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गांव में फुफेरे भाई के साथ रंगरलियां- 2@desi_story फ्रेंड्स, म | deshi kahani

गांव में फुफेरे भाई के साथ रंगरलियां- 2@desi_story
फ्रेंड्स, मैं सुहानी चौधरी अपनी चुदाई कहानी में आपका स्वागत करती हूँ.
कहानी के पहले भाग
मेरी जवानी पर फुफेरे भाई का दिल आ गया
में अब तक आपने पढ़ा था कि मैं अपने फुफेरे भाई के साथ बाइक पर बैठ कर उसके खेत में लगे ट्यूबवेल पर जा रही थी.
अब आगे नंगी बहन के साथ फुफेरा भाई:
कुछ देर तक तो हम दोनों कुछ नहीं बोले, फिर विपिन मुझे गांव वगैरह के बारे में बताने लगा.
थोड़ी देर बाद हम दोनों खेत में पहुंच गए.
उधर सब अपने अपने खेतों में दूर दूर काम कर रहे थे.
विपिन ने ट्यूबवेल वाले कमरे का ताला खोल लिया पर गेट नहीं खुल रहा था.
मैंने पूछा- क्या हुआ?
वो बोला- अरे कुछ नहीं, जंग लगने की वजह से ये दरवाजा फंस जाता है और बहुत जोर लगाने पर खुलता है.
खैर … थोड़ी बहुत मशक्कत के बाद उसने जोर से धक्का लगा कर गेट खोला और ट्यूबवेल चला दिया.
फिर उसने ट्यूबवेल की हौदी की तरफ इशारा करते हुए कहा- देखो दीदी, ये होता गांव का स्विमिंग पूल.
मैंने कहा- अच्छा, हमारे यहां तो काफी बड़ा होता है.
विपिन बोला- यहां ज्यादा बड़ा तो नहीं होता, पर पानी लगातार बहता रहता है. कितनी गर्मी हो रही है, मैं नहा लेता हूँ.
मैंने कहा- मैं एक्सट्रा कपड़े नहीं लाई वरना मैं भी नहा लेती.
विपिन बोला- अरे दीदी मन है तो नहा लो, यहां कोई नहीं आता. मेरे एक जोड़ी कपड़े अन्दर रखे हैं. आप नहा कर उन्हें पहन लेना. फिर जब ये वाले सूख जाएं तो वापस पहन लेना.
पहले तो मैंने ऐसे ही ना-नुकर सी की, पर फिर सोचा कि नहा ही लेती हूँ.
विपिन हौदी में उतर गया था.
मैं हौदी की दीवार पर चढ़ गयी तो विपिन ने अपना हाथ दिया और मैं भी सूट सलवार पहने ही उसमें उतर गयी.
विपिन को कच्छे में देखा तो उसके आधे नंगे शरीर को देख कर मेरे अन्दर के अरमान भी हल्के हल्के जागने लगे थे और शायद उसके भी अरमान जग रहे थे.
एक दो बार तो मेरा मन हुआ कि उसे जोर से किस कर लूं पर मैंने अपने आप को रोका हुआ था.
फिर हम दोनों मस्ती करते हुए नहाने लगे.
हम दोनों दुनिया की फिक्र छोड़ कर खूब मस्ती से ट्यूबवेल के पानी में नहाए.
लगभग आधा घंटा के बाद मैं नहा चुकी तो वहां से निकल गयी और ट्यूब वेल वाले कमरे में कपड़े बदलने चली गयी.
मैंने गेट हल्का सा उड़काया और अपने सारे गीले कपड़े उतार कर बिल्कुल नंगी हो गयी.
फिर मैंने विपिन के कपड़े उठाए और शर्ट पहन ली. फिर हल्का सा गेट खोल कर विपिन को अपने कपड़े सुखाने के लिए पकड़ा दिए.
अब मैं बाक़ी के कपड़े पहनने के लिए देखने लगी.
मैंने देखा पर मुझे पैंट नहीं मिल रही थी. मैंने विपिन को आवाज देकर पूछा- पैंट कहां है?
उसने बोला- वहीं दरवाजे के पीछे तो टंगी है.
मैंने कहा- नहीं है.
उसने बोला- अरे होगी वहीं … और कहां जाएगी.
मैंने बोला- नहीं है बाबा, यहां सिर्फ शर्ट थी.
विपिन एकदम से बोला- अरे सॉरी दीदी … वो तो पापा शायद घर ले गए होंगे धुलवाने के लिए!
मैंने थोड़ा गुस्से में कहा- ये क्या मज़ाक है … अब मैं यहां क्या पहनूं?
विपिन बोला- कोई बात नहीं, आप थोड़ी देर ऐसे ही अन्दर कुंडी लगा कर बैठो … एक घंटे में कपड़े सूख जाएंगे, तब पहन कर बाहर आ जाना.
उस वक़्त मैं मजबूर थी क्योंकि मेरे पास और कोई चारा नहीं था.
मैं उस कमरे के अन्दर एक चारपाई पर सिर्फ शर्ट में बैठी हुई थी.
कुछ देर बाद लाइट चली गयी तो कमरे में अंधेरा हो गया.
मैं थोड़ा घबरा सी गयी तो मैंने विपिन को आवाज लगाई.
उसने कहा- कोई बात नहीं दीदी, मैं यहीं बाहर हूँ, अभी आ जाएगी लाइट.
लगभग 5 मिनट बाद लाइट भी आ गयी.
मैंने विपिन को बता दिया कि लाइट आ गयी है.
उसने कहा- ट्यूबवेल चला दो, अपने आप नहीं चलेगा.
मैंने कहा- मुझे चलाना नहीं आता.
उसने कहा- अरे जो मैं बता रहा हूँ, वो बटन दबा दो.
मैंने कहा- मुझे नहीं पता, यहां इतने सारे तार हैं, मुझे बिजली से डर लगता है.
विपिन बोला- ठीक है, मैं चला देता हूँ … आप गेट खोलो.
मैं बोली- अरे ऐसे कैसे गेट खोल दूं, मेरे कपड़े दो.
उसने बोला- कपड़े तो अभी बिल्कुल गीले हैं. आप ऐसा करो गेट के पीछे छुप जाओ, मैं नहीं देखूंगा और मोटर भी चला दूंगा.
मैंने कहा- अरे लाओ गीले कपड़े ही पहन लूंगी, कोई बात नहीं.
विपिन बोला- आप डरो मत, एक मिनट भी नहीं लगेगा और काम हो जाएगा.
मैंने सोचा कि थोड़ी सी देर की बात ही है, खोल देती हूँ गेट.
मैंने कहा- ठीक है.
पर देखा कि गेट के पीछे का हैंडल टूटा हुआ था.
मैंने कहा- मैं क्या पकड़ कर खोलूं, गेट का हैंडल तो टूटा हुआ है, कुछ पकड़ने को है ही नहीं.
उसने कहा- अरे हां वो हैंडल लगवाना था, कोई बात नहीं, आप कुंडी खोल दो. मैं बाहर से धक्का लगा कर खोल दूंगा.
मैं गेट की आड़ में खड़ी हो गयी और कुंडी खोल दी. विपिन ने अभी भी अपने सारे कपड़े उतार रखे थे. वो सिर्फ कच्छे में अन्दर आ गया.
अन्दर आ कर उसने कहा- गेट पकड़ कर रखना वरना हवा से बंद हो जाएगा.
मैं पीछे छुपे-छुपे ही गेट पकड़ लिया और विपिन मोटर चलाने लगा.@desi