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ℍ𝕚𝕟𝕕𝕚 & 𝔼𝕟𝕘𝕝𝕚𝕤𝕙 𝕊𝕖𝕩 𝕊𝕥𝕠𝕣𝕪

टेलीग्राम चैनल का लोगो hindi_chudai_kahani — ℍ𝕚𝕟𝕕𝕚 & 𝔼𝕟𝕘𝕝𝕚𝕤𝕙 𝕊𝕖𝕩 𝕊𝕥𝕠𝕣𝕪
चैनल का पता: @hindi_chudai_kahani
श्रेणियाँ: वयस्क सामग्री (18+)
भाषा: हिंदी
ग्राहकों: 5.46K
चैनल से विवरण

𝑾𝒆𝒍𝒄𝒐𝒎 𝑻𝒐 𝑺𝒆𝒙 𝑺𝒕𝒐𝒓𝒚 𝑪𝒉𝒂𝒏𝒏𝒆𝒍 𝑾𝒉𝒆𝒓𝒆 𝒚𝒐𝒖 𝒄𝒂𝒏 𝑹𝒆𝒂𝒅 𝒂𝒘𝒆𝒔𝒐𝒎𝒆 𝒔𝒆𝒙 𝒔𝒕𝒐𝒓𝒚 𝑰𝒏 𝑯𝒊𝒏𝒅𝒊 & 𝑬𝒏𝒈𝒍𝒊𝒔𝒉
𝑷𝒍𝒛 𝑺𝒉𝒂𝒓𝒆 & 𝑺𝒖𝒑𝒑𝒐𝒓𝒕 𝑼𝒔

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नवीनतम संदेश 24

2021-04-23 22:14:26 मेरे पड़ोस की एक महिला मुझे बेटा कह कर चूमा चाटी करती थी मेरे साथ. उस मुंहबोली माँ की चूत को मैंने कैसे चोदा? पढ़ें इस चुदाई कहानी में और मजा लें.

दोस्तो, मेरा नाम स्काई(बदला हुआ) है। मैं अभी वडोदरा (गुजरात) शहर का रहने वाला हूँ।

अभी मेरी उम्र 28 साल है और मेरे लंड का साइज 6.5″ लंबा और 3″ गोलाई (नापा हुआ) का है। देसी अखाड़े (जिम) में जाता हूँ तो शरीर भी अच्छा है। ऊपर से जवानी का उबलता खून।

ये बात तब की है जब में 19 साल का था। उस वक़्त गर्मियों की छुट्टी चल रही थी.

हमारे पड़ोस में एक फैमिली रहती है जिनके घर उनकी बेटी आती जाती रहती है क्योंकि वो इसी शहर में रहती थी। उनकी बेटी का नाम सोनल है जो कि मेरी कहानी का मुख्य किरदार है। सोनल की उम्र लगभग 45 के करीब की थी।

मैंने मेरी कहानी का नाम ऐसा क्यों दिया, ये आपको मेरी आगे की कहानी में पता चल जाएगा।

तो ये कहानी तब की है जब मेरी 12वीं परीक्षा खत्म हुई थी और वेकेशन का समय चल रहा था। सोनल भी अपने मायके आयी हुई थी छुट्टियां मनाने।
उस वक्त वो मेरे फैमिली के परिचय में ज्यादा थी पर मेरे परिचय में कम थी क्योंकि मैं अक्सर स्कूल क्लास और अखाड़े में कसरत और खेल के लिए ज्यादा वक़्त निकालता था।

गर्मियों में छुट्टी होने की वजह से सिर्फ शाम का वक्त ही घर से बाहर जाना होता था। तो इस चककर में वो हमारे घर आती तो उनसे बातचीत थोड़ी ज्यादा बढ़ गयी और मैं भी मेरी फैमिली की तरह उनसे ज्यादा घुलमिल गया।
उनको 2 बेटियां थी पर कोई बेटा नहीं था तो उन्होंने बोला- आज से तू मेरा बेटा है।

तो हुआ यूँ कि गर्मियों चलते हम छत पर सोने जाते थे और वो भी आती थी। छुट्टियां होने की वजह से मैं 8 बजे आराम से उठता था। और तब वो अपना बिस्तर समेटने के लिए आती और साथ में मुझे भी आवाज देकर उठाती जो मुझे भी अच्छा लगता।

कुछ दिनों तक ऐसे ही चलता रहा।

फिर एक दिन अचानक उन्होंने मुझे गाल पर किस करके उठाया तो मुझे थोड़ा अजीब लगा पर अच्छा लगा। क्योंकि पहली बार कोई लड़की कहो या कहो औरत, मुझे किस किया था। फिर उनका ये सिलसिला कुछ दिन और चला और चलते चलते गाल का चुम्बन होंठों पर आ गया।
पर फिर भी मैंने अपनी तरफ से कोई पहल नहीं की क्योंकि उस वक्त इस बारे में मुझे ज्यादा जानकारी नहीं थी।

फिर दिन चलते एक्स्ट्रा एक्टिविटी के लिए में एक जगह पार्ट टाइम काम करने लगा। तो अकसर उनके घर के पास से गुजरता तो उनके घर पर भी जाता क्योंकि शेर के मुंह खून जो लग गया था। मैं अक्सर काम के लिये समय से 1 घंटा पहले निकलता था और उनके घर जा कर यहाँ वहाँ की बात करता था।

फिर एक दिन हुआ यों कि सुबह का वक्त था। सोनल के घर पर उनके पति उनके काम पर निकल गए थे, उनकी बेटियाँ कंप्यूटर क्लास गई थी तो वो घर में अकेली थी।
मेरे जाते ही सोनल एकदम खुश हो गई। क्या पता क्यों … शायद वो सब पहले से प्लान करके बैठी थी।

मेरे जाते कुर्सी पर बैठा और उन्होंने मुझे पानी दिया, पानी पीने के बाद वो मेरे सामने झुक कर खड़े हो गयी और एक हल्का चुम्मा दे दिया। उनके ऐसा करने से मेरे पूरे रोंगटे खड़े हो गए … साथ में उस्ताद भी।
होता भी क्यों नहीं … आखिर पहली बार चूत जो मिलने वाली थी।

