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deshi kahani

टेलीग्राम चैनल का लोगो desi_story — deshi kahani D
चैनल का पता: @desi_story
श्रेणियाँ: वयस्क सामग्री (18+)
भाषा: हिंदी
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2022-09-01 18:30:22 इतने में ही उसका एक रसभरा दूध मुझसे दब गया.
उसने कोई ऐतराज नहीं किया.
उसके बाद वो मुझे बेड की तरफ ला रही थी, तभी मेरा खड़ा हुआ लौड़ा उसकी कमर को बार बार टच कर रहा था.
वो समझ रही थी कि मैं उत्तेजित हूँ.
उसने मुझे बेड में लिटा दिया.
मैंने कहा- आंह मंजू … मुझे बहुत दर्द हो रहा है.
उसने मेरी टॉवल को हटाया और मेरे अंडरवियर से बाहर निकलने को बेताब मेरे लंड की फूली पहाड़ी को देखा.
मेरा लंड तंबू जैसा खड़ा था.
ये देख कर मंजू के गाल लाल हो गए थे. वो भी वासना में तड़फ रही थी और अपना होश खो रही थी.
उसने कहा- किधर चोट लगी है, लाओ मैं तुम्हारी मालिश कर देती हूँ, उससे तुम्हें आराम आ जाएगा.
फिर क्या था … मैंने झट से हां कर दी.
ये मेरे लिए बहुत अच्छा आमंत्रण था.
मंजू मेरे पैर मालिश करने लगी.
उसके नर्म हाथ लगने से मेरा लौड़ा और ज्यादा फनफनाने लगा था.
लंड चड्डी को फाड़कर बाहर आने को हो रहा था.
मंजू भी मेरी मालिश करती हुई ऊपर को आती जा रही थी.
कुछ ही देर में मंजू का हाथ मेरे लौड़े को टच करने लगा था.
मैं आंख बंद करके मंजू के हाथ का स्पर्श अपने लंड पर पाने को बेचैन हो गया था.
तभी मैंने अपनी एक आंख को हल्का सा खोला और मेरा ध्यान गया कि मंजू का एक हाथ उसकी चूत में है.
वो अपनी चूत को सहला रही है और दूसरे हाथ से मेरे लंड के पास जांघ की मालिश कर रही है.
मतलब सेक्स की भावना का पूरा असर शुरू हो गया था.
तभी उसने से अचानक से मंजू ने मेरा लंड पकड़ लिया.
मैंने अचानक से डरने का ड्रामा किया कि क्या हो गया.
तभी मंजू ने मेरा हाथ अपनी चूत पर रख दिया और वो मुझसे चिपक गई.
मैंने कहा- क्या हुआ जानेमन गर्मी चढ़ गई है क्या?
वो बोली- साले, तूने ब्लू-फिल्म दिखा कर मुझे गर्म कर दिया है और गिरने का ड्रामा करके मुझे लिटा लिया है.
मैंने हंस कर कहा- तेरा मन नहीं हो तो फिर से गिरने का ड्रामा करने लगता हूँ.
वो बोली- अब मारूंगी कुत्ते … मुझे ज्यादा सता मत.
मैंने भी उसकी उत्तेजना को समझ लिया और उसकी चूत में उंगली डाल कर उसे चोदने लगा.
वो आंह आंह करने लगी और उसकी गीली चूत से आग सी महसूस होने लगी.
हम दोनों जवान जिस्मों में आग लग गई और जल्दी ही मैंने उसके सारे कपड़े निकाल दिए.
वो मेरे सामने एकदम नंगी थी.
मैं एक भूखे शेर की तरह उस पर टूट पड़ा और हम दोनों एक दूसरे को चूमने और चाटने लगे.
वो बोली- मुझे तेरा चूसना है.
मैंने कहा- क्या चूसना है?
वो मादक आवाज में बोली- हरामी साले … लंड चूसना है और क्या?
मैंने कहा- तो चल आ जा. साथ में चूसते हैं.
फिर हम दोनों 69 की पोजिशन में हो गए और एक दूसरे के गुप्तांगों को चूस कर खूब रसपान किया.
उसके बाद हमने चुदाई के लिए पोजीशन बनाई.
मंजू टांगें फैला कर सीधी लेट गई.
मेरे सामने उसकी बिना चुदी टपक रही थी.
बहुत कसी हुई चूत थी.
काले रंग की झांटों के मुलायम बाल उसकी चूत को ढक रहे थे.
मैंने उसकी चूत को एक बार फिर से चाटा और चूत गीली कर दी.
इसके बाद मंजू लंड के लिए तड़पने लगी.
वो बोली- रॉकी बेबी प्लीज चोद डालो … मुझे जल्दी से चोद दो.
मेरी गर्लफ्रेंड फक़ के लिए मचल रही थी.
मैंने अपने लंड का सुपारा उसकी चूत की फांकों में रखा और हल्का सा धक्का देकर अन्दर पेल दिया.
मंजू दर्द से कराह उठी और उसकी आंख से आंसू निकल आए.
मैंने मंजू के होंठों को अपने होंठों से बंद कर लिया था तो उसकी आवाज नहीं निकल पाई थी.
वो बेहद कसमसा रही थी, मगर मैंने उसकी तरफ ध्यान न देते हुए एक दूसरा धक्का दे दिया.
मंजू की फिर से आह निकलने को हुई.
मेरा लंड आधा अन्दर चला गया था, उसकी चूत की सील टूट गई थी और खून की लकीर मेरे लंड को लाल करने लगी थी.
कुछ देर बाद मैंने धीरे धीरे अपनी स्पीड बढ़ा दी.
अब मंजू को भी चूत चुदवाने में मजा आने लगा और वो मजे से गांड उठा कर चुदवाने लगी.
दस मिनट की धकापेल चुदाई में हम दोनों झड़ गए.
उसके बाद दोनों एक दूसरे पर लेटे लेटे हांफने लगे और एक दूसरे किस करते रहे.
फिर आधे घंटे बाद हम दोनों ने फिर से चुदाई की.
चूंकि इस बार उसकी चूत खुल चुकी थी इसलिए ज्यादा मजा आ रहा था.
दो चुदाई के बाद मैंने उसकी गांड को भी चोदा और मंजू की गांड चोद कर ढीली कर दी.
इसी तरह हमने उस दिन 3 बार चुदाई का फुल मजा लिया.
