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deshi kahani

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नवीनतम संदेश 3

2022-08-29 18:30:13 तो मैंने कहा- खुद ही ले लो !

और मैं गुस्से में ब्रा लेने चला गया और देने के लिए जाने लगा। बाथरूम के पास जाकर उन्हें ब्रा देने लगा कि तभी दीदी नै मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अन्दर खींच लिया और कहने लगी- बहुत बदमाश हो गया है तू ? क्या देख रहा था तू तब ?

मैंने कहा- कुछ नहीं !

तो दीदी बोली- मै सब जानती हूँ कि तू क्या देख रहा था !

मैंने कहा- क्या !

वो बोली- तू ही बता कि क्या देख रहा था?

मैंने कहा- दीदी वो मैं.........वो मै ....... !!

और मैं चुप हो गया!

तो दीदी बोली- तू मेरी गांड देख रहा था ना?

मैंने कहा- ना.....न ........ना ...नहीं दीदी

और एकदम से मैं उनसे चिपक गया और कहा- सॉरी दीदी, आज के बाद कभी ऐसे नहीं देखूंगा !

वो बोली- चल पगले, मै सब समझती हूँ ! चल अच्छा एक बात बता कि मैं तुझे कैसे लगती हूँ !

मैं हैरान रह गया कि दीदी आज कैसे बात कर रही है ............

मैंने कहा- अच्छी लगती हो !

दीदी बोली- अच्छी या बहुत अच्छी?

मैंने कहा- बहुत अच्छी !

तो वो बोली- तू अपनी दीदी को चोदेगा?

मैं सर नीचे कर के खड़ा हो गया ! मेरे तो मन की बात कह रही थी पर वो मेरी दीदी थी तो मै कुछ ना बोला !

वो कहने लगी- चल ठीक है ! रहने दे ! लगता है कि तू बुरा मान गया !

और मैं बाहर आ गया ! पर रह रह कर मुझे दीदी का गीला बदन याद आ रहा था ...और मुझे आज मौका भी मिला और मै कुछ ना कर सका !!!!

मैं अपने कमरे में आ गया और दीदी के बारे में सोचने लगा और अचानक खड़ा हो कर बाथरूम की तरफ जाने लगा। मैंने सोचा कि जब उन्हें खुद ही कोई प्रॉब्लम नहीं है तो मै क्यों पीछे हटूँ !

और मैं बाथरूम में पहुँच गया। मैं जब बाथरूम में पहुँचा तो दीदी अपने कपड़े उतारने ही जा रही थी, उनका मुँह दूसरी तरफ था। मैंने पीछे से जाकर उन्हें पकड़ लिया और चूमने लगा! मेरा लण्ड उनकी गांड की दरार में घुसने लगा।

वो बोली- आ गया ना !

मैंने कहा- दीदी, प्लीज़ ! किसी से कहना मत !

......और उन्हें चूमने लगा।

दीदी बोली- अरे पगले, मैँ किसी से क्यों कहूँगी .....

मैं भी खुश हो गया और धीरे धीरे उनके कपड़े उतारने लगा और साथ ही उनके होंठों पर चूमने लगा.......

क्योंकि यह मेरा पहला सेक्स था तो दीदी ने मुझे धक्का दिया और कहा- जानवर है क्या? आराम से कर ! आज तो मै तेरी हूँ ......

मैंने कहा- सॉरी !

और इतने में दीदी ने अपना सूट उतार दिया। मैं तो देख कर बेहोश होने वाला था कि दीदी ने मुझे संभाला और कहा- क्या हुआ?

मैंने कहा- दीदी, इतने बड़े बड़े स्तन हैं आपके !

मैं उनको हाथ में लेकर चूसने लगा और दबाने लगा। दीदी भी जोश में आ चुकी थी और मुझसे चिपक गई थी। मेरा तो सपना साकार हो गया था। मैंने दीदी को धीरे धीरे पूर्ण नग्न कर दिया और खुद भी नंगा हो गया..........

फिर क्या आज एक भाई अपनी बहन को चोदने वाला था !

मैंने जैसा ही अपना लण्ड निकाला, दीदी बोली- हे राम ! इतना मोटा ? साले तू क्या करता है?

मैंने कहा- दीदी कुछ नहीं ! यह तो ऐसा ही है !

वो बोली- साले, तूने आज तक कितनी लड़कियों को चोदा है?

मैंने कहा- किसी को नहीं ....

वो बोली- चल आज अपनी बहन को चोद ! और खुद भी मजा ले और मुझे भी मजा दे !

मैंने कहा- दीदी, तो देर किस बात की !