फिर सोनल को क्या पता क्या हुआ कि वो दूसरे रूम में चली गयी और मैं मेरी सांसें कंट्रोल करने लगा।

उतने में उस कमरे से मेरे नाम से आवाज आई तो मैं उस कमरे में गया।
तो वो कपबोर्ड के दरवाजे के पीछे खड़ी थी तो में कपबोर्ड की तरफ गया

जैसे ही मैं वहाँ पहुँचा … मेरे पैरों तले जमीन चली गई। मैंने देखा सोनल बिल्कुल नंगी मेरे सामने खड़ी है। मैं अपनी लाइफ में पहली बार किसी लड़की या औरत को नंगी देख रहा था। मेरा लण्ड एक सेकंड के चौथे भाग में तो खड़ा भी हो गया और वो उन्होंने पकड़ भी लिया।

मेरे शरीर में एक करंट दौड़ गया और देखते ही देखते उन्होंने मेरे कपड़े उतारकर मुझे नंगा कर दिया।
मेरे लण्ड को देखते ही सोनल की आंखें बड़ी हो गई और बोली- 19 साल की उम्र में भी पूरे मर्द जैसा लण्ड? आखिर क्या खा कर बनाया है इसे?
तो मेरे मुंह से उस वक्त क्या पता कैसे पर निकल गया- आखिर देसी मेहनत का कमाल है।

फिर हम बेड पर आ गए और सोनल मेरे ऊपर आकर मुझे किस करने लगी, मेरे गले पर, गाल पर सब जगह चूमने लगी।
और मैं वैसे ही बेहोश पड़े पड़े अपने पहले सेक्स का आनंद लेने लगा।

अचानक वापस शरीर में एक तेज करंट आया क्योंकि उस वक्त पहली बार किसी ने मेरा लण्ड चूसा था। उम्माह … क्या अहसास था यार … आज भी मैं उस लम्हे को याद करता हूँ तो लण्ड खड़ा हो जाता है।

फिर थोड़ी देर चूसने के बाद मेरे वो ऊपर आई और फिर लण्ड को उन्होंने खुद अपनी चूत पर सेट किया और एकदम से नीचे बैठ गई।
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2021-04-23 22:14:10 उस दिन मैं और शालिनी कॉलेज नहीं गए, बाहर घूमने निकल गए. मैंने थोड़ी देर बाद उसे अपने दोस्त के कमरे पर आने के लिए मना लिया. पहले तो वो घबरा रही थी, मगर जब मैंने उसे भरोसा दिलाया कि किसी तरह की कोई समस्या नहीं होगी. तो वो मेरे साथ कमरे में आने के लिए राजी हो गई.

अब हम दोनों दोस्त वाले कमरे में आ गए. दोस्त ने मुझे चाभी दे दी थी. पहले मैं कमरे में गया और उसके दस मिनट बाद शालिनी अन्दर आ गई.
वो काफी सहमी सी थी.

उससे मैंने पानी के लिए पूछा, तो उसने मना कर दिया, वो बोली- पहले दरवाजे की कुण्डी लगा दो.
मैंने दरवाजा बंद कर दिया.

अब हम दोनों बेड पर बैठ गए और एक दूसरे को प्यार से देखने लगे. मैंने उसे धीरे से अपनी बांहों में भर लिया और उसके होंठों पर अपने होंठ जमा लिए.
उसने पहले तो कुछ मना किया … मगर थोड़ी देर बाद वो मेरा साथ देने लगी.

मैं एक हाथ से उसके चुचों को दबाए जा रहा था. वो आहें भर रही थी. थोड़ी ही देर में वो गर्म हो गयी और मेरा साथ देने लगी. मैंने उसकी टी-शर्ट निकाल दी. अन्दर उसने क्रीम कलर की ब्रा पहनी हुई थी. मैं ब्रा के ऊपर से ही उसके चूचों को दबाए जा रहा था.

अब उसने भी मेरी शर्ट खोल दी. मैंने उसका इरादा समझते ही झट से उसकी जीन्स उतार दी. वो ब्रा पेंटी में बड़ी मस्त लग रही थी. मैंने अगले पल ही उसकी पैन्टी और ब्रा भी निकाल दी.

अब वो मेरे सामने पूरी नंगी हो चुकी थी. मैंने उसको बिस्तर पर चित लिटा दिया और उसकी रसीली चूत पर अपने होंठ धर दिए. वो एकदम से सिहर गई और उसने अपनी चुत को कसने की कोशिश की. मगर मैं कहां मानने वाला था. मैंने उसकी टांगों को फैलाया और चुत को पागलों की तरह चाटने लगा.

वो कुछ ही देर एकदम से भड़क गई और मेरे सर को अपनी बुर पर दबाने लगी. मैंने चुत चाटते हुए एक बार उसे देखा तो उसने मेरे लंड को पकड़ कर सहलाया दिया. मैंने समझ गया और अगले ही पल हम दोनों 69 की पोजीशन में आ गए.

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अब वो भी मेरे लंड को मजे से चूसे जा रही थी. थोड़ी देर में हम दोनों एक दूसरे के मुँह में झड़ गए मगर उसने मेरा लंड चूसना बंद नहीं किया. इससे मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया.

मैंने लंड खड़ा होते ही उसे अपने नीचे लिटाया और उसके ऊपर छा गया. वो मुझसे जल्दी चुदाई करने की विनती करने लगी.
मैंने ज्यादा देर न करते हुए उसकी चूत पर अपना लंड सैट किया और एक जोर का धक्का दे दिया. इस तेज शॉट से मेरा लंड उसकी चूत में आधा घुस गया.

उसके मुँह से दर्द भरी चीख निकल गई- उई माँ मर गई … तेरा बहुत मोटा है … इसे बाहर निकाल.
मगर मैं लंड अड़ाए लगा रहा.

कुछ देर के दर्द के बाद उसकी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह… उम … उम … आह!’ की मदभरी आवाज निकलने लगी. वो शायद पहले ही चुद चुकी थी इसलिए उसकी चुत से सील टूटने जैसा कुछ नहीं हुआ.

