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नवीनतम संदेश 94
2021-02-10 19:14:32
भारत और अफगानिस्तान ने अफगानिस्तान में काबुल नदी की एक सहायक नदी पर शतूट बांध (लालंदर बांध) के निर्माण के लिए वीडियो-टेलीकांफ्रेंसिंग (VTC) पर समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं. लगभग 300 मिलियन डॉलर की लागत वाली यह परियोजना भारत और अफगानिस्तान के बीच न्यू डेवलपमेंट पार्टनरशिप का एक हिस्सा है.
समझौता ज्ञापन के बारे में
भारतीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी और अफगानिस्तान के राष्ट्रपति डॉ. मोहम्मद अशरफ गनी की उपस्थिति में विदेश मंत्री डॉ. जयशंकर और अफगानिस्तान के विदेश मंत्री श्री हनीफ अतमार के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए.
लालंदर [शतूट] बांध, काबुल शहर की सुरक्षित पेयजल जरूरतों को पूरा करेगा, आस-पास के क्षेत्रों को सिंचाई का पानी प्रदान करेगा, मौजूदा सिंचाई और जल निकासी नेटवर्क का पुनर्वास करेगा, क्षेत्र में बाढ़ से बचाव और प्रबंधन के प्रयासों में मदद करेगा, और साथ ही क्षेत्र को बिजली भी प्रदान करेगा.
भारत - अफगानिस्तान मैत्री बांध [सलमा बांध] के बाद, जिसका उद्घाटन जून 2016 में किया गया था, यह अफगानिस्तान में भारत द्वारा बनाया जा रहा दूसरा बड़ा बांध है.
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2.2K views16:14
2021-02-10 19:14:04
#Important_Current_Affairs
भारत और अफ़गानिस्तान ने लालंदर “शतूट” बांध के निर्माण के लिए किया समझौता
विस्तार रूप से निचे पढ़ें
1.9K views16:14
2021-02-10 18:56:16
मैं बनूंगा थानेदार
ग्रुप के नियम एवं उद्देश्य
मध्यप्रदेश सब इंस्पेक्टर परीक्षा से संबंधित प्रश्नों के डाउट को हल करना।
आपसे अनुरोध है कि ग्रुप में कम से कम मेसेज भेजे
Quiz time :- 09:00 PM
Quiz time :- 1:00pm , 8:00pm, 8:30pm , 9:30pm
धन्यवाद
https://t.me/Thanedar
1.9K views15:56
2021-02-10 18:31:09
CRPF की कोबरा यूनिट में महिला कमांडो की पहली टुकड़ी हुई शामिल, जानें विस्तार से
1.9K views15:31
2021-02-10 18:31:01
केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) में 34 महिला कर्मियों की पहली टुकड़ी को जंगल युद्ध के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित कमांडो यूनिट 'कोबरा' में शामिल किया गया है. इन्हें जल्द ही देश के ऐंटी नक्सल अभियानों में तैनात किया जाएगा. सीआरपीएफ के कोबरा कमांडो दस्ते को दुनिया के सर्वश्रेष्ठ बलों में शामिल किया गया है.
अब कोबरा दस्ते में महिला जवानों को शामिल किया जा रहा है. सीआरपीएफ की सभी छह महिला बटालियनों से कुल 34 महिला कमांडो का चयन किया गया है. इन्हें तीन माह का कठोर प्रशिक्षण दिया जाएगा. सीआरपीएफ ने नक्सलियों से लोहा लेने हेतु अपनी प्रतिष्ठित कोबरा यूनिट में शामिल करने को महिला कमांडो की पहली बैच का चयन किया है.
सीआरपीएफ के अनुसार, उन्हें तीन महीने के प्रशिक्षण के दौरान आधुनिक हथियार चलाना सिखाया जाएगा. इसके अतिरिक्त शारीरिक क्षमताओं में वृद्धि करने के साथ-साथ प्लानिंग, फिल्ड क्राफ्ट व विस्फोटकों के इस्तेमाल का भी प्रशिक्षण दिया जाएगा. जंगल में नक्सलियों से मोर्चा लेते समय घिर जाने के बाद खुद को बचाने के तरीका भी उन्हें सिखाए जाएंगे. इन महिला कमांडो को सफलतापूर्वक प्रशिक्षण पूरा कर लेने के बाद पुरुष कमांडो के साथ नक्सल प्रभावित इलाकों में तैनात किया जाएगा.
खुफिया सूचना आधारित जंगल युद्ध अभियानों के लिए साल 2009 में सीआरपीएफ में कमांडो बटालियन 'कोबरा' का गठन किया गया था. इसमें अब तक पुरुषकर्मी ही सेवा देते रहे हैं. कोबरा बटालियन के अधिकतर कमांडो माओवादी हिंसा से प्रभावित विभिन्न राज्यों में तैनात हैं जबकि इसके कुछ कमांडो उग्रवाद रोधी अभियानों के लिए पूर्वोत्तर राज्यों में तैनात हैं.