मैं उन्हें चूमने लगा....... उन्होंने मेरा लंड हाथ में ले लिया और आगे पीछे करने लगी। मुझे काफी मजा आ रहा था। मैं उनके बोबे दबा रहा था और होंठ चूस रहा था।

वो बोली- साले केवल चूसेगा ही या खायेगा भी ?

मैंने दीदी से बोला- साली, बड़ी जल्दी है तुझे ? चल घोड़ी बन जा साली रांड ! जल्दी कर ! मुझे तो तुजसे ज्यादा जल्दी है ! रंडी, कब से सोच रहा था कि कब तुझे चोदूँ !

वो बोली- अच्छा भैया ऐसे बात है तो लो.......

और वो घोड़ी बन गई, मैं उसे पेलने लगा।

वो बोली- भैया दूध नहीं पीता? थोड़ा तेज नहीं चोद सकते ?

और मैंने झटके तेज कर दिए और चोदने लगा ...........

दीदी कहने लगी- बहन के लौड़े ! थोड़ा धीरे ! ओई माँ.........मर गई साले ! थोड़ा धीरे !

मैंने कहा- अब पता चला कि मै कितना दूध पीता हूँ....... साली रंडी, तेरी गांड का तो आज मैं बुरा हाल बना कर छोड़ूंगा !

वो भी कहने लगी- हाँ कुत्ते ! कर ना !

और मेरा साथ देने लगी.... उसकी चूत पर बहुत सा थूक लगा कर जोर जोर से चोदने लगा। अब वो मजे से चुदने लगी ....और उसे भी मजा आने लगा......जब उसे मजा आने लगा तो वो भी उचकने लगी।

बीस मिनट तक मैं उसे चोदता रहा और अलग अलग ढंग से चोदा ! 20-25 मिनट बाद जब मेरी छूट होने को आई तो मैने लंड बाहर कर उसके मुँह पर पिचकारी मारी और उसने मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया और सारा वीर्य चाट गई ! और फिर मैं उससे चिपक गया ! हम दोनों एक दूसरे के साथ देर तक चिपके रहे। इतने में मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया और मैंने कहा- दीदी एक बार और हो जाये !

वो बोली- ......हाँ हाँ ! क्यों नहीं ! नेकी और पूछ पूछ !..............अज मेरे भैया राजा फाड़ दे अपनी बहन
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2022-08-29 18:30:13 बारिश और दीदी
मेरा नाम राज है। मैं 21 साल का लड़का हूं। कहानी शुरु करने से पहले मैं बता दूं कि यह मेरी पहली कहानी है। मैं आप सब लोगों से विनती करूँगा कि मुझे कोई गलत नाम से ईमेल ना करे। इससे पहले मैंने किसी लड़की के साथ सेक्स नहीं किया था। पर मुझे क्या मालूम था कि मुझे पहला प्यार खुद मेरे घर में मिलेगा।

मेरी माँ किसी हूर से कम नहीं ! आज भी किसी मॉडलिंग शो में हिस्सा लें तो वही प्रथम आयेंगी। अब मैं आपको अपनी दीदी के बारे में बताता हूँ। मेरी एक प्यारी सी दीदी है नेहा ! वो मुझसे एक साल बड़ी है। उनकी उम्र 22 साल है। वो भी देखने में किसी मॉडल से कम नहीं लगती। वो मुझे काफी अच्छी लगती है पर उन्हें ऐसे गन्दी नजरों से नहीं देखा था। हम दोनों एक दूसरे से बहुत प्यार करते हैं पर भाई-बहन की तरह।

एक दिन की बात है, मम्मी-पापा को शादी में किसी दूसरे शहर में जाना पड़ा। मैं और मेरी दीदी घर पर अकेले ही रह गए। जाते वक़्त मम्मी ने दीदी से कहा कि मेरा ख्याल रखे। मॉम और डैड के जाने के बाद मुझे तो खुली छूट मिल गई कि जो मन में आयेगा वो करूँगा।

मैं अपने दोस्तों से साथ मिलकर घूमने चला गया और दीदी से कह गया कि मैं रात को देर से आऊंगा।

दीदी ने कहा- जल्दी आ जाना ! मुझे पढ़ने के लिए अपनी सहेली के घर जाना है !