मैंने अपना ध्यान चूत चोदने पर लगाया और एक और जोर का धक्का दे दिया. इस बार मेरा पूरा लंड उसकी चुत में समा गया. वो दर्द से झटपटाने लगी, तो मैं उसके चुचों को दबाने और उसके होंठों को चूसने लगा. वो थोड़ी जब शांत हुई, तो मैंने अपने लंड को आगे पीछे करना चालू कर दिया.

अब वो आह … ईह … उम्म … की आवाज़ बड़ी जोरों से निकालने लगी. मैं भी उसकी जोरों से चुदाई करने लगा … समझो उसकी धकापेल चुदाई करने लगा.

थोड़ी देर बाद मैंने उसे घोड़ी बनने के लिए कहा, तो वो झट से गांड हिलाते हुए कुतिया बन गई. मैं उसकी चुत में पीछे से लंड पेल कर चुत चोदने लगा. वो बड़ी जोरों से गर्म आवाजें निकालने लगी.

मेरी गर्लफ्रेंड की चूत की जबरदस्त चुदाई के चलते वो अब तक दो बार झड़ चुकी थी. वो मुझसे चुदाई खत्म करने की कहने लगी.
मैंने उससे कहा- बस एक मिनट और साथ दो, मैं भी झड़ने वाला हूं.
उसने कुछ नहीं कहा और मैंने करीब दस धक्के मारे और लंड बाहर खींच लिया.

लंड निकलते ही वो सीधी हो गई और मैंने अपना लंड उसके मुँह में डाल दिया. वो जल्दी जल्दी मेरा लंड चूसने लगी और कुछ ही देर में मैं उसके मुँह में झड़ गया. वो मेरा सारा माल पी गई.
अब हम दोनों एक दूसरे से चिपक कर लेट गए.

कुछ देर बाद वो अपने कपड़े पहनने लगी, तो मैंने उसे पीछे से पकड़ लिया और उसकी गर्दन को चूमने लगा. दस मिनट की चूमाचाटी में वो फिर से गर्म हो गई और उसने दुबारा मेरा लंड चूसना चालू कर दिया.

इस बार मेरे लंड को लोहे की रॉड बनने में टाइम नहीं लगा. इस बार मैं सीधा लेट गया. मेरा लंड पूरा तन चुका था. शालिनी ने अपनी टांगें खोलीं और मेरे मुँह पर बैठ गई. वो मुझसे अपनी चुत चूसने का इशारा करने लगी. मैंने उसकी टांगों को फैलाया और उसकी चुत को अपनी जीभ से चोदने लगा.

वो ‘आह … ऊह … इस्स..’ करते हुए गर्म सिसकारियां भरने लगी. वो भी अपनी गांड को आगे पीछे करके अपनी चुत को मेरी जीभ से जल्दी जल्दी चटवाने लगी. कुछ ही देर में वो मेरे मुँह में झड़ गई. मैंने उसकी चुत का सारा पानी पी लिया. वो मेरे ऊपर थक कर लेट गई.
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2021-04-23 22:14:03 एक दिन मुझे पार्क में अपनी क्लास की एक लड़की घूमती हुई मिल गयी. वो मुझे अच्छी लगती थी. मैंने उससे दोस्ती की, प्रोपोज किया. फिर गर्लफ्रेंड की चूत की चुदाई की.

नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम अनुराग है. मैं अपने बारे में बता दूं कि मेरा कद 5 फुट 6 इंच का है. मैं एक भारी भरकम शरीर वाला लड़का हूँ.

आज मैं आपको मेरे साथ हुई गर्लफ्रेंड की चूत चुदाई की एक सच्ची घटना के बारे में बताना चाहता हूँ. यह बात दो महीने पहले की है, जब कॉलेज में साथ पढ़ने वाले कुछ लड़के मेरे अच्छे दोस्त बन गए थे. में अपने इन्हीं दोस्तों के साथ अक्सर बाहर घूमने जाया करता था.

एक दिन की बात है, जब मैं और मेरा एक दोस्त पार्क में घूम रहे थे. उसी उसमे मेरी नज़र उस लड़की पर गयी, जो अक्सर वहां घूमने आया करती थी और वो मेरी ही क्लास में पढ़ती थी. मैं उसका नाम तो जानता था, पर मैंने कभी उससे बात नहीं की थी. उस दिन उसे पार्क में घूमते देखा, तो मैं उसी के घूमने के समय पर पार्क में जाने लगा.

एक दिन वो पार्क में बैठे बैठे फ़ोन चला रही थी. मैं हिम्मत करके उसके पास जाकर बैठ गया. वो फोन में इतनी मस्त थी कि उसे मेरे आने का पता ही नहीं चला. मैं उसके तने हुए चूचों को घूरने लगा.

आगे बढ़ने से पहले मैं आपको उसके बारे में कुछ बता दूं. उसका नाम शालिनी था. शालिनी का रंग एकदम दूध सा गोरा था. उसकी फिगर 36-24-34 की थी. उसकी गांड एकदम गोल और उठी हुई है. चूचे कुछ ज्यादा ही नुकीले थे. ये किसी ब्रा के कारण ऐसे थे या वास्तव में ऐसे ही थे. ये जब खोल कर देखूँगा, तब आपको बताऊंगा. शालिनी ऊपर से नीचे तक एक मस्त हुस्न की मालकिन थी.

कुछ पल बाद उसने मेरी तरफ अपना ध्यान दिया, तो मैं एकदम से अचकचा गया और खिसयाई सी हंसी अपने चेहरे पर लाते हुए उससे पूछा- आप तो शायद मेरी ही क्लास में हैं न!
पहले तो उसने मेरी तरफ देखा और कहा- हां, मैंने भी तुम्हें कई बार देखा है.

इस तरह उसने मेरी बात का बड़ा ही सहयोग करने वाला जवाब दिया था.

फिर उसने मेरा नाम पूछा और हम दोनों आपस में एक दूसरे से बातें करने लगे. थोड़ी देर बाद हम दोनों अपने अपने घर चले गए.