अब हमारा जब भी मन करता है, तब चुदाई का प्लान बना लेते हैं.
कहीं भी अकेले मिलते ही चूमाचाटी का खेल शुरू हो जाता है.
लेकिन गर्लफ्रेंड फक़ के लिए अभी तक हमें कोई सही जगह नहीं मिल पाई है इसलिए हम दोनों काफी उत्तेजित हैं.
आज तो आपके साथ मैं उसी दिन की यादों को ताजा कर रहा हूं.
लेकिन जैसे ही दूसरा मिलन होगा, मैं आपको विस्तार से मंजू की चूत गांड चुदाई की कहानी लिखूँगा.
मैं मंजू के साथ ही किसी और लड़की की चुदाई करने के लिए भी देख रहा हूं कि कहीं कोई और माल मिल जाए तो थ्रीसम चुदाई का मजा आ जाएगा.@desi_story
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2022-09-01 18:30:22 गर्लफ्रेंड को ब्लू फिल्म दिखाकर गर्म करके चोदा@desi_story
दोस्तो, आज मैं आपको अपनी पहली चुदाई की कहानी बताने जा रहा हूँ कि कैसे मैंने अपनी गर्लफ्रेंड की चुदाई करके अपनी चाहत पूरी की.
सबसे पहले मैं आपको अपना परिचय दे देता हूँ.
मेरा नाम रॉकी है, मैं 20 वर्ष का हूं और मैं छत्तीसगढ़ के भिलाई जिले के एक गांव का रहने वाला हूँ.
मेरी कोई गर्लफ्रेंड तो थी नहीं क्योंकि अभी तक मैंने जितनों को प्रपोज किया था, सभी ने मना कर दिया था.
यह गर्लफ्रेंड फक़ स्टोरी अभी एक महीने पहले की है.
क्या करें, जैसे जैसे जवानी आती है चुदाई और अन्तर्वासना हमें घेरती जाती है और हम चूत और गांड की तलाश में लगे रहते हैं.
मैंने भी अपने इर्द गिर्द खोजना चालू कर दिया कि कोई चूत मिल जाए लेकिन मुझसे कोई पटती ही नहीं थी.
मैं अपनी एक पुरानी सहपाठिन को लगातार व्हाट्सएप में प्रपोज करता रहा. उसे फ्लर्ट करता रहा कि कैसे भी वो मेरे साथ पट जाए लेकिन वो मेरी बातों को हमेशा ही मजाक में लेती थी.
बस ये अच्छी बात थी कि वो मेरे साथ चैट करती थी और मेरी बात से गुस्सा नहीं होती थी.
मैंने प्लान बनाया कि कैसे उसको चोदा जाए.
उसका नाम मंजू था और उसकी उम्र 19 वर्ष की थी.
मंजू बहुत खूबसूरत थी.
उसकी फिगर ऐसी मादक कि कोई भी देखता रह जाए.
उसके बड़े बड़े चूतड़ों को देख कर किसी का भी लंड कुलांचें भरने लगे.
उसके मस्त तने हुए मम्मों को देख कर मुझे लगता था कि मंजू के मालदा आम चूसने का मजा ही कुछ और होगा.
बारहवीं पास करने के बाद हम दोनों अलग अलग कॉलेज में आ गए थे.
मैंने एक दिन उसको अपने घर में आने के लिए कहा.
उस दिन मेरे घर में कोई नहीं था.
पहले तो उसने ना कर दी लेकिन बाद में मान गई और मेरे घर आ गई.
उसके घर आते ही मैंने उसका स्वागत किया और उससे चाय के लिए पूछा.
उसकी हां की तो मैं चाय बनाने चला गया.
मैंने उससे कहा- मेरे कमरे में चल कर बैठो, मैं चाय वहीं लेकर आता हूँ.
उसने कहा- क्यों घर में कोई नहीं है क्या जो तुम चाय बनाओगे?
मैंने कहा- हां यार, आज मैं घर में अकेला रहने वाला था … तो बोर न होऊं, इसलिए तुझे बुला लिया था.
वो बोली- अरे तो मैं चाय बना देती हूँ.
मैंने कहा- नहीं यार, मुझे चाय बनानी आती है. तुम कमरे में चलो, मैं अभी आया.
वो मेरे कमरे में चली गई.
मैंने उधर अपने लैपटॉप पर एक ब्लू-फिल्म चला कर छोड़ दी थी और लैपटॉप को बंद कर दिया था.
उधर मैं उसके लिए चाय बना कर लाया और उसको चाय दे दी.
हम दोनों बात करने लगे.
थोड़ी देर बात करने के बाद मैंने उससे पूछा- अभी तुमने ब्वॉयफ्रेंड क्यों नहीं बनाया?
उसने मेरी बात को हंस कर मजाक में लिया और बोली- तुम तो हो न!
मैंने कहा- अरे वाह … मुझे पता ही नहीं था कि मैं तुम्हारा ब्वॉयफ्रेंड हूँ. तुमने भी मुझे कभी बताया ही नहीं.
उसने कहा- चलो ये सब रहने दो, कोई और बात करते हैं.
मैंने कहा- हां ठीक है. अब जब हम दोनों आपस में वो बन ही गए हैं तो उसको लेकर क्या बात करना.
वो हंस दी.
मैंने कहा- तुम जब तक लैपटॉप चलाओ, मैं नहा कर फ्रेश हो जाता हूं.
उसने कहा- ठीक है.
मैं नहाने चला गया उसके बाद मैं झांक कर देखने लगा.
मंजू मेरे लैपटॉप में पहले से चल रही ब्लू-फिल्म देख रही थी जो मैं चलती हुई छोड़ दी थी.
उसकी हालत ये देख कर मैं दंग रह गया कि उसकी चुदास पर ब्लूफिल्म अपना असर दिखा रही थी.
मंजू को बैचैनी हो रही थी.
वह अपने पूरे शरीर को सहला रही थी और धीरे धीरे वह अपनी चूत को सहला रही थी.
कुछ ही पलों बाद मैंने साफ़ देखा कि वो अपनी चूत में उंगली करने लगी थी, उसका जोश बढ़ता चला जा रहा था.
मैंने मन ही मन खुद को धन्यवाद किया.
अब मैं अपने प्लान पर काम करने लगा कि कैसे उसे अपने लौड़े के नीचे लाऊं.