मैं जल्दी की वजह से कह गया- हाँ ! मैं आ जाऊंगा।

मैं घर से निकला ही था कि मौसम ने अपना रंग दिखाना चालू कर दिया। पर इतने दिनों बाद तो मौका मिला था तो मैं उसे बेकार कैसे जाने देता। पर दोस्तों के साथ समय का पता ही नहीं चला और घर आने के लिए मुझे देर हो गई। तभी मुझे दीदी की कही बात याद आई कि उन्हें तो काम की वजह से बाहर जाना था। मैंने तभी दोस्तों को अलविदा कहा और घर के लिए निकल गया। पर मौसम ने अपना तेवर दिखाना शुरू कर दिया, बारिश का आना तो पक्का ही था। और वही हुआ जो मैं सोच रहा था, दीदी जा चुकी थी अपनी सहेली घर ! मैंने जल्दी से घर का दरवाजा खोला डुप्लीकेट चाभी से जो घर के बाहर गमले के नीचे रखी रहती है। जल्दी जल्दी मैं घर में घुसा और मैंने चैन की साँस ली कि शुक्र है घर तो पहुंचा।

फिर मै फ्रेश होने लगा और फ्रेश होकर टीवी देखने के लिए बैठ गया। घर पर तो कोई था ही नहीं तो मैंने सोचा कि क्यों न आज ब्लू फिल्म देखी जाये। और मैं टीवी-डीवीडी चला कर देखने लगा और अपने लिंग को सहलाने लगा। जैसे कि मैंने पहले बताया कि मेरी माँ और मेरी दीदी दोनों ही काफी सेक्सी है तो मुझे ज्यादातर इन्सेस्ट मूवी देखना ज्यादा पसंद है। मै बैठ कर मूवी देख रहा था और धीरे धीरे अपने लिंग को सहला रहा था कि इतने में दरवाजे पर घण्टी बजी। मैं एकदम से हिल गया।

तभी बाहर से आवाज़ आई- राज ! दरवाजा खोल ! मैं भीग रही हूँ !

मैंने जल्दी-जल्दी अपने आप को ठीक किया और डीवीडी बंद करके दरवाजा खोलने के लिए चला गया। पर मैंने जैसे ही दरवाज़ा खोला, मुझे एक जोरदार चांटा लगा। दीदी पूरी तरह भीग चुकी थी और वो कह रही थी कि जल्दी नहीं खोल सकता था?

मैं कुछ नहीं कह सका पर दीदी को जल्दी ही अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने कहा- सॉरी यार ! पर तूने भी तो इतनी देर लगा दी थी, मै बाहर खड़ी भीग रही थी, तुझे थोड़ा भी ख्याल नहीं है।

मैंने भी दीदी को सॉरी कहा और उन्होंने मुझे अपने गले से लगा लिया। बारिश की वजह से उनका पूरा बदन भीग चुका था और ऊपर से उन्होंने कसे हुए कपड़े पहने हुए थे। वो देखने में काफी सेक्सी लग रही थी। मैं भी उनसे चिपक गया और और मधुर सपनों में खो गया कि तभी दीदी नहीं कहा- राज बस यार ! अब हट ! मुझे कपड़े बदलने हैं।

मैंने कहा- ओह सॉरी दीदी !

वो जाने लगी, जाते समय वो पीछे से इतनी सेक्सी लग रही थी कि कोई 70 साल का बूढ़ा भी देख ले तो बिना वियाग्रा के ही उसका लंड खड़ा हो जाये। मेरे भी मन में मेरा सोया हुआ शैतान जागने लगा और सोचने लगा- काश मैं उनको चोद सकता !

पर आखिर वो मेरी दीदी थी ना !

मैं यह सोच ही रहा था कि तभी दीदी ने पलट कर मुझसे पूछा- तुझे घर आने में इतनी देर क्यों हो गई?

मैं एकदम से घबरा गया क्योंकि मैं उस समय उनके मोटे मोटे चूतड़ देख रहा था। वो मुझे घूरने लगी और कहने लगी- क्या देख रहे हो राज?

मैंने कहा- कुछ नहीं दीदी............! मैंने अपने आप को संभाला और कह दिया- दोस्तों के साथ समय का पता नहीं नहीं चला ! दीदी सॉरी ............!!!!!

दीदी ने कहा- कम से कम एक फ़ोन ही कर देता !

मैंने कहा- मैं भूल गया !

तो उन्होंने कहा- चल, कोई नहीं ! मै फ्रेश होने के लिए जा रही हूँ !

और यह कहते हुए वो बाथरूम में घुस गई। मै बैठ कर उनके मोटे मोटे स्तन और गांड के बारे में सोचने लगा कि तभी आवाज़ आई- राज, मेरे कपड़े देना ! मैं लेना भूल गई !

मैंने पूछा- कहाँ हैं?

उन्होंने कहा- मेरे कमरे में देख ! वहीं मिल जायेंगे !