अगले ही दिन से मैं उसके पीछे वाली बेंच पर बैठने लगा और उससे कभी कभी पेन व किताबें मांग लिया करता था. वो भी बेझिझक मुझसे बातें किया करती थी. हम रोज पार्क में मिलते और काफी देर तक बातें किया करते.

उसका रुझान मेरी तरफ बड़ा दोस्ताना होने लगा था. इसी से साहस करते हुए मैंने कुछ आगे बढ़ने का सोचा.

फिर एक दिन मैंने हिम्मत करके धीरे से उसके कंधे पर हाथ रख दिया. इस पर उसने मुझसे कुछ नहीं कहा. इससे मेरी हिम्मत और बढ़ गयी और अब मैं उसे गाहे बगाहे कोई न कोई बहाना करके छू लिया करता था.

एक दिन मैंने उससे कॉफी के लिए पूछा, तो उसने हां कर दी. हम दोनों पार्क से उठ कर एक कॉफी शॉप में आ गए. कॉफ़ी पीते पीते मैंने अचानक उसका हाथ पकड़ लिया, इससे वो थोड़ी घबरा गयी.
मगर मैंने हिम्मत करते हुए उससे अपने प्यार का इज़हार कर दिया.
उसने शर्माते हुए हां कर दिया.

मैं एकदम से खुश हो गया और उसके हाथ को सहलाते हुए मैंने उससे कैफे के एक कोने में चलकर बैठने के लिए कहा. वो झट से राजी हो गई. मैं कोने वाली टेबल की तरफ आया और बैठने से पहले मैंने इधर उधर देखा. इस वक्त शॉप में कोई और ग्राहक नहीं थे. मैंने अचानक उसे अपनी तरफ मोड़ते हुए अपनी बांहों में भर लिया. वो भी एक पल के लिए मेरे सीने से लग गई.

सच कह रहा हूँ दोस्तो, मुझे उसको अपनी बांहों में लेते ही इतना सुकून मिला कि मानो मुझे जन्नत मिल गई हो. कमोबेश यही उसका हाल था. चूंकि हम दोनों कॉफी शॉप में थे, इसलिए हम ज्यादा कुछ नहीं कर पाए. लेकिन इस बार हम दोनों एक साथ ही बैठे और मैं उससे एकदम से सट कर बैठ गया. हम दोनों की जांघें आपस में चिपकी हुई थीं और हमारी आँखों में एक दूसरे के लिए प्यार उमड़ रहा था.

कुछ समय बाद वो बोली- अब मुझे जाना होगा … काफी देर हो गई.
मुझे उससे अलग होने का मन तो नहीं था, लेकिन जाना भी मजबूरी थी.

फिर दो तीन दिन यूं ही गुज़र गए. हम दोनों अब जगह बदल बदल कर एकांत सी जगह खोज कर मिलने लगे. मगर ऐसे कोई जगह नहीं मिल रही थी, जहां हम दोनों एक दूसरे से खुल कर प्यार कर सकें.

मैंने उससे पूछा कि मेरे साथ किसी दिन अकेले किसी रूम में मिलना चाहोगी.
तो उसने शर्माते हुए हामी भर दी.
मतलब वो खुद मेरे साथ सब कुछ करने की इच्छुक थी.

अब मैंने अपने एक दोस्त से बात की. वो बाहर से पढ़ने आया था और एक रूम किराए पर लेकर रहता था.

जब मैंने उससे एक दिन के लिए उसके रूम की बात की, तो वो झट से राजी हो गया और उसने मुझसे हां कह दी.

जिस दिन हम दोनों को मिलना था. उस दिन वो अपने दूसरे दोस्त के साथ रहने के लिए चला गया.
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2021-04-23 21:33:36 𝗔𝗗𝗨𝗟𝗧_𝗧𝗩 𝗢𝗙𝗙𝗜𝗖𝗜𝗔𝗟 𝗣𝗥𝗢𝗠𝗢𝗧𝗜𝗢𝗡

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2021-04-22 22:45:35 कुछ देर बाद अंकल उठे और मुझसे कहा- अपनी दीदी को पानी पिला।
मैंने सामने से पानी लिया और दीदी को उठाया और पानी पिलाया।

उतने में अंकल ने एक तौलिया लेकर अपने शरीर से पसीना साफ़ किया और एक कपड़ा मुझे दिया ताकि मैं दीदी के शरीर को साफ़ कर सकूँ।
पर दीदी अब ठीक लग रही थी तो दीदी खुद उठी और अपना शरीर साफ़ करने लगी और मैं भी दीदी की मदद कर रहा था।

दीदी को साफ़ करते करते मेरा लण्ड खड़ा हो गया और ये दीदी ने देख लिया तो दीदी ने कहा- इसे अभी शांत ही रख। अभी मेरी फिर से कुछ करने की हालत नहीं है। थोड़ी देर बाद देखते हैं।
यह सुन कर मैं खुश गया वर्ना मुझे तो लगा था कि मुझे आज ऐसे ही घर जाना पड़ेगा।

तभी दीदी फिर लेट गयी और बोली- ऐसी चुदाई मैंने बहुत टाइम बाद की। बहुत मज़ा आ गया।
तो अंकल हैरान हो कर बोले- बहुत टाइम बाद … मतलब? क्या तुम पहले भी किसी से ऐसे चुद चुकी हो?
तब हमने दास अंकल को सारी बात बता दी कि कैसे दीदी आज तक बहुत लोगों से चुद चुकी है।

ये सब अंकल भी हैरान हो गए और बोले- तू तो एक नंबर की रंडी निकली। पर मुझे लगा ही था क्योंकि मेरी इतनी भयंकर चुदाई के बाद भी तू खड़ी हो गयी और तो और बातें भी कर रही है।
ये सुन कर सब हंसने लगे।

तब दीदी ने कहा- पर सच में दास अंकल, अगर आप ने बस में हमें न पकड़ा होता तो इतनी अच्छी चुदाई का अनुभव मुझे नहीं मिलता और मुझे इस निखिल से ही काम चलाना पड़ता।
ये सुन कर वो दोनों हंसने लगे।
पहले मुझे भी बुरा लगा पर बाद में मैं भी हंसने लगा।

