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बहन के ससुराल में रंगरलियां- 1@antarvasnahindi_storiesमैं मेरी | Antarvasna Hindi Stories

बहन के ससुराल में रंगरलियां- 1@antarvasnahindi_storiesमैं मेरी सेक्स एक्सप्रेस की शृंखला लिखने जा रही हूं जिसमें मैं मेरी बेहतरीन किस्से आप के साथ साझा करना चाहती हूं। आज आप के सामने ऐसी ही एक चटपटी और मादक Xxx जीजा साली सेक्स कहानी लेकर हाजिर हूं।
मेरी बड़ी दीदी की शादी चुकी थी। वे मेहसाना में एक रसूखदार फैमिली में ब्याही थी।
जीजू का इलेक्ट्रॉनिक्स का शोरूम था।
दीदी एकदम शांत स्वभाव वाली थी और जीजू भी बिल्कुल वैसे ही!
अक्सर जब भी मैं उनसे मिलती या फोन पर बात होती, तो मैं उन्हें छेड़ती मगर वो एकदम सीधे शरीफ आदमी … ज्यादा कुछ नहीं कहते।
आपको तो पता है ही कि मेरी जवानी और मेरी मुनिया यानि मेरी चूत रानी तो हर दम उछलकूद करती रहती।
अब मेरे दिल ने ठान लिया मेरी चूत का अगला शिकार क्यों न जीजू को बनाया जाए!
वैसे जीजू भी थे हैंडसम।
30 के कुछ एक आगे की उमर, गोरे रंग वाले और थोड़ा सा पेट निकला हुआ।
मगर दिखने में ठीक ठाक।
आज तक उनके मन में मेरे लिए क्या था वो तो पता नहीं चला, मगर आप जानते ही हैं कि अगर औरत अपने असली रंग में आ गई तो बड़े बड़े तुर्रम खां भी उसके हुस्न के आगे लेट जाते हैं।
तो मैंने प्लान बनाया।
मैं अब जीजू से फोन पर डबल मीनिंग बात करने लगी और सेक्सी चैट भी।
जैसा मैंने कहा कि मर्द कितना भी नजरंदाज करें लेकिन औरत उसे अपने जाल में फंसाकर ही लेती है।
जीजू भी अब थोड़ा सा खुलने लगे।
उनका पॉजिटिव रिस्पॉन्स मिला तो मेरी हिम्मत और स्पीड दोगुनी हुई।
हर बार मैं उन्हें सेक्सी बाते करके उकसाती और वो भी अब मुझमें रुचि रखने लगे।
जी हां अब मैं एक चांस की तलाश में जुटी हुई थी।
और मेरा नसीब जल्द ही मुझ पर मेहरबान हुआ।
मेरी एक कॉम्पिटेटिव एग्जाम थी, तो मैंने उसका परीक्षा केंद्र मेहसाना में ले लिया ताकि मैं दीदी के घर भी जा सकूं और लगे हाथों अपने नए शिकार जीजू से अपनी मुनिया की प्यास मिटा सकूं।
तो मैं एग्जाम के एक दिन पहले ही मेहसाना पहुंच गई।
मैं ट्रेन से गई थी तो पहुंचने पर मैंने जीजू को कॉल किया।
शाम के छह बजे थे।
जीजू स्टेशन पर मुझे लेने आए।
स्टेशन से घर बहुत दूर था और छह सात घंटे के यात्रा से मैं थक गई थी और भूख भी लगी हुई थी।
हम दोनों गाड़ी में बैठकर निकल पड़े।
तो मैंने जीजू से कहा- जीजू, मैं बहुत थक गई हूं. और मुझे इतनी भूख लगी है कि आपको खा जाने का मन कर रहा है। मुझे फ्रेश होकर नाश्ता चाहिए कुछ! घर जाने में तो ट्रैफिक में वक्त बहुत लगेगा।
जीजू ने मेरे हाथ पर हाथ फेरते हुए कहा- कोई बात नहीं, हम अपने शोरूम पर जाते हैं, वहां तू फ्रेश भी हो जा और मैं नाश्ते का इंतजाम कर देता हूं. और भी कुछ चाहिए मेरी प्यारी साली को तो बता देना।
मैंने कहा- हां, मैं इतनी बोर हुई हूं, तो मेरा मूड भी ठीक करवा दो।
“तो फिर मैं जो कहूंगा वो करना पड़ेगा मेरी लाडली अंजु!” जीजू ने कह दिया।
“जो हुक्म मेरे आका!” मैंने जवाब दिया।
हम दोनों को पता था कि अब आगे क्या होने वाला है।
तो हम अभी से मस्ती के मूड में थे।
शोरूम स्टेशन से केवल दस मिनट की दूरी पर था।
तो बातें करते हुए हम वहां पहुंचे।
आलीशान शोरूम था और पीछे की और गोदाम।
जीजू ने गाड़ी सीधा गोदाम की ओर ले ली।
गोदाम में बाथरूम और बाकी सब सामान था।
गोदाम में सब जगह बड़े बड़े बक्से थे, जिनमें टीवी, फ्रिज, वाशिंग मशीन ये सब था।
हम अंदर गए, जीजू ने दरवाजा बंद किया और मुझे बाथरूम की ओर ले गए।
मैंने जीन्स और टॉप पहना हुआ था जिसमें मेरे मम्मे मस्त तने हुए थे और गांड जींस के बाहर आने को आमादा थी।
आते ही मैं बाथरूम में घुस गई।
मैंने अंदर जाते ही टॉप और जीन्स निकाला, अब मैं सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी।
और मैंने उसे भी उतार दिया और पूरी तरह से नंगी हो गई।
अब मैंने शावर चालू किया और मस्ती से नहाने लगी।
मैं इतनी लंडखोर हूं तो ज्यादा देर तक चुप नहीं रह सकती।
जीजू बाहर थे तो मैंने नहाने के बाद सिर्फ एक टॉवल लपेटा और भीगे बालों के साथ ही दरवाजा खोला।
मैंने जीजू को आवाज लगाई- जीजाजी, मेरे बैग में से मुझे नए कपड़े दे दीजिए।
जीजू बाथरूम की ओर आए और मुझे इस तरह टॉवल में देख उनके मुंह में तो पानी आ गया।
मैंने कहा- जीजू, मुंह में से लार टपकाना बंद करो, मुझे कपड़े चाहियें।
“अंजु तू और भी ज्यादा खूबसूरत और गदरा गई है … तो लार तो टपकेगी ना!”
“तो अब कपड़े भी देंगे या ऐसे ही रखोगे?” मैंने कहा।
जीजू फट से बोल पड़े- तू बहुत बोर हुई है ना, मूड ठीक करवाना है ना?
मैंने कुछ कहा नहीं, सिर्फ नीचे देखकर कातिलाना अंदाज से मुस्कुरा दी।
इसे जीजू ने मूक सम्मति समझा और मेरा हाथ पकड़ कर मुझे बाहर निकाला।
मैंने कहा- अरे मेरे प्यारे जीजाजी, सब्र करो, मीठा फल मिलेगा आपको!
“फल मेरे सामने है, अब सब्र नहीं होता!” जीजू ने जवाब दिया।
कहते हुए जीजू ने मुझे बाहों में भर लिया।