मैंने कपड़े लाकर उन्हें दिए और टीवी देखने लगा। तभी दीदी बोली- राज, मेरी ब्रा तो इसमें नहीं है !
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2022-08-29 13:10:37 सेक्सी हिंदी ऑडियो कहानियां सुनने के लिए
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2022-08-28 19:32:02 गांव में फुफेरे भाई के साथ रंगरलियां-
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2022-08-28 19:31:01 ही रहेगा.
मैंने भी हल्का सा सिर सहमति में हिलाया.
फ़िर विपिन ने मेरी हथेलियों को पकड़ा और धीरे धीरे उन्हें जबरदस्ती नीचे करने लगा.
शुरू में मैंने हल्का सा विरोध किया, पर धीरे धीरे उसने मेरे दोनों हाथ नीचे कर ही दिए.
फ़िर विपिन धीरे धीरे अपने हाथ मेरे बूब्स पर ले गया और उन्हें हल्के हल्के दबाने लगा.
इसके साथ ही उसने मेरी चूचियों को हल्के हल्के मसलना भी शुरू कर दिया.
कुछ देर बाद मैं भी पूरे जोश में आ गई थी तो उसका पूरा साथ दे रही थी.
अब मैंने अपनी शर्ट भी पूरी उतार दी थी और उसके सामने बिल्कुल नंगी हो चुकी थी.
इस वक़्त विपिन मेरी छाती को चूम रहा था और मेरे दूध सख्त होते जा रहे थे.
उधर विपिन के कच्छे में उसका लंड फाड़ कर बाहर आने को उतावला हो रहा था.
मैंने खुद को विपिन से झटके से अलग किया.
इससे विपिन एकदम से चौंक गया.
उसने पूछा- क्या हुआ दीदी?
मैंने एक पल को बहुत ही गंभीर भाव से उसे देखा, फिर अगले ही पल मैं भी मुस्कुरा दी और घुटनों के बल बैठ गयी.
मैंने उसका कच्छे एक झटके में नीचे सरका दिया.
उसका लंड एकदम से हाथी की सूंड की तरह ऊपर नीचे झूलते हुए मेरे सामने खड़ा था.
मैंने ऊपर विपिन की आंखों में देखा और मेरी आंखों में देख कर पूछा- दीदी, मैंने सुना है कि शहर में लड़कियां लड़कों का लंड मुँह में ले कर चूस लेती हैं. ऐसा सच है क्या?
मैंने एक शैतानी भरी मुस्कुराहट दी और कहा- तुम्हें क्या लगता है?
बस ये कह कर मैंने उसका लंड पकड़ लिया, लंड की जड़ से ऊपर तक हाथ फेरा और उसे एक दो बार प्यार से सहलाया.
फिर अचानक से उसके लंड को किस कर दिया.
विपिन की तो मानो जान ही ऊपर को निकल गयी.
उसने जोर की आहह … भरी.
मैंने थोड़ा कसके मुट्ठी बंद करके उसके लंड पर पीछे को दबाया तो उसके लंड का सुपारा बाहर आ गया.
मैंने कहा- देखते जाओ शहर में क्या क्या करती है लड़कियां …
मैंने अपने बंद होंठ उसके लंड पर दबाते हुए सुपारे को होंठों से रगड़ा और धीरे धीरे लंड मुँह में लेते हुए चूसने लगी.
विपिन तो सातवें आसमान पर उड़ने लगा था, उसकी आंखें बंद हो गई थीं और उसके मुँह से बस ‘आहह … स्स … आहह … दीदी … आहह … बहुत मजा आ रहा है … आहह … दीदी …’ की आवाजें निकल रही थीं.
इस वक्त वो बड़ी मस्ती भरी आहें और कराहें अपने मुँह से निकाल रहा था.
मैंने धीरे धीरे लंड चूसने की रफ्तार बढ़ा दी और उसकी उत्तेजना बढ़ती चली गयी.
दोस्तो, आपको मेरी नंगी बहन की कहानी में मजा आ रहा होगा. यदि आपका लंड खड़ा हो गया है तो अभी हिलाना मत.
मैं जल्द ही अपनी चुदाई की कहानी का अगला भाग लेकर हाजिर होती हूँ.@desi_story
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2022-08-28 19:30:10 मैंने अपनी शर्ट को नीचे सरकाने के लिए जैसे ही हाथ से पकड़ा मेरे हाथ से गेट छूट गया और धड़ाम से बंद हो गया.
