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deshi kahani

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भाषा: हिंदी
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नवीनतम संदेश 18

2022-05-14 19:55:53 कितनी सुंदर और सुडौल टाँगें थी दाइशा की! और कितनी चिकनी और नरम!
उफ …
मैं अपने हाथों को दाइशा जी के पेटीकोट के अंदर तक बिना किसी झिझक के ले जा रहा था.
और तभी मैंने एक झटके में दाइशा की पैंटी को खींचकर बाहर निकाल भी दिया.
देखते ही देखते उसकी जांघों को किस करते हुए दाइशा की योनि तक पहुँच गया।
दाइशा की योनि इतनी सुंदर थी … ऐसी सुन्दर चीज मैंने पहले कभी नहीं देखी थी।
अब अगर मौत भी आ जाए तो हंसते हंसते मंजूर है।
धरती पर इससे खूबसूरत चीज और क्या हो सकती है।
डबल पावरोटी के आकार की फूली हुई, एक लंबा चीरा लेते हुए, हल्के हल्के बालों वाली दाइशा जी की चूत, गुलाब के नए खिले हुए फूल की तरह थी, जिसकी पंखुड़ियां अभी भी खिलने को बेचैन हों।
जैसे ही मैंने अपने होंठों से दाइशा के चूत को छुआ, उनके मुख से बहुत जोर से सिसकारी निकल गई।
मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा था कि मेरी जीभ हिन्दुस्तान की सबसे खूबसूरत हीरोइन के चूत को चाट रहा था।
मैं अपने होंठों को दाइशा के योनि में लगाकर जीवन का अमृत पीने लगा.
मेरा पूरा चेहरा योनि से निकलने वाले रस से भर गया था और अब भी मैं अपने चेहरे को उस पर घिस रहा था।
मुझे बस यही पता था कि मैं एक ऐसे जन्नत के सफर पर हूं जिसका की कोई अंत नहीं है।
मैं अपनी जीभ को दाइशा की योनि के अंदर आगे पीछे करते हुए अपनी जीब से अंदर से निकलते हुए रस को पीने लगा जैसे कोई अमृत मिल गया हो।
मेरे दोनों हाथ दाइशा की जांघों के चारों और कस के जकड़े हुए थे.
बीच बीच मुझे दाइशा की जांघों को थोड़ा सा खोलकर सांस लेने की जगह बनाने की कोशिश करनी पड़ रही थी.
पर दाइशा ने अपनी जांघों से मेरे सिर को इतनी जोर से जकड़ रखा था कि वो मैं अपनी पूरी ताकत लगाकर भी उनकी जांघों को अलग नहीं कर पा रहा था।
मुझे इससे इस बात अंदाजा लग गया कि दाइशा भी बहुत उत्तेजित हो गई हैं और मेरे सिर को अपने चूत के अन्दर और अंदर घुसा लेना चाहती हैं।
मेरी सांसें अटकने लगी, मैंने पूरे ताकत से अपने को अलग किया और बाहर आकर सांस लेने लगा।
बाहर आकर मेरी नज़र दाइशा जी पर पड़ी जो कि अब भी ड्राइविंग सीट पर लेटी हुई थी और जांघों तक नंगी थी उनकी सफेद और सुडौल सी जांघें और पैर बाहर कार से लटके हुए थे।
दूर से आ रही रोशनी उसके नंगे शरीर को चार चाँद लगा रहे थे।
मैं अपने हाथों से फिर से दाइशा की जांघों को और उसके पैरों को सहलाने लगा.
दाइशा का चेहरा मुझे नहीं दिख रहा था वो अंदर कही शायद गियर रोड के पास से नीचे की ओर था।
मैंने सहारा देकर दाइशा को थोड़ा सा बाहर खींचा ताकि उसका सिर किसी तरह से सीट पर आ जाए।
मुझे अपने ड्राइवर होने का अहसास अब भी था, मैं नहीं चाहता था कि दाइशा को जरा सा तकलीफ हो!
पर मैं अपनी वासना को भी नहीं रोक पा रहा था।
मैंने अपने हाथों से दाइशा को सहारा देकर बैठाया और पास में ही खड़ा हो गया।
मेरी नंगी कमर लगभग दाइशा के चेहरे तक आ रही थी।
उनके बैठते ही मैंने दाइशा को कंधे से जकड़कर अपने पेट से चिपका लिया.
मेरा लन्ड दाइशा जी के गले पर टकराने लगा.
दाइशा ने अपने चेहरे को नीचे करके मेरे लन्ड को अपने गले और ठोड़ी के बीच में फँसा लिया और हल्के से अपनी ठोड़ी को मेरे लन्ड के ऊपर घिसने लगी।
उनकी ये हरकत मैं झेल नहीं पाया और दाइशा जी को अपनी कमर पर कस कर जकड़ लिया और अपनी कमर को उसके गले और चेहरे पर घिसने लगा।
मैं अपने लिंग को दिखा देना चाहता था कि देख साले … तूने किस चीज पर आज हाथ साफ किया है. या कभी देखा है इतनी सुंदर हसीना को? या फिर तेरी जिंदगी का वो लम्हा शायद फिर कभी भी ना आए. इसलिए देख ले … आज देख ले इस हीरोइन को! जिसके साथ सेक्स करने का हिंदुस्तान का लगभग हर मर्द सपने देखते हैं, वो आज मेरे लन्ड से खेल रही थी।
दाइशा जी ने अपने दोनों हाथों को मेरे कमर में चारों ओर कस लिया और खुद ही अपने चेहरे को मेरे लन्ड पर घिसने लगी.
पहली बार जिंदगी में पहली बार मेरे साथ ये सब हो रहा था।
मुझे गुदगुदी सी होने लगी थी ठंडी हवा मेरी नंगे बदन पर अब अच्छे से टकरा रही थी।
दाइशा जी के लब भी कई बार मेरे लिंग को छू कर दूर हो गए थे.
पर दाइशा जी के होंठों का मेरे लन्ड से सिर्फ़ टच होने से मेरे शरीर में दीवानेपन की एक लहर और दौड़ गयी।
अब मैं अपने लिंग को दाइशा जी के होंठों पर बार-बार छूने की कोशिश करने लगा, अपने दोनो हाथों से एक बार फिर दाइशा जी के पीठ और बालों को सहलाने के साथ उसकी चूची की ओर ले जाने की कोशिश करने लगा।
मैं ब्लाउज के ऊपर से ही दाइशा की खूबसूरत चूचियों को दबाने लगा और उनके मुलायमपन का आनंद लेने लगा।
अब मैं पूरी तरह से जन्नत की सैर पर था।@desi_story
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2022-05-14 19:55:36 बॉलीवुड अभिनेत्री को गाड़ी चलाना सिखाया- 2@desi_story
कहानी के पिछले भाग
बॉलीवुड अभिनेत्री की चुदाई की चाह
में आपने पढ़ा कि मैं बॉलीवुड अभिनेत्री दाइशा को कार चलाना सिखा रहा था. मैं उनका बहुत बड़ा फैन हूँ तो मैं उनकी चूत चुदाई की इच्छा रखता था.
