2022-12-29 18:59:52
कुछ देर बाद जब वो बाहर निकली तो क्या कमाल की आइटम लग रही थी.
हम दोनों घर से निकल आए.
जब मैं उसे साथ लेकर जा रहा था तो सब पीहू को ही घूर कर देख रहे थे.
पीहू ने जींस और टॉप पहना हुआ था.
उसकी भरी हुई चूचियां उसके टॉप से बाहर आने को मचल रही थीं.
हम दोनों ने एक एक करके सभी मैरिज प्लेस में जाकर बात की. सभी पहले से ही बुक हो चुके थे, कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या किया जाए.
पीहू भी कुछ परेशान दिख रही थी.
फिर हम लोग एक और जगह के लिए निकल पड़े.
वो 15 किलोमीटर की दूरी पर नया रायपुर में था.
उधर सुनसान रोड पर सन्नाटा पसरा था.
अचानक से पीहू ने मुझसे जिप्सी रोकने को कहा.
मैंने वहीं साइड में गाड़ी को रोक दिया.
पीहू इधर उधर देखने लगी.
मेरे पूछने पर वो शर्माती हुई बोली- मुझे बहुत जोरों से बाथरूम लगी है.
मैंने कहा- बस 5 मिनट में हम वहां पहुंच जाएंगे, वहीं कर लेना.
मगर वो नहीं मानी और वहीं कुछ दूर जाकर पेशाब करने के लिए अपनी जींस नीचे खिसकाने लगी.
वो बहुत मुश्किल से अपनी टाइट जींस के बटन खोल पाई और वहीं मेरी तरफ पीठ करके मूतने बैठ गई.
जब वो बैठ रही थी तो उसकी चिकनी गांड और चूत देख कर मेरा भी लंड अपनी औकात में आने लगा.
मैं बस अपने लंड को दबाते हुए उसे समझाने लगा.
फिर जब वो उठ कर आने लगी, तो मैं उसी की तरफ देख रहा.
वो मुझे देखते ही शर्म से लाल हो गई.
फिर हम लोग उस मैरिज प्लेस में गए.
वहां अभी काम चल रहा था तो उन लोगों ने भी हमें मना कर दिया.
अब हम लोग निराश होकर वापस घर पहुंचे.
तब तक शाम हो गई थी.
मैंने सारी बात आंटी को बताई तो वो भी परेशान दिख रही थीं.
जब मैं घर आया तो मेरे पापा किसी से फोन पर बात कर रहे थे.
मैं अपने कमरे में चला गया.
तभी मम्मी ने मुझे बुलाया. मैं गया तो पापा से बातचीत हुई.
पापा ने मुझसे कहा कि रायपुर से 10 किलोमीटर की दूरी पर कुछ फार्म हाउस बिक रहे हैं, क्यों ना गांव की कुछ जमीन बेच कर एक फार्म खरीद लिया जाए. मैंने फार्म लेने की बातचीत तो लगभग तय कर रखी है, बस एक बार तुम और देख लो.
मैंने कुछ सोचा और हां कर दिया.@antarvasnahindi_stories
पापा ने कहा- तुम इतने परेशान क्यों लग रहे हो?
मैंने बताया कि राहुल की बहन की शादी है और मैरिज प्लेस नहीं मिल रहा है सभी जगह पहले से बुक हैं.
पापा ने एकदम से कहा- अरे तो फार्म देख लेते हैं, उधर किसी भी डेकोरेटर से बात करके शादी के लिए रेडी करवा लेते हैं. जगह का तो कुछ लगेगा नहीं, बस डेकोरेशन का खर्चा आएगा और वो भी मैरिज प्लेस से कम खर्च में पड़ेगा.
ये सुनकर मुझे बड़ा अच्छा लगा और मैं पापा के साथ उस जगह को देखने को राजी हो गया.
सुबह हम सब लोग जगह देखने चले गए सभी को वो फार्म बहुत पसंद आया तो हम उसे खरीदने के लिए तैयार हो गए.
नेशनल हाइवे में होने के कारण रेट कुछ ज्यादा था, फिर भी हमने खरीद लिया.
उधर बाजू में एक बीस कमरों वाला घर भी बना था, जिसमें थोड़ी साफ़ सफाई की जरूरत थी. बाकी सोफे बेड आदि सब डेकोरेशन वाला लगा देता.
अब मैं शादी की जगह को लेकर चिंता मुक्त था.
जब इस टेंशन से मुक्ति मिली तो वापस पीहू की गदरायी जवानी सामने छाने लगी.
शाम को पीहू ने मुझे फोन किया और बोलने लगी- कल घर क्यों नहीं आए, अभी बहुत काम बाकी हैं.
मैंने भी मजा लेते हुए कहा- हां, अभी तो बहुत कुछ करना बाकी है, अभी तो कुछ किया ही नहीं है.
वो मेरी बात को समझ नहीं पाई और पूछने लगी- हां तो बताओ कि कल सुबह कितने बजे आओगे?
मैंने बोल दिया- एक दिन के लिए जरूरी काम से बाहर जा रहा हूँ. एक दिन बाद आऊंगा.
वो बोली- ऐसा लगता है कि तुमको शादी के इंतजाम की कोई चिंता ही नहीं है.
मैंने कहा- तुम ज्यादा परेशान मत रहो … सब हो जाएगा. मुझ पर भरोसा करना सीखो.@antarvasnahindi_stories
उसके बाद मैंने एक डेकोरेशन वाले से बात की.
चूंकि वो सब मेरे कार्यक्षेत्र का मामला था तो मुझे सारा इंतजाम करने में ज्यादा समय नहीं लगा.
एक दिन बाद जब मैं सब काम सैट करके राहुल के घर गया, तो उधर आंटी परेशान बैठी थीं और मेरा इन्तजार कर रही थीं.
आंटी ने कहा- अब सब कैसे होगा, मेरी तो कुछ समझ में ही नहीं आ रहा है.
मैंने पीहू को देख कर मुस्कुराते हुए कहा- मैंने जिस काम को करने का मन बना लिया, तो समझो मैं उसे पूरा करके ही रहता हूँ.
मैंने आंटी से सारी बात बताई और मैरिज प्लेस की टेंशन न करने का कहा.
फार्म की बात सुनकर सब लोग बड़े खुश हुए.
पीहू ने कहा- मुझे वो जगह देखनी है.
मैंने उससे कहा- हां तुम्हें ही उधर रहकर सारा इंतजाम करवाना होगा. जब तक मैं बाकी के भाग दौड़ के काम निपटा लूंगा.
वो राजी हो गई और उधर फ़ार्म हाउस में रहने के लिए उसने अपना मन बना लिया.
फिर मैंने खरीदारी की सारी लिस्ट बनवा ली और मैंने पीहू के साथ मिलकर पूरा काम निपटा लिया.
इस बीच मेरी और पीहू के बीच कुछ अंतरंगता गहरा गई.
उसकी हरकतों से साफ़ समझ आने लगा कि बंदी मेरे लौड़े के नीचे आने को मचल रही है.
वो जब भी मौका मिलत
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