विपिन भागा भागा आया और गेट पकड़ने की कोशिश की, पर तब तक वो फंस गया था.
विपिन बोला- ये क्या किया दीदी, अब फंस गया ना गेट.
एक पल के लिए हम दोनों भूल गए कि हम दोनों ही आधे नंगे है.
फिर थोड़ी देर बाद सब सामान्य हुआ तो विपिन ने बोला- कोई बात नहीं, आप चारपाई पर बैठो. मैं कुछ जुगाड़ करके गेट खोलता हूँ.
पर ऐसे माहौल में ध्यान तो भटकता ही है.
मैं विपिन के आधे नंगे शरीर को देख रही थी और वो मेरी नंगी टांगों को.
कुछ देर तक ऐसे ही हम एक दूसरे को देखते रहे.
मैंने कहा- प्लीज ऐसे मत देखो ना, मुझे शर्म आती है.
विपिन बोला- तो आप भी तो मत देखो न, मुझे भी शर्म आती है.
पर ना चाहते हुए भी हम दोनों बार बार एक दूसरे को ही देख रहे थे.
अब तक मुझे समझ आ चुका था कि आज कुछ कांड होने जा रहा है.
फिर हम दोनों ही वहां पड़ी चारपाई पर थोड़ा सा दूर दूर बैठ गए.
काफी देर तक हम दोनों ऐसे ही बैठे रहे और एक दूसरे को देख देख कर हल्के हल्के उत्तेजित होते रहे.
फिर पता नहीं मुझे क्या हुआ, मैं खुद ही उसकी तरफ धीरे धीरे खिसकने लगी और वो मेरी तरफ.
अब हम दोनों काफी नजदीक बैठे थे.
मैं ऊपर उसकी आंखों में देख रही थी और वो मेरी आंखों में.
तभी मेरा हाथ अपने आप उसकी छाती और बाजुओं पर फिरने लगा, मानो मेरा शरीर मेरे बस में नहीं था और अपने आप चल रहा था.
धीरे धीरे मैं थोड़ा सा उचक कर उसके होंठों के पास अपने होंठ ले गयी.
एक पल के लिए मैंने उसकी आंखों में देखा और बस अगले ही पल हमारे होंठ मिल गए.
हम दोनों की आंखें बंद हो गईं.
इस वक़्त हम दोनों दुनिया की फिक्र से दूर, एक दूसरे के होंठों को किस कर रहे थे
बिना कुछ बोले, बिना कुछ सोचे समझे. हम बस एक दूसरे के होंठों को हल्के हल्के दबा कर छू रहे थे.
फिर मैंने आंखें खोलीं और हल्के हल्के मुस्कुराते हुए नीचे हो गयी.
उधर विपिन भी मुस्कुरा रहा था. हमारे बीच रिश्तेदारी की दीवार गिर चुकी थी.
विपिन बोला- दीदी …
मैंने उसकी बात काटते हुए कहा- स्श्ह …
बस तुरंत अपने होंठ उसके होंठ पर रख कर जोर से दबाए और जोर जोर से चूमने लगी.
अब विपिन भी जोर जोर से मेरे होंठों को अन्दर बाहर करते हुए चूस रहा था और हम ऐसे ही कुछ देर तक एक दूसरे में खोये हुए किस करते रहे.
आखिर जब किस करके मन भर गया, तब हम अलग हुए.
मेरे अन्दर हवस की आग लगी हुई थी और उधर विपिन का लंड भी पूरा खड़ा ही चुका था.
विपिन मुझे देख कर एक बार मुस्कुराया और बस मुझे जोर से धकेल कर दीवार से सटा दिया.
अब वो ऊपर नीचे हो होकर जबरदस्ती मेरे होंठों को किस करने लगा.
मैं भी उसका पूरा साथ दे रही थी और कमरे का माहौल और गर्माता जा रहा था.
करीब दो मिनट तक वो ऐसे ही मुझे दबाए जोर जोर से चूमता रहा.
वो बीच बीच में बोलता रहा- आह … आहह … दीदी मैं आपसे बहुत प्यार करता हूँ … उमम्ह … पुच्छह … पुच्छ … आपको पता नहीं, मैंने इस पल का कितना इंतज़ार किया है … मुझे तो उम्मीद भी नहीं थी कि एक दिन मैं आपके इतने करीब आ जाऊंगा.
वो किसी प्यासे की तरह मेरे होंठों को जोर जोर से चूस चूस कर अपनी प्यास बुझाता रहा. इधर उसका जिस्म मेरे जिस्म से रगड़ रहा था और उसका लंड मेरे चूत को रगड़ रगड़ कर मेरी प्यास बढ़ा रहा था.
जब उसका मेरे होंठों को चूस कर पूरा मन भर गया, तो वो एक पल को रुका.