अब आगे हॉट एक्ट्रेस सेक्स स्टोरी:
मैं अपने हाथ से दाइशा जी का हाथ पकड़कर स्टियरिंग को डाइरेक्ट कर रहा था और अपने एक हाथ से दाइशा जी के कंधों को अब ज़रा आराम से सहला रहा था।
मेरी आंखें दाइशा जी की ओर ही थी और कभी-कभी बाहर ग्राउंड पर भी उठ जाती थी.
पर दाइशा जी की ओर से कोई भी ना नुकर ना होने से अपने हाथ से दाइशा जी कंधों से लेकर बांहों तक छूने लगा था.
पर बड़े ही प्यार से और बड़े ही नाजुक तरीके से मैं उस स्पर्श का आनंद ले रहा था।
मैं अब अपना हाथ थोड़ा सा आगे करते हुए दाइशा की गर्दन और गले को छूता … पर फिर से कंधे पर पहुँच जाता।
मेरी सांसें अब दाइशा जी से भी तेज धौंकनी की तरह चल रही थी।
मैं थोड़ा सा झुक कर दाइशा जी के बालों की खुशबू भी अपने अंदर उतारने लगा।
अब मेरे हाथ दाइशा जी के कंधे से गले तक छू रहे थे।
मेरी हर छोटी हरकत दाइशा जी की आग को और भी भड़का रही थी.
दाइशा के पल्लू ने तो कब का साथ छोड़ दिया था, उनकी सांसें भी उखड़ उखड़ कर चल रही थी।
मेरा हाथ कंधे से फिसलकर अचानक लगे झटके से दाइशा के उभार पर आ गया.
इतने देर से अब तक रोकी हुई सिसकारी दाइशा जी के मुंह से एक लंबी सी आआह्ह बनकर बाहर निकल ही आई.
और उनका बायाँ हाथ स्टियरिंग से फिसल कर गियर रॉड पर आ गया।
अब चौंकने की बारी मेरी थी!
ठीक गियर रॉड के साथ ही मेरा लन्ड टिका हुआ था.
दाइशा की उंगलियां मेरे लन्ड पर पड़ते ही, मेरा हाथ दाइशा जी के ब्लाउज के अंदर उतर गया और मेरे हाथ में वो जन्नत का मजा या कहिए रूई का वो गोला आ गया था जिससे मैं बहुत देर से अपनी आँखे टिकाए देख रहा था।
मैंने थोड़ा आगे होकर अपने लिंग को दाइशा जी की उंगलियों को पूरा छुआ दिया और अपने हाथ से दाइशा की चूचियां को दबाने लगा।
दाइशा ने अपने हाथ को नीचे और नीचे ले जाते हुए मेरे मोटे रॉड को मेरे लोअर के ऊपर से कसकर पकड़ लिया।
वो गाड़ी चलाना भूल गई थी, ना ही उसे मालूम था कि गाड़ी कहाँ खड़ी थी.
उसे तो बस पता था कि उसके ब्लाउज के अंदर एक बलिष्ठ सा हाथ उसकी चूचियों को दबा दबाकर उसके शरीर की आग को बढ़ा रहा था और उसके हाथ में एक लिंग था जिसके आकार का उसे पता नहीं था जो उसे बस मिलने ही वाला था।
तभी मेरे मुंह से निकला- मैडम आप बहुत सुंदर हो।
और अपने हाथ से दाइशा की चूची को ब्लाउज के ऊपर से दबाने लगा.
साथ ही अपने होंठों से दाइशा जी के गले और गालों को चूमने लगा।
दाइशा के ऊपर भी सेक्स सवार हो गया था; वो मेरे लन्ड को कसकर दबाने लगी और अपने होंठों को घुमाकर मेरे होंठों से जोड़ने की कोशिश कर रही थी।
मैंने भी उन्हें निराश नहीं किया और उनके होंठों को अपने होंठों में लेकर अपनी प्यास बुझानी शुरू कर दी।
अब तो गाड़ी के अंदर जैसे तूफान सा आ गया था कि कौन सी चीज पकड़े या किस पर से हाथ हटाए या फिर कहाँ होंठों को रखे या फिर छोड़े, हम दोनों एक दूसरे से गुंथ से गये थे।
दाइशा की पकड़ मेरे लन्ड पर बहुत कस गई थी और वो उसे अपनी ओर खींचने लगी थी।
यह देखकर मैं अपने हाथ से अपनी लोअर को ढीला करके अपने अंडरवीयर को भी नीचे कर दिया और फिर से दाइशा जी के हाथों को पकड़कर अपने खड़े लन्ड पर रख दिया और फिर से दाइशा जी के होंठों का रसपान करने लगा।
मेरी हालत खराब होती जा रही थी।
दाइशा जी जैसी सुंदर हीरोइन के लन्ड सहलाने से मेरा लन्ड जवाब दे दिया और पिचकारी छोड़ने लगा।
मैंने तुरंत पास में पड़े नैपकिन को अपने लन्ड के टोपे पर रखा और सारा माल उसमें साफ कर लिया।
ये सब होने तक दाइशा को पता भी नहीं चला, उनके हाथ मेरे टी शर्ट के अंदर मेरे चूचुक दबाने में व्यस्त थे।
लन्ड झड़ते ही मुझे थोड़ा आराम मिला और मैंने बहुत ही धीरे धीरे दाइशा की साड़ी के अंदर हाथ डालकर उसे ऊपर उठा दिया।
दाइशा की चिकनी और मुलायम ऊपरी जांघों पर मेरा हाथ पड़ते ही वो अपने मुख को आजाद करके सीट के हेड रेस्ट पर सिर रख कर जोर-जोर से साँसें लेने लगी।
मेरा लन्ड फिर से दाइशा को सलामी देने लगा।
अब मुझे किसी भी तरह इस हीरोइन को भोगना था।
मैं अचानक से अपनी सीट से अलग होकर जल्दी से बाहर निकला और घूमकर अपना लोअर और अंडरवीयर को संभालता हुआ, ड्राइविंग सीट की ओर लपका और एक झटके में ही कार का डोर खोलकर दाइशा को खींच कर, उनकी टांगों को बाहर निकल लिया और उनकी जांघों और टांगों को चूमने लगा।@desi_story
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2022-05-13 20:07:02 मुझे मालूम था कि ये इसका पहली बार है, इसे दर्द तो पक्का होगा इसलिए मैं धीरे-धीरे उसकी चूत के अन्दर लंड डाल रहा था.
उसको थोड़ा दर्द हुआ भी लेकिन बियर की मस्ती में वो लंड झेल गई.
फिर जैसे ही मैंने तेज शॉट मारा तो दर्द के मारे मेरी वर्जिन सिस्टर कराह उठी.
