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कुछ देर बाद वे उठे और मुझे कुतिया बना कर खड़ा किया- अंजू बेबी, | Antarvasna Hindi Stories

कुछ देर बाद वे उठे और मुझे कुतिया बना कर खड़ा किया- अंजू बेबी, आज फटेगी तेरी गांड की सील भी और तेरी गांड भी!
मैंने कहा- तो फाड़ दो ना, मेरे चोदू बाबूजी!
इतना मार खाए हुए भी मैं नशे के कारण जोश में थी।
मुझे पता था कि आगे मेरी गांड के साथ क्या क्या बेरहमी होने वाली है।
मगर अब फटी के ढोल खरीदे थे बजाने तो थे ही!
कुतिया बना कर बाबूजी मेरे ऊपर चढ़ गए और मेरी गांड में एक उंगली डालने लगे।
इससे मुझे अच्छा लगने लगा।
लेकिन अगले ही पल उन्होने अपना लन्ड मेरी गान्ड पर रखा और उसका टोपा अंदर डालने की कोशिश की।
मगर वो गया नहीं!
मैंने तेल लगाने का पूछा तो वो बोले- वाइल्ड सेक्स चाहिए न तुझे?
मैं चुप हो गई।
उन्होंने लौड़ा बाहर निकाला और मेरी गांड में थूकने लगे, थोड़ा सा थूक अपने लन्ड पर लगाकर उन्होंने फिर उसे मेरी गांड में डालना शुरू किया।
अब उनका टोपा अंदर गया और इधर मेरी जान निकल गई।
मैं दर्द के मारे कराह उठी।
वो रुके नहीं।
टोपा अंदर जाते ही उन्होंने एक जोर का धक्का दिया, मैं बेड पर गिर पड़ी।
मुझे तो लगा कि मैं मर हो गई।
मेरे गिरने से लन्ड बाहर निकल गया।
बाबूजी ने मुझे उठाया, मेरे हाथ बंधे हुए थे।
फिर उन्होंने मुझे कुतिया बनाया और इस बार कस कर पकड़ा और फिर एक बार लन्ड को मेरी गांड में घुसा दिया।
इस बार आधे के करीब लन्ड अन्दर चला गया।
मैं अपनी सुध खो चुकी थी।
एक और धक्का लगा और मेरी गांड की नसें फट गई, शायद खून निकल आया।
मगर मैं देखने या उन्हें रोकने के लायक नहीं थी। मैं आगे तकिए पर सर रखे चिल्लाती रही।
एक पल रुकने के बाद बाबूजी ने एक और शॉट दे मारा।
अब मेरी गांड की पूरी तरह से धज्जियां उड़ गई।
उनके टट्टे नीचे मेरी चूत से टकरा गए, मतलब उनका पूरा लौड़ा मेरी गांड में समा गया।
मेरी आंखों के सामने अंधेरा छा गया।
इस धक्के से मेरा तो मूत निकल गया।
मेरे मुंह सिर्फ गूं … गूं … गूं … आवाजें निकलने लगी।
बाबूजी जरा रुके, मेरे चूतड़ सहलाने लगे।
मैं थोड़ा सा नॉर्मल होने लगी।
देखते ही उन्होंने लन्ड को आगे – पीछे करना शुरू किया।
Xxx अंकल वाइल्ड सेक्स से मैं रो रही थी।
मेरे हाथ बंधे थे, चिल्ला रही थी मगर मेरी कुछ भी परवाह बाबूजी को नहीं थी।
वो दनादन चोदने लगे।
उनके हर धक्के पर मेरे मुंह से आह निकल जाती और आंखों से आंसू!
जिद तो मेरी ही थी, पीछे हटना भी नहीं था।
और यह Xxx अंकल छोड़ने वाला भी था नहीं।
बाबूजी ने मेरी गांड़ फाड़ चुदाई जारी रखी।
साथ ही मेरे चूतड़ों पर जोर जोर से थप्पड़ बरसा रहे थे।
मैं तो जंगल में किसी भूखे शेर के सामने एक मरी हुई हिरनी सी पड़ी थी।
करीब आधे घण्टे भर तक मेरी गांड फाड़ने के बाद बाबूजी ने अचानक अपनी स्पीड दोगुनी कर दी।
जल्द ही वो मेरी फटी हुई गांड में अपने लन्ड का रस छोड़ने लगे।
पूरा वीर्य मेरी गांड में निकाल कर हांफते हुए वो मेरे बाजू में लेट गए।
मैं धड़ाम से नीचे गिर गई।
मेरी जबान से एक ही शब्द निकला ‘पानी!’
पहले उन्होंने मेरे हाथ खोले, फिर पानी लाकर मेरे मुंह पर छिड़का, मुझे बिठाया और पानी का ग्लास मेरे मुंह से लगाया।
पानी पीने से मेरी जान में जान आई।
फिर मैं सीधी होकर पीठ के बल लेट गई।
इतना दर्दनाक मंजर था कि मैं लेटे लेटे मूत रही थी।
अब बाबूजी ने खाने का पैकेट निकाला और मुझे वेफर्स देने लगे।
मगर मैं खा न सकी।
तो उन्होंने एक ग्लास में दारु डाली, उसमें मूतने लगे और वो ग्लास मुझे थमा दी।
मेरे मना करने पर उन्होंने एक जोर का थप्पड़ मेरे मुंह पर लगाया।
डर के मारे मैंने उनका मूत से मिलाया हुआ शराब का ग्लास एक ही बार में खत्म किया।
मेरे बदन में कुछ भी जान नहीं बची थी।
अब उन्होंने फोन मिलाया और किसी से बात की।
कुछ देर बाद वहां एक औरत आई, उसने मुझे वहां से उठाया और कपड़े पहनाकर बाबूजी के कमरे में ले गई।
पीछे पीछे बाबूजी भी आए।
कमरे में जाते ही वो मुझे सीधा बाथरूम ले गई, गर्म पानी से मुझे नहलाया।
मैं बिल्कुल हाथ भी हिला नहीं पाई।
अब वो औरत मेरी गांड को गर्म पानी में कपड़ा भिगाकर सेंकने लगी।
मुझे अच्छा लगा।
मेरा बदन पौंछ कर वो बाहर ले आई।
तब तक बाबूजी मेरे कमरे से मेरे कपड़े लाए।
उसी ने मुझे शॉर्ट और टॉप पहनाया।
अब उसने मुझे एक गोली दी और मुझे मेरे कमरे में छोड़ दिया।
कमरे में आते ही बाबूजी भी आ गये और उन्होंने मुझे केले और सेब खाने दिए।@antarvasnahindi_stories