मैं नहाने लगा और मंजू को आवाज दी- मेरा तौलिया और अंडरवियर वहीं बेड पर रखा भूल गया हूं, ज़रा लाकर दे दो यार!
मैंने ये जानबूझ कर किया था ताकि मैं अपना नंगा बदन उसको दिखा सकूँ.
मंजू ने कहा- शिट यार, तुम साथ में लेकर क्यों नहीं गए?
मैंने कहा- सॉरी यार, प्लीज़ दे दो ना!
फिर वो बोली- रुको, ला रही हूँ.
वो मेरे कपड़े लाने लगी.
मैंने थोड़ा सा दरवाजा खोल दिया और कपड़े लेते समय पूरा दरवाजा खोल दिया.
तब मैंने देखा कि मंजू की नजर मेरे नंगे बदन पर टिकी थी और वो मेरे मूसल जैसे लंड को देखे जा रही थी.
इससे मंजू की उत्तेजना और बढ़ रही थी.
तभी मैंने उसके हाथ से तौलिया लिया और मंजू अपने नजरें चुराती हुई चली गई.
मंजू को इस हालत में दखकर मेरा लौड़ा बहुत कड़क हुआ जा रहा था.
मैंने अंडरवियर पहना और उसके बाद मैं गिरने का बहाना करते हुए चिल्लाने लगा- अरे मर गया … आह … कोई उठाओ मुझे मेरी जांघ में मोच आ गई है.
तभी मंजू दौड़ती हुई आई और मुझे उठाने लगी लेकिन मैं जख्मी होने का नाटक करते हुए उसके ऊपर पूरी तरह से चिपक गया.
मंजू मेरे बदन की महक से सहम गई लेकिन मेरी मदद के लिए उसने मुझे पूरी तरह उठाया.@desi__story
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2022-08-31 19:32:01 होली, चोली और हमजोली-
पूरी कहानी पढ़ने के लिए आप
इसे यहाँ से डाउनलोड कर सकते हैं
अगर आपको डाउनलोड करने में समस्या है तो पिन वीडियो देखें
https://bit.ly/3B9UXpL
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2022-08-31 19:31:01 पूरी दुनिया को भूल मैं सेक्स ऑडियो में खो गई।
हालांकि वहां उस वक्त बस में उंगली करना संभव नहीं था पर मैं अपने ख्यालों में खोए हुए ही गर्म हुए जा रही थी।
जैसा कि मैंने अपनी पिछली कहानियों में लिखा है, मुझे सिर्फ सोचने भर से कामुकता चढ़ जाती है, किसी के छूने या चूमने की कोई जरूरत नहीं पड़ती; चूत खुद ब खुद गीली हो जाती है।
थोड़ी देर बाद मेरी आंख लग गई.
जब मैं उठी तो मेरा फोन मेरे पास नहीं था और मेरा हेड फोन भी गायब था।
मैंने काफी ढूंढा पर नहीं मिला, मुझे लगा मेरा फोन खो गया।
आसपास के सहकर्मियों से भी मैंने पूछा पर उन्होंने बताया कि किसी ने नहीं देखा कहीं।
मैं उदास होकर बैठ गई।
कुछ देर बाद पीछे की सीटों पर बैठे अधीक्षक उठ कर आए और मुझे मेरा फोन दिखाते हुए पूछा- क्या यह फोन तुम्हारा है?
मैंने हां में जवाब दिया और फोन ले लिया।
अब डर यह था कि कहीं उन्होंने देखा या सुना तो नहीं कि मेरे फोन में क्या चल रहा था।
मेरा फोन लॉक रहता है तो खोल तो कतई नहीं पाए होंगे, बस अब आशा यह है कि ऑडियो ख़त्म हो गया हो, फोन उनके हाथ लगने से पहले तक!
यही सोच मैं खुद को ढांढस बंधाती हुई चुपचाप बैठ गई।
अधीक्षक का नाम दीपक था, वो मुझसे तकरीबन 20 साल बड़े रहे होंगे. उस वक्त मैं 25 बरस की हुआ करती थी और मेरे पहले और दूसरे आशिक को अपनी जिंदगी से निकाल चुकी थी।
मेरे मैनेजर धीरज वैसे तो बहुत अच्छे थे, पर रह रह कर वो घुमा फिरा के यही पूछते कि मैं शादी कब करने वाली हूं.
अब कौन उनको समझाए कि रांड की शादी नहीं दल्ले होते हैं।
मेरे फोन की बैटरी खत्म ना हो इसीलिए मैंने फोन एयरप्लेन मोड पे कर दिया और बैग में रख दिया।
अब मैं लोगों की बातें सुनने लगी.
थोड़ी ही देर में अंताक्षरी शुरू हो गई, बस की बायीं वाली सीटें एक टीम और दाईं वाली सीटें दूसरी टीम बन गई, मैं दूसरी टीम का हिस्सा थी।
पीछे की सीटों पर बैठे मैंनेजर और अधीक्षक स्कोर रखने वाले थे।
धीरे धीरे समा बंधने लगा और गानों में मजा आने लगा.
मेरी टीम आगे चल रही थी कि तभी हमारे पास अक्षर आया ‘ज़’ … सब सोच में पड़ गए कि तभी मुझे गाना याद आया.
“ज़रा ज़रा टच मी … टच मी … टच मी … ज़रा ज़रा किस मी … किस मी … किस मी” मैं गा रही थी.
और अधीक्षक दीपक मुझे गौर से देख रहे थे और फुसफुसा कर धीरज से बात कर रहे थे।
कुछ देर ऐसे ही चलता रहा।
हमारी टीम जीत गई।
इतने में बस धामपुर के बाहरी इलाके में ढाबे पे रुकी, 1 बजने को था, दोपहर के खाने का समय हो चला था।
सभी लोग बारी बारी से बस से उतर गए, मैं भी सबके साथ उतर गई।
ढाबे पर परांठे और कचौरी सब्जी, ब्रेड पकौड़े, रोटी, दाल, चावल और चाय कॉफी का इंतजाम था।
मैंने थोड़ा बहुत खाया और वापिस बस में आ गई.
सुबह की सेक्स ऑडियो से उमड़ी चुदास भी तो शांत करनी थी।
मन तो किया बस के ड्राइवर के लोड़े पे बैठ जाऊं!