हमने एक दूसरे की आंखों में देखा और फिर से एक दूसरे के चेहरे को, गर्दन को, कंधों को किस करते हुए आगे बढ़ने लगे.
अब तो कोई शंका ही नहीं थी कि आगे क्या होना है.
विपिन ने खुद ही मेरी शर्ट के बटन एक एक करके खोलना शुरू कर दिए.
जैसे ही उसने ऊपर के 3 बटन खोले, मुझे एक बार फिर से ख्याल आया कि ये मैं क्या कर रही हूँ. ये मेरा रिश्ते में भाई है, मैंने इसके साथ ऐसे कैसे कर सकती हूँ.
मैंने कहा- रुको विपिन, हमें यहीं रुक जाना चाहिए, मत भूलो मैं तुम्हारी बहन हूँ. प्लीज रुक जाओ.
मैंने उसके हाथ अपनी शर्ट के बटन पर ही रोकने चाहे.
पर विपिन इस कदर जोश में था कि उसने कहा- आज मत रोको दीदी, वरना मैं मर जाऊंगा, आज हम दोनों सिर्फ एक लड़का और लड़की हैं और हमारा रिश्ता सिर्फ जिस्मों का है. मुझे आपका जिस्म भोगना है. आज मत रोको मुझे.
इसी के साथ ही उसने मेरी शर्ट के दोनों हिस्सों को पकड़ा और जोर से फाड़ कर पीछे को खोल दी.
इसके साथ ही मेरा आगे का शरीर उसके आगे नंगा हो गया.
मैंने शर्म के मारे अपने बूब्स को हथेलियों से ढक लिया और टांगें भी आपस में मोड़ कर सिकोड़ सी लीं ताकि विपिन से अपनी जवानी छुपा सकूँ.
विपिन मेरे करीब आया और धीरे से अपनी नंगी बहन के कंधों पर हाथ रख कर बोला- दीदी, इधर देखो मेरी आंखों में.
मैंने शर्माते हुए उसकी आंखों में देखा.
उसने बड़े प्यार से कहा- दीदी, आप घबराओ मत … हमारी ये बात किसी को पता नहीं चलेगी. सब हम दोनों के बीच @desi_story
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2022-08-28 19:30:10 _story
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2022-08-28 19:30:10 गांव में फुफेरे भाई के साथ रंगरलियां- 2@desi_story
फ्रेंड्स, मैं सुहानी चौधरी अपनी चुदाई कहानी में आपका स्वागत करती हूँ.
कहानी के पहले भाग
मेरी जवानी पर फुफेरे भाई का दिल आ गया
में अब तक आपने पढ़ा था कि मैं अपने फुफेरे भाई के साथ बाइक पर बैठ कर उसके खेत में लगे ट्यूबवेल पर जा रही थी.
अब आगे नंगी बहन के साथ फुफेरा भाई:
कुछ देर तक तो हम दोनों कुछ नहीं बोले, फिर विपिन मुझे गांव वगैरह के बारे में बताने लगा.
थोड़ी देर बाद हम दोनों खेत में पहुंच गए.
उधर सब अपने अपने खेतों में दूर दूर काम कर रहे थे.
विपिन ने ट्यूबवेल वाले कमरे का ताला खोल लिया पर गेट नहीं खुल रहा था.
मैंने पूछा- क्या हुआ?
वो बोला- अरे कुछ नहीं, जंग लगने की वजह से ये दरवाजा फंस जाता है और बहुत जोर लगाने पर खुलता है.
खैर … थोड़ी बहुत मशक्कत के बाद उसने जोर से धक्का लगा कर गेट खोला और ट्यूबवेल चला दिया.
फिर उसने ट्यूबवेल की हौदी की तरफ इशारा करते हुए कहा- देखो दीदी, ये होता गांव का स्विमिंग पूल.
मैंने कहा- अच्छा, हमारे यहां तो काफी बड़ा होता है.
विपिन बोला- यहां ज्यादा बड़ा तो नहीं होता, पर पानी लगातार बहता रहता है. कितनी गर्मी हो रही है, मैं नहा लेता हूँ.
मैंने कहा- मैं एक्सट्रा कपड़े नहीं लाई वरना मैं भी नहा लेती.
विपिन बोला- अरे दीदी मन है तो नहा लो, यहां कोई नहीं आता. मेरे एक जोड़ी कपड़े अन्दर रखे हैं. आप नहा कर उन्हें पहन लेना. फिर जब ये वाले सूख जाएं तो वापस पहन लेना.
पहले तो मैंने ऐसे ही ना-नुकर सी की, पर फिर सोचा कि नहा ही लेती हूँ.
