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Antarvasna Hindi Stories

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नवीनतम संदेश

2023-01-03 18:45:00 अब उसने मुझे एक गोली दी और मुझे मेरे कमरे में छोड़ दिया।
कमरे में आते ही बाबूजी भी आ गये और उन्होंने मुझे केले और सेब खाने दिए।
मैं जैसे तैसे निगल गई।
अब मुझे बेड पर लिटा दिया और गर्म पानी का बैग मेरी गांड के नीचे रखा जो मेरा दर्द कम करने के लिए था।
शराब और गोली की वजह से मैं जल्द ही सो गई।
सुबह 11 बजे दीदी मेरे कमरे आई, उन्होंने मुझे जगाया।
मैं उठ नहीं पा रही थी।
मुझे बुखार आया था।
हमारी बातें सुनकर बाबूजी कमरे में आए और मुझे हॉस्पिटल ले गए।
वहां इलाज करके हम वापिस घर आए।
दो दिन तक मैं जिंदा मुर्दा बनी हुई थी। दो दिन बाद मेरा होश आया। मैं कमरे में नंगी हुई और मिरर के सामने अपने आप को देखा तो मेरी हालत खराब थी।
गर्दन से लेकर पाव तक मुझे चोटें आई थीं।
मैंने झुक कर अपनी गांड देखी तो बिल्कुल सूज कर लाल लाल हो गई थी।
इस तरह से मेरी गांड की नथ खुल गई जो मैं जिंदगी भर नहीं भूल सकी।
उस दिन से आने तक मैंने जीजू और बाबूजी से दूरी बनाए रखी।
और फिर मैं घर जामनगर आ गई।
तो मेरे प्यारे दोस्तो, कैसी लगी आपको मेरी यह गांड फाड़ Xxx अंकल वाइल्ड सेक्स कहानी?@antarvasnahindi_stories
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2023-01-03 18:45:00 कुछ देर बाद वे उठे और मुझे कुतिया बना कर खड़ा किया- अंजू बेबी, आज फटेगी तेरी गांड की सील भी और तेरी गांड भी!
मैंने कहा- तो फाड़ दो ना, मेरे चोदू बाबूजी!
इतना मार खाए हुए भी मैं नशे के कारण जोश में थी।
मुझे पता था कि आगे मेरी गांड के साथ क्या क्या बेरहमी होने वाली है।
मगर अब फटी के ढोल खरीदे थे बजाने तो थे ही!
कुतिया बना कर बाबूजी मेरे ऊपर चढ़ गए और मेरी गांड में एक उंगली डालने लगे।
इससे मुझे अच्छा लगने लगा।
लेकिन अगले ही पल उन्होने अपना लन्ड मेरी गान्ड पर रखा और उसका टोपा अंदर डालने की कोशिश की।
मगर वो गया नहीं!
मैंने तेल लगाने का पूछा तो वो बोले- वाइल्ड सेक्स चाहिए न तुझे?
मैं चुप हो गई।
उन्होंने लौड़ा बाहर निकाला और मेरी गांड में थूकने लगे, थोड़ा सा थूक अपने लन्ड पर लगाकर उन्होंने फिर उसे मेरी गांड में डालना शुरू किया।
अब उनका टोपा अंदर गया और इधर मेरी जान निकल गई।
मैं दर्द के मारे कराह उठी।
वो रुके नहीं।
टोपा अंदर जाते ही उन्होंने एक जोर का धक्का दिया, मैं बेड पर गिर पड़ी।
मुझे तो लगा कि मैं मर हो गई।
मेरे गिरने से लन्ड बाहर निकल गया।
बाबूजी ने मुझे उठाया, मेरे हाथ बंधे हुए थे।
फिर उन्होंने मुझे कुतिया बनाया और इस बार कस कर पकड़ा और फिर एक बार लन्ड को मेरी गांड में घुसा दिया।
इस बार आधे के करीब लन्ड अन्दर चला गया।
मैं अपनी सुध खो चुकी थी।
एक और धक्का लगा और मेरी गांड की नसें फट गई, शायद खून निकल आया।
मगर मैं देखने या उन्हें रोकने के लायक नहीं थी। मैं आगे तकिए पर सर रखे चिल्लाती रही।
एक पल रुकने के बाद बाबूजी ने एक और शॉट दे मारा।
अब मेरी गांड की पूरी तरह से धज्जियां उड़ गई।
उनके टट्टे नीचे मेरी चूत से टकरा गए, मतलब उनका पूरा लौड़ा मेरी गांड में समा गया।
मेरी आंखों के सामने अंधेरा छा गया।
इस धक्के से मेरा तो मूत निकल गया।
मेरे मुंह सिर्फ गूं … गूं … गूं … आवाजें निकलने लगी।
बाबूजी जरा रुके, मेरे चूतड़ सहलाने लगे।
मैं थोड़ा सा नॉर्मल होने लगी।
देखते ही उन्होंने लन्ड को आगे – पीछे करना शुरू किया।
Xxx अंकल वाइल्ड सेक्स से मैं रो रही थी।
मेरे हाथ बंधे थे, चिल्ला रही थी मगर मेरी कुछ भी परवाह बाबूजी को नहीं थी।
वो दनादन चोदने लगे।
उनके हर धक्के पर मेरे मुंह से आह निकल जाती और आंखों से आंसू!
जिद तो मेरी ही थी, पीछे हटना भी नहीं था।
और यह Xxx अंकल छोड़ने वाला भी था नहीं।
बाबूजी ने मेरी गांड़ फाड़ चुदाई जारी रखी।
साथ ही मेरे चूतड़ों पर जोर जोर से थप्पड़ बरसा रहे थे।
मैं तो जंगल में किसी भूखे शेर के सामने एक मरी हुई हिरनी सी पड़ी थी।
करीब आधे घण्टे भर तक मेरी गांड फाड़ने के बाद बाबूजी ने अचानक अपनी स्पीड दोगुनी कर दी।
जल्द ही वो मेरी फटी हुई गांड में अपने लन्ड का रस छोड़ने लगे।
पूरा वीर्य मेरी गांड में निकाल कर हांफते हुए वो मेरे बाजू में लेट गए।
मैं धड़ाम से नीचे गिर गई।
मेरी जबान से एक ही शब्द निकला ‘पानी!’
