2021-04-22 22:45:06
तो मुझे पता चल गया कि दीदी मुझे उत्तेजित करने के लिए ऐसा करती है।
पर मुझे इस बात पर पक्का यक़ीन नहीं था। मैं सोच रहा था कि कैसे मैं इस बात को सिद्ध करूँ।
मैं उस समय बहुत उत्तेजित और पागल सा हो गया था। तो मैं बिना सोचे समझे उठा और अपने लण्ड को अपने अंडरवियर में समायोजित किया और दीदी के कमरे में चला गया। दीदी वहाँ बैठ कर अपना फ़ोन चला रही थी।
मैं जा के दीदी के आगे खड़ा हो गया और दीदी से कहा- दीदी! क्या तुम मेरे साथ सम्भोग करने के लिए ये सब मेरे साथ कर रही थी?
दीदी- क्या तुम भी मेरे साथ सम्भोग करने के लिए ये सब नहीं कर रहे थे?
मैंने हिम्मत कर के कहा- हाँ। पर मुझे पता नहीं था कि तुम भी यही चाहती हो। इसलिए मैं ऐसा कर रहा था। पर तुम्हें तो पता था ना … तो तुमने पहले ही ऐसा क्यूँ नहीं कह दिया?
दीदी- मैं चाहती थी कि तुम खुद मुझे इसके लिए पूछो। इसलिए मैंने ये सब तुम्हारे साथ किया।
ये सुन कर मैं खुश हो गया तो मैंने कहा- तो दीदी! अब तो मैंने इतनी हिम्मत करके आपको सब कुछ कह ही दिया है, तो क्या अब तुम मेरे साथ सेक्स करोगी?
दीदी- हाँ। पर अभी नहीं। कुछ देर में मम्मी पापा आ जायेंगे। थोड़ा सोच कर प्लान बनाते हैं।
मैं- हाँ दीदी, आप ठीक कह रही हैं। तब तक आप मुझे ये बताओ कि आप आज तक कितनी बार चुद चुकी हैं?
दीदी- पूरा याद नहीं पर लगभग 150-200 बार।
ये सुन कर मैं हैरान रह गया।
मैंने दीदी से मजे लेने के लिए ऐसे ही पूछ लिया- अच्छा दीदी! क्या तुमने कभी ग्रुप सेक्स किया है?”
दीदी- हाँ। किया तो बहुत बार पर एक बार जब कॉलेज की ट्रिप में मैं 7 लड़कों के साथ चुदी थी। उस दिन तो मर ही गयी थी।
यह सुन कर मुझे तो चक्कर ही आने लग गया।
मैं- दीदी। तब तो आपकी चूत का भोसड़ा ही बन गया होगा?
दीदी- हाँ! बन तो गया था पर यहाँ आये मुझे एक साल हो गया है। तब से मैं किसी से चुदी नहीं हूँ। अब तक तो मेरी चूत फिर से नई जैसी होने लगी है।
मैं- तो दीदी! आपने खुद को शांत करने के लिए फिंगरिंग क्यूँ नहीं की?
दीदी- उसमें मुझे मज़ा नहीं आता है। मैं सिर्फ लण्ड ही अपनी चूत में लेना जानती हूँ।
मैं- दीदी! आपको ये सब करते समय बदनामी का डर नहीं लगता? अब तो आप अपने भाई से भी चुदवाओगी। मेरे साथ तो आपका भाई का रिश्ता है। तो आपको इसमें अजीब नहीं लगता?
दीदी- देख निखिल! ये सब रिश्ते इंसानों ने बनाये हैं और चुदाई तो शरीर की एक जरूरत है जिसको कभी न कभी पूरा करना ही पड़ता है। तुम भी तो अपने शरीर की जरूरत को पूरा करने के लिए मेरे पास आये हो। मुझे तो इसमें कुछ गलत नहीं लगता। पर मम्मी पापा को ये सब अच्छा नहीं लगेगा इसलिए ये सब हम उनके सामने नहीं कर सकते।
दीदी की बातें सुनकर मैं बहुत प्रसन्न हो गया और मुझे भी दीदी की बातों का गहरा असर पड़ा।
तभी घर की घण्टी बजी और दीदी वहाँ से दरवाजा खोलने चली गयी।
दरवाजे पर मम्मी पापा थे।
मैं तो आज बहुत खुश था कि इतनी सालों का सपना आज पूरा होने वाला है। पूरी रात मुझे दीदी के बारे में सोच सोच कर नींद नहीं आयी। सारी रात 3-4 बार दीदी के नाम की मुठ मारी।
अगले दिन हम सब घर से चले जाते हैं। मैं और दीदी 5 बजे घर आ जाते हैं और मम्मी पापा 6 बजे। उस दिन जब हम दोनों घर आये तो हमने प्लान बनाया कि कैसे हम दोनों समय निकालें चुदाई के लिए।
मैंने तो कहा- दीदी रात को मैं आपके रूम में आ जाऊँगा और कर लेंगे।
पर दीदी ने कहा- पापा की नींद बहुत कच्ची है। जरा सी आवाज़ से पापा को पता लग सकता है।
तो आखिर में मैंने एक प्लान बनाया और दीदी को बताया।
प्लान यह था कि हमारी कॉलोनी के बाहर रोज़ एक स्कूल बस पेड़ों के पीछे पार्क की जाती है। वह स्थान ऐसा है कि यहाँ वो बस खड़ी होती है तो कोई एक झलक में बता नही सकता कि यहाँ कोई बस खड़ी है। उस बस का बायां वाला दरवाजा बंद नहीं होता है।
मैंने बोला कि वैसे भी हम दोनों अपने अपने दोस्तों के घर कभी कभी रात को पढ़ाई के लिए जाते ही हैं। तो आज रात हम दोनों ऐसा बोल के जायेंगे कि हम अपने अपने दोस्तों के घर पढाई के लिए जा रहे हैं और थोड़ी देर कहीं घूम के आ जायेंगे और भरी रात में चुपके से आ के बस के अंदर सेक्स कर लेंगे।
तो दीदी को ये प्लान ठीक लगा।
रात को 9 बजे हम ऐसा बोल के चले गए। ऑटो पकड़ के सीधे एक रेस्टोरेंट में चले गए। वहां हमने खाना खाया और जानबूझ के थोड़ा ज्यादा समय यहाँ लगाया। रास्ते में एक दुकान से गर्भ निरोधक गोलियां भी दीदी के लिए ले ली और उसके बाद वापिस आ गए।
इस सारे चक्कर में 12 बज गए।
तो हम चुपके से उस बस में चले गए। पहले दीदी ने झट से वो दवाई खा ली।
दीदी ने कहा- आखिरकार आज कितने समय बाद मेरी चूत की प्यास बुझेगी।
तो मैंने भी कहा- हाँ, मेरा भी अपनी बहन और कॉलेज की सबसे खूबसूरत लड़की और कई लोगों के द्वारा चुद चुकी रंडी को चोदने का मौका मिल ही गया।
ये सुन कर हम दोनों हंसने लगे।
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