विपिन हौदी में उतर गया था.
मैं हौदी की दीवार पर चढ़ गयी तो विपिन ने अपना हाथ दिया और मैं भी सूट सलवार पहने ही उसमें उतर गयी.
विपिन को कच्छे में देखा तो उसके आधे नंगे शरीर को देख कर मेरे अन्दर के अरमान भी हल्के हल्के जागने लगे थे और शायद उसके भी अरमान जग रहे थे.
एक दो बार तो मेरा मन हुआ कि उसे जोर से किस कर लूं पर मैंने अपने आप को रोका हुआ था.
फिर हम दोनों मस्ती करते हुए नहाने लगे.
हम दोनों दुनिया की फिक्र छोड़ कर खूब मस्ती से ट्यूबवेल के पानी में नहाए.
लगभग आधा घंटा के बाद मैं नहा चुकी तो वहां से निकल गयी और ट्यूब वेल वाले कमरे में कपड़े बदलने चली गयी.
मैंने गेट हल्का सा उड़काया और अपने सारे गीले कपड़े उतार कर बिल्कुल नंगी हो गयी.
फिर मैंने विपिन के कपड़े उठाए और शर्ट पहन ली. फिर हल्का सा गेट खोल कर विपिन को अपने कपड़े सुखाने के लिए पकड़ा दिए.
अब मैं बाक़ी के कपड़े पहनने के लिए देखने लगी.
मैंने देखा पर मुझे पैंट नहीं मिल रही थी. मैंने विपिन को आवाज देकर पूछा- पैंट कहां है?
उसने बोला- वहीं दरवाजे के पीछे तो टंगी है.
मैंने कहा- नहीं है.
उसने बोला- अरे होगी वहीं … और कहां जाएगी.
मैंने बोला- नहीं है बाबा, यहां सिर्फ शर्ट थी.
विपिन एकदम से बोला- अरे सॉरी दीदी … वो तो पापा शायद घर ले गए होंगे धुलवाने के लिए!
मैंने थोड़ा गुस्से में कहा- ये क्या मज़ाक है … अब मैं यहां क्या पहनूं?
विपिन बोला- कोई बात नहीं, आप थोड़ी देर ऐसे ही अन्दर कुंडी लगा कर बैठो … एक घंटे में कपड़े सूख जाएंगे, तब पहन कर बाहर आ जाना.
उस वक़्त मैं मजबूर थी क्योंकि मेरे पास और कोई चारा नहीं था.
मैं उस कमरे के अन्दर एक चारपाई पर सिर्फ शर्ट में बैठी हुई थी.
कुछ देर बाद लाइट चली गयी तो कमरे में अंधेरा हो गया.
मैं थोड़ा घबरा सी गयी तो मैंने विपिन को आवाज लगाई.
उसने कहा- कोई बात नहीं दीदी, मैं यहीं बाहर हूँ, अभी आ जाएगी लाइट.
लगभग 5 मिनट बाद लाइट भी आ गयी.
मैंने विपिन को बता दिया कि लाइट आ गयी है.
उसने कहा- ट्यूबवेल चला दो, अपने आप नहीं चलेगा.
मैंने कहा- मुझे चलाना नहीं आता.
उसने कहा- अरे जो मैं बता रहा हूँ, वो बटन दबा दो.
मैंने कहा- मुझे नहीं पता, यहां इतने सारे तार हैं, मुझे बिजली से डर लगता है.
विपिन बोला- ठीक है, मैं चला देता हूँ … आप गेट खोलो.
मैं बोली- अरे ऐसे कैसे गेट खोल दूं, मेरे कपड़े दो.
उसने बोला- कपड़े तो अभी बिल्कुल गीले हैं. आप ऐसा करो गेट के पीछे छुप जाओ, मैं नहीं देखूंगा और मोटर भी चला दूंगा.
मैंने कहा- अरे लाओ गीले कपड़े ही पहन लूंगी, कोई बात नहीं.
विपिन बोला- आप डरो मत, एक मिनट भी नहीं लगेगा और काम हो जाएगा.
मैंने सोचा कि थोड़ी सी देर की बात ही है, खोल देती हूँ गेट.
मैंने कहा- ठीक है.
पर देखा कि गेट के पीछे का हैंडल टूटा हुआ था.
मैंने कहा- मैं क्या पकड़ कर खोलूं, गेट का हैंडल तो टूटा हुआ है, कुछ पकड़ने को है ही नहीं.
उसने कहा- अरे हां वो हैंडल लगवाना था, कोई बात नहीं, आप कुंडी खोल दो. मैं बाहर से धक्का लगा कर खोल दूंगा.
मैं गेट की आड़ में खड़ी हो गयी और कुंडी खोल दी. विपिन ने अभी भी अपने सारे कपड़े उतार रखे थे. वो सिर्फ कच्छे में अन्दर आ गया.
अन्दर आ कर उसने कहा- गेट पकड़ कर रखना वरना हवा से बंद हो जाएगा.