पहले उन्होंने मेरे हाथ खोले, फिर पानी लाकर मेरे मुंह पर छिड़का, मुझे बिठाया और पानी का ग्लास मेरे मुंह से लगाया।
पानी पीने से मेरी जान में जान आई।
फिर मैं सीधी होकर पीठ के बल लेट गई।
इतना दर्दनाक मंजर था कि मैं लेटे लेटे मूत रही थी।
अब बाबूजी ने खाने का पैकेट निकाला और मुझे वेफर्स देने लगे।
मगर मैं खा न सकी।
तो उन्होंने एक ग्लास में दारु डाली, उसमें मूतने लगे और वो ग्लास मुझे थमा दी।
मेरे मना करने पर उन्होंने एक जोर का थप्पड़ मेरे मुंह पर लगाया।
डर के मारे मैंने उनका मूत से मिलाया हुआ शराब का ग्लास एक ही बार में खत्म किया।
मेरे बदन में कुछ भी जान नहीं बची थी।
अब उन्होंने फोन मिलाया और किसी से बात की।
कुछ देर बाद वहां एक औरत आई, उसने मुझे वहां से उठाया और कपड़े पहनाकर बाबूजी के कमरे में ले गई।
पीछे पीछे बाबूजी भी आए।
कमरे में जाते ही वो मुझे सीधा बाथरूम ले गई, गर्म पानी से मुझे नहलाया।
मैं बिल्कुल हाथ भी हिला नहीं पाई।
अब वो औरत मेरी गांड को गर्म पानी में कपड़ा भिगाकर सेंकने लगी।
मुझे अच्छा लगा।
मेरा बदन पौंछ कर वो बाहर ले आई।
तब तक बाबूजी मेरे कमरे से मेरे कपड़े लाए।
उसी ने मुझे शॉर्ट और टॉप पहनाया।
अब उसने मुझे एक गोली दी और मुझे मेरे कमरे में छोड़ दिया।
कमरे में आते ही बाबूजी भी आ गये और उन्होंने मुझे केले और सेब खाने दिए।@antarvasnahindi_stories
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2023-01-03 18:45:00 साथ ही बाबूजी ने सिगरेट सुलगा दी तो मैंने भी कुछ कश लगा दिए।
एक के बाद एक मैंने तीन-चार पेग लगाए।
अब मुझे नशा चढ़ने लगा।
बाबूजी ने मुझे कहा- तो अंजू बेबी, कैसा मजा चाहती हो?
दारु ने मुझ पर असर दिखा दिया, एक सुरूर सा चढ़ गया था।
और मेरी शाम की अधूरी प्यास और बढ़ गई।
मैंने जवाब दिया- बाबूजी, मुझे ना एकदम वाइल्ड सेक्स चाहिए। मैंने अबतक ऐसा मजा सिर्फ ब्लू फिल्म में देखा है। और मेरी गांड अभी बिल्कुल अनचुदी है। तो मेरी इच्छा है कि आप ही इसका उद्घाटन समारोह करें।
मैं नशे में बोल पड़ी।
बाबूजी- ठीक है मेरी बिल्लो, आज तुझे भी तेरी मां की तरह चोदूंगा।
मैं- मतलब आपने मॉम को इतनी बेरहमी से चोदा है?
बाबूजी- हां, मगर यहां घर में नहीं, पीछे तबेले में! आज तू भी वही मजा लेना अपनी मां की तरह। लेकिन फिर पीछे मत हटना बेटा … मैं एक बार शुरू हो गया तो फिर न ही रुकता हूं और न ही छोड़ता हूं।
मैंने कहा- अरे मेरे पुलिस वाले बाबूजी, आज मुझे थर्ड डिग्री पनिशमेंट देंगे, तो भी मैं पीछे नहीं हटूंगी। मुकरने का कोई चांस ही नहीं। रण्डी शिल्पा की बेटी हूं। जो जी चाहे वो करो आज, मगर मेरी ये इच्छा पूरी करो प्लीज!
“ठीक है ये दारु लेकर चल तबेले में!”
कह के उन्होंने पीछे की खिड़की की ओर बढ़ने को कहा।
मैं सब सामान लिए उनके पीछे गई।
तबेले में जाने का यही एक रास्ता था।
सामने से जाते तो, दीदी और जीजू को शक हो जाता इसलिए!
हम एक एक करके खिड़की से बाहर तबेले में गए।
जाते ही बाबूजी ने घोड़े की लगाम और एक चाबुक निकाला।
एक बहुत बड़ा तबेला था, जिसमें चिल्ला चिल्ला कर कोई मर भी गया तो किसी को पता न चले।
मैं तो नशे में रोमांचित हो रही थी।
लेकिन डर भी था कि यह पहलवान जिससे मेरी चुदक्कड़ मॉम शिल्पा डरती थी, वो मेरी तो आराम से धज्जियां उड़ा देगा।
बाबूजी ने बहुत दारु पी रखी थी तो उन्हें भी नशा चढ़ा हुआ था।
उन्होंने मुझे पास बुलाया, पहले मेरे होंठों पे एक जबरदस्त किस किया।
हम दोनों ने पी रखी थी तो मुंह से आती खुशबू मुझे और भी ज्यादा हॉर्नी फील करा रही थी।
अब बाबूजी ने मुझे कहा- चल मेरी बिल्लो, शुरू करें तुम्हारा जंगली सेक्स!
मैंने हां में सर हिलाया।
अब बाबूजी ने अपने कपड़े उतार दिए, वो सिर्फ अंडरवियर में आ गए।
और मेरा शर्ट और शॉर्ट उतार कर मुझे भी नंगी कर दिया।
फिर उन्होंने लगाम को मेरे गले में डाल दिया और मुझे कुत्ते की तरह रेंगने को कहा।
मैं भी बिल्कुल किसी कुतिया की माफिक चलने लगी।
और बाबूजी ने चाबुक हाथ में लेकर मुझे हल्के हल्के से मारना शुरू किया।
मैं चिल्लाने लगी।
तबेले में एक कोने में बाबूजी ने जमीन पे ही एक बिस्तर बनाया हुआ था।
अब वो मुझे वहां घसीटते हुए ले गए।
मेरी पीठ और मेरे चूतड़ पे चाबुक की बौछार जारी थी।
मेरा नशा चाबुक की मार से कम होता जा रहा था और अब मुझे दर्द होने लगा था।
मेरी पीठ और गांड पे छिलने के निशान हो रहे थे।
मुझे पूरे बदन में जलन होने लगी।
मुझे बिस्तर पे ले जाके बाबूजी ने मेरे हाथ एक रस्सी से बांध दिए, फिर अपनी अंडरवियर उतार दिया।
अब वो मेरे सामने नंगे खड़े थे।
मैं गले में लगाम, और बंधे हुए हाथों से उनके सामने घुटनों पे बैठी हुई थीं।
उनका मूसल जैसा लन्ड देखकर मेरी तो गांड फट के हाथ में आ गई।
अभी ठीक से वो खड़ा भी नहीं, फिर भी इतना बड़ा!