उसने तड़फ कर कहा- आंह भैया, धीरे धीरे डालो …
उसकी आंख से आंसू निकल रहे थे लेकिन वो लंड पेलने से मना नहीं कर रही थी.
मैंने पूछा कि क्या बहुत दर्द हो रहा है?
उसने कहा- हां … पर आप करो.
मैंने कहा- कुछ रेस्ट करना है?
उसने कहा- आज पूरी रात रुकना नहीं भैया … सिर्फ चुदाई करना हो. चाहे मेरी फूल जाए या फट जाए, लेकिन मुझे आपसे पूरी रात चुदना है. आप और अन्दर डालो.
मैंने उसके मुँह पर मुँह रखा और चूत के चिथड़े उड़ाने लगा. वो दर्द के मारे छटपटाती रही मगर मैं अपने लंड को उसकी चूत की गहराई तक पेल कर सैट कर दिया.
उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया, जिस कारण से चिकनाई हो गई और उसकी चूत ने मेरे लंड को जज्ब कर लिया.
अब हम दोनों मस्ती से चूत चुदाई का मजा लेने लगे थे. हम दोनों ने पहला दौर जल्दी ही खत्म कर लिया.
फिर दूसरी बियर पीकर अगले दौर में काफी देर तक चुदाई का मजा लिया. उसके मम्मे बड़े ही मस्त थे.
मैं लंड चूत में पेल कर उसके दूध खूब चूसे.
उसको भी अपने भाई से अपने आम चुसवा कर मजा आ रहा था.
एक घंटे तक हम दोनों चुदाई की मस्ती करते रहे. फिर थोड़ी देर आराम करने लगे.
थकान ज्यादा हो गई थी तो कब हम दोनों की आंख लग गई, पता ही नहीं चला.
सुबह जब हमारी नींद खुली तो फिर से एक बार चुदाई का मजा लिया और कपड़े पहन कर बैठ गए.
कुछ ही देर बाद एक होटल पर बस रुकी तो मैंने अपनी बहन को सहारा देकर बस के नीचे उतारा.
वो होटल में फ्रेश हुई और वापस बस में बैठ कर मुंबई आ गए.
दोस्तो, कहानी आपको कैसी लगी. मैं बाद में बताऊंगा कि घर पर जाकर मैंने अपनी बहन को कैसे चोदा और इसका मुझे क्या क्या फायदा हुआ.@desi_story
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2022-05-13 20:07:01 थोड़ा घुमा दिया.
वह अपने आप पूरी घूम गई और मैंने चैन खोल दी.
मैंने उसकी सलवार को थोड़ा सा सरकाया, तो आंखें नहीं खुल रही थीं.
बिल्कुल लाश सी पड़ी रही.
हालांकि वो मेरी किसी भी बात का विरोध नहीं कर रही थी. मैंने उसके आधे दूध बाहर निकाल लिए थे और मजा ले रहा था.
मैंने उसके सलवार का नाड़ा खोला. वो कुछ नहीं बोली. सलवार के अन्दर हाथ डाल दिया, तब भी उसने कोई विरोध नहीं किया.
फिर जैसे ही मैंने उसकी चूत के ऊपर हाथ रखा, मैं चौंक गया. उसकी चड्डी एकदम गीली थी.
मैं समझ गया कि ये तो पूरी तैयार पड़ी है.
मैंने उसका हाथ लेकर मेरे लोअर के अन्दर दे दिया, मेरा लौड़ा उसके हाथ में दे दिया.
उसने आंख बंद रख हुए ही मेरा लौड़ा हाथ में ले लिया और हिलाने लगी.
मैंने उसके कान में कहा- इतने में हो जाएगा कि और बियर चाहिए.
उसने कुछ जवाब नहीं दिया.
मैंने फिर से पूछा- बीयर मंगवाऊं?
उसने कहा- अभी नहीं एक घंटे के बाद.
मैंने उससे पूछा- मैं तो पूरा रेडी हूँ, तुम्हारा क्या इरादा है?
उसने कहा- मेरा भी पूरा इरादा है.
मैंने उससे कहा- यहां पर अपने अपने कपड़े अपने आप ही उतारने पड़ेंगे. जगह की दिक्कत की वजह से पूरा मजा नहीं आएगा.
उसने कहा- मेरे बैग के अन्दर मेरे कपड़े हैं. मैं पहन लूंगी.
मैंने कहा- अभी तो निकालने की बात है बहना. पहन तो तुम सुबह लेना.
वो मस्ती से हंसने लगी.
फिर उसने अपने कपड़े उतार दिए और मैंने भी कपड़े उतार दिए.
मुझसे उसकी चूत में उंगली करते हुए कहा- तुम तो एकदम रसीली हो गई हो.
उसने हंस कर कहा- हां ऐसे माहौल में मैं कैसे सूखी रह सकती थी भैया. मैं तो आपके होंठों के चुम्बन से पहले ही गर्म थी. आप कुछ कर ही नहीं रहे थे. मैं कैसे शुरू कर सकती थी. मेरा इरादा तो तभी से खराब था जब आपके साथ बियर पी थी. मैं सोच कर बैठी थी कि आज आपके साथ मजा लेना ही है. फिर जैसे ही आपकी हरकत होना शुरू हुई तो बस कमाल हो गया. उसके ऊपर से बियर की मस्ती से मुझसे बर्दाश्त ही नहीं हो रहा था.
मैंने उससे कहा- हीर, मुझे अभी और बीयर पीनी पड़ेगी क्योंकि इतना जो हुआ इसमें मेरी मस्ती खत्म हो गई है … और अब जो करूंगा, उसमें मुझे बहुत हिम्मत चाहिए.
उसने कहा- हां भैया, लेकिन इस बार इस बार आप बेईमानी नहीं करना, जो भी ब्रांड मंगवाना, दोनों की एक ही जैसी मंगवाना. हम दोनों के लिए एक एक नहीं, दो दो मंगाओ.
मैंने कहा- ओके.
मैंने ड्राइवर को फोन किया कि मेरे लिए चार हार्ड वाली चार बियर ले लेना.
मैंने जब उसे फोन किया था, तो आगे एक होटल आने वाला था.
उसने तुरंत ही बियर लेकर मुझ तक पहुंचवा दीं.
लेकिन अब तक हमारा मूत का दबाव बन गया तो हम दोनों बस से उतर कर होटल के टॉयलेट में मूतने गए.
वापिस आकर हम दोनों बीयर पीने लगे.
दोनों ने एक एक बियर पी. एक बीयर पीने के बाद हम दोनों 69 में आ गए और मजा लेने लगे.
मैंने फर्स्ट टाइम अपनी बहन की चूत देखी थी. मैं इतना खुश था कि कैसे बताऊं.
हम दोनों ने करीब दस मिनट तक एक दूसरे का सामान चाट चूस कर रस निकलवा दिया और फोरप्ले का मजा लिया.