मैं पीछे छुपे-छुपे ही गेट पकड़ लिया और विपिन मोटर चलाने लगा.@desi
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2022-08-28 18:17:01 गांव में फुफेरे भाई के साथ रंगरलियां-
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2022-06-21 18:57:04 पकी हुई थी जैसे चंदन के पेड़ से साँप।
हम दोनों ने जल्दी जल्दी एक दूसरे के कपड़े उतारे और कुछ ही पल में हम दोनों नंगे एक दूसरे के सामने थे।
मैं उसकी और वो मेरी गर्म साँसों को महसूस कर पा रही थी।
जब उसका नंगा शरीर मेरे सामने आया तो मैं तो देखता रह गया.
क्या चिकनी कमर गोल गोल उभरे हुए चूचे और उभरी हुई गांड।
गज़ब ढा रही थी।
मैंने उसको पलंग पे लिटाया और ऊपर से नीचे तक उसके कोमल शरीर को चूमने लगा।
मैं उसकी चूचियों को बुरी तरह मसल रहा था और वो आहह आह उम्म उम्म किये जा रही थी।
फिर मैंने उसकी चूत को चाटना शुरू किया जो गीली होनी शुरू हो गयी थी।
मैं बेतहाशा उनकी चूत को चाट रहा था और वो मेरे सर को कभी अपने हाथों से तो कभी अपनी टांगों से अपनी चूत पे दबाती।
फिर उन्होंने मुझे नीचे कर के खुद मेरे ऊपर आ गयी और मेरे कड़क लण्ड को सहलाने लगी और अपने मुँह में ले के उसको चूसने लगी।
जब वो मेरा लण्ड चूस रही थी तो मैं क्या बताऊं … ऐसा लग रहा था जैसे मैं जन्नत में हूँ।
मेरा लण्ड चूसने के बाद वो बोली- जान, बस अब अपना ये कड़क लण्ड मेरी चूत में डाल दे और मेरी आग बुझा दे।
मैंने अपना लण्ड एक ही धक्के में उसकी गीली चूत में बाड़ दिया जिससे उसकी हल्की सी चीख निकली।
लेकिन उस हल्की सी चीख में भी एक कामुकता की आवाज़ थी।
मैंने उनकी चूत में धक्के बजाने शुरू कर दिए।
मैं धक्के आराम से और अंदर तक मार रहा था.
और वो ‘आह आह आह …उम्म उम्म आह जान … मजाआ आआ रहा है … आह आह आह …’ करके मुझमें और जोश भर रही थी।
मैंने धक्कों की रफ्तार बढ़ा दी जिससे उसको और मजा आने लगा.
और वो ‘आह आह आह आह … और तेज़ और तेज़ … आह आह आह … मजा आ रहा है जान और तेज़’ कर रही थी।
उससे मेरे अंदर उत्तेजना और बढ़ रही थी।
मैंने उसको अपनी गोद में बिठाया और धक्के मारने लगा।
वो मुझसे बुरी तरह चिपटी हुई थी और उसमे इतना जोश था कि उसने मेरी पीठ और छाती पर अपने नाखूनों से निशान कर दिए।
जिसमें मुझे भी मजा आ रहा था।
उसको गोद में बिठा के चोदने का मजा ही कुछ और था।
उसके मुँह से सिसकारियां निकल रही थी और मैंने अपने होंठ उसके होंठ से भिड़ा दिए।
हम दोनों चरमसुख की प्राप्ति कर रहे थे।
काफी देर की वहशियाना चटाई और चुदाई के बाद में झड़ने वाला था जबकि भाभी का काम 2 बार हो चुका था।
मैंने सारा गर्म गर्म वीर्य उसकी चूत में उड़ेल दिया जिसको पा कर वो संतुष्ट हो गयी और मेरे होंठों को चूमने लगी।
हम दोनों एक दूसरे से चिपके कुछ देर ऐसे ही पड़े रहे.
उसके बाद कपड़े पहन कर हम दोनों बैडरूम से बाहर आये.
भाभी ने मुझे फिर होंठों पर किस किया और उसके बाद मैं अपने रूम में आ गया।
शाम को राजेश भी आ गया.
उसके बाद मैं नीचे खाना खाने आया और बाद में ऊपर आकर सो गया।
फिर हमने रोज़ चुदाई जारी रखी.
और ऐसी वैसी नहीं … वहशियना चुदाई।
तो कैसी लगी आपको मेरी ये लैंड लेडी फक स्टोरी? कुछ गलती हुई हो तो माफी।@desi_story
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