उन्होंने वहां एक बल्ब जलाया।
अब मुझे साफ साफ दिखाई दे रहा था, बाबूजी का विशाल लन्ड मेरे सामने था।
उन्होंने झांट साफ नहीं किए थे, बड़े झांटों के बीच एक लोहे के रॉड जैसा लन्ड मेरे सामने था।
उन्होंने मुझे चूसने को कहा।
मैं रेंगती हुई अपना मुंह उनके लन्ड के पास ले गई।
मुझ पर दारू का नशा छाया हुआ था।
पहले मैंने उनके लन्ड को सूंघा, उनका गधे जैसा लन्ड और लंबी झांटें, उसकी सुगंध पाकर मैं और भी ज्यादा ही एक्साइटेड होने लगी।
अब उन्होंने मुझे जोर से चाबुक मेरे पीठ पर मारा और बोले- साली रण्डी की बच्ची, चल चूस इसे!
दर्द से बिलबिलाती हुई मैंने उनका लन्ड मुंह में लेकर चूसना चालू किया।
लन्ड इतना बड़ा था कि सिर्फ सुपारा ही मेरे मुंह में जा रहा था।
अब बाबूजी बेरहमी पर उतर आने को थे, वो जबरदस्ती से अपना लौड़ा मेरे मुंह में घुसाने लगे.
उनका आधा लन्ड ही मेरे मुंह में हलक तक जाने लगा।
मुझे दर्द होने लगा।
वो जोर जोर से लन्ड को अंदर बाहर करने लगे।
मेरी आंखों से आंसू टपक रहे थे।
अचानक उन्होंने लन्ड बाहर निकाला और नीचे बिस्तर पर लेट गए।
बाबू जी ने फिर मुझे इशारा किया, मैं अब उनकी गोटियों को चाटने लगी, उनकी झांटों को चूसने लगी।
इसके बाद बाबूजी ने मुझे कहा- साली राण्ड, चल मेरी गांड को चाट!
मैंने बिना कुछ कहे उनकी गांड में अपनी जीभ घुसा दी, बहुत ही गंदी दुर्गन्ध आ रही थी।
पर मैं कुछ नहीं कर सकी।@antarvasnahindi_stories
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2023-01-03 18:45:00 बहन के ससुराल में रंगरलियां- 2@antarvasnahindi_storiesकहानी के पहले भाग
जीजू को अपनी चूत का मजा दिया
में आपने पढ़ा कि मुझे चुदाई का बहुत शौक है, मैं सेक्स मेनीयक हूँ. मैं अपने लिए कोई नया लंड ढूँढ रही थी तो मेरी नजर मेरे जीजू पर टिक गयी. मैंने अपने लटके झटके दिखाकर जीजू के गोदाम में उनसे चुद गयी.
इस क्विक सेक्स से मेरा आधा मन ही भरा था। मुझे तो जोरदार चूदाई की जरूरत थी पर समय की कमी से मुझे आधे मन ही घर जाना पड़ा।
अब आगे Xxx अंकल वाइल्ड सेक्स कहानी :
उसके बाद मैं दीदी जीजू के घर आ गयी.
घर जाते ही दीदी ने मुझे गले लगाया।
अब रात के 9 बजे चुके थे।
मैंने फ्रेश होकर नाइट ड्रेस, जिसमें एक पतला सा टीशर्ट और शॉर्ट पहन ली और सबके साथ खाना खाने बैठ गई।
दीदी, जीजू के अलावा वहां पर दीदी के ससुर जी भी थे.
सब उन्हें बाबूजी कहते थे।
मैंने उन्हें नमस्ते की।
तो उन्होंने आशीर्वाद देते हुए मेरे पीठ पर हाथ फेरा।
जो मुझे अजीब महसूस हुआ।
मेरी और उनकी आँखें मिली तो मुझे साफ साफ दिखाई दिया, वो मुझे ऊपर से नीचे घूर रहे थे।
वे दीदी को बोलने लगे- बहू, अंजू तो बहुत बड़ी हो गई।
आपको बता दूँ कि बाबूजी रिटायर्ड पुलिस वाले हैं।
साठ की उम्र में भी हट्टे कट्टे, 6 फीट की हाइट, आज भी एकदम फिट एंड फाइन।
और उनकी सबसे बड़ी राज की बात- एक नंबर के ठरकी आदमी।
दारु, जुआ और सबसे बड़ी लत औरत की।
और इससे आगे का राज – मेरी मॉम का एक और चोदू यार!
ना जाने कितनी बार उन्होंने मॉम की ली हुई है।
मॉम ने बताया था कि बाबूजी इस उमर में भी एक घोड़े जैसी ताकत रखते हैं। उनका लौड़ा बहुत बड़ा और मोटा है। साथ ही में वे बहुत समय तक टिकते हैं।
और तो और … पोर्न फिल्मों की तरह अलग अलग आसनों के शौकीन हैं।
मॉम बताती कि वे एक ही साथ में दो-चार औरतों की गांड फाड़ चूदाई करने का माद्दा रखते हैं।
मेरे मन में अभी तक तो उनके लिए कुछ अलग भाव नहीं था।
मगर उनके इस तरह के छूने और उनकी बातों से मेरे मन में एक हलचल मच गई।
खैर हमने खाना खाया और हॉल में ही बैठ के मैंने दीदी से बातें की।
रात बहुत हो चुकी थीं तो हम सोने चले।
आप तो जानते हैं कि मेरे जिस्म की अगन ठीक से बुझी नहीं थी।
गोदाम में जीजू ने एकदम जल्दबाजी में सब कुछ किया था।
मेरा तो मन तभी भरता है जब मैं कोई मर्द मुझे अच्छी तरह से निचोड़े।
तो मैंने अपने रूम में जाते ही मोबाइल पर ब्लू फिल्म चलाई और शॉर्ट को नीचे सरका दिया.
पैंटी तो थी ही नहीं!
मैं मस्ती से अपनी कमसिन चूत में उंगली करने लगी। मैं सोच रही थी कि जीजू तो दीदी की ले रहे होंगे।
अब मैं क्या करूं?
तभी मेरे दिमाग में आया कि क्यों ना देखा जाए मॉम का चोदू आशिक क्या कर रहा है।
मैं कमरे से बाहर आई, बाबूजी का कमरा मेरे कमरे से सट कर ही था। मैं उनके कमरे की तरफ बढ़ गई।
कमरे का दरवाजा बंद था मगर लॉक नहीं था।
मैंने उसे हल्का सा धकेला और अंदर झांका तो बाबूजी टेबल पर दारू की बोतल लेकर पेग मारने में मस्त थे।
हम मां बेटी की एक ही कमजोरी थी ‘चूत की प्यास।’
उसे मिटाने के इरादे से मैंने हिम्मत करके अंदर जाने की सोची।
मैं जानती थी कि बाबूजी इस फल को खाने को तैयार होंगे ही!
