिस्टर सेक्स कहानी:
मेरे उनके घर जाते ही बच्चों ने मेरा फोन ले लिया. दीदी और मैंने एक दूसरे को कातिल मुस्कान दे दी.
मैं दीदी के पास गया और धीरे से कहा- लेग पीस खिलाएंगी क्या?
मैं हंसने लगा, वो होंठों पर उंगली रखती हुई बोलीं- शश … चुप.
मैंने कहा- चिकन कहां है?
वो बोलीं- छत पर.
वो नानवेज अपने किचन में नहीं बनाती थीं. छत पर ही बनाती थीं. बाकी नीचे किचन में रोटी वगैरह.
दीदी और मैं छत पर चले गए, उन्होंने अपनी लड़की को रोटी बनाने को बोल दिया और लड़का मेरे फोन पर गेम खेलने लगा.
हम दोनों छत पर चले गए.
अब 7.30 बज चुके थे, अंधेरा हो गया था.
दीदी ने छत पर पहुंचते ही मुझे पलट कर जोर से गले से लगा लिया.
मैंने भी वही किया.
फिर उनसे अलग होकर छत का मुयायना करने के बाद उनको दीवार से लगा दिया और उनकी गर्दन को चूमने लगा, चूची दबाने लगा.
दीदी ‘आह आह उं …’ करने लगीं. मेरी कमर को जोर से पकड़ कर अपनी चूत मेरे लंड पर ऊपर से रगड़ने लगीं.
मैंने भी लंड चुत से रगड़ा और उनके होंठों को अपने होंठों में लेकर चूसने लगा.
एक मिनट बाद दीदी चुदासी आवाज में बोलीं- अब छोड़, काम करने दे. मैं यहीं तो हूं.
मैंने छोड़ दिया और कहा- जरा अपनी चूची दिखाओ दीदी.
दीदी बोलीं- पहले चिकन चूल्हे पर चढ़ा लेने दो … फिर अपने चूल्हे की आग बुझवाती हूं.
मैंने तुरंत निक्कर खोल कर अपना लंड उनके हाथ में दे दिया.
लंड पकड़ते ही उनकी आंखें बंद हो गईं.
उन्होंने छत पर एक चटाई बिछा रखी थी. मैं उसी पर बैठ कर लंड सहलाने लगा.
मैंने कहा- छत की लाइट बंद कर दीजिए.
दीदी ने लाइट बन्द कर दी और झुक कर प्याज़, मसाला वगैरह भूनने लगीं.
मैंने पीछे से लंड उनकी गांड के दरार में फंसा दिया. मैं उनके कूल्हे पकड़ कर चूत से गांड तक लंड रगड़ रहा था. मैंने थोड़ा झुक कर एक चूची को पकड़ लिया.
दीदी पलटा दिखाती हुई बोलीं- हट जा … मैं मार दूंगी.
मगर मुझे चूत का भूत सवार हो गया था; मैंने उनकी मैक्सी को कमर पर चढ़ा दिया और चूत पर दो उंगली फिरा दीं.
दीदी की चुत एकदम गीली पानी पानी हो चुकी थी.
दीदी- रुको ना, अभी दे रही हूं, जाओ पहले जीने का दरवाज़ा बन्द करके आओ … बच्चे ना आ जाएं!
मैं दरवाज़ा बंद करके आ गया और चटाई पर बैठ गया. दीदी चिकन कुकर में डाल कर आ गईं.
वो पास में बैठ गईं … तो मैं अपना हाथ सीधे उनकी चूची पर ले गया और क्लॉक वाइज एंटी क्लॉक वाइज चूची को घुमाने लगा.
उनकी चूची को मैंने मैक्सी से ऊपर से बाहर निकाल दिया और उनको चटाई पर लिटा कर चूची पीने लगा.
दोनों चूचियों को एक साथ सटा कर मैं दोनों निप्पलों को एक साथ चूसने की कोशिश कर रहा था और लंड उनकी चूत पर रगड़ रहा था.
दीदी टांगें मोड़ कर लेटी हुई थीं. मैं उनकी टांगों के बीच में था.
मैं उनके होंठों पर, गर्दन पर खूब चुम्मा लेता रहा … नीचे से वो कमर हिला हिला कर लंड का स्वाद ले रही थीं.
मैंने अभी निक्कर पहन ही रखा था.
दीदी बोलीं- रुको मैं एक बार चिकन चला दूं, नहीं तो जल जाएगा.
मैंने कहा- जल जाने दीजिए … कौन सा भोसड़ी वाला जिन्दा हो जाएगा.
वो हंसने लगीं.
मैं- दीदी, मैक्सी उतार दीजिए.
वो बोलीं- नहीं, ऐसे ही रहने दो.
मैं खड़ा हो गया.@desi_story