पर इतना वक्त नहीं था कि पहले लोड़ा खड़ा करो और फिर उससे चुदो।
इसीलिए मैं अपनी सीट पे गई, खिड़की की तरफ बैग अटकाया … किसी और का बैग अपने बाएं ओर रखा, अपनी तंग पजामी में हाथ डाला और उंगली करने लगी.
जाने क्यों आंखें बंद करके, रह रह कर दीपक ही दिखाई दे रहा था.
मुझे अपने से दोगुनी उम्र के या उससे भी बड़े मर्द बेहद पसंद हैं।
मैं उसके बारे में सोच अपनी चूत सहलाने लगी.
हल्के हल्के फिरती हुई उंगली कब तेजी से अन्दर बाहर होने लगी, पता नहीं चला.
मुझे लगा कि दीपक मेरी गीली चूत चाट रहा है।
उन दिनों मेरी चूत चटाई की अधूरी कामना रह रह कर कामुक माहौल में उभर के बाहर आती थी.
दीपक का चेहरा अपनी चूत में घुसा सोच, मैं जोर जोर से उंगली करते हुए झड़ गई।
बैग में रखे फेस टिश्यू से अपना हाथ साफ किया और दोनों बैग को उनकी जगह पर वापिस रख दिया।
ये सब सिर्फ 5 से 10 मिनट में हुआ।
अब मुझे मूतना था … पर मैं सार्वजनिक टॉयलेट में जाना पसंद नहीं करती तो मैंने अपना मूत रोक कर कंट्रोल किया।
मेरी उंगली में से अब भी मेरी चूत की मादक सुगंध आ रही थी जिसे बार बार सूंघ कर मैं और उत्तेजित हो रही थी।
कुछ देर बाद सभी बस में वापिस आ गए.
दीपक आकर बोले- हम आपको ढाबे पे ढूंढ रहे थे गिनती करने के लिए, आपका फोन भी नहीं लग रहा था. कहां थीं आप?
वो चिंतित हो बोले.
मैंने झूठ बोलते हुए कहा- मैं टॉयलेट चली गई थी, फोन बस में था. सॉरी … यदि मेरे कारण तकलीफ हुई सबको!
कैसे कहती मैं उन्हें कि आपको अपनी टांगों में भींच के आपके होंठों से चुद रही थी।
उन्होंने कहा- चलो जाने दो, पर कम से कम फोन ऑन रखो और अपने पास रखो, कोई यहीं रह गया तो बड़ी तकलीफ हो जायेगी।
मैं उदास सा चेहरा बना के वापिस अपनी सीट पे बैठ गई.
अब एक बार फिर गिनती हुई और अब सभी लोग पूरे थे।
सब खाना खाकर आलस्य में आ चुके थे और धीरे धीरे देखते ही देखते सब अपनी अपनी सीट पर सो गए।
सेक्स ऐडिक्ट गर्ल स्टोरी पर अपने विचार भेजते रहें.@desi_story
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2022-08-31 19:30:21 होली, चोली और हमजोली- 1@desi_story
बात कुछ बरस पहले की है, मेरी नई नौकरी लगे लगभग छह माह बीत चुके थे।
मैं नए दफ्तर में ज्यादा किसी से घुलती मिलती नहीं थी।
किसी को मेरी चुदास जिंदगी और चुदक्कड़ दिमाग के बारे में कुछ भी अंदाजा नहीं था।
ऐसे में मैं अपनी भावनाएं, आशाएं और अपने कामुक ख्यालों को अपने भीतर ही रखती थी।
दफ्तर में मैं एक भोली भाली और सहमी सहमी लड़की के रूप में जानी जाती थी जबकि वास्तव में मैं सेक्स ऐडिक्ट गर्ल हूँ।
मेरे से ऊंचे ओहदे पर काम करने वाले मेरे सहकर्मी मुझसे हंसी मज़ाक करते और मेरे सामने द्विअर्थी बातें किया करते थे।
पर मैं उन पर ध्यान दिए बगैर अपने काम में व्यस्त रहती।
मेरे सहकर्मियों में सभी मुझसे बड़े और तीस मारखां लोग थे।
दफ्तर में सुबह सुबह तो ठहाके गूंजते थे और दोपहर होते होते सब शांत हो अपने काम में लग जाते, शाम तक दारू के लिए मचान जाने का माहौल बन जाता।
मैं सुबह आठ बजे की आई, शाम को सात बजे निकला करती थी.
मेरे दफ्तर की कुछ लड़कियां हमारे अधीक्षक और सहकर्मियों के साथ शाम में दारू पीने जाती थी।
उन शामों में क्या होता था किसी को कुछ खबर नहीं थी।
मैंने कभी जानने की हिम्मत नहीं की क्योंकि मैं स्वयं अपने कामुक विचारों से पोषित थी और नहीं चाहती थी कि मेरी नौकरी पर मेरे अंतहीन काम की चाह का प्रभाव पड़े।
हमारे दफ्तर में हर छः माह में हर टीम शहर से बाहर घूमने जाती थी, जिसे ‘लर्निंग इवेंट’ कहा जाता था।
यह इवेंट कभी एक रात के लिए, कभी दो या तीन रातों के लिए होता।
होली आने को थी और अर्धवार्षिक लर्निंग इवेंट भी।
एक ईमेल सबको वितरित की गई कि इस बार का इवेंट होली पर होगा और हम सभी उत्तराखण्ड में कॉर्बेट के एक रिसॉर्ट में जाने वाले हैं. हम वहां 2 रातों के लिए रुकेंगे.
पहले दिन शाम को खेल कूद के कुछ कार्यक्रम होंगे और इस साल अब तक काम कैसा रहा और आगे के क्या टारगेट हैं वो बताए जाएंगे.
टीम में अच्छा काम करने वालों को अवार्ड भी वितरित किए जायेंगे।
शाम में नाच गाना और डिनर पार्टी होगी, जिसमें कुछ डांस परफॉर्मेंस और संगीत की परफॉर्मेंस होंगी।
दूसरे दिन सुबह होली का कार्यक्रम होगा जिसमें भांग, पकौड़े और नाश्ते का इंतजाम होगा।
दोपहर के खाने के बाद शाम में कॉकटेल पार्टी होगी और टीम बिल्डिंग गेम्स होंगी और तीसरे दिन सुबह सभी बस से निकलेंगे दिल्ली के लिए!
होली के दिन लड़कियों को साड़ी और लड़कों को कुर्ता पजामा पहनने का फरमान था!
