2021-04-22 22:45:06
तभी दास अंकल ने युविका दीदी पर टॉर्च मारी। दीदी अभी भी नंगी ही थी। अँधेरे की वजह से उसे कपड़े मिल नहीं रहे थे। टॉर्च की वज़ह से दीदी का पूरा नंगा शारीर दिख रहा था। थोड़ी देर के लिए अंकल भी दीदी को देखते रह गए। अंकल भी दीदी का सेक्सी फिगर देख कर मुग्ध हो गए थे।
इस बात का दीदी और मुझे पता चल गया। तो दीदी नंगी ही उठ कर वहां से आई और दास अंकल के पास आ कर खड़ी हो गयी।
Nangi Didi
दीदी ने अंकल का दायाँ हाथ पकड़ा और उनके हाथ को अपनी छाती के पास ले आयी और रोने का नाटक करते हुए बोली- अंकल प्लीज! हमें माफ़ कर दीजिए। इसमें हमारी भी क्या गलती है। हम दोनों जवान हैं और जवानी की प्यास बुझाने के लिए हमने ये सब किया।
ये सब करते हुए दीदी जानबूझ कर अंकल का हाथ अपने चुच्चों से स्पर्श करवा रही थी।
दास अंकल का मन भी अब डोलने लगा था।
तो दास अंकल बोले- ठीक है कि ज़वानी में ये सब होता है, पर तुम दोनों तो भाई बहन हो। अगर तुम्हारे पापा को पता चल गया तो और लोगों को पता लग गया तो? इससे कितनी बदनामी होगी तुम्हें पता भी है?
तो दीदी बोली- अंकल! अगर हम बाहर किसी और से ये सब करते तो वो इस बात को फैला भी सकते थे। जिससे हमारी बदनामी ज़्यादा होती। इसलिए हम दोनों ने एक दूसरे के साथ सम्बन्ध बना लिए ताकि बात हम दोनों के बीच में ही रहे।
अंकल भले ही समझदार थे पर युविका दीदी के ज्यादा चालाक कोई नहीं हो सकता था। दीदी ने ऐसी कई बातें करके उनको अपनी बातों में फंसा दिया।
तभी दीदी ने कहा- अंकल, प्लीज आप किसी को कुछ मत बताना। बदले में आप जो कहेंगे वो मैं करूँगी।
यह सुनकर अंकल थोड़े उत्तेजित हो गए जो उनके चेहरे में साफ़ दिख रही थी।
तो दीदी ने फिर बोला- हाँ दास अंकल, आप जो बोलो वो मैं करूँगी चाहे वो कुछ भी हो।
यह सुनकर पहले मुझे भी हैरानी हुई कि दीदी ये क्या बोल रही हैं। पर बाद में समझ आया कि दीदी इसमें भी अपना ही फ़ायदा ढूंढ रही है तो मैं चुपचाप सब सुनता रहा।
दास अंकल भी थोड़ी देर सोच में डूबे रहे और बाद में उन्होंने हिम्मत कर के बोला- देखो बेटी, तुम लोग ये सब जो कर रहे हो ये सब मैं तुम्हारे पापा को बता सकता हूँ। पर तुम तो अपने ही बच्चे हो इसलिए मैं उन्हें कुछ नहीं बताऊंगा। पर बदले में जैसा तुमने कहा मैं तुमसे कुछ चाहता हूँ।
दीदी को तो पता था कि अंकल क्या बोलेंगे पर फिर भी दीदी ने कहा- हाँ अंकल! बताइये आप क्या चाहते हैं। मैं सब कुछ दूंगी।
तो अंकल बोले- देखो बेटी! हर आदमी की ऐसी जरूरतें होती हैं। तुम लोगों की भी थी, इसलिए तुम ये सब कर रहे थे। तो ऐसी ही ज़रूरतें मेरी भी हैं। मैं लगभग पूरे साल घर नहीं जाता। जब स्कूल की छुट्टियां पड़ती हैं तभी ही जा पाता हूँ और जब घर जाता हूँ, तो घर के काम में इतना व्यस्त होता हूँ कि मैं अपनी बीवी के साथ सम्भोग कम ही कर पाता हूँ। तो मेरी वो इच्छा पूरी नहीं होती है।
दीदी ने अनजान बन कर पूछा- तो आप क्या चाहते हैं अंकल?
दास अंकल ने कहा- तो मैं चाहता हूँ कि मेरी ये इच्छा तुम पूरी करो।
दीदी को मन में ये सुनकर बहुत ख़ुशी हुई पर दीदी ने अपना मायूस चहरा बना लिया और थोड़ी देर तक सोचते हुए कहा- ठीक है अंकल। अगर आप यही चाहते हैं तो मैं ये सब लूंगी। तुम क्या कहते तो निखिल?
तो मैं भी थोड़ा सा नाटक करते हुए बोला- दीदी इससे हमारी जान बच जायेगी। तो मेरे ख्याल से आप ये कर लो।
दीदी ने कहा- ठीक है तुम भी यही कहते हो तो मैं ये कर लेती हूं।
फिर दीदी ने दास अंकल से कहा- ठीक है अंकल मैं तैयार हूँ। आप मेरे साथ जो करना चाहते हो, कर सकते हो।
ये सुन कर दास अंकल ख़ुश हो गए और कहा- ठीक है पर मैं इस बस में नहीं कर सकता। तुम मेरे कमरे में चलो, वो ज़्यादा सुरक्षित रहेगा।
अंकल ने हमसे कहा- बेटी, तुम मेरे साथ चलो। हम इन पेड़ों के पीछे से कमरे तक जायेंगे और बेटा तुम इसके कपड़े और बाकी का सामान ले कर आ जाओ।
फिर अंकल दीदी को नंगी ही वहां से ले गये और मैं भी पीछे से सामान लिए आ गया। दीदी को नंगी चलते हुए देख कर मेरा मन दीदी को चोदने का कर रहा था पर मैंने कण्ट्रोल कर लिया।
अब हम ड्राईवर अंकल के कमरे में पहुँच गये थे।
उसका कमरा 10′ x 10′ का था। उसमें ज्यादा सामान नहीं था। एक बेड, 3 सन्दूक, एक गैस, खाना बनाने का सामान और कुछ और चीज़ें।
अब अंकल ने मुझे कहा- बेटा तुम कहीं जगह ढूंढ कर बैठ जाओ.
और दीदी को उन्होंने बिस्तर पर लिटा दिया।
मैं जाकर सामने से एक बोरी ले कर उसके ऊपर बैठ गया।
उन्होंने कुछ देर दीदी ने नंगे बदन को निहारा और बोला- तुम्हें देख के मुझे अपनी बेटी की याद आ गयी। वो तुम्हारे जितनी गोरी और खूबसूरत तो नहीं है पर उसके चुच्चे और चूतड़ बिल्कुल तुम्हारे जैसे हैं और वो है भी तुम्हारी ही उम्र की।
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