इसके बाद मैं उसके ऊपर चढ़ गया.
मैंने उसको पूछा- क्या तुम्हारा फर्स्ट टाइम है हीर या पहले किसी के साथ सेक्स कर चुकी हो?
उसने कहा- नहीं भैया, ये मेरे साथ पहली बार है. मैंने अब तक मोबाइल में बहुत सारी ब्लू फिल्म देखी हैं. अपनी चूत में मैं हर रोज उंगली करती हूं, लेकिन आज तक किसी का लंड नहीं लिया है.
उसके मुँह से लंड चूत शब्द सुनते ही मेरे लंड में करंट सा दौर गया और झड़ा हुआ लंड फिर से खड़ा हो गया.
मैंने उससे कहा- पहली बार में थोड़ा बहुत दर्द तो होगा, झेल लेगी?
उसने कहा- आज तो मेरी जान भी निकल जाए, तब भी कोई बात नहीं. आज आप मुझे पूरा संतुष्ट कर देना.
मैंने उससे कहा- मेरी बहना, सिर्फ आज ही नहीं बल्कि अब तो मैं तुमको घर पर भी हर रोज चोद कर संतुष्ट कर दूंगा.
इतना कहकर मैंने उसके ऊपर चुदाई की पोजीशन सैट की लंड चूत के मुँह पर टिका दिया.
मैंने अपनी बहन की चूत के अन्दर लंड डालना चालू किया.@desi_story
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2022-05-13 20:07:01 उसने हंस कर कहा- तीन बियर में ये ठंड नहीं जाएगी, मुझे मालूम है.
मैंने कहा- तुझे कैसे मालूम कि इतनी बियर में ये ठंड नहीं जाएगी?
हीर हंसने लगी.
तभी मैं समझ गया कि हीर भी बियर पीती है.
अब हम लेटे हुए ही बातें करने लगे. मैंने उससे जोर देते हुए पूछा- तू झूठ बोल रही है, तू बियर पीती है, लेकिन बता नहीं रही.
उसने कहा कि आप किसी को कहोगे तो नहीं … तो मैं कहूं.
मैंने कहा- किसी को नहीं कहूंगा, सच बताओ.
उसने कहा कि जब आप गांव आते हैं, तब मैं और भाभी पीते हैं. उसके सिवा किसी के साथ कभी हाथ भी नहीं लगाया.
मैं भी चौंक गया. उसकी बात तो सही थी, लेकिन कभी मेरी बीवी ने मुझे बताया नहीं.
मैं तुरंत खड़ा हुआ बाहर गया और ड्राइवर को कहा कि आगे कोई भी होटल से मेरे लिए बीयर ले लेना.
ड्राइवर ने ओके कहा और होटल से उसने बियर लेकर मेरे केबिन में आकर मुझे दे दीं.
साथ में नमकीन भी लाकर दिया था.
9ff1e5242bf23892191894f1f17997…
मैंने और हीर ने पीना चालू कर दिया.
दोनों कुछ देर तक तक बीयर पीते रहे.
फिर मैंने उससे कहा- चलो अब सोते हैं.
इस वक्त तक मेरे लिए हीर की तरफ से कोई बुरा ख्याल नहीं था.
हम दोनों एक ही कम्बल में सोने लगे. एक दूसरे का मुँह सामने नहीं था, पीठ के बल सोए हुए थे.
कम्बल में एक दूसरे के पास होने की वजह से एक दूसरे की बॉडी टच हो रही थी. हम दोनों एक दूसरे का मुँह बिना देखे ही बातें भी कर रहे थे.
मैंने उससे सोने का कह दिया, लेकिन हम दोनों का दिल कुछ कुछ धड़कने लगा था.
मेरे दिमाग में अन्तर्वासना जागने लगी थी.
गाड़ी के हिलने की वजह से हमारे पिछवाड़े ज्यादा हिल और रगड़ रहे थे.
छोटे से गड्डे में भी बस गिरती तो ज्यादा हलचल हो रही थी.
मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी कि मैं कुछ आगे बढूँ, लेकिन मैं कुछ नहीं कर सका.
आधे घंटे के बाद मुझे लगा कि हीर सो गई है. मैंने करवट ली और मैंने अपना एक हाथ उसकी कमर पर डाल दिया.
मैंने अपना हाथ यह सोचकर डाला था कि वो यदि नहीं सोई होगी तो कुछ बोलेगी. मैं बोल दूंगा कि मैं नींद में तुझे तेरी भाभी समझ रहा था … सॉरी.
मेरे हाथ डालने पर उसका कोई विरोध नहीं हुआ.
इससे मेरी हिम्मत थोड़ी और बड़ी और मैंने उसके बूब्स पर अपना हाथ डाल दिया.
एक दो पल रुकने के बाद मैं आहिस्ता आहिस्ता थोड़ा दबाने लगा.
अब भी उसकी कुछ प्रतिक्रिया नहीं आई तो मेरी हिम्मत और बढ़ गई.
मैंने उसकी कुर्ती के अन्दर 4 उंगली डाल दीं.
एक मिनट ऐसे ही हाथ डाले रखा, जब
उसने कोई विरोध नहीं किया तो मैंने अपना हाथ और ज्यादा अन्दर जाने दिया.
उसका कोई विरोध ना होने के कारण मेरा साहस बढ़ता जा रहा था.
फिर मैं अपने दोनों हाथ अलग अलग करके उसके मम्मों पर लगाने लगा और दबाने लगा.
कमाल की बात थी कि उसका कोई विरोध नहीं हो रहा था.
मैं उसके पास एकदम सट कर सो गया और उसके गाल के पास मेरा मुँह लेकर आ गया.
उसका चेहरा एकदम ऊपर था. मैंने अपने होंठ उसके गाल के ऊपर लगा दी.
अब उसने अपना सर हल्के से घुमाया और मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए.
यह सब देख कर मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि ये मुझे रेड सिगनल है या ग्रीन सिगनल है.
लेकिन बियर के नशे की वजह से और ठंड की वजह से मैं अपना आपा खोता जा रहा था.
मुझे डर भी लग रहा था कि कहीं कुछ गलत तो नहीं हो रहा है.
फिर मैंने अपने होंठ यूं ही उसके होंठों के पास बनाए रखे. उसके होंठ मेरे होंठों से छू रहे थे.
तभी मुझे लगा ये अब उठ गई है. यह काफी कितने परसेंट मेरे फेवर में है, ये जानने के लिए उसके होंठों के पास मेरी जीभ निकाल कर होंठ पर लगा दी.
उसने तुरंत मेरी जीभ को अपने मुँह में भर लिया और मुझे पूरा ग्रीन सिग्नल मिल गया.
मैं समझ गया था कि इसकी चूत में भी खुजली है. बस शुरूआत मुझे ही करनी पड़ेगी.
