बहन के ससुराल में रंगरलियां- 2@antarvasnahindi_storiesकहानी के | Antarvasna Hindi Stories
बहन के ससुराल में रंगरलियां- 2@antarvasnahindi_storiesकहानी के पहले भाग
जीजू को अपनी चूत का मजा दिया
में आपने पढ़ा कि मुझे चुदाई का बहुत शौक है, मैं सेक्स मेनीयक हूँ. मैं अपने लिए कोई नया लंड ढूँढ रही थी तो मेरी नजर मेरे जीजू पर टिक गयी. मैंने अपने लटके झटके दिखाकर जीजू के गोदाम में उनसे चुद गयी.
इस क्विक सेक्स से मेरा आधा मन ही भरा था। मुझे तो जोरदार चूदाई की जरूरत थी पर समय की कमी से मुझे आधे मन ही घर जाना पड़ा।
अब आगे Xxx अंकल वाइल्ड सेक्स कहानी :
उसके बाद मैं दीदी जीजू के घर आ गयी.
घर जाते ही दीदी ने मुझे गले लगाया।
अब रात के 9 बजे चुके थे।
मैंने फ्रेश होकर नाइट ड्रेस, जिसमें एक पतला सा टीशर्ट और शॉर्ट पहन ली और सबके साथ खाना खाने बैठ गई।
दीदी, जीजू के अलावा वहां पर दीदी के ससुर जी भी थे.
सब उन्हें बाबूजी कहते थे।
मैंने उन्हें नमस्ते की।
तो उन्होंने आशीर्वाद देते हुए मेरे पीठ पर हाथ फेरा।
जो मुझे अजीब महसूस हुआ।
मेरी और उनकी आँखें मिली तो मुझे साफ साफ दिखाई दिया, वो मुझे ऊपर से नीचे घूर रहे थे।
वे दीदी को बोलने लगे- बहू, अंजू तो बहुत बड़ी हो गई।
आपको बता दूँ कि बाबूजी रिटायर्ड पुलिस वाले हैं।
साठ की उम्र में भी हट्टे कट्टे, 6 फीट की हाइट, आज भी एकदम फिट एंड फाइन।
और उनकी सबसे बड़ी राज की बात- एक नंबर के ठरकी आदमी।
दारु, जुआ और सबसे बड़ी लत औरत की।
और इससे आगे का राज – मेरी मॉम का एक और चोदू यार!
ना जाने कितनी बार उन्होंने मॉम की ली हुई है।
मॉम ने बताया था कि बाबूजी इस उमर में भी एक घोड़े जैसी ताकत रखते हैं। उनका लौड़ा बहुत बड़ा और मोटा है। साथ ही में वे बहुत समय तक टिकते हैं।
और तो और … पोर्न फिल्मों की तरह अलग अलग आसनों के शौकीन हैं।
मॉम बताती कि वे एक ही साथ में दो-चार औरतों की गांड फाड़ चूदाई करने का माद्दा रखते हैं।
मेरे मन में अभी तक तो उनके लिए कुछ अलग भाव नहीं था।
मगर उनके इस तरह के छूने और उनकी बातों से मेरे मन में एक हलचल मच गई।
खैर हमने खाना खाया और हॉल में ही बैठ के मैंने दीदी से बातें की।
रात बहुत हो चुकी थीं तो हम सोने चले।
आप तो जानते हैं कि मेरे जिस्म की अगन ठीक से बुझी नहीं थी।
गोदाम में जीजू ने एकदम जल्दबाजी में सब कुछ किया था।
मेरा तो मन तभी भरता है जब मैं कोई मर्द मुझे अच्छी तरह से निचोड़े।
तो मैंने अपने रूम में जाते ही मोबाइल पर ब्लू फिल्म चलाई और शॉर्ट को नीचे सरका दिया.
पैंटी तो थी ही नहीं!
मैं मस्ती से अपनी कमसिन चूत में उंगली करने लगी। मैं सोच रही थी कि जीजू तो दीदी की ले रहे होंगे।
अब मैं क्या करूं?
तभी मेरे दिमाग में आया कि क्यों ना देखा जाए मॉम का चोदू आशिक क्या कर रहा है।
मैं कमरे से बाहर आई, बाबूजी का कमरा मेरे कमरे से सट कर ही था। मैं उनके कमरे की तरफ बढ़ गई।
कमरे का दरवाजा बंद था मगर लॉक नहीं था।
मैंने उसे हल्का सा धकेला और अंदर झांका तो बाबूजी टेबल पर दारू की बोतल लेकर पेग मारने में मस्त थे।
हम मां बेटी की एक ही कमजोरी थी ‘चूत की प्यास।’
उसे मिटाने के इरादे से मैंने हिम्मत करके अंदर जाने की सोची।
मैं जानती थी कि बाबूजी इस फल को खाने को तैयार होंगे ही!
और तो और … मैं बेटी भी उसकी थी, बाबूजी जिसको अनगिनत बार अपने लन्ड का पानी पिला चुके हैं।
मैं दबे पांव रूम में गई और जाते ही दरवाजा बंद किया।
दरवाजे की आवाज सुन के बाबूजी ने मेरी तरफ देखा।
मैंने अंदर जाते ही कहा- वो बाबूजी, मुझे प्यास लगी थी और मेरी कमरे में पानी नहीं था तो मैं यहां आ गई।
बाबूजी ने कहा- कोई बात नहीं। यहां तुम्हारी पूरी प्यास मिटेगी।
और हंसने लगे।
मैंने पानी के मग में से ग्लास भर लिया और पीने लगी।
बाबूजी बोले- पीती हैं ना तू?
मैंने कहा- जी नहीं … वो …
बाबूजी- नाटक मत कर बिल्लो, मुझे सब पता है तुम मां बेटी के बारे में! तेरी मां ने सब कुछ बताया है मुझे! हम रोज बाते करते हैं। तू बिल्कुल अपनी मां पर गई है।
मैंने मन में सोचा ‘वाह! रात का क्या जुगाड़ हुआ!’ बिल्लो … ये नया नाम दिया था बाबूजी ने!
मेरे चेहरे पर मुस्कान देख कर बाबूजी ने मेरा पेग बनाया और आगे बढ़ाया।
मैं बेशर्म तो थी ही, मैं चेयर लेकर बैठ गई और पेग लगाने लगी।
साथ ही बाबूजी ने सिगरेट सुलगा दी तो मैंने भी कुछ कश लगा दिए।@antarvasnahindi_stories