और तो और … मैं बेटी भी उसकी थी, बाबूजी जिसको अनगिनत बार अपने लन्ड का पानी पिला चुके हैं।
मैं दबे पांव रूम में गई और जाते ही दरवाजा बंद किया।
दरवाजे की आवाज सुन के बाबूजी ने मेरी तरफ देखा।
मैंने अंदर जाते ही कहा- वो बाबूजी, मुझे प्यास लगी थी और मेरी कमरे में पानी नहीं था तो मैं यहां आ गई।
बाबूजी ने कहा- कोई बात नहीं। यहां तुम्हारी पूरी प्यास मिटेगी।
और हंसने लगे।
मैंने पानी के मग में से ग्लास भर लिया और पीने लगी।
बाबूजी बोले- पीती हैं ना तू?
मैंने कहा- जी नहीं … वो …
बाबूजी- नाटक मत कर बिल्लो, मुझे सब पता है तुम मां बेटी के बारे में! तेरी मां ने सब कुछ बताया है मुझे! हम रोज बाते करते हैं। तू बिल्कुल अपनी मां पर गई है।
मैंने मन में सोचा ‘वाह! रात का क्या जुगाड़ हुआ!’ बिल्लो … ये नया नाम दिया था बाबूजी ने!
मेरे चेहरे पर मुस्कान देख कर बाबूजी ने मेरा पेग बनाया और आगे बढ़ाया।
मैं बेशर्म तो थी ही, मैं चेयर लेकर बैठ गई और पेग लगाने लगी।
साथ ही बाबूजी ने सिगरेट सुलगा दी तो मैंने भी कुछ कश लगा दिए।@antarvasnahindi_stories
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2022-12-30 18:35:31 मेरे बाल खुले थे, बदन पर सिर्फ एक तौलिया था।
जीजू की बांहों में चिपक कर मैंने आंखें बंद कर दी, जीजू ने पहले मेरे माथे पर चूमा,साथ ही बोल पड़े- साली आधी घरवाली होती है ना! अब तक सिर्फ चैट पर ही खुश करती रहती है. आज अपने जीजू को साक्षात में खुश कर दे मेरी अंजु डार्लिंग!
“हां जिज्जाजी, ये फल आपके सामने पेश है, जैसा आपका जी करे, खा जाओ। लेकिन यहां कितनी जल्दबाजी होगी, आप मानते तो आराम से भी खा सकते हो!” मैं बोली।
जीजू ने जवाब दिया- वो सब बाद में … मुझे ये फल अभी के अभी चाहिए!
इस पर मैं कुछ बोलती … उन्होंने सीधा मेरे होटों पे होंठ रख दिए और बड़े मस्ती से मुझे स्मूच करने लगे।
मैंने भी उनको निराश नहीं किया, मैं भी पूरी जीभ अंदर डालकर उनसे रूबरू होते किस करने लगी।
उतने में मेरा फोन बजा, दीदी का था।
मैंने कॉल लिया और बोली- ट्रेन लेट है तो मैं पहुंचते ही जीजू को कॉल करूंगी, वो लेने आयेंगे।
दीदी ने ‘ठीक है’ कहके रख दिया।
कॉल रखते ही मैं बोल दी- उन्हें क्या पता कि उनकी चुदक्कड़ बहन ने इधर उसी जीजू के साथ चूत चूदाई का खेल शुरू किया है।
जीजू बोले- यार, तू है बहुत चालू चीज़, समझने से पहले ही तूने मुझे बोतल में उतार दिया। बहुत बड़ी कमीनी है तू!
मैंने कहा- चलो मेरे आधे सैंया, अब बात बंद करो और मेरी मुनिया की सवारी करो।
जीजू ने हंसते हंसते मेरा तौलिया उतार दिया और मुझे नंगी कर दिया।
मैंने भी उनकी शर्ट उतारी और तब तक उन्होंने बाकी के कपड़े उतार दिए।
अब वो सिर्फ अंडरवियर में आ गए.
मैंने झट से उनकी अंडरवियर निकाली, अब मेरे सामने जीजू पूरे नंगे हो चुके थे।
उनका काला लन्ड मेरे सामने था।
मैंने जीजू के लन्ड को सहलाना शुरू किया।
पर वो तो एकदम मुरझाया हुआ था।
उन्होंने मुझे घुटनों पे बिठाया और बोले- इसे चूस ले मेरी साली साहिबा, तभी खड़ा होगा ये!
मैंने समय ना गंवाते हुए बैठकर उनके सुपारे पर थूक लगाया और उसे चाटने लगी।
मैं एक हाथ से उनके टट्टे सहलाती रही और लन्ड को अपने मुंह में लेकर चूसने लगी।
अब उनका लन्ड हरकत में आया, मैंने उसे चूसना चालू रखा।
कुछ ही पलों में लन्ड एकदम कड़क हुआ।
जीजू ने पॉकेट में से कंडोम निकाला और मेरे हाथ में दिया.
मैंने जल्द ही उसे उनके खड़े लन्ड पे लगा दिया।
अब उन्होंने मुझे एक बक्से के सहारे घोड़ी बना कर खड़ा किया और पीछे से आकर मेरी चूत को थूक लगा कर गीली कर दिया।
उन्होंने लन्ड को मेरी चूत के होंठों पे रख कर एक करारा शॉट लगा दिया।
जिससे उनका 6 इंच लम्बा लन्ड मेरी चूत में एक ही बार में घुस गया।
मैं दर्द में कराह उठी- जीजू … धीरे से मैं भाग नहीं रही … अह्ह्ह ह … हे भगवान!
लेकिन मेरी बातों को अनसुना करते हुए उन्होंने लगातार धक्के लगाना चालू रखा।
मैं हर धक्के पे चिल्लाती.
मगर उससे जीजू को फर्क नहीं पड़ा, उल्टा और भी जोश में आकर उन्होंने मेरी ठुकाई जारी रखा और मेरी गांड पर जोर जोर से थप्पड़ मारने लगे।
मैं भी पूरी तरह से वासना से भरी हुई अपनी चूत पर जीजू के लन्ड की हर एक ठोकर पे आगे पीछे होती और इस बीच मेरे बूब्स तो जैसे लटके हुए आम की तरह हवा में झूल रहे थे।
हमारा चूदाई का कारनामा गोदाम के एक कोने में चल रहा था, हम दोनों अब पसीने में लथपथ थे।
लगभग दस मिनट बाद मैं सिसकारियां लेते हुए झड़ गई।
जीजू भी अब छुटने के कगार पर थे, कुछ धक्के लगाने के बाद उन्होंने अपना लन्ड बाहर निकाला, मुझसे बोले- चल मेरी चुदक्कड़ साली, मेरा माल मुंह में ले!
