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साथ ही बाबूजी ने सिगरेट सुलगा दी तो मैंने भी कुछ कश लगा दिए। ए | Antarvasna Hindi Stories

साथ ही बाबूजी ने सिगरेट सुलगा दी तो मैंने भी कुछ कश लगा दिए।
एक के बाद एक मैंने तीन-चार पेग लगाए।
अब मुझे नशा चढ़ने लगा।
बाबूजी ने मुझे कहा- तो अंजू बेबी, कैसा मजा चाहती हो?
दारु ने मुझ पर असर दिखा दिया, एक सुरूर सा चढ़ गया था।
और मेरी शाम की अधूरी प्यास और बढ़ गई।
मैंने जवाब दिया- बाबूजी, मुझे ना एकदम वाइल्ड सेक्स चाहिए। मैंने अबतक ऐसा मजा सिर्फ ब्लू फिल्म में देखा है। और मेरी गांड अभी बिल्कुल अनचुदी है। तो मेरी इच्छा है कि आप ही इसका उद्घाटन समारोह करें।
मैं नशे में बोल पड़ी।
बाबूजी- ठीक है मेरी बिल्लो, आज तुझे भी तेरी मां की तरह चोदूंगा।
मैं- मतलब आपने मॉम को इतनी बेरहमी से चोदा है?
बाबूजी- हां, मगर यहां घर में नहीं, पीछे तबेले में! आज तू भी वही मजा लेना अपनी मां की तरह। लेकिन फिर पीछे मत हटना बेटा … मैं एक बार शुरू हो गया तो फिर न ही रुकता हूं और न ही छोड़ता हूं।
मैंने कहा- अरे मेरे पुलिस वाले बाबूजी, आज मुझे थर्ड डिग्री पनिशमेंट देंगे, तो भी मैं पीछे नहीं हटूंगी। मुकरने का कोई चांस ही नहीं। रण्डी शिल्पा की बेटी हूं। जो जी चाहे वो करो आज, मगर मेरी ये इच्छा पूरी करो प्लीज!
“ठीक है ये दारु लेकर चल तबेले में!”
कह के उन्होंने पीछे की खिड़की की ओर बढ़ने को कहा।
मैं सब सामान लिए उनके पीछे गई।
तबेले में जाने का यही एक रास्ता था।
सामने से जाते तो, दीदी और जीजू को शक हो जाता इसलिए!
हम एक एक करके खिड़की से बाहर तबेले में गए।
जाते ही बाबूजी ने घोड़े की लगाम और एक चाबुक निकाला।
एक बहुत बड़ा तबेला था, जिसमें चिल्ला चिल्ला कर कोई मर भी गया तो किसी को पता न चले।
मैं तो नशे में रोमांचित हो रही थी।
लेकिन डर भी था कि यह पहलवान जिससे मेरी चुदक्कड़ मॉम शिल्पा डरती थी, वो मेरी तो आराम से धज्जियां उड़ा देगा।
बाबूजी ने बहुत दारु पी रखी थी तो उन्हें भी नशा चढ़ा हुआ था।
उन्होंने मुझे पास बुलाया, पहले मेरे होंठों पे एक जबरदस्त किस किया।
हम दोनों ने पी रखी थी तो मुंह से आती खुशबू मुझे और भी ज्यादा हॉर्नी फील करा रही थी।
अब बाबूजी ने मुझे कहा- चल मेरी बिल्लो, शुरू करें तुम्हारा जंगली सेक्स!
मैंने हां में सर हिलाया।
अब बाबूजी ने अपने कपड़े उतार दिए, वो सिर्फ अंडरवियर में आ गए।
और मेरा शर्ट और शॉर्ट उतार कर मुझे भी नंगी कर दिया।
फिर उन्होंने लगाम को मेरे गले में डाल दिया और मुझे कुत्ते की तरह रेंगने को कहा।
मैं भी बिल्कुल किसी कुतिया की माफिक चलने लगी।
और बाबूजी ने चाबुक हाथ में लेकर मुझे हल्के हल्के से मारना शुरू किया।
मैं चिल्लाने लगी।
तबेले में एक कोने में बाबूजी ने जमीन पे ही एक बिस्तर बनाया हुआ था।
अब वो मुझे वहां घसीटते हुए ले गए।
मेरी पीठ और मेरे चूतड़ पे चाबुक की बौछार जारी थी।
मेरा नशा चाबुक की मार से कम होता जा रहा था और अब मुझे दर्द होने लगा था।
मेरी पीठ और गांड पे छिलने के निशान हो रहे थे।
मुझे पूरे बदन में जलन होने लगी।
मुझे बिस्तर पे ले जाके बाबूजी ने मेरे हाथ एक रस्सी से बांध दिए, फिर अपनी अंडरवियर उतार दिया।
अब वो मेरे सामने नंगे खड़े थे।
मैं गले में लगाम, और बंधे हुए हाथों से उनके सामने घुटनों पे बैठी हुई थीं।
उनका मूसल जैसा लन्ड देखकर मेरी तो गांड फट के हाथ में आ गई।
अभी ठीक से वो खड़ा भी नहीं, फिर भी इतना बड़ा!
उन्होंने वहां एक बल्ब जलाया।
अब मुझे साफ साफ दिखाई दे रहा था, बाबूजी का विशाल लन्ड मेरे सामने था।
उन्होंने झांट साफ नहीं किए थे, बड़े झांटों के बीच एक लोहे के रॉड जैसा लन्ड मेरे सामने था।
उन्होंने मुझे चूसने को कहा।
मैं रेंगती हुई अपना मुंह उनके लन्ड के पास ले गई।
मुझ पर दारू का नशा छाया हुआ था।
पहले मैंने उनके लन्ड को सूंघा, उनका गधे जैसा लन्ड और लंबी झांटें, उसकी सुगंध पाकर मैं और भी ज्यादा ही एक्साइटेड होने लगी।
अब उन्होंने मुझे जोर से चाबुक मेरे पीठ पर मारा और बोले- साली रण्डी की बच्ची, चल चूस इसे!
दर्द से बिलबिलाती हुई मैंने उनका लन्ड मुंह में लेकर चूसना चालू किया।
लन्ड इतना बड़ा था कि सिर्फ सुपारा ही मेरे मुंह में जा रहा था।
अब बाबूजी बेरहमी पर उतर आने को थे, वो जबरदस्ती से अपना लौड़ा मेरे मुंह में घुसाने लगे.
उनका आधा लन्ड ही मेरे मुंह में हलक तक जाने लगा।
मुझे दर्द होने लगा।
वो जोर जोर से लन्ड को अंदर बाहर करने लगे।
मेरी आंखों से आंसू टपक रहे थे।
अचानक उन्होंने लन्ड बाहर निकाला और नीचे बिस्तर पर लेट गए।
बाबू जी ने फिर मुझे इशारा किया, मैं अब उनकी गोटियों को चाटने लगी, उनकी झांटों को चूसने लगी।
इसके बाद बाबूजी ने मुझे कहा- साली राण्ड, चल मेरी गांड को चाट!
मैंने बिना कुछ कहे उनकी गांड में अपनी जीभ घुसा दी, बहुत ही गंदी दुर्गन्ध आ रही थी।
पर मैं कुछ नहीं कर सकी।@antarvasnahindi_stories