दास अंकल- अब तुम लोगों को उस बस में जाने की ज़रूरत नहीं है। अब आगे से तुम लोग सीधे मेरे अड्डे पर आ जाना और यहीं अपना काम किया करना और हो सके तो मुझे भी मौका दे दिया करना।
दीदी- अरे दास अंकल, कैसी बातें कर रहे हो। आपसे चुदने के लिए तो मैं कभी भी तैयार हूँ। आगे से हम यहीं आया करेंगे।

उसके बाद करीब एक घण्टे तक हमने ऐसे ही बातें की। अब सब फिर से चार्ज हो गए थे। मेरा दीदी की चूत चोदने का बड़ी देर से मन कर रहा था इसलिए मैंने दीदी को पहले चोदा। बाद में अंकल फिर दीदी को वैसे ही चोदा।
अब अंकल थक गए थे तो वो नीचे बिस्तर बिछा कर सो गए और हमसे कहा कि हम दोनों भाई बहन उसी बिस्तर पर सो जाएं।

हालांकि दीदी भी बहुत थक गयी थी इसलिए दीदी सोना चाहती थी पर अब 5 बजने को सिर्फ 2 घण्टे बाकी थे और मेरा मन अभी भी भरा नहीं था। इसलिए मैंने दीदी को फिर से चोदा। इन 2 घंटों में मैंने दीदी को 3 बार चोदा। उनको मैंने सोने नहीं दिया। दीदी ने भी मना नहीं किया और मज़े लेती रही।

उसके बाद हम उठे और कपड़े पहन के अपना हुलिया थोड़ा ठीक किया। अब हम वहां से जाने के लिए तैयार थे, तो अंकल भी उठ गए।
अंकल- तुम लोगों ने मेरी रात सुहानी बना दी, इसके लिए बहुत बहुत शुक्रिया। अगली बार जल्दी ही आना।

हम वहां से चुपके से चले गए और घर पहुँच गये। पापा हमारे आते ही उठ गए, पर उतने में दीदी जल्दी से अपने कमरे में चली गयी। दीदी इतनी जल्दी इसलिए चली गयी क्यूंकि उनकी शक्ल इतनी भयानक चुदाई से खराब हो गयी थी इसलिए दीदी नहाने चली गयी।

उसके बाद मैं भी अपने कमरे में गया और तैयार हो के कॉलेज चले गए।

इसके बाद जब भी हमे मौका मिलता तो हम दास अंकल के कमरे में चले जाते और वहां चुदाई के मज़े लेते। जब कभी मम्मी पापा घर पर नहीं होते तो हमारे भाग ही खुल जाते। तब तो पूरे घर में अपना ही राज़ होता था। तब तो कभी मैं दीदी को रसोई में चोदता तो कभी हॉल में, तो कभी बाथरूम में नहाते हुए।
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2021-04-22 22:45:34 दीदी बहुत ज्यादा गर्म हो चुकी थी। अब दीदी अंकल का लोड़ा अपनी चूत में लेने को तैयार थी। अब अंकल का लण्ड भी फिर से सलामी दे रहा था। वो भी अब मेरी दीदी की गुफ़ा रूपी चूत में घूमने को तैयार था।
तो अंकल ने ज़्यादा देर नहीं की और अपने लौड़े को पकड़ कर दीदी की चूत में रगड़ने लगे ताकि दीदी और पागल हो गए।

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हुआ भी बिल्कुल ऐसा ही।
दीदी- आह … अंकल! प्लीज! अब ज्यादा मत सताओ मुझे। अब मुझ से रहा नहीं जा रहा है। जल्दी से अब मुझे चोदना शुरू कर दो। अपने लण्ड को मुझमें डाल दो।

यह सुनकर अंकल ने भी देर नहीं की और अपना लण्ड दीदी की चूत के छेद पर सटाया और एक ज़ोरदार झटका मार दिया, जिससे आधा लण्ड दीदी की चूत में चला गया। पर उससे इतना दर्द हुआ कि दीदी की ज़ोर से चीख निकल गयी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’
जितने में दीदी कुछ कर पाती उतने में अंकल ने एक और झटका मार दिया और 10 इंच का सारा लण्ड दीदी की चूत में चला गया।

दर्द के मारे दीदी बिस्तर पर ऊपर उठ गयी और ज़ोर से चिल्लाने लगी और रोते हुए बोली- हये … मैं तो मर गयी … पागल हो गए हो क्या … तुम तो मुझे मार ही डालोगे।
यह सब देख कर तो मैं भी डर गया था पर मुझे पता था दीदी ने इतने लौड़े अपनी चूत में लिए हैं, तो इसे भी संभाल ही लेंगी।

फिर अंकल ने दीदी को फिर लिटाया और दीदी का मुंह अपने हाथों से बंद किया और कुछ देर तक अपना लण्ड दीदी की चूत में ही रखा।
जब दीदी का दर्द कम हो गया तो अंकल ने दीदी के मुंह से अपना हाथ हटा दिया और कहा- बेटी, इसके लिए मुझे माफ़ करना। पर धीरे धीरे दर्द सहने से अच्छा है कि एक ही बार से सारा दर्द सह लो। इसलिए मैंने ऐसा किया।
दीदी- कोई बात नहीं अंकल, मैं समझती हूँ, आपने जो भी किया ठीक किया।

यह सुन कर अंकल खुश हो गए और मुझे बोले- बेटा, अब मैं तुम्हारी बहन को चोदने वाला हूँ। कुछ देर में हम दोनों इसमें मदहोश हो जायेंगे। तो तुम्हारी बहन की चीखें कंट्रील नहीं हो पाएंगी। तो तुम किसी तरह इसका मुंह बंद रखना।
तो मुझे एक उपाय सूझा और बोला- अंकल ठीक है, मैं दीदी के मुंह में अपना लण्ड डाल दूंगा और दीदी के मुंह को चोदूंगा। क्यूंकि इतने दिनों बाद दीदी को चोदने का मौका मिला था पर आप आ गए। पर इससे हम सबका काम हो जायेगा।