मैंने कहा- हां मेरे जीजू राजा, अपने वीर्य से अपनी छीनाल साली को तृप्त कर दो।
जीजू ने कंडोम निकाला और लन्ड को मेरे मुंह में डाल दिया, मेरा सर पकड़ कर जोर जोर से लन्ड को मुंह में दबाने लगे।
पल भर में ही उनके लन्ड से जोरदार पिचकारी छूट पड़ी।
एक के बाद एक लगातार उन्होंने वीर्य की धार मेरे मुंह में छोड़ी।
मैं बेहया लड़की उनका पूरा वीर्य निगल गई।
मैंने उनका लन्ड चाट चाट कर साफ़ कर दिया।
अब हम दोनों शांत हुए।
जीजू बोले- चल अब मेरी अंजू डार्लिंग, घर पर तेरी दीदी इंतजार कर रही है।
मुझे शरारत सूझी, मैंने कहा- नहीं जीजू राजा, एक और राउंड कराना है मुझे!
जीजू बोले – मेरी मां, नाश्ता आया है, वो कर … और घर चलते हैं। मैं तो तुझे हफ्ते भर तक जाने नहीं दूंगा। तो जितने चाहे राउंड करवाने हो, करेंगे।
अब हमने कपड़े पहने और नाश्ता करके घर चलते बने।
इस क्विक सेक्स से मेरा आधा मन ही भरा था। मुझे तो जोरदार चूदाई की जरूरत थी पर समय की कमी से मुझे आधे मन ही घर जाना पड़ा।
घर जाते ही दीदी ने मुझे गले लगाया।
प्रिय पाठको, आपको मेरी Xxx जीजा साली सेक्स कहानी पढ़ कर मजा जरूर आया होगा.@antarvasnahindi_stories
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2022-12-30 18:34:42 बहन के ससुराल में रंगरलियां- 1@antarvasnahindi_storiesमैं मेरी सेक्स एक्सप्रेस की शृंखला लिखने जा रही हूं जिसमें मैं मेरी बेहतरीन किस्से आप के साथ साझा करना चाहती हूं। आज आप के सामने ऐसी ही एक चटपटी और मादक Xxx जीजा साली सेक्स कहानी लेकर हाजिर हूं।
मेरी बड़ी दीदी की शादी चुकी थी। वे मेहसाना में एक रसूखदार फैमिली में ब्याही थी।
जीजू का इलेक्ट्रॉनिक्स का शोरूम था।
दीदी एकदम शांत स्वभाव वाली थी और जीजू भी बिल्कुल वैसे ही!
अक्सर जब भी मैं उनसे मिलती या फोन पर बात होती, तो मैं उन्हें छेड़ती मगर वो एकदम सीधे शरीफ आदमी … ज्यादा कुछ नहीं कहते।
आपको तो पता है ही कि मेरी जवानी और मेरी मुनिया यानि मेरी चूत रानी तो हर दम उछलकूद करती रहती।
अब मेरे दिल ने ठान लिया मेरी चूत का अगला शिकार क्यों न जीजू को बनाया जाए!
वैसे जीजू भी थे हैंडसम।
30 के कुछ एक आगे की उमर, गोरे रंग वाले और थोड़ा सा पेट निकला हुआ।
मगर दिखने में ठीक ठाक।
आज तक उनके मन में मेरे लिए क्या था वो तो पता नहीं चला, मगर आप जानते ही हैं कि अगर औरत अपने असली रंग में आ गई तो बड़े बड़े तुर्रम खां भी उसके हुस्न के आगे लेट जाते हैं।
तो मैंने प्लान बनाया।
मैं अब जीजू से फोन पर डबल मीनिंग बात करने लगी और सेक्सी चैट भी।
जैसा मैंने कहा कि मर्द कितना भी नजरंदाज करें लेकिन औरत उसे अपने जाल में फंसाकर ही लेती है।
जीजू भी अब थोड़ा सा खुलने लगे।
उनका पॉजिटिव रिस्पॉन्स मिला तो मेरी हिम्मत और स्पीड दोगुनी हुई।
हर बार मैं उन्हें सेक्सी बाते करके उकसाती और वो भी अब मुझमें रुचि रखने लगे।
जी हां अब मैं एक चांस की तलाश में जुटी हुई थी।
और मेरा नसीब जल्द ही मुझ पर मेहरबान हुआ।
मेरी एक कॉम्पिटेटिव एग्जाम थी, तो मैंने उसका परीक्षा केंद्र मेहसाना में ले लिया ताकि मैं दीदी के घर भी जा सकूं और लगे हाथों अपने नए शिकार जीजू से अपनी मुनिया की प्यास मिटा सकूं।
तो मैं एग्जाम के एक दिन पहले ही मेहसाना पहुंच गई।
मैं ट्रेन से गई थी तो पहुंचने पर मैंने जीजू को कॉल किया।
शाम के छह बजे थे।
जीजू स्टेशन पर मुझे लेने आए।
स्टेशन से घर बहुत दूर था और छह सात घंटे के यात्रा से मैं थक गई थी और भूख भी लगी हुई थी।
हम दोनों गाड़ी में बैठकर निकल पड़े।
तो मैंने जीजू से कहा- जीजू, मैं बहुत थक गई हूं. और मुझे इतनी भूख लगी है कि आपको खा जाने का मन कर रहा है। मुझे फ्रेश होकर नाश्ता चाहिए कुछ! घर जाने में तो ट्रैफिक में वक्त बहुत लगेगा।
जीजू ने मेरे हाथ पर हाथ फेरते हुए कहा- कोई बात नहीं, हम अपने शोरूम पर जाते हैं, वहां तू फ्रेश भी हो जा और मैं नाश्ते का इंतजाम कर देता हूं. और भी कुछ चाहिए मेरी प्यारी साली को तो बता देना।
मैंने कहा- हां, मैं इतनी बोर हुई हूं, तो मेरा मूड भी ठीक करवा दो।
“तो फिर मैं जो कहूंगा वो करना पड़ेगा मेरी लाडली अंजु!” जीजू ने कह दिया।
“जो हुक्म मेरे आका!” मैंने जवाब दिया।
हम दोनों को पता था कि अब आगे क्या होने वाला है।
तो हम अभी से मस्ती के मूड में थे।
शोरूम स्टेशन से केवल दस मिनट की दूरी पर था।
तो बातें करते हुए हम वहां पहुंचे।
आलीशान शोरूम था और पीछे की और गोदाम।
जीजू ने गाड़ी सीधा गोदाम की ओर ले ली।
गोदाम में बाथरूम और बाकी सब सामान था।
गोदाम में सब जगह बड़े बड़े बक्से थे, जिनमें टीवी, फ्रिज, वाशिंग मशीन ये सब था।
हम अंदर गए, जीजू ने दरवाजा बंद किया और मुझे बाथरूम की ओर ले गए।
मैंने जीन्स और टॉप पहना हुआ था जिसमें मेरे मम्मे मस्त तने हुए थे और गांड जींस के बाहर आने को आमादा थी।
आते ही मैं बाथरूम में घुस गई।
मैंने अंदर जाते ही टॉप और जीन्स निकाला, अब मैं सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी।
और मैंने उसे भी उतार दिया और पूरी तरह से नंगी हो गई।
अब मैंने शावर चालू किया और मस्ती से नहाने लगी।
मैं इतनी लंडखोर हूं तो ज्यादा देर तक चुप नहीं रह सकती।
जीजू बाहर थे तो मैंने नहाने के बाद सिर्फ एक टॉवल लपेटा और भीगे बालों के साथ ही दरवाजा खोला।
मैंने जीजू को आवाज लगाई- जीजाजी, मेरे बैग में से मुझे नए कपड़े दे दीजिए।
जीजू बाथरूम की ओर आए और मुझे इस तरह टॉवल में देख उनके मुंह में तो पानी आ गया।
मैंने कहा- जीजू, मुंह में से लार टपकाना बंद करो, मुझे कपड़े चाहियें।
“अंजु तू और भी ज्यादा खूबसूरत और गदरा गई है … तो लार तो टपकेगी ना!”