मैंने तुरंत उसको अपने कब्जे में ले लिया और उसे मजे से मसलने लगा, पीछे की चैन खोलने के लिए उसको @desi_story
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2022-05-13 20:07:01 मैंने कहा- हीर को ही भेजो.
क्योंकि हीर मुझे ज्यादा पसंद है और मेरी बीवी से भी हीर के साथ अच्छी बनती है.
चाचा ने कहा- ठीक है मैं तरी बहन को कल बस में बिठा दूंगा.
मैंने ओके कहा.
दूसरे दिन चाचा का फोन आया- कितने बजे की बस है?
मैंने कहा- शाम सात बजे ऑफिस पर पहुंच जाना.
चाचा ने कहा- ठीक है.
चाचा ने शाम सात बजे बहन को बस में बिठा दिया और हमारी बात हो गई.
मुंबई से जो बस निकली, मैं उस बस में सामने से आने वाली बस के लिए निकल गया और एक बजे के आस पास दोनों बस आमने सामने मिल गईं.
बस बदल कर मैं मुंबई आने वाली बस में बैठ गया.
मैं बहन से मिलने गया.
मेरी बहन सो रही थी, तो मैंने उसे उठाया- कैसी हो हीर?
हीर- ठीक हूँ भैया.
मैं- गांव में सब कैसे हैं?
हीर- सब ठीक हैं भैया.
मैं- और चाचा चाची कैसे हैं?
हीर- सब लोग ठीक हैं.
मैं- चलो कोई बात नहीं, तुमको नींद आ रही होगी, तुम सो जाओ.
हीर- नहीं, भैया नींद तो हो गई. आप बात करो न … कोई बात नहीं.
मैं- तो फिर केबिन के अन्दर आकर बात करते हैं.
हीर- हां भैया आ जाओ, वैसे भी डबल की सीट है.
मैंने ड्राइवर से कह दिया था कि मेरी बहन को डबल वाली सीट देना क्योंकि उसमें आराम मिलता है.
फिर हम दोनों गांव की इधर उधर की बातें कर रहे थे.
तभी बस होटल पर रुक गई.
मैंने हीर से कहा- चलो होटल आ गया है, कुछ खा लेते हैं.
हीर ने कहा- भाई, मैं तो खाना खाकर आई हूँ.
मैंने कहा- ऐसे थोड़ी चलेगा, कुछ तो खाना ही पड़ेगा.
मेरे जोर देने पर वो बस से नीचे आ गई और हम दोनों स्टाफ रूम में जाकर खाना खाने बैठ गए.
वेटर हर रोज की तरह बस के स्टाफ के लिए कुछ न कुछ लाता था.
आज उसे मेरे होने की खबर लगी तो वो 3 चिल्ड बियर लेकर आ गया.
पर मैंने मना कर दिया- मैं बियर नहीं पीता.
मैंने उसे इशारे से बहन की तरफ बताया तो वो समझ गया.
वेटर- सॉरी सेठ जी, गलती हो गई.
वो बियर लेकर जाने लगा.
तभी बहन बोली- भैया रहने दो न!
मैंने उसकी तरफ देखा.
तो हीर ने भी मेरी तरफ देखकर कहा- भैया आप ले लो, मुझे कोई प्राब्लम नहीं है. बल्कि मुझे पता है कि आप बियर पीते हैं.
मैंने कहा- मैं नहीं पीता!
हीर ने मुस्कुरा कर कहा- मुझे मालूम है भैया … आप भी पीते हैं और भाभी भी पीती हैं. मैं किसी से नहीं कहूंगी.
मैंने भी ज्यादा कुछ न कहते हुए बियर ले ली और पीनी चालू की. साथ में नमकीन भी मंगवा लिया.
मैंने हीर से भी पूछा कि तुम पियोगी?
उसने मना कर दिया.
मैंने बियर पी लीं और नाश्ता करके बस में बैठ गया.
तभी ड्राइवर ने मुझसे कहा- सेठ जी, आप ऑफिस पर उतरोगे कि घर पर?
मैंने कहा- घर पर!
मैं एक कम्बल और तकिया लेकर सोने लगा.
हीर बैठी थी.
वहां से मुंबई का 6 घंटे का रास्ता था तो मुझे सुबह ऑफिस में बहुत काम रहता था.
मैंने हीर को अपने सोने का कहा और सोने लगा.
थोड़ी देर के बाद मेरी आंख लगने वाली थी कि मेरी नजर हीर पर पड़ी.
मुझे मालूम पड़ गया कि हीर को ठंड लग रही है.
मैंने हीर से कहा- तू ये कम्बल ले ले, मुझे इतनी ठंड नहीं लग रही है.
हीर मना करने लगी.
मेरे जोर देने पर उसने कम्बल ले लिया और सोने लगी.
थोड़ी देर के बाद उसको समझ आ गया कि अब मुझे ठंड लग रही है तो उसने मुझसे कहा- भैया आप भी आ जाओ इसी कम्बल में.
मैंने मना किया और कहा- मुझे इतनी ठंड नहीं लग रही, मैंने बियर पी हुई है न. @desi_story
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2022-05-13 20:07:01 चचेरी बहन को चोदा बस के स्लीपर बॉक्स में@desi_story
दोस्तो, मैं महाराष्ट्र के सिरपुर का रहने वाला हूं. अन्तर्वासना पर मेरी पहली वर्जिन सिस्टर की चुदाई स्टोरी है.
सबसे पहले तो मैं अपना परिचय दे देता हूं.
मेरा नाम प्रतीक है और मैं सिरपुर के पास के गांव में रहने वाला एक देहाती लड़का हूं.
मेरी मेरी हाइट साढ़े पांच फीट है और रंग भी एकदम गोरा है. मैं दिखने में एकदम सेक्सी दिखता हूं.
मैं गांव छोड़कर मुंबई शहर में नौकरी के लिए आया था. मैं यहां ट्रैवलर्स के ऑफिस में नौकरी करने लगा था.
मेरा काम बुकिंग का था. बसों के आने जाने का सब काम भी मुझे ही देखना था.
इसके साथ ही ये भी संभालना होता था कि कहां से कितनी सवारी बैठी हैं और कहां से कितनी सवारी आ रही हैं.
हिसाब किताब से लेकर चैकिंग से लेकर सब कुछ मुझे ही करना होता था और यही मेरी जॉब थी.
मेरा गांव में मैं, मम्मी पापा और बहन थे. मेरे पापा और हम सभी लोग खेती का काम कर रहे थे.
लेकिन बाद में मैं अपनी पढ़ाई खत्म करके मुंबई नौकरी के लिए आ गया था.
इस नौकरी से मैंने काफी अनुभव प्राप्त कर लिया था और 4 साल नौकरी करने के बाद मुझे लगा कि यह धंधा करने के लायक है, लेकिन पैसा नहीं था.
हमारे गांव के अन्दर हाईवे रोड से लग कर हमारी अपनी जमीन थी, इसलिए मैंने बैंक से लोन मांगा और चौड़े रोड पर जमीन होने के कारण बैंक ने मुझे लोन से दिया.