अंकल ने कह दिया- ठीक है.
और दीदी ने भी हामी भर दी।
तो मैंने भी अपने कपड़े खोले और जा के बिस्तर पर चढ़ गया और दीदी मेरा लण्ड पकड़ के चूसने लगी।

अंकल का लण्ड अभी भी दीदी की चूत में ही गड़ा हुआ था। अब अंकल ने धीरे धीरे अपना लण्ड अंदर बाहर करना शुरू किया और धीरे धीरे तेज़ी बढ़ाने लगे। दीदी दर्द के मारे मेरे लण्ड को ज़ोर ज़ोर से चूस रही थी और कभी कभी दांत भी मार देती, पर मैंने कुछ नहीं कहा क्यूंकि मुझे भी मजा आ रहा था।

अब अंकल की स्पीड बहुत ज़्यादा बढ़ गयी थी। अंकल अपना पूरा लण्ड बाहर निकलते और पूरी ज़ोर से अंदर धक्का मारते। इस कारण से पूरे कमरे में बिस्तर के हिलने की चूं-चूं और उनकी चुदाई की पट-पट की आवाज़ ज़ोरों से घूम रही थी। अंकल एकदम पागल हो गए थे इस वजह से वो पुरे ज़ोर से दीदी को चोद रहे थे।

दर्द के मारे दीदी ने मेरे लण्ड से हाथ हटा दिए और अपनी चूत के पास ले जा कर उस पर उंगली घुमाने लगी। कभी अंकल के लण्ड के प्रभाव को कम करने के लिए उनको रोकने की कोशिश करती।

पर अब अंकल कहाँ रुकने वाले थे। दास अंकल ने इतने समय से चुदाई नहीं की थी। जिसकी कसर वो आज दीदी पर उतार रहे थे।

इतनी भयंकर चुदाई से दीदी अपनी सुध-बुध खो बैठी और किसी नशे में धुत लड़की की तरह हो गयी और मेरे लण्ड को चूसना बन्द कर दिया। इसलिए मैं भी वहां से उठ गया और उन दोनों की चुदाई देखने लगा।

दास अंकल पूरा ज़ोर लगा रहे थे। वो दोनों एक दम जानवारों जैसी आवाजें निकाल रहे थे।

दीदी इतनी आवाज़ नहीं कर रही थी तो मुझे उनका मुंह बंद करने की जरूरत नहीं पड़ी। अंकल ने अब दीदी की कमर पकड़ के थोड़ा ऊपर किया और ज़ोर ज़ोर से दीदी की चूत में लण्ड डाल कर वहाँ पटाकों की आवाजें करने लगे। दीदी की चूत एकदम लाल हो चुकी थी। दोनों के शरीर पसीने से एक दम नहा गये थे।

अंकल की चुदाई से दीदी और बिस्तर इस तरह हिल रहे थे कि लग रहा था कभी भी टूट जायेंगे। दीदी इस दौरान 1-2 बार झड़ चुकी थी पर अभी अंकल नहीं झड़े थे। वो अभी भी उसी रफ़्तार से दीदी को चोद रहे थे। दीदी तो एकदम नशे में धुत्त हो गयी थी और बस बिना रुके चुदवाये जा रही थी। मुझे तो इस बात का डर था कि कहीं कोई ये आवाजें सुन न ले। पर किसी को कुछ पता नहीं चला।

करीब 30 मिनट तक बिना रुके अंकल ने दीदी की ये जबरदस्त चुदाई की और सारा वीर्य दीदी की चूत में डाल दिया और फिर अंकल बिस्तर से नीचे आ गए और कुछ देर तक वहीं लेटे रहे। हम तीनों एक दूसरे के सामने बिल्कुल नंगे बैठे थे पर कोई किसी पर अब ध्यान नहीं दे रहा था।
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2021-04-22 22:45:34 ड्राईवर अंकल मेरी नंगी दीदी को लेकर अपने कमरे में आ गए. पीछे पीछे मैं अपनी दीदी के नंगे चूतड़ देख रहा था. अंकल ने मेरी दीदी को कैसे चोदा? मजा लें.

कहानी का पिछ्ला भाग: स्कूल बस में दीदी को चोदा-3

ड्राईवर अंकल ने कुछ देर दीदी ने नंगे बदन को निहारा और बोला- तुम्हें देख के मुझे अपनी बेटी की याद आ गयी। वो तुम्हारे जितनी गोरी और खूबसूरत तो नहीं है पर उसके चुच्चे और चूतड़ बिल्कुल तुम्हारे जैसे हैं और वो है भी तुम्हारी ही उम्र की।
तो मैंने पूछा- अंकल, आपको कैसे पता कि आपकी बेटी के अंग इतने बड़े बड़े हैं?
अंकल- बेटा, मैंने एक बार उसको नहाते हुए देख लिया था। उस रात मेरे मन में अपनी ही बेटी को चोदने के सपने आने लगे थे। पर वो मेरी बेटी है इसलिए मैंने वो ख़्याल मन से निकाल दिया था।

इतना कह कर अंकल ने अपने कपड़े खोलने शुरू कर दिए। अंकल की हाइट किसी सामान्य पुरुष जितनी थी पर गाँव का होने की वजह से उनका शरीर गठीला था। इतना गठीला शरीर मैं एक साल जिम में लगा कर बनाया था।

उन्होंने अपने कपड़े खोल दिए। उनकी छाती बहुत चौड़ी और रंग काला था। नीचे तो मैं देख कर ही डर गया। उनका लण्ड के दम किसी अफ्रीकन मर्द की तरह काला और 10 इंच बड़ा था।
तभी मैंने दीदी का मुँह देखा तो दीदी भी अंकल का लण्ड देख कर डर गई थी।
पर दीदी ने लंबी सांस ली और खुद को इसके लिए तैयार किया।

अब अंकल बिस्तर पर चढ़े और दीदी के ऊपर लेट गए और दीदी को किस करने लगे। जैसे ही अंकल दीदी के ऊपर लेटे तो दीदी का शरीर अंकल के शरीर ने पूरी तरह ढक लिया। दीदी अंकल के सामने किसी छोटी लड़की की तरह लग रही थी।