“तो अब कपड़े भी देंगे या ऐसे ही रखोगे?” मैंने कहा।
जीजू फट से बोल पड़े- तू बहुत बोर हुई है ना, मूड ठीक करवाना है ना?
मैंने कुछ कहा नहीं, सिर्फ नीचे देखकर कातिलाना अंदाज से मुस्कुरा दी।
इसे जीजू ने मूक सम्मति समझा और मेरा हाथ पकड़ कर मुझे बाहर निकाला।
मैंने कहा- अरे मेरे प्यारे जीजाजी, सब्र करो, मीठा फल मिलेगा आपको!
“फल मेरे सामने है, अब सब्र नहीं होता!” जीजू ने जवाब दिया।
कहते हुए जीजू ने मुझे बाहों में भर लिया।
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2022-12-29 19:06:57 ‘ओये नीरज!! बहनचोद! मुझे तो बहुत ज्ञान बात रहा था. अब प्यार से पेलियों इसको. कोई रंडी नही है नकुल की सगी बहनिया है ये!’ हरमन बोला
‘अबे गांडू हरमन! तूने ने इसको मनमुताबिक खाया है इसको. अब मुझे पट्टी पढ़ा रहा है. चुप गांडू!’ नीरज बोला और मुझे पटर पटर ठोकने लगा. एक बार फिर से मुझे बहुत मजा मिल रहा था. मैं ये नहीं जान पा रही थी की मेरे भैया के दोस्त इस वक़्त मुझे होली के बहाने से ठोक रहे है. पर मैं ये समझ रही थी की मेरे साथ कुछ हो रहा है. कोई मेरे साथ कुछ तो कर रहा है. ये बात मुझे साफ साफ पता चल रही थी.
नीरज बहनचोद मेरी चूत के होठ अपने हाथ से सहलाने लगा. मुझे मजा आया. मेरी चूत के दाने को सहला सहला कर हरामी मुझे खाने लगा. कुछ देर बाद नीरज ने जल्दी से अपना लौड़ा मेरी बुर से निकाल लिया और मेरे गोरे गोरे पेट पर माल गिरा दिया. तब तक उस हरमन बहनचोद का खीरा [लौड़ा] फिर से तैयार था. जैसे ही नीरज हटा हरमन फिर आ गया. मेरी चूत के ओंठ पर उसने अपना बड़ा सा खीरा रखा और कुछ देर दाए बाए चूत के ओंठ पर घिसता रहा. मेरी चूत सहम गयी. फिर हरमन ने अपना खीरा मेरे भोसड़े में डाल दिया. मुझे चोदने लगा. मुझे लगा की जैसे कोई मोटा सा रस्सा मेरी चूत में आ और जा रहा है. हरमन जोर जोर से मेरे मम्मे को हाथ से दबा दबाकर मुझे खाने लगा. एक बार फिर से मैं उससे चुदने लगी. मेरे बाल बिखर गये थे. मेरे पुरे मुँह पर रंग लगा था. मैं कोई देसी बंदरिया लग रही थी और अपने भैया के सबसे अच्छे और करीबी दोस्त से चुद रही थी.
मुझे नही मालूम था की आज मेरी चूत २ २ खीरे [लौड़े] के साथ होली मनाएगी. ये बात मुझे जरा भी नही पता थी. बड़ी देर तक हरमन मुझे खाता रहा. फिर उसने मेरी फटी पर गुलाबी गुलाल से रंगी चूत से अपना बड़ा सा खीरा [लौड़ा] निकाल लिया. पास पड़ी २ मोटी तकिया उसने उठाई और मेरी कमर के नीचे लगा दी. मेरी गांड का छेद उपर आ गया. हरमन मेरे भैया का ख़ास दोस्त अब लेटकर मेरी गांड के छेद को पीने लगा. मुझे कुछ नही पता चला. कुछ देर बाद हरमन ने फिर से अपनी हथेली में ढेर सारा थूक मुँह से थूका और गुलाबी लौड़े में मल लिया. मेरे दोनों उजले चुतड को उसने उपर किया और मेरी गांड में लौड़ा दे दिया. मुझे बहुत दर्द हुआ. पर मैं जान नही पाई. हरमन मेरी गांड चोदने लगा. बाप
रे!! उस गांडू का खीरा[लौड़ा] बहुत मोटा था. वो मुझे बड़ी देर तक चोदता रहा. फिर उसने मेरे मुँह पर सारा चिपचिपा माल गिरा दिया. उसके बाद दोस्तों नीरज ने भी मेरी गांड मारी. ये कहानी आपको कैसी लगी, अपनी @antarvasnahindi_stories
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2022-12-29 19:06:56 अब दो दो बार मेरी मासूम कच्ची कली वाली चूत में गुलाबी रंग का गुलाल भरा जा चूका था. हरमन मुझ पर लेट गया और मेरे मम्मो को हाथ से दबाने लगा. फिर मेरी को मुँह में भरके पीने लगा. बेटीचोद नीरज वहीँ बगल में खड़ा था. उसका खीरा [ बड़ा सा लौड़ा] उसके हाथ में था. उसका लौड़ा पूरी तरह खड़ा हो गया था. पर हरमन पहले मुझे चोदने वाला था. इस वजह से नीरज अपने खीरे पर मुठ दे रहा था. हरमन मेरे दोनों ठोस ठोस बड़े बड़े दूध पीने लगा. मैं भी चेहरे पर रंग लगवाकर बंदरिया लग रही थी, उधर बहनचोद हरमन जो मेरे भैया का खास दोस्त था वो भी पूरा बन्दर लग रहा था. नकुल भैया के बाकी १८ दोस्त वहीँ हाले में थे. सब के सब शराब के नशे में लुढ़क चुके थे. जबकि हरमन और नीरज मुझे कमरे में चोदने खाने के लये ले आये थे. हरमन मेरे अमरूदों को जोर जोर से दबा रहा था और पी रहा था. मैं नग्न थी. बिलकुल गजब का सामान मैं लग रही थी.