गृह मंत्रालय ने नक्सलियों से मुकाबला करने के उद्देश्य से गुरिल्ला और जंगल में लड़ाई करने जैसी कार्रवाई को अंजाम देने के लिए कोबरा की दस बटालियन गठित करने की मंजूरी दी थी. कोबरा बटालियन में शामिल किये जाने वाले सैनिकों को मानसिक और शारीरिक स्तर पर कड़े मानदंडों कड़ी मेहनतB करनी पड़ती है. सीआरपीएफ में भर्ती होने वाले जवानों में से ही कोबरा कमांडो को चुना जाता है.
सीआरपीएफ की 88वीं महिला वाहिनी का गठन साल 1986 में किया गया था. गौतरतलब है कि आंतरिक सुरक्षा के उद्देश्य से गठित की गई सीआरपीएफ में 1986 से ही महिला कर्मी हैं, जब इसकी प्रथम महिला बटालियन का गठन किया गया था. इस समय सुरक्षा बल में ऐसी छह इकाइयां हैं. बताया जाता है कि बल में लगभग 3.25 लाख कर्मी हैं और यह देश का सबसे बड़ा अर्द्धसैनिक बल।
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2021-02-10 17:32:04
महत्वपूर्ण विस्तारित पोस्ट
UAE ने अंतरिक्ष में रचा इतिहास, मंगल की कक्षा में पहुंचाया अंतरिक्षयान
संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने हाल ही में इतिहास रच दिया है. संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) का अंतरिक्ष यान 'होप' मंगल ग्रह के और नजदीक पहुंच गया है. यूएई की अंतरिक्ष एजेंसी ने इतिहास रचते हुए पहली ही कोशिश में अपने अंतरिक्षयान को मंगल की कक्षा में सफलतापूर्वक पहुंचा दिया है.
यूएई का होप यान लगभग 120,000 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चक्कर लगा रहा है. मंगल के गुरुत्वाकर्षण बल के पकड़ में आने के लिए यूएई के वैज्ञानिकों ने अंतरिक्षयान के इंजन को लगभग 27 मिनट तक चालू रखा. सीएनएन के अनुसार, मंगल पर यूएई का पहला मिशन 09 फरवरी को लाल ग्रह के और करीब पहुंचा और पहले प्रयास में ही सफलतापूर्वक कक्षा में प्रवेश कर गया.
'होप प्रोब'(Hope Probe) के नाम से जाना जाने वाले यूएई के मार्स मिशन ने एक संकेत भेजकर पुष्टि की कि यह कक्षा में प्रवेश कर चुका है. मार्स ऑर्बिट इंसर्शन अब पूरा हो गया है. जब अंतरिक्ष यान मंगल ग्रह की कक्षा में पहुंचा तो लाल ग्रह पर ऐसा करने वाला वह दुनिया का पांचवा देश बन गया और अरब देशों में वह पहला देश बना.
होप मार्स मिशन को साल 2014 में यूएई के राष्ट्रपति हिज हाइनेस शेख खलीफा बिन जायद अल नाहयान और महामहिम शेख मोहम्मद बिन राशिद अल मकतूम द्वारा घोषित सबसे बड़ी रणनीतिक और वैज्ञानिक राष्ट्रीय पहल माना जाता है. अमीरात मंगल मिशन या होप मंगल मिशन (The Emirates Mars Mission या Hope Mars Mission) संयुक्त अरब अमीरात द्वारा मंगल ग्रह के लिए एक अंतरिक्ष अन्वेषण कार्यक्रम है.
यूएई का होप यान अगले कुछ महीने तक मंग्रल ग्रह के वातावरण का अध्ययन करेगा. यूएई के इस मिशन का लक्ष्य मंगल ग्रह के पहले ग्लोबल मैप को तैयार करना भी है. ये मिशन इसलिए खास है क्योंकि इससे पहले के रोवर मंगल के चक्कर ऐसे काटते थे कि वह दिन के सीमित समय में ही उसके हर हिस्से को मॉनिटर कर पाते थे. इससे अलग होप का ऑर्बिट अंडाकार है जिसे पूरा करने में इस रोवर को 55 घंटे लगेंगे. इसकी वजह से यह मंगल के हिस्सों पर दिन और रात में ज्यादा समय के लिए नजर रख सकेगा.
वैज्ञानिकों के सामने सबसे ज्यादा खतरा इस अंतरिक्षयान की स्पीड थी. उन्हे डर था कि यदि वह तेजी से जाता है तो होप मंगल ग्रह से दूर निकल जाएगा और अगर होप धीमे जाता है तो वह मंगल ग्रह पर नष्ट हो जाएगा. हालांकि, यूएई के वैज्ञानिकों ने इन सब पर जीत पाते हुए अपने मिशन को सफलतापूर्वक मंगल की कक्षा में पहुंचा दिया.
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2021-02-10 16:55:31
पूरानी लिंक ग़लती से डल गयी थी जल्द निचे दी गई लिंक कर आए
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2021-02-10 15:05:19
ध्यान देवे
Mppsc2020 में पदों की संख्या में परिवर्तन हुआ है
लगें रहो
आज आवेदन करने की अंतिम तिथि है
#Mission_MPPSC_PRE
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2021-02-10 10:59:19
Benefits of In-Bond Manufacturing Scheme
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