अंकल दीदी को किस किये जा रहे थे और दीदी भी उनका पूरा साथ दे रही थी।
अब अंकल उठे और दीदी से कहा- बेटी, पहले तुम मेरा लण्ड चूसो, बाद में मैं तुम्हें मज़े दूंगा।
इतना कह कर अंकल दीदी के ऊपर से उठे और बिस्तर से उतर कर दीदी के मुंह के पास अपना बड़ा सा लोड़ा दे कर खड़े हो गए।

दीदी भी उठी और उन्होंने अंकल का लोड़ा अपने हाथों से पकड़ा और आगे पीछे करने लगी। ऐसा करते ही दास अंकल का लोड़ा पूरा तन गया और दीदी उसे आगे पीछे किये जा रही थी।

अब दीदी ने अंकल के लौड़े को अपने मुंह में ले लिया और उसे चूसने लगी। अंकल मज़े से आहें भर रहे थे। दीदी के अपनी जीभ से अंकल के लौड़े के टोपे पर हरकतें करनी शुरू कर दी जिससे अंकल बहुत उत्तेजित हो गए और उन्होंने दीदी के सर को पकड़ कर अपना लण्ड दीदी के मुंह में पूरे ज़ोर से डाल दिया और दीदी के मुंह को चोदने लगे।

दास अंकल का लण्ड इतना बड़ा था कि वो दीदी के मुंह में पूरा जा ही नहीं रहा था पर दीदी जितना हो सके उतना अंदर लेने की कोशिश कर रही थी।

करीब 15 मिनट तक अंकल ने दीदी के मुंह को चोदा और दीदी के मुंह में ही सारा वीर्य डाल दिया। अंकल ने तब तक अपना लण्ड दीदी के मुंह से नहीं निकाला जब तक दीदी ने सारा वीर्य पी नहीं लिया। तो दीदी को सारा वीर्य पीना पड़ा। पर दीदी चाहती भी यही थी। आखिरकार इससे दीदी की ख़ूबसूरती और बढ़नी थी।

अब अंकल फिर दीदी के ऊपर लेट गए और उनको चूमने लगे। उन दोनों के बदन एक दूसरे से लगे हुए थे। अब अंकल ने दीदी के होंठों को छोड़ा और दीदी के चुच्चों पर आ गए और उनको चूसने लगे।
अंकल ने इतना बड़ा मुंह खोला कि दीदी का पूरा स्तन अंकल के मुँह में आ गया। अंकल किसी मंझे हुए खिलाड़ी की तरह लग रहे थे। वो दीदी के स्तनों को ऐसे चूस रहे थे कि दीदी की उत्तेजना बहुत बढ़ रही थी।

10 मिनट तक दीदी के स्तनों का पान करने के बाद अंकल रुक गए और दीदी की चूत की तरफ देखा।
दीदी की चूत गीली ही गयी थी और उत्तेजना से दीदी खुद ही अपनी चूत को रगड़ रही थी।

तो दास अंकल ने दीदी का हाथ उनकी चूत से हटाया और उस हाथ को अच्छे तरीके से चाटा। अब अंकल दीदी की चूत की तरफ़ चले गए। पहले अंकल ने दीदी की साफ़ और चिकनी चूत को सूंघा।
अंकल ने कहा- बेटी, तुम्हारी चूत जैसी चिकनी, खूबसूरत और सुगन्धित चूत मैंने आज तक नहीं देखी। ऐसी चूत को पाने के लिए कोई मर्द कुछ भी कर सकता है।
इतना कह कर अंकल ने एक बार फिर से दीदी की गीली चूत को सूंघा और बड़ा सा मुंह खोल कर दीदी की चूत को अपने मुंह में ले लिया और चूत के सारे पानी को पी लिया।

ऐसा करते ही दीदी बहुत उत्तेजित हो गयी और उसने दास अंकल का सर अपने हाथों से पकड़ लिया। अब अंकल ने अपनी जीभ दीदी की चूत में डाल दी और उसे आगे पीछे और अंदर बाहर करने लगे। अंकल के मुंह में आते ही पता नहीं कितनों का लण्ड लेने वाला भोसड़ा अब नई नवेली और छोटी सी चूत लग रही थी।

अंकल दीदी की चूत को चाटते जा रहे थे और एक हाथ से दीदी की चूत के दाने को भी दबा रहे थे और एक हाथ से दीदी के स्तनों के निप्पल्स भी दबा रहे थे। ऐसा करने से दीदी बहुत उत्तेजित हो गयी थी और अंकल के बालों को ज़ोर ज़ोर से खींच रही थी। दीदी ज्यादा आवाज़ नहीं करना चाहती थी पर फिर भी उनके मुंह से आह … उहह … अईईई … हयेआ आआआ … जैसी आवाजें निकल रही थी।
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2021-04-22 22:45:24 तो मैंने पूछा- अंकल, आपको कैसे पता कि आपकी बेटी के अंग इतने बड़े बड़े हैं?
अंकल- बेटा, मैंने एक बार उसको नहाते हुए देख लिया था। उस रात मेरे मन में अपनी ही बेटी को चोदने के सपने आने लगे थे।
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2021-04-22 22:45:06 तभी दास अंकल ने युविका दीदी पर टॉर्च मारी। दीदी अभी भी नंगी ही थी। अँधेरे की वजह से उसे कपड़े मिल नहीं रहे थे। टॉर्च की वज़ह से दीदी का पूरा नंगा शारीर दिख रहा था। थोड़ी देर के लिए अंकल भी दीदी को देखते रह गए। अंकल भी दीदी का सेक्सी फिगर देख कर मुग्ध हो गए थे।

इस बात का दीदी और मुझे पता चल गया। तो दीदी नंगी ही उठ कर वहां से आई और दास अंकल के पास आ कर खड़ी हो गयी।

Nangi Didi

दीदी ने अंकल का दायाँ हाथ पकड़ा और उनके हाथ को अपनी छाती के पास ले आयी और रोने का नाटक करते हुए बोली- अंकल प्लीज! हमें माफ़ कर दीजिए। इसमें हमारी भी क्या गलती है। हम दोनों जवान हैं और जवानी की प्यास बुझाने के लिए हमने ये सब किया।
ये सब करते हुए दीदी जानबूझ कर अंकल का हाथ अपने चुच्चों से स्पर्श करवा रही थी।

दास अंकल का मन भी अब डोलने लगा था।
तो दास अंकल बोले- ठीक है कि ज़वानी में ये सब होता है, पर तुम दोनों तो भाई बहन हो। अगर तुम्हारे पापा को पता चल गया तो और लोगों को पता लग गया तो? इससे कितनी बदनामी होगी तुम्हें पता भी है?