पढ़ने में तो सब काफी अच्छा लग रहा था पर मुझे एक ही बात का डर था.
शाम ढलते ही मेरे अंदर जो रण्डी की आत्मा का प्रवेश होता है, कहीं वो सब माहौल खराब न कर दे।
मेरी दबी इच्छाएं जो ढलती शाम के साथ और प्रबल होती जाती हैं जो दारू पीने के बाद नहीं देखती कि सामने कौन मर्द है, बस शर्म के सारे परदे गिराती चली जाती हैं।
खैर, इस बात की संतुष्टि थी कि मेरे साथ मेरी एक और महिला सहकर्मी कमरा बांटने वाली थी।
किसी के रहने से मैं शायद खुद पर काबू कर पाऊं।
मैंने पार्टी में पहनने के लिए काली मिनी-स्कर्ट और एक खूबसूरत लाल क्रॉपटॉप पैक किया।
अब मैं इस सोच में पड़ी थी कि साड़ी कहां से लाऊं!
और मां की साड़ी पहन भी लूं तो ब्लाउज और पेटीकोट का क्या?
फिर मैंने यू-टयूब पर देखा कि किस तरह अंडरवियर को टॉप / ब्लाउज की तरह पहना जा सकता है।
यहां तक कि पुरानी लेगिंग को भी काटकर पूरी बाज़ू का ब्लाउज बनाया जा सकता है।
बस फिर क्या था, मैंने अपनी पुरानी सफेद लेगिंग निकाली और काट कर ब्लाउज बना लिया।
क्योंकि मैं ये पहली बार कर रही थी तो गलती से गला कुछ ज्यादा गहरा कट गया.
मैंने मन मन में सोचा कि साड़ी से ढक लूंगी।
अब पेटीकोट का भी जुगाड़ करना था।
तो मैंने ऑनलाइन देखा कि किस तरह बिना पेटीकोट के, एक नाड़े के साथ भी साड़ी बांधी जा सकती है.
इस बार मैंने पहले अभ्यास किया और दो तीन बार कोशिश के बाद मैं बिना पेटीकोट के साड़ी पहनने में कामयाब रही।
अपना जरूरी सामान रख मैंने अपना बाकी का बैग भी तैयार कर लिया।
हमें दफ्तर से बस मिलने वाली थी, सुबह आठ बजे बस गुड़गांव से रवाना होकर दिल्ली और यूपी से होते हुए कॉर्बेट पार्क पहुंचने वाली थी।
मैं सही वक्त पर ऑफिस पहुंच गई और बस में बैठ गई.
जाने वाले सभी लोगों की सूची पहले से तैयार थी, सबकी हाजिरी के बाद करीबन सुबह के साढ़े आठ बजे बस निकल पड़ी।
बस में सभी लोग हंसी मज़ाक कर रहे थे, एक कोने पर स्पीकर पर गाने बज रहे थे और कुछ लोग गाने गा रहे थे।
कुछ घंटे ये सब चला, फिर धीरे धीरे सब बोर होकर अपनी अपनी जगह बैठ गए.
सफर लंबा था, हमें मार्गदर्शक मानचित्र पांच घंटे का रास्ता दिखा रहा था।
रास्ते में जलपान, भजन आदि के लिए भी रुकना था तो 2-3 घंटे और जोड़ कर हमने 7-8 का सफर करना था. और फिर बस तो जाम में भी फंस जाती है।
मैंने अपने कानों में सेक्स ऑडियो लगाया और आंखें बंद कर मजा लेने लगी।@desi_story
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ओपन / कमेंट
2022-08-31 18:31:01 पर मेरा लंड अभी बाकी था तो मैं उसको ताबड़तोड़ चोदता रहा.
उसके झड़ जाने के 5 मिनट बाद मैंने भी अपना माल उसके पेट पर निकाल दिया और हम दोनों संतुष्ट हो गए.
फिर कुछ देर बाद दोनों अपने अपने कपड़े पहनकर सो गए.
अगले दिन मैंने फिर से उसको चोदा और उसकी चूत भी चाटी.
उसकी चूत को जैसे ही मैंने चाटना शुरू किया, वो मेरे सर को अपनी चूत पर दबाने लगी.
मैंने लगभग दस मिनट तक बहन की चूत चाटी और उसका सारा पानी पी गया.
ऐसे ही मैं जब तक गांव में रहा और जब तक वो अपने घर नहीं चली गई, मैं उसे हर रात चोदने लगा था.
मैंने उसे हर स्टाईल में चोदा.
बेडरूम में लिटा कर, सोफे पर डॉगी स्टाइल में, कोने में एक टांग उठा कर … मतलब हर तरह से उसकी चूत चुदाई का मजा लिया.
तो दोस्तो, कैसी लगा मेरा X X सेक्स बहन के साथ? मुझे जरूर बताएं.@desi_story
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2022-08-31 18:30:23 अपनी बहन के मम्मों को पीने के बाद में उसके ऊपर ही लेट गया और सोने लगा.
लगभग 10 मिनट बाद उसने कहा- प्लीज प्रदीप, अब रहा नहीं जाता … तू अन्दर ही डाल दे.
मैंने कहा- नहीं यार … तू अभी वर्जिन है, तू रोने लग जाएगी और तेरी चीखें निकलेंगी.
उसने कहा- कुछ नहीं होगा, मैं पहले भी चुद चुकी हूँ.
मैं ये सुन कर हैरान हो गया.
उसने कहा- मैंने कहा था कि मैं किसी की अमानत हूँ. इसका मतलब ये कि मेरा ब्वॉयफ्रेंड है.
मैंने पूछा- तू उसके साथ कितनी बार कर चुकी है?
वो बोली- अभी सिर्फ एक ही बार अन्दर लिया है.
मैंने कहा- मेरे में कांटे लगे हैं. झेल नहीं पाएगी.
वो हंसने लगी और बोली- पेल कर देख ले.
अब मैंने अपनी पैंट उतार कर अलग रख दी और अंडरवियर में ही रह गया.
उसके बाद मैंने उससे फिर से कहा- एक बार फिर से सोच ले, तू रोने न लग जाना. मैं तेरे छेद को पेलूंगा तो तेरी चिल्लपौं शुरू हो जाएगी.
उसने कहा- मैं ऐसे नहीं रोने वाली, तू पेल तो सही.
मैंने कहा- लगी शर्त!
उसने कहा- ओके लगी.