कुछ सरकारी खानापूर्ति के कारण हमारी उस जमीन में से 6 फीट के करीब चली गई.
इसके एवज में भी सरकार ने हमको बहुत सारा पैसा मुआवजे के रूप में दिया.
इस तरह से काफी पैसा इकट्ठा हो गया था.
पापा ने मुझसे कहा- मैं तो खेती कर रहा हूं. मैं बिना कुछ जाने समझे ये बस ट्रैवल का काम नहीं कर सकूँगा. तुमको यदि कुछ करना है तो इसे पैसे से तू धंधा कर सकता है.
मैंने भी सोच लिया कि मैं अब खुद की गाड़ी खरीद लूंगा और खुद ही बस चलवा लूंगा.
मैंने 2016 में दो बस ले लीं और काम शुरू कर दिया.
मेरा व्यापार बहुत अच्छे से चलने लगा था.
मेरी बस मुंबई से मेरे गांव के आगे सिरपुर चोपड़ा से गुजरती थी. इस रूट पर आने-जाने में मेरी दोनों बसें चलने लगी थीं.
कुछ ही दिनों में मैं मुंबई में अच्छी तरह से सैटल हो गया था और मेरा बिजनेस भी सही से चल रहा था.
मेरी शादी भी हो गई.
मैं अपने माता पिता की एकलौता पुत्र होने के कारण गांव में और रिश्तेदारों में भी मेरा बहुत अच्छा सा वर्चस्व हो गया था.
सब लोग मुझे मानने भी लगे थे. छोटी उम्र में इतना सब हैंडल करने के लिए सब सब लोग मुझे एक काबिल इंसान समझने लगे थे.
मेरे गांव में मेरे ही घर के बाजू में एक रिश्ते के चाचा रहते थे.
उन चाचा के चार लड़कियां थीं और एक लड़का था. सब लड़कियां बड़ी थीं और लड़का सबसे छोटा था.
चाचा की लड़कियों में सबसे बड़ी का नाम सपना, दूसरी हीर, तीसरी वैशाली और चौथी का नाम माया था.
एक दिन चाचा का फोन आया- बेटा गांव में कामकाज एकदम बंद पड़ा है खेतीबाड़ी में भी कुछ सही से नहीं चल रहा है. मेरी लड़कियां बड़ी हो रही हैं. तुम चाहो तो अपनी दो बहन को किसी नौकरी पर लगवा दो, तो तेरा मुझ पर बड़ा अहसान रहेगा. मुझे थोड़ी मदद भी हो जाएगी.
मैंने चाचा से कहा- ठीक है चाचा, मैं कुछ सोचता हूँ और कुछ जुगाड़ लगाकर आपको फोन करता हूं.
वैसे तो मुझे काम करने वाले एक आदमी की जरूरत थी लेकिन लड़की के बारे में कभी सोचा नहीं था.
चाचा की बात सुनकर मुझे लगा कि चलो मेरी ही बहन है और ऑफिस में घर का आदमी होना अच्छी बात है.
मैंने चाचा से कहा कि बहन को मैं अपने ही ऑफिस में रख लेता हूँ. इसमें मुझे भी फायदा है कि घर की लड़की ऑफिस में होगी, तो किसी बात की टेंशन नहीं रहेगी.
चाचा ने भी कहा- ये तो अच्छी बात है, जवान लड़की को कहीं बाहर नौकरी करवाने से अच्छा है, वो तुम्हारे पास काम करे.
दो दिन बाद चाचा का फोन आया- किसको भेज दूँ?@desi_story
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2022-05-13 19:05:32 की तरह से हँसी और झुक कर चाभी को घुमाकर फिर से गाड़ी स्टार्ट की.
मेरी हालत बहुत खराब हो चुकी थी, मैं अपने को अड्जस्ट करने की बहुत कोशिश कर रहा था।
मेरा लन्ड मेरा साथ नहीं दे रहा था, वो अपने आपको आजाद करना चाहता था।
मैंने फिर से अपने लोअर को अड्जस्ट किया और अपने लन्ड को गियर के सपोर्ट पर खड़ा कर लिया, ढीले अंडरवीयर होने से मुझे कोई दिक्कत नहीं हुई।
अब जैसे ही मैं गियर चेंज करने वाला ही था कि दाइशा जी का हाथ अपने आप ही गियर रॉड पर आ गया, हाथ ठीक मेरे लन्ड के ऊपर था, जरा सा नीचे होते ही मेरे लन्ड को छू जाता।
मैं थोड़ा सा पीछे हो गया और अपने हाथों को दाइशा जी के हाथों रख दिया और जोर लगाकर गियर चेंज किया और धीरे से क्लच छोड़ दिया.
गाड़ी आगे की ओर चल दी।
मैंने थोड़ा सा एस्केलेटर बढ़ाने का इशारा किया।
मेरी गर्म-गर्म सांसें अब दाइशा जी के चेहरे पर पड़ रही थी और शायद वो भी इसे एंजॉय कर रही थी क्योंकि उन्होंने किसी तरह से मुझे रोकने की कोशिश नहीं की।
पर शायद उन्होंने सब कुछ मेरे हाथों में सौंप दिया था.
वो बहुत ज्यादा तेज तेज सांस छोड़ रही थी, उनकी सांसें अब उनका साथ नहीं दे रही थी, कपड़े भी जहां तहाँ हो रहे थे।
ब्लाउज के अंदर से दाइशा जी की चूचियां भी ऊपर नीचे हो रही थी।
मेरा एक हाथ तो अब दाइशा जी के कंधे पर ही आ गया था और उस नाजुक सी काया का लुत्फ़ ले रहा था और दूसरा हाथ कभी दाइशा जी के हाथों को स्टियरिंग में मदद करता तो कभी गियर चेंज करने में!
दाइशा जी के तेज तेज सांस लेने से मुझे भी भली भाँति पता चल गया था कि वो बहक गई हैं।
पर शुरुआत कैसे करें!
मैं आगे बढ़ने की कोशिश भी कर रहा था.
पूरी थाली सजी पड़ी थी बस हाथ धोकर श्री गणेश करना बाकी था।
पर एक डर ने मुझे शुरुवात करने से रोक रखा था।@desi_story
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2022-05-13 19:05:32 गाड़ी एक झटके से आगे बढ़ी और बंद हो गई। गाड़ी गीयर में थी.
मैंने झट से अपने पैरों को साइड से ले जाकर ब्रेक पर रख दिया और ध्यान से दाइशा जी की ओर देखा।
ब्रेक पर मेरा पैर पड़ते ही, मेरी जांघें दाइशा की जांघों पर चढ़ गई थी और मेरे हाथ दाइशा जी के कंधे पर आ गये थे।
साड़ी का पल्लू फिर से एक बार उसकी चूचियों को उजागर कर रहा था.