तो दीदी बोली- अंकल! अगर हम बाहर किसी और से ये सब करते तो वो इस बात को फैला भी सकते थे। जिससे हमारी बदनामी ज़्यादा होती। इसलिए हम दोनों ने एक दूसरे के साथ सम्बन्ध बना लिए ताकि बात हम दोनों के बीच में ही रहे।

अंकल भले ही समझदार थे पर युविका दीदी के ज्यादा चालाक कोई नहीं हो सकता था। दीदी ने ऐसी कई बातें करके उनको अपनी बातों में फंसा दिया।
तभी दीदी ने कहा- अंकल, प्लीज आप किसी को कुछ मत बताना। बदले में आप जो कहेंगे वो मैं करूँगी।

यह सुनकर अंकल थोड़े उत्तेजित हो गए जो उनके चेहरे में साफ़ दिख रही थी।

तो दीदी ने फिर बोला- हाँ दास अंकल, आप जो बोलो वो मैं करूँगी चाहे वो कुछ भी हो।
यह सुनकर पहले मुझे भी हैरानी हुई कि दीदी ये क्या बोल रही हैं। पर बाद में समझ आया कि दीदी इसमें भी अपना ही फ़ायदा ढूंढ रही है तो मैं चुपचाप सब सुनता रहा।

दास अंकल भी थोड़ी देर सोच में डूबे रहे और बाद में उन्होंने हिम्मत कर के बोला- देखो बेटी, तुम लोग ये सब जो कर रहे हो ये सब मैं तुम्हारे पापा को बता सकता हूँ। पर तुम तो अपने ही बच्चे हो इसलिए मैं उन्हें कुछ नहीं बताऊंगा। पर बदले में जैसा तुमने कहा मैं तुमसे कुछ चाहता हूँ।

दीदी को तो पता था कि अंकल क्या बोलेंगे पर फिर भी दीदी ने कहा- हाँ अंकल! बताइये आप क्या चाहते हैं। मैं सब कुछ दूंगी।

तो अंकल बोले- देखो बेटी! हर आदमी की ऐसी जरूरतें होती हैं। तुम लोगों की भी थी, इसलिए तुम ये सब कर रहे थे। तो ऐसी ही ज़रूरतें मेरी भी हैं। मैं लगभग पूरे साल घर नहीं जाता। जब स्कूल की छुट्टियां पड़ती हैं तभी ही जा पाता हूँ और जब घर जाता हूँ, तो घर के काम में इतना व्यस्त होता हूँ कि मैं अपनी बीवी के साथ सम्भोग कम ही कर पाता हूँ। तो मेरी वो इच्छा पूरी नहीं होती है।

दीदी ने अनजान बन कर पूछा- तो आप क्या चाहते हैं अंकल?
दास अंकल ने कहा- तो मैं चाहता हूँ कि मेरी ये इच्छा तुम पूरी करो।

दीदी को मन में ये सुनकर बहुत ख़ुशी हुई पर दीदी ने अपना मायूस चहरा बना लिया और थोड़ी देर तक सोचते हुए कहा- ठीक है अंकल। अगर आप यही चाहते हैं तो मैं ये सब लूंगी। तुम क्या कहते तो निखिल?

तो मैं भी थोड़ा सा नाटक करते हुए बोला- दीदी इससे हमारी जान बच जायेगी। तो मेरे ख्याल से आप ये कर लो।
दीदी ने कहा- ठीक है तुम भी यही कहते हो तो मैं ये कर लेती हूं।

फिर दीदी ने दास अंकल से कहा- ठीक है अंकल मैं तैयार हूँ। आप मेरे साथ जो करना चाहते हो, कर सकते हो।

ये सुन कर दास अंकल ख़ुश हो गए और कहा- ठीक है पर मैं इस बस में नहीं कर सकता। तुम मेरे कमरे में चलो, वो ज़्यादा सुरक्षित रहेगा।
अंकल ने हमसे कहा- बेटी, तुम मेरे साथ चलो। हम इन पेड़ों के पीछे से कमरे तक जायेंगे और बेटा तुम इसके कपड़े और बाकी का सामान ले कर आ जाओ।

फिर अंकल दीदी को नंगी ही वहां से ले गये और मैं भी पीछे से सामान लिए आ गया। दीदी को नंगी चलते हुए देख कर मेरा मन दीदी को चोदने का कर रहा था पर मैंने कण्ट्रोल कर लिया।
अब हम ड्राईवर अंकल के कमरे में पहुँच गये थे।

उसका कमरा 10′ x 10′ का था। उसमें ज्यादा सामान नहीं था। एक बेड, 3 सन्दूक, एक गैस, खाना बनाने का सामान और कुछ और चीज़ें।

अब अंकल ने मुझे कहा- बेटा तुम कहीं जगह ढूंढ कर बैठ जाओ.
और दीदी को उन्होंने बिस्तर पर लिटा दिया।
मैं जाकर सामने से एक बोरी ले कर उसके ऊपर बैठ गया।

उन्होंने कुछ देर दीदी ने नंगे बदन को निहारा और बोला- तुम्हें देख के मुझे अपनी बेटी की याद आ गयी। वो तुम्हारे जितनी गोरी और खूबसूरत तो नहीं है पर उसके चुच्चे और चूतड़ बिल्कुल तुम्हारे जैसे हैं और वो है भी तुम्हारी ही उम्र की।
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