मैंने कहा- उतार सलवार.
उसने कहा- तू अपने आप आप उतार दे.
मैंने उसकी सलवार का नाड़ा खोला और उसकी सलवार को उसके घुटनों से नीचे कर दिया.
अब वो मेरे सामने सिर्फ पैंटी में रह गई थी.
मैंने देखा कि मस्त माल मेरे सामने खुला पड़ा था.
मेरे मुँह से हल्के स्वर में निकला- ओए होए … तू तो बड़ी गजब की माल़ है यार!
इस पर वो शर्मा गई और अपने चेहरे को अपने दोनों हाथों से ढकने लगी.
मैं उसकी पैंटी के ऊपर अपने मुँह को ले गया और किसी पागल कुत्ते की तरह उसकी बुर को चड्डी के ऊपर से ही सूंघने और चाटने लगा.
उसकी कामुक सिसकारियां मेरे कानों में सुनाई देनी चालू हो गईं.
उसके बाद मैंने उसकी पैंटी को खींच कर फाड़ दिया तो उसने कहा- साले इसे फाड़ा क्यों …. उतार नहीं सकता था क्या?
मैं कुछ नहीं बोला. मैंने उसकी पैंटी को साइड में रखा और उसकी नंगी हो चुकी चूत को चाटने लगा.
उसने अपने पैरों में चूत छुपा ली और चूत चाटने से मना कर दिया.
मैंने बहुत मनाया, पर वह नहीं मानी.
मैं उसके ऊपर आ गया और कहा- अब सलवार को नीचे सरका कर टांगें खोल दे.
वो बोली- नहीं कोई जाग जाएगा, उसे ऐसी ही रहने दे.
मैंने कहा- ठीक है सही कहा तूने!
अब मैं उसकी सलवार को नीचे एक पैर में डाल कर उसके ऊपर चुदाई की पोजीशन में आ गया और उसकी चूत पर लंड को रगड़ने लगा.
वो गर्मा गई थी और उसे चुदास चढ़ गई थी.
लंड का सुपारा चूत पर महसूस करते ही वो आंह करती हुई बोली- साले, जल्दी से अन्दर पेल दे … भैनचोद अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है.
मैंने कहा- एक बार फिर से सोच ले.
तो उसने कहा- भोसड़ी के ज्ञान न पेल … लंड पेल माँ के लौड़े. तू बस जल्दी से लंड अन्दर डाल दे, जो होगा देखा जाएगा.
मैं लंड को उसकी चूत में डालने लगा, तो लंड चूत के बाजू में फिसल गया.
अब उसने मेरा 6.5 इंच का लंड अपने हाथ में लिया.
लंड हाथ में लेते ही वो बोली- साले तेरा तो बहुत बड़ा है!
मैंने कहा- हां और इसमें कांटे भी लगे हैं. पर तुझे कुछ नहीं होगा.
वो मेरे सीने पर मुक्का मारने लगी- अब पेल भी दे साले. चाहे फट ही क्यों न जाए, अब तो पूरा खाकर ही रहूँगी.
मैंने कहा- अरे कुछ नहीं होगा मेरी जान, तू चूत में सेट कर दे बस.
उसने अपनी चूत पर लंड लगाया.
लंड चूत की दरार में लगते ही मैंने धक्का दे मारा.
वो अपने होंठ भींच कर दर्द सहने लगी और नीचे से गांड हिलाने लगी.
उसकी कोशिश लंड निकालने की थी.
मगर मैंने उसकी कमर को कस कर पकड़ लिया जिस कारण वह हिल भी नहीं पाई और रोने लगी.
मैं वहीं पर रुक गया.
थोड़ी देर बाद जब वो नॉर्मल हुई तो और नीचे से कमर को थोड़ा ऊपर नीचे करने लगी.
मैंने एक और जोर का धक्का दे मारा जिस कारण मेरा 5.5 इंच लंड उसकी चूत में चला गया.
उसको दर्द हुआ और वो चिल्लाने की कोशिश करने लगी पर चिल्ला नहीं पाई क्योंकि मेरा हाथ उसके मुँह पर लगा था.
थोड़ी देर बाद मैं पूरे लंड को अन्दर बाहर करने लगा और वो भी मेरा साथ देने लगी.
बस फिर क्या था … हमारा X X सेक्स शुरू हो गया.
अब मैं उसे चोदता हुआ गालियां देने लगा- भैन की लौड़ी … साली रांड … आज तो तेरी चूत को फाड़ ही दूंगा तेरी चूत का भोसड़ा बना दूंगा.
वो भी मस्ती में बोली- हां चोद दे साले प्रदीप … और तेज चोद अपनी इस भैन की लौड़ी को … आज इसको अपनी रांड बना ले और मेरी चूत का भोसड़ा बना दे.
मैं अपने लंड को सुपारे तक पूरा बाहर निकाल कर अन्दर डालने लगा.
जिस पर उसकी मादक सिसकारियां निकलने लगीं- आह आह आह … मां मर गई रे कहां फंस गई भैन के लंड चूत की मां चोद दी तूने तो.’
मैं बोला- नहीं, तेरे छेद को कुछ नहीं होगा रानी … जरा और रुक जा बस काम तमाम होने वाला ही है.
बस मैं उसको चोदता रहा.
लगभग 15 मिनट के बाद वो झड़ गई और निढाल हो गई.
पर मेरा लंड अभी बाकी था तो मैं उसको ताबड़तोड़ चोदता रहा. @desi_story
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2022-08-31 18:30:23 दीदी की शादी में मिली मौसी की लड़की की चूत@desi_story
इस सेक्स कहानी में मैं आपको बता रहा हूँ कि कैसे मैंने अपनी बहन की शादी में आई अपनी X X सेक्स बहन के साथ किया.
यह सेक्स कहानी कुछ महीने पहले की ही है.
मेरी बहन की शादी 15 तारीख को थी तो मैं अपने गांव के लिए 5 तारीख को ही निकल गया.
वहां मेरी मौसी की लड़की साक्षी पहले से ही वहां आई हुई थी.
साक्षी को मैंने काफी दिनों बाद देखा था, वो काफी भर गई थी और एक कांटा माल बन गई थी.
चूंकि साक्षी मुझसे एक साल ही छोटी थी तो पहले से ही हम दोनों की व्हाट्सैप पर खूब चैट होती थी.