वो अपनी सांसों को नियंत्रण करने में लगी थी.
मैंने जल्दी से अपने पैरों को उसके ऊपर से हठाया और गियर पर हाथ ले जाकर उसे न्यूट्रल किया और डरते हुए दाइशा जी की ओर देखा।
मुझसे गलती हुई थी, पता नहीं अब दाइशा जी क्या कहेंगी।
पर दाइशा जी नॉर्मल थीं, उन्होंने मुझे रिलैक्स रहने को कहा और बोली- गाड़ी सीखने में इतना तो चलता ही है। हमको कुछ नहीं आता है, ऐसे तुम सिखाते हो गाड़ी चलाना।
मेरे मुंह से कोई आवाज नहीं निकल पा रही थी।
तभी दाइशा ने दुबारा बोला- अरे तुम थोड़ा इधर आकर बैठो और हमें बताओ कि क्या करना है. और ब्रेक वगेरह सब कुछ हमें कुछ भी नहीं पता है।
मैं दाइशा जी को एक्सलेटर, ब्रेक, क्लच सब कुछ बताने लगा।
पर बताते हुए मेरी आंखें दाइशा जी के उठे हुए उभारों को, उनके नीचे उसे पेट और नाभि तक दीदार कर रही थी।
दाइशा ने फिर बोला- मैं तो कुछ भी नहीं जानती. तुम जब तक हाथ पकड़कर नहीं सिखाओगे गाड़ी चलाना तो दूर … स्टार्ट करना भी नहीं आएगा।
और अपना हाथ स्टीयरिंग पर रखकर किसी नाराज दोस्त की तरह की खिड़की से बाहर देखने लगी।
मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था अब क्या करूं!
एक तरफ दाइशा जी को गाड़ी चलाना सिखाना है और दूसरी तरफ मेरे लोअर में मेरा लन्ड बगावत पर उतर आया था।
तभी मुझे एक आइडिया आया, मैंने दाइशा को बोला- आप एस्केलेटर पर अपना पैर रखो और मैं ब्रेक और क्लच संभालूंगा और थोड़ा स्टीयरिंग भी देख लूंगा।
यह सुनकर दाइशा जी खुश हो गई और एकदम मचलते हुए हाथ नीचे ले जाकर चाभी घुमा दिया और एक पैर एस्केलेटर पर रख दिया, दूसरा पैर फ्री था.
फिर वो मुझे देखने लगी।
मैं अभी भी सोच ले डूबा हुआ था।
मुझे ऐसे देखकर वो थोड़ा चिढ़कर बोली- अगर गाड़ी नहीं सिखाना … ऐसे ही सोचते रहना है … तो मुझे घर ड्रॉप कर दो।
घर ड्रॉप करने के नाम पर मेरे शरीर में जैसे जोश आ गया था, अपने हाथों में आई इस चीज को में ऐसे तो नहीं छोड़ सकता था.
अब चाहे कुछ भी हो जाए … चाहे जान भी चली जाए, मैं अब पीछे नहीं हटूंगा.
मैंने अपने हाथों को ड्राइविंग सीट के पीछे रखा और थोड़ा सा आगे की ओर झुक कर अपने पैरों को आगे बढ़ाने की कोशिश करने लगा ताकि मेरे पैर ब्रेक तक पहुँच जायें.
पर कहाँ पहुँचने वाले थे पैर …
मेरी परेशानी को समझते हुए दाइशा जी अपने पल्लू को फिर से ऊपर करते हुए बोला- तुम थोड़ा और इधर आओ, तब पैर पहुंचेगा, ऐसे कैसे पहुंचेगा।
मुझे सकुचाते हुए देखकर दाइशा जी मेरे ऊपर इस बार थोड़ा गुस्से में बोली- थोड़ा सा टच हो जाएगा तो क्या होगा … तुम बस इधर आओ, ज्यादा देर मत करो और अपने आपको भी थोड़ा सा दरवाजे की ओर सरक के बैठ गई।
अब मैं अपने को रोक ना पाया … अपने पैर को गियर के उस तरफ कर लिया और दाइशा जी की चिकनी जाँघों से जोड़ कर बैठ गया…. मेरी जांघें दाइशा जी की जांघों को दबा रही थी उसके वेट से उनकी जांघों को तकलीफ ना हो सोचकर मैंने थोड़ा सा अपनी ओर हुआ ताकि दाइशा जी अपना पैर हटा सके पर वो तो वैसे ही बैठी थी और अपने हाथों को स्टियरिंग पर बच्चों जैसा घुमा रही थी।
मैंने ही अपने हाथों से दाइशा जी की जांघों को पकड़ा और थोड़ा सा उधर कर दिया और अपनी जांघों को रखने के बाद उनकी जांघों को अपने ऊपर छोड़ दिया.
वह कितनी नाजुक और नरम सी जांघों का स्पर्श था … वो कितना सुखद और नरम सा …
मैंने अपने हाथों को सीट के पीछे ले जाकर अपने आपको अड्जस्ट किया और दाइशा जी का आँचल अब भी अपनी जगह पर नहीं था, उनकी दोनों चूचियां मुझे काफी हद तक दिख रही थी।
मैं उत्तेजित होता जा रहा था पर अपने पर काबू किए हुआ था.
अपने पैरों को मैं ब्रेक तक पहुँचा चुका था और अपनी जांघों से लेकर टांगों तक दाइशा जी के स्पर्श से अविभूत सा हुआ जा रहा था.
अपने नथुनों में भी दाइशा जी की परफ्यूम को बसा कर मैं अपने आपको जन्नत की सैर की ओर ले जा रहा था।
दाइशा जी लगभग मेरी बांहों में थी और उन्हें कुछ भी ध्यान नहीं था.
मैं अपनी स्वप्न सुंदरी के इतने पास था कि मैं कभी सपने में भी सोच नहीं सकता था।
मैंने क्लच दबा के धीरे से गियर चेंज किया और धीरे-धीरे क्लच को छोड़ने लगा और दाइशा जी को एस्केलेटर बढ़ने को कहा।
दाइशा जी ने वैसा ही किया.
पर एस्केलेटर कम था, गाड़ी धड़ाक से रुक गई।
दाइशा जी अपना चेहरा उठाकर मुझे देखने लगी.
मैंने थोड़ा और एस्केलेटर लेने बोला और अपने दायें हाथ से गियर को फ्री करके रुका.
पर दाइशा जी की ओर से कोई हरकत ना देखकर लेफ्ट हैंड से उनके कंधे पर थोड़ा सा छूने लगा और कहा- दाइशा जी … गाड़ी स्टार्ट कीजिए।
दाइशा जी किसी इठलाती हुई लड़की
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2022-05-13 19:04:49 वो पहले से तैयार होकर बाहर खड़ी थी.
दाइशा जी को देखते ही मेरा लन्ड फिर से तुनकने लगा।
वो आज साड़ी पहने हुए खड़ी थी.