हरमन ने मेरी कमर में नीचे से हाथ डाल दिया और सीने में भर लिया. मेरे गदराए जिस्म और चूत की खुसबू उसकी नाक में चली गयी. ‘अबे ओ बहनचोद हरमन!! तेरे बेस्ट फ्रेंड नकुल की बहनिया है ये!! प्यार से चोदना!! दांत वांत मत काटना बेटीचोद!! दोस्त की बहनिया है ये! कोई रंडी नही है. ध्यान से बे !!’ नीरज पीछे से बोला. हरमन तो जैसे मुझे देखकर पागल हो गया. वो भोसड़ी का मेरे मम्मे, कंधे, पेट को दांत से जोर जोर से काटने लगा. मैं नशे में थी. कुछ नही जान सकी. फिर हरमन मेरी चूत पीने लगा. मेरी चूत में जो दोनों ने ढेर सारा गुलाबी गुलाल दोनों ने भरा था वो हरमन के मुँह और ओंठ पर लग गया. मैं भांग के नशे में हंसती रही. हरमन अपनी ऊँगली से मेरी चूत खोलकर पीता रहा. फिर अपने हाथ में उस बेटीचोद ने ढेर सारा थूक लिया और लौड़े में मल लिया. हरमन ने मेरे भोसड़े में लौड़ा दे दिया. मैं इससे पहले अपने बॉयफ्रेंड से कई बार चुदी थी इसलिए मुझे दर्द नही हुआ. मेरे भोसड़े में लौड़ा देते की हरमन के लौड़े में वो गुलाबी गुलाल लग गया. बेटीचोद मुझे अपना पर्सनल माल समझ के पेलने लगा. मुझे बड़ा अच्छा लगा. हरमन ने मेरे दोनों सुंदर चांदी से सफ़ेद घुटने हाथ से पकड़ लिए और किसी रंडी की तरह मुझे चोदने लगा.
मुझे जादा होश नहीं था. मैं ये भी नही जान पा रही थी की कोई मुझे चोद रहा है. हाँ बस मुझे अच्छा लग रहा था. नीरज से मुझे हरमन से चुदते देखा तो ललचा गया. ‘अबे हरमन!! बेटीचोद! प्यार से पेल इसको. कोई रंडी नही है तेरे दोस्त नकुल की बहनिया है!’ नीरज नशे में बोला.
‘अरे कोई भी छिनाल हो. इसकी चूत में तो मैंने गुलाल भर ही दिया है. अब इसको मनमुताबिक खाऊँगा!’ हरमन बोला और जोर जोर से ताबडतोड़ धक्के देने लगा. मुझे बड़ा जूनून चढ़ गया. हरमन मेरे मम्मे को पीने लगा और फट फट करके मुझे चोदने लगा. नीरज मुझे चुदता देख के अपने लौड़े पर मुठ दे रहा था. हरमन मुझे घपा घप पेल रहा था. कोई २० मिनट बाद वो झड गया. उसने लौड़े बाहर निकाल और मेरे मुँह पर झार दिया मुठ देते हुए. मैं भांग के नशे में थी.माँ के लौड़े हरमन ने मुझे १ राउंड चोद लिया तो दूसरा माँ का लौड़ा नीरज आ गया. पहले तो गांडू ने मेरे अमरुद दबा दबाकर पिये. फिर मेरे भोसड़े में लौड़े दे दिया और घर का माल समझ के मेरी बुर का दाना कूटने लगा.@antarvasnahindi_stories
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2022-12-29 19:06:56 ‘भाई हरमन!! इसे कमरे में ले जा और इसको चूत में गुलाल भरके होली खेल!! तब ही तुझे होली का असली मजा मिलेगा’ एक दूसरा लड़का बोला. मैंने उसको ये बोलते साफ साफ सुना. मेरे नकुल भैया शराब के नशे में टल्ली होकर फर्श पर लुढ़क गए थे. इधर मैंने भांग का लड्डू खा लिया था. हरमन मुझे अंदर कमरे में ले गया. उनके मुझे अपनी गोद में उठा लिया था. भांग के नशे से मेरा सर लगातार घूम रहा था. मुझे हर चीज २ २ ४ ४ दिख रही थी. मैं लगातार हसे जा रही थी. मेरे गोरे गाल और पुरे मुँह पर भाई के सबसे ख़ास दोस्त हरमन ने ढेर सारा गीला वाला पक्का रंग डाल लगा दिया था. मैं बिलकुल कोई भूतनी लग रही थी. उधर हरमन को भी मैंने पुरे मुँह में ढेर सारा पक्का रंग लगा दिया था. वो भी किसी भुत से कम नही लग रहा था. उसने मुझे बिस्तर पर लिटा दिया. मैं नशे में थी और हसे जा रही थी.
हरमन ने मेरा दुपट्टा खींच कर किनारे फेक दिया. मेरा सूट निकाल दिया. मैंने समीज पहन रखी थी. हरमन मेरी जवानी देख के ललचा गया. फिर उसने मेरी समीज निकाल दी. उसको मेरे २ उज्जवल बेहद ठोस मम्मे मिल गये. मेरे सिर्फ चेहरे पर ही रंग लगा था. बाकी का मेरा बहन गोरा और साफ था. मेरी मदमस्त जवानी देख के हरमन की नियत खराब हो गयी. तब तक एक दूसरा दोस्त उस कमरे में आ गया जहाँ हरमन मुझे ले आया था.
‘ऐ हरमन तू गांडू है क्या?? अरे बहनचोद!! नकुल की मस्त मस्त बहनिया को चोदने का तुझे अच्छा मौका मिला है. अबे बहनचोद!! इसकी चूत में गुलाल भर ना’ वो लड़का बोला. ये सुनते ही हरमन का लौड़ा उफान मारने लगा. उसने अपनी रंग से सनी पैंट निकाल दी. फिर चड्ढी निकाल दी. मैं तो भांग के नशे में थी. लगातार हंस रही थी. मैं नही जानती थी की आज पहली बार मेरी चूत में गुलाल भरा जाएगा. फिर मुझे किसी कुतिया की तरह चोदा जाएगा.
‘ऐ नीरज!! आज साथ में अर्पिता की चूत में गुलाल भरते है. फिर साथ में इस कुतिया को पेलते खाते है’ हरमन बोला. उसके कहने पर उस दुसरे लडके ने अपनी रंग से भरी पैंट निकाल दी. कच्छा निकालते ही उसका लौड़ा फनफना गया. मैं हंसती ही रही. हरमन ने मेरी सलवार का नारा सररर की आवाज करते खोल दिया. मेरी सलवार निकाल दी, फिर मेरी पैंटी निकाल दी. कल ही मैंने अपनी चूत की झांटे साफ़ की थी. मस्त मस्त भरी भरी सफ़ेद लाल लाल चूत के दर्शन हरमन और नीरज को हो गये.