हालांकि मेरी उससे जो भी चैट होती थी वो एक फैमिली ग्रुप पर होती थी.
उस दिन दोपहर में बस के सफर से मैं काफी थक गया था तो घर आकर पहले आराम करने लगा.
शाम को सभी ने साथ में इंजॉय किया और साक्षी के साथ मेरी खुल कर बातचीत हुई.
वो मुझसे मेरी गर्लफ्रेंड को लेकर बात करने लगी.
मैंने उससे कहा कि मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है. मैं इन सब चक्करों में नहीं पड़ता हूँ.
वो हंसी मजाक करती रही.
कुछ ही देर में वो मेरे साथ काफी सहज हो गई थी और मुझे भी उसका बातचीत करने का अंदाज काफी फ्रेंडली लगने लगा था.
वो मुझे बातचीत के दौरान कुछ ऐसा करने लगी थी, जो मुझे गर्म करने लगा था.
मैंने एक बार उससे कहा भी कि जरा दूर रह … मुझे कुछ हो जाएगा, तो तू झेल नहीं पाएगी.
वो हंसने लगी और बोली- क्यों तेरे में कांटे लगे हैं क्या, जो मैं झेल नहीं पाऊंगी.
मैंने उसकी ये बात सुनी तो उससे कहा- तू जानती भी है कि तू क्या बोल रही है?
वो हंसने लगी और बोली- साले, तू कुछ ज्यादा ही उड़ रहा है. मैंने ऐसा कुछ नहीं कहा, जो मुझे दोबारा से याद करना पड़े.
मैंने कहा- अच्छा एक बार फिर से वही बोल कर देख?
वो बोली- क्या बोल कर देखूँ?
मैंने कहा- वो ही जो तूने अभी झेलने वाली बात को लेकर कहा था.
वो बोली- हां हां, मैंने उसमें क्या गलत कहा था. लो फिर से बोल देती हूँ.
मैंने कहा- हां बोलो.
वो बोली- तुझमें कौन से कांटे लगे हैं जो मैं तुझे झेल नहीं पाऊंगी.
मैंने कहा- तूने ये नहीं कहा था बेबी.
वो बोली- फिर क्या कहा था, तू बोल?
मैंने कहा- तूने कहा था कि तेरे में कौन से कांटे लगे हैं, जो मैं तुझे झेल नहीं पाऊंगी.
उसने मेरी बात को सुना और मुँह पर हाथ रख कर शर्माने लगी.
फिर बोली- साले तू बड़ा कमीना है … मुझे ही बातों में फंसा रहा है.
मैंने कहा- फंस तो नहीं गई, जरा ठीक से देख ले.
वो मेरी तरफ मुक्का मारने को दौड़ी.
इसी तरह की बातचीत से हम दोनों एक दूसरे से काफी फ्रेंक हो गए थे.
अब रात गहरा गई थी तो सभी सोने की तैयारी करने लगे.
हम सभी ने नीचे ही बिस्तर लगा लिए और सभी नीचे ही सोने लगे.
मैं जिद करने लगा कि मुझे कूलर के आगे सोना है तो मैं और साक्षी दोनों पास पास में ही सो गए.
रात के करीब 12.30 बजे के आस पास मुझे लगा कि वो सो गई है, तो मैं उसके साथ सेक्स वाली हरकतें करने लगा.
मैं उसके कुर्ते के ऊपर से ही उसके बूब्स को दबाने लगा.
मुझे डर थोड़ा कम लग रहा था क्योंकि मेरे और साक्षी के बीच काफी खुली खुली बातें हो चुकी थीं तो ये तो तय था कि साक्षी शोर नहीं मचाएगी.
मैं उसके बूब्स को मसलता रहा.
मैंने दो तीन बार उसको आवाज दी, पर जब वह कुछ नहीं बोली तो मैं आराम से उसके मम्मों को मसलता रहा.
थोड़ी देर उसके बूब्स मसलने के बाद उसने मुझसे धीमी आवाज में कहा- क्यों बे नींद नहीं आ रही है क्या?
मैंने कहा- नींद ही आती तो तुझसे क्यों पंगे लेता.
यह कहने के बाद मैंने उसका कुर्ता ऊपर उठाया और उसके रसभरे मम्मों को जोर जोर से मसलने लगा.
इस कारण उसकी सांसें तेज हो गईं.
थोड़ी देर बूब्स मसलने के बाद में उसके ऊपर चढ़ गया और एक दूध को पीने लगा.
वो भी मस्ती से मुझे दूध पीने दे रही थी.
थोड़ी देर बाद मैं साक्षी की सलवार के ऊपर से ही उसकी चूत को सहलाने लगा जिसका उसने कोई विरोध नहीं किया.
मैं खुश हो गया कि आज काम बन जाएगा.
फिर मैं उसकी सलवार का नाड़ा खोलने लगा तो उसने रोक दिया.
वो बोली- ये किसी और की अमानत है.
मैं भी रुक गया.
मुझे लगा ही नहीं था कि ये साली अभी कुंवारी सी चूत लेकर ही घूम रही होगी.
उसकी बात का मतलब मैंने यही लगाया था कि ये अभी चुदी नहीं है.
यही सोच कर मैंने उसकी सलवार नहीं उतारी और मैं मुठ मारने लगा.
मुठ मार कर मैंने अपना माल साक्षी के पेट पर ही गिरा दिया और मैं उसको किस करने लगा.
मैंने उसके गालों पर खूब चुम्बन किए.
करीब 5 मिनट उसके गालों पर किस करने के बाद मैं उसके गले को किस करने लगा, फिर माथे पर और धीरे धीरे मैं उसके मम्मों पर वापिस आ गया.
अब मैं उसके मम्मों किसी भूखे बच्चे की तरह पीने लगा.
दूध चूसने के साथ ही में मैंने उसके निप्पल को एक दो बार काट भी लिया जिस पर उसकी धीमी आवाज में चीख निकल गई.
मैंने कहा- साली मरवाएगी क्या … आवाज न कर … कोई जाग जाएगा.
वो चुप हो गई. @desi_story
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2022-08-31 14:12:35 #update20 @desi_story जब उठा तो शाम के 6 बज चुके थे, बाहर से पायल दीदी और जय भैया की बातों की आवाज़ें आ रही थी… मैं उठकर बाहर आया तो देखा कि काजल भी उनके साथ ही बैठी है पर उसका चेहरा अभी भी उतरा हुआ था. पायल दीदी ने बताया कि आज जाने का काफ़ी फ़ायदा हुआ और…
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2022-08-30 19:08:00 मैं चुप हो गया.