ठीक इंपीरियल ब्लू के ‘मेन विल बी मेन; वाली एड की तरह।
उनको साड़ी पहने आज पहली बार देखा था मैंने!
दाइशा जी के ब्लाउज़ में फंसी हुई उसकी दो गोलाइयों और उसके नीचे की ओर जाते हुए चिकने पेट और लंबी-लंबी बांहों क्या गजब ढा रहे थे!
पहले तो मैं सबकुछ भूलकर दाइशा जी के हुस्न के बारे में सोचता रह गया।
मुझे होश तब आया, जब दाइशा जी ने गाड़ी में बैठकर मुझे आवाज लगायी।
मैंने कार स्टार्ट की और आगे देखने लगा.
पर मेरा मन बार बार पीछे बैठी दाइशा जी को देखने का हो रहा था।
जिस सुंदरी के मैं रोज सपने देखता हूं, आज वो मेरे पास बैठी है।
पर मुझे एक बात समझ में नहीं आई, दाइशा जी ने साड़ी के उपर ये पतला सा जैकेट क्यों पहन रखा था, सिर्फ साड़ी क्यों नहीं!
मैं अपने साहब के बताई हुई सुनसान जगह पहुंच गया।
वहां थोड़ा अंधेरा हो चला था.
मेरे मालिक को मेरे ऊपर भरोसा था, पर दाइशा जी के कामुक शरीर ने मेरे काम वासना को जगा रहा था। रह रह कर मेरा लन्ड मेरे पैंट के अंदर ही फुदक रहा था।
अचानक दाइशा जी ने पूछा- और कितना टाइम लगेगा हम लोगों को?
उनकी मधुर संगीतमयी आवाज को सुन के मैं मंत्रमुग्ध सा हो गया और मेरे गले से बहुत ही हल्के से निकला- बस 5 मिनट और!
अपने लक्ष्य तक पहुंचने से पहले ही दाइशा जी अपना विंड शीटर उतार दिया।
रियर व्यू में मेरी आंखों के सामने जैसे किसी खोल से कोई सुंदरता की तितली बाहर निकल रही थी!
उफ्फ़ … क्या नज़ारा था।
जैसे ही दाइशा जी ने अपने कोट को अपने शरीर से अलग किया, उनका यौवन उसके सामने था, आँचल ढलका हुआ था और बिल्कुल ब्लाउज के ऊपर था.
कोट को उतार कर दाइशा जी ने धीरे से साइड में रखा और अपने दायें हाथ की नाजुक नाजुक उंगलियों से अपनी साड़ी को उठाकर अपनी चूचियों को ढका या फिर कहिए मुझे चिढ़ाया.
मैंने गाड़ी रोड के साइड वाले मैदान में उतार कर एक जगह रोक दी।
अपना गेट खोल कर बाहर निकला मैं और पीछे पलटकर दाइशा जी की ओर देखते हुए उन्हें ड्राइविंग सीट पर आने को बोला।
दाइशा जी ने लगभग मचलते हुए अपनी साइड का दरवाजा खोला और जल्दी से नीचे उतर कर बाहर आई और लगभग दौड़ती हुई पीछे से घूमती हुई आगे ड्राइविंग सीट की ओर आ गई।
वहां मैं डोर पकड़े खड़ा था और अपने सामने स्वप्न सुंदरी को ठीक से देख रहा था।
मैं एकटक दाइशा जी की ओर नजर गढ़ाए देखता रहा जब तक वो मेरे सामने से होते हुए ड्राइविंग सीट पर नहीं बैठ गई.
9ff1e5242bf23892191894f1f17997…
पता नहीं क्यों मुझे ऐसा लगा कि दाइशा जी का ऐसे बैठना एक दिखावा था.
वो मुझे जान बूझकर अपने शरीर का दीदार करा रही थी.
बैठते ही दाइशा जी का आंचल उनके कंधे से ढलक कर उसकी कमर तक उसको नंगा कर गया. सिर्फ़ ब्लाउज में उसके चूचियां जो की आधे से ज्यादा ही बाहर थी मुझे दिख रही थी।
पर दाइशा जी का ध्यान ड्राइविंग सीट पर बैठते ही स्टियरिंग पर अपने हाथों को ले जाने की जल्दी में था.
वो बैठते ही अपने आपको भुलाकर स्टियरिंग पर अपने हाथों को फेरने लगी थी और उसके होंठों पर एक मधुर सी मुस्कान थी.
उनको ऐसे देखते हुए मेरी तो जैसे जान ही निकल गई थी.
अपने सामने ड्राइविंग सीट पर बैठी हुई उसे काम अग्नि से जलाती हुई स्वर्ग की उस अप्सरा को में बिना पलके झपकाए आँखें गड़ाए खड़ा-खड़ा देख रहा था.
मेरी सांसें जैसे रुक गई थी।
तभी मेरा ध्यान नीचे गया और मैंने दाइशा जी की साड़ी का पल्लू नीचे से उठाकर गाड़ी के अंदर रखा और अपने हाथों से उसे ठीक करके बाहर आते हुए हल्के हाथों से दाइशा जी की जाँघों को थोड़ा सा छुआ और दरवाजा बंद कर दिया।
मैं जल्दी से घूमकर अपने सीट पर बैठना चाहता था पर घूमकर आते आते मुझे अपने लोअर और अपने अंडरवीयर को थोड़ा सा हिलाकर अपने लन्ड को अकड़ने से रोका या कहिए थोड़ा सा सांस लेने की जगह बना दी वो तो तूफान खड़ा किए हुए था।
अंदर दाइशा जी अब भी उसी स्थिति में बैठी हुई थी, उन्होंने अपने पल्लू को उठाने की कोशिश नहीं की थी और अपने हाथों को स्टीयरिंग पर अब भी बच्चों की तरह घुमाकर देख रही थी।
मेरी ओर देखकर उन्होंने पूछा- अब क्या? आगे बताओ। गाड़ी चलाना सिखाना है ना मुझे!
मैं साइड की सीट पर बैठे हुए थोड़ा सा हिचका, पर फिर थोड़ा सा दूरी बना के बैठ गया और दाइशा जी को देखता रहा ब्लाउज के अंदर से उसकी गोल गोल चूचियां जो कि बाहर से ही दिख रही थी उन पर नजर डालते हुए और गले को तर करते हुए बोला- दाइशा जी, आप गाड़ी स्टार्ट करिए।
दाइशा जी- कैसे?
और अपने पल्लू को बड़े ही नाटकीय अंदाज से अपने कंधे पर डाल लिया ना देखते हुए कि उससे कुछ ढका या नहीं।
मैं- दाइशा जी, वो चाबी घुमा के!
साइड से और आंखों का इशारा करते हुए साइड की ओर देखा.
दाइशा जी ने भी थोड़ा सा आगे होकर चाबी तक हाथ पहुँचाया और घुमा दिया।@desi_story
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