‘ले!! अर्पिता! आज तेरी चूत में गुलाल भर दिया मैंने!’ हरमन बोला. उसने अपनी शर्ट की पॉकेट से गुलाल वाली पन्नी खोली. २ बड़ी चुटकी गुलाल लिया और मेरी चूत में नीचे से उपर तक भर दिया. लगा जैसे किसी लड़के ने किसी लडकी की मांग में सिंदूर भर दिया. ‘ये हुई ना बात!!’ नीरज बोला. वो भी अपने मुँह में बिलकुल भालू लग रहा था.
‘ले नीरज!! तू भी नकुल की बहनिया के भोसड़े में गुलाल भर दे’ हरमन ने कहा. नीरज ने पिन्नी से २ बड़ी चुटकी गुलाल लिया और एक बार फिरसे मेरे चूत की फाक में नीचे से उपर अच्छे से भर लिया. मैं बांवरी नासमझ थी. भांग वाले लड्डू के नशे में हसे जा रही थी. मैं नही जान पायी की की मेरी कोमल नादान चूत में २ २ बार गुलाल भरा जा चुका है. और मेरी चूत आज होली के दिन २ २ बड़े बड़े खीरे [लौड़े] के साथ होली खेलने वाली है. ‘भाई बड़ी ही तीखी मिर्ची है. जरा कायदे से पेलना इसको!!’ नीरज बोला.@antarvasnahindi_stories
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2022-12-29 19:06:56 होली में भाई के दोस्तों ने मेरी चूत में गुलाल भरा और घंटों मुझे चोदा@antarvasnahindi_stories
हेलो दोस्तों, मैं अर्पिता आप सभी को अपनी मस्त चुदाई कहानी सुना रही हूँ. आपको अपनी कहानी सुना रहीं हूँ. वो पिछली २०१६ की होली की याद आज भी मेरे दिलो दिमाग में फिट है. मैं सुबह सुबह रसोई में थी और अपने भाई नकुल और उनके दोस्तों के लिए गुझिया सेक रही थी. मैंने सफ़ेद रंग का सलवार सूट पहन रखा था. माँ बाप के मरने के बाद मेरी जिन्दगी में बस नकुल भैया ही थे.
हर साल उनकी दोस्त मण्डली कम से कम २० लडकों की फ़ौज होली में आती थी और मेरे हाथों की बनाई गुझिया, पापड़, समोसे, और अन्य चीज चट कर जाती थी. इसलिए आज के दिन भी मैं नकुल भैया और उनके दोस्तों के लिए तरह तरह के पकवान बना रही थी. मैंने थाली भरके पापड़, गुझिया, समोसे बना लिए थे, पर भैया का हुक्म था की मीठे दही बड़े भी उसकी दोस्त मंडली के लिए बनाये जाए. इसलिए अब मैं मीठे दही बड़े बना रही थी. काम हो भी ना पाया की नकुल भैया के दोस्त आ गये. कम से कम २० लडके होंगे. मैं उनमे से हरमन को पहचानती थी. क्यूंकि वो अक्सर घर आता रहता था. सुबह तडके ६ बजे नकुल भैया अपने दोस्तों के साथ होली खेलने निकल गए थे. अब १० बजे उसकी फ़ौज लौट आई थी. सब के सब मोटर साइकिल से होली खेलने गये थे. नकुल भैया जब लौटे तो दरवाजा पीटने लगे. ‘ऐ!! अर्पिता!! जल्दी दरवाजा खोल!!’ भैया बोले.
मैं झट से दरवाजा खोलने गयी. मैंने अपना सोफे पर पड़ा दुपट्टा ले लिया और अपने सीने पर डाल लिया. क्यूंकि भैया अकेले नही थी. उनके साथ में उनके २० दोस्त थे. मैंने जवान थी. मेरी छातियाँ भी उभर आई थी. बड़ी बड़ी हो गयी थी. इसलिए मैंने जल्दी से झपट के दुपट्टा छाती पर डाल लिया. दरवाजा खोला तो नकुल भैया के मुँह से तेज शराब का भभका आया.
क्या भैया ? मैंने आपसे कहा था ना की शराब ना पीना फिर भी आपने पी ली ??’ मैंने गुस्सा करते हुए कहा
भैया शराब के नशे में हँसे.
‘ऐ छोटी!! देख आज होली है. इसलिए शराब कोई बड़ी बात नही. सब पीते है आज के दिन. जा मेरे दोस्तों के लिए गुझिया और सब चीज जो मैंने तुमको बताया था लेकर आ’ भैया बोले. मुझे थोडा ख़राब लगा क्यूंकि भैया शराब पियें ये मुझे कभी पसंद नही थी. उनके दोस्त सोफे पर आकर बैठ गये. सब के सब नशे में टल्ली थे. सबके मुँह से शराब की तेज बू आ रही थी. मैंने मुँह बनाकर अंदर चली गयी. फिर उनके दस्तों के लिए गुझिया और अन्य सामान ले आई. भैया का सबसे ख़ास दोस्तों हरमन ने मेरा हाथ पकड़ लिया. ‘ऐ अर्पिता!! मेरे साथ होली तो खेल!’ हरमन बोला और उसने मेरे गाल , मत्थे पर ढेर सारा गुलाल लगा दिया. मुझे भी शरारत सूझी. मैं हाथ में डार्क हरा रंग छिपाकर लाई और हरमन के लगा दिया. भैया के बाकी १९ दोस्त कुछ जादा ही पिये हुए थे. २ २ गुझिया खाकर सब के सब फर्श पर शराब के नशे में लुढ़क गये. हरमन और मैं पुरे हाल में दौड़ दौड़ कर एक दूसरे को रंग लगाने लगा.
‘यार! ये अर्पिता तो बड़ी गजब की मॉल है यार. इसकी चूत बड़ी मस्त होगी. देख कितनी गोरी है’ भैया के एक दोस्त बोला. उसके पुरे मुँह में ढेर सारा नीला, हरा रंग लगा था इसलिए मैं उसको पहचान ना पायी. ‘हाँ नकुल की बहन को चोदने लायक हो गयी है. देख देख!! पीठ कितनी बड़ी और विशाल है. मम्मे तो किसी अमरुद से कम नही है’ दूसरा बोला. मैंने उसे बोलते सुना. तबी तक हरमन ने मुझे भांग वाला लड्डू देसी गुड वाला लड्डू बताकर खिला दिया. उसको खाते की मैं हँसने लगी.@antarvasnahindi_stories
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