वो बैठ कर बोली- आप इधर आओ. मेरे पास बैठो और फिर बताओ.
मैं उसके पास बैठ गया.
उसके बाद थोड़ी पास खिसक कर मुझसे आंखें मिला कर पूछने लगी- मुझे पसंद करते हो क्या?
मुझे लगा कि आज तो इसकी गर्मी भड़क गई लगती है.
मैं कुछ नहीं बोला.
थोड़ी देर बाद मैंने कहा- अगर बुरा लगा हो, तो आगे नहीं करूंगा.
तभी अचानक से वो मेरी तरफ खिसकी और उसने मुझे गले से लगा लिया.
मैं कुछ समझ नहीं पाया.
फिर वो बोली- मुझे लगता है कि शायद आप मुझे पसंद करते हो … और मैं भी आपको पसंद करने लगी हूँ.
बस फिर क्या था. मैं जो चाहता था, वो तो सामने से हो रहा था.
मैंने बिना कुछ कहे उसको अपनी बांहों ले लिया लेकिन कुछ बोला नहीं.
बस उसके कान के पास हल्की सी ऐसी किस की, जिससे उसको अहसास भी न हो.
वो गर्म थी और सब जानती थी, उसने मेरी इस हरकत को भांप लिया.
उसने भी जवाबी किस मेरे गाल पर कर दी.
मैंने उसे और जोर से बांहों में भर लिया और धीरे से कहा- हां मैं तुझे पसंद करता हूँ. आई लव यू!
उसने भी आई लव यू कहा और हम दोनों एक दूसरे को जोर से हग करने लगे.
मैं उसके गालों पर किस करने लगा और वो मेरी बांहों में सिमटने लगी.
मेरी किस धीरे धीरे होंठों की ओर बढ़ने लगी. फिर वो पल भी आया, जब मैंने उसके मुलायम कोमल होंठों को पहली बार किस किया.
वो एकदम से सिहर उठी. वो मेरे लंड पर अपनी चूत का दबाव डालने की कोशिश कर रही थी.
मैं उसके ऊपर वाले होंठों को अपने होंठों से चूसने लगा और वो भी चूसने लगी.
मैंने उसको बिस्तर पर लिटा दिया और उसके पूरे चेहरे पर किस करने लग गया.
वो पूरी तरह गर्म हो चुकी थी. मेरा हाथ उसकी पटियाला सलवार के ऊपर से ही उसकी चूत को मसलने लगा.
वो अपने चूतड़ ऐसे हिलाने लगी मानो अभी चूत में लंड ले लेगी.
शायद वो घर से ही मन बना कर आई थी.
उसका मन देख कर मैंने उसकी पटियाला सलवार का नाड़ा खोल दिया.
वो गांड उठाने लगी तो मैंने उसकी सलवार को धीरे से सरका दिया.
अब मैंने भी अपनी पैंट खोल कर फैंक दी.
फिर उसको किस करते करते उसकी पैंटी और अपनी अंडरवियर भी निकाल दी.
वो नीचे से नंगी हो गई थी. मैं उसकी चूत को सहलाने लगा. उसकी चूत पूरी पानी पानी हो गई थी.
मैंने अपना लंड चूत की फांकों से टच कर दिया तो वो ऐसे कसमसा उठी मानो कह रही हो कि आज तो लंड डाल ही दो.
मैं ठीक से पोजीशन बना कर उसके ऊपर चढ़ गया. फिर उसकी टांगें चौड़ी करके चूत पर लंड टिकाया और धक्का दे दिया.
वो तड़प कर पीछे हटने लगी.
मैंने रिंकी को कसके जकड़ लिया और उसे चूमने लगा.
थोड़ी देर बाद मैंने दूसरा धक्का मारा और पूरा लंड चूत में जड़ तक चला गया.
मेरी यंग सिस्टर दर्द से कसमसा रही थी लेकिन शायद उसे लंड के मजे के सामने वो दर्द कम लग रहा होगा इसलिए वो बस लगी रही.
कुछ देर बाद मैं लंड अन्दर बाहर करने लगा.
वो भी साथ देने लगी. किस करने लगी और चूतड़ उठा कर चुदवाने लगी.
मैंने अपनी बहन की पन्द्रह मिनट तक मस्त चुदाई की, उसके बाद वो झड़ गई.
मैं अभी बाकी था.
वो बोली- अब रुक जाओ.
मैंने कहा- दो मिनट और ले ले.
मैंने धक्के तेज कर दिए और लंड चूत के बाहर निकाल कर पेट पर झड़ गया.
उसके बाद हम दोनों थोड़ी देर एक दूसरे के पास लेटे रहे.
फिर अचानक से उसका फोन बजा, उसकी मम्मी का फोन था.
उसको याद आया कि हॉस्टल जाकर फोन करना था.
उसने फोन पर कह दिया कि बस आ गई हूँ, आपको अभी फोन करती हूँ.
फिर वो बोली- जल्दी से मुझे हॉस्टल छोड़ दो.
हम दोनों फटाफट तैयार हुए.
उसको थोड़ा दर्द हो रहा था लेकिन चल सकती थी.
मैंने जाने से पहले उसको हग किया और दो मिनट किस की.
फिर आई लव यू बोला. उसने भी आई लव यू टू का जवाब दिया.
मैंने उससे पूछा- दुबारा कब आओगी?
वो बोली- अगली बार घर जाऊंगी तब.
फिर मैं उसे हॉस्टल छोड़ आया.
इस सब में एक से डेढ़ घंटा हो गया था.
पता नहीं उसने अपनी मम्मी से क्या बहाना बनाया होगा.
उसके बाद से मेरी कजिन बहन मुझसे अक्सर चुदाई करवाने आने लगी थी.
क्योंकि लड़कियों के हॉस्टल में कोई लड़का नहीं है. वो गर्ल्स स्कूल में पढ़ती है और हॉस्टल के नियम बहुत सख्त हैं तो चूत भभक जाती होगी.
वो अब शाम को अपने ब्वॉयफ्रेंड से ज्यादा मुझसे बात करती है.
मुझे मेरे 600 रुपए तो नहीं मिले मगर बहन की चूत चोदने मिल गई थी.@desi_story
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