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पूरी दुनिया को भूल मैं सेक्स ऑडियो में खो गई। हालांकि वहां उस | deshi kahani

पूरी दुनिया को भूल मैं सेक्स ऑडियो में खो गई।
हालांकि वहां उस वक्त बस में उंगली करना संभव नहीं था पर मैं अपने ख्यालों में खोए हुए ही गर्म हुए जा रही थी।
जैसा कि मैंने अपनी पिछली कहानियों में लिखा है, मुझे सिर्फ सोचने भर से कामुकता चढ़ जाती है, किसी के छूने या चूमने की कोई जरूरत नहीं पड़ती; चूत खुद ब खुद गीली हो जाती है।
थोड़ी देर बाद मेरी आंख लग गई.
जब मैं उठी तो मेरा फोन मेरे पास नहीं था और मेरा हेड फोन भी गायब था।
मैंने काफी ढूंढा पर नहीं मिला, मुझे लगा मेरा फोन खो गया।
आसपास के सहकर्मियों से भी मैंने पूछा पर उन्होंने बताया कि किसी ने नहीं देखा कहीं।
मैं उदास होकर बैठ गई।
कुछ देर बाद पीछे की सीटों पर बैठे अधीक्षक उठ कर आए और मुझे मेरा फोन दिखाते हुए पूछा- क्या यह फोन तुम्हारा है?
मैंने हां में जवाब दिया और फोन ले लिया।
अब डर यह था कि कहीं उन्होंने देखा या सुना तो नहीं कि मेरे फोन में क्या चल रहा था।
मेरा फोन लॉक रहता है तो खोल तो कतई नहीं पाए होंगे, बस अब आशा यह है कि ऑडियो ख़त्म हो गया हो, फोन उनके हाथ लगने से पहले तक!
यही सोच मैं खुद को ढांढस बंधाती हुई चुपचाप बैठ गई।
अधीक्षक का नाम दीपक था, वो मुझसे तकरीबन 20 साल बड़े रहे होंगे. उस वक्त मैं 25 बरस की हुआ करती थी और मेरे पहले और दूसरे आशिक को अपनी जिंदगी से निकाल चुकी थी।
मेरे मैनेजर धीरज वैसे तो बहुत अच्छे थे, पर रह रह कर वो घुमा फिरा के यही पूछते कि मैं शादी कब करने वाली हूं.
अब कौन उनको समझाए कि रांड की शादी नहीं दल्ले होते हैं।
मेरे फोन की बैटरी खत्म ना हो इसीलिए मैंने फोन एयरप्लेन मोड पे कर दिया और बैग में रख दिया।
अब मैं लोगों की बातें सुनने लगी.
थोड़ी ही देर में अंताक्षरी शुरू हो गई, बस की बायीं वाली सीटें एक टीम और दाईं वाली सीटें दूसरी टीम बन गई, मैं दूसरी टीम का हिस्सा थी।
पीछे की सीटों पर बैठे मैंनेजर और अधीक्षक स्कोर रखने वाले थे।
धीरे धीरे समा बंधने लगा और गानों में मजा आने लगा.
मेरी टीम आगे चल रही थी कि तभी हमारे पास अक्षर आया ‘ज़’ … सब सोच में पड़ गए कि तभी मुझे गाना याद आया.
“ज़रा ज़रा टच मी … टच मी … टच मी … ज़रा ज़रा किस मी … किस मी … किस मी” मैं गा रही थी.
और अधीक्षक दीपक मुझे गौर से देख रहे थे और फुसफुसा कर धीरज से बात कर रहे थे।
कुछ देर ऐसे ही चलता रहा।
हमारी टीम जीत गई।
इतने में बस धामपुर के बाहरी इलाके में ढाबे पे रुकी, 1 बजने को था, दोपहर के खाने का समय हो चला था।
सभी लोग बारी बारी से बस से उतर गए, मैं भी सबके साथ उतर गई।
ढाबे पर परांठे और कचौरी सब्जी, ब्रेड पकौड़े, रोटी, दाल, चावल और चाय कॉफी का इंतजाम था।
मैंने थोड़ा बहुत खाया और वापिस बस में आ गई.
सुबह की सेक्स ऑडियो से उमड़ी चुदास भी तो शांत करनी थी।
मन तो किया बस के ड्राइवर के लोड़े पे बैठ जाऊं!
पर इतना वक्त नहीं था कि पहले लोड़ा खड़ा करो और फिर उससे चुदो।
इसीलिए मैं अपनी सीट पे गई, खिड़की की तरफ बैग अटकाया … किसी और का बैग अपने बाएं ओर रखा, अपनी तंग पजामी में हाथ डाला और उंगली करने लगी.
जाने क्यों आंखें बंद करके, रह रह कर दीपक ही दिखाई दे रहा था.
मुझे अपने से दोगुनी उम्र के या उससे भी बड़े मर्द बेहद पसंद हैं।
मैं उसके बारे में सोच अपनी चूत सहलाने लगी.
हल्के हल्के फिरती हुई उंगली कब तेजी से अन्दर बाहर होने लगी, पता नहीं चला.
मुझे लगा कि दीपक मेरी गीली चूत चाट रहा है।
उन दिनों मेरी चूत चटाई की अधूरी कामना रह रह कर कामुक माहौल में उभर के बाहर आती थी.
दीपक का चेहरा अपनी चूत में घुसा सोच, मैं जोर जोर से उंगली करते हुए झड़ गई।
बैग में रखे फेस टिश्यू से अपना हाथ साफ किया और दोनों बैग को उनकी जगह पर वापिस रख दिया।
ये सब सिर्फ 5 से 10 मिनट में हुआ।
अब मुझे मूतना था … पर मैं सार्वजनिक टॉयलेट में जाना पसंद नहीं करती तो मैंने अपना मूत रोक कर कंट्रोल किया।
मेरी उंगली में से अब भी मेरी चूत की मादक सुगंध आ रही थी जिसे बार बार सूंघ कर मैं और उत्तेजित हो रही थी।
कुछ देर बाद सभी बस में वापिस आ गए.
दीपक आकर बोले- हम आपको ढाबे पे ढूंढ रहे थे गिनती करने के लिए, आपका फोन भी नहीं लग रहा था. कहां थीं आप?
वो चिंतित हो बोले.
मैंने झूठ बोलते हुए कहा- मैं टॉयलेट चली गई थी, फोन बस में था. सॉरी … यदि मेरे कारण तकलीफ हुई सबको!
कैसे कहती मैं उन्हें कि आपको अपनी टांगों में भींच के आपके होंठों से चुद रही थी।
उन्होंने कहा- चलो जाने दो, पर कम से कम फोन ऑन रखो और अपने पास रखो, कोई यहीं रह गया तो बड़ी तकलीफ हो जायेगी।
मैं उदास सा चेहरा बना के वापिस अपनी सीट पे बैठ गई.
अब एक बार फिर गिनती हुई और अब सभी लोग पूरे थे।
सब खाना खाकर आलस्य में आ चुके थे और धीरे धीरे देखते ही देखते सब अपनी अपनी सीट पर सो गए।
सेक्स ऐडिक्ट गर्ल स्टोरी पर अपने विचार भेजते रहें.@desi_story