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एक दिन उसका छोटा भाई अपने स्कूल की गर्मियों की छुट्टी में उसके | Savita Bhabhi HINDI story..

एक दिन उसका छोटा भाई अपने स्कूल की गर्मियों की छुट्टी में उसके मामा के घर अपने मम्मी पापा के साथ गांव गया था.
रात हुई तो छत पर हम दोनों कुछ जल्दी ही आ गए थे.

मैंने और एकता ने रोज की तरह लूडो खेलना चालू किया. आपको तो समझ आ ही गया होगा कि मुझे जो चाहिए था, वो शायद आज मुझे मिलने वाला था.

अन्दर ही अन्दर मेरे मन में लड्डू फूटने लगे थे. आज एकता भी कुछ अलग सा व्यवहार कर रही थी, पता नहीं क्यों आज उसके हाव-भाव ठीक नहीं लग रहे थे.

रोज की तरह आज भी हम दोनों ने लूडो खेलना चालू किया.
मगर आज लूडो खेलने में हम दो ही थे, तो हमने लूडो चालू तो किया. पर थोड़ी देर तक ही खेला … आज पता नहीं क्यों हम दोनों को खेलने में मजा नहीं आ रहा था. एकता भी आज कुछ अजीब सी हरकत कर रही थी.

मैंने उसकी ड्रेस की तरफ देखा तो वो भी रोज से हटकर थी.

आज उसने एकदम छोटी वाली शॉर्ट्स और टॉप ही पहन रखा था. उसने अन्दर ब्रा नहीं पहनी थी वो उसके निप्पल से साफ साफ दिखाई दे रहा था.
मैंने उसके कड़क हो चुके निप्पल देखे तो वो आज कुछ ज्यादा ही हॉट दिखी.

फिर आज वो मुझे कुछ ज्यादा ही भाव दे रही थी. आज तक उसने मेरे साथ ऐसे कभी बर्ताव नहीं किया था.

बड़े गले का टॉप पहने होने के बावजूद भी पूरी नीचे को झुक कर लूडो खेल रही थी. इससे मुझे उसके गोल गोल मम्मे साफ़ दिख रहे थे.
शायद वो खुद ही मुझे अपने दूध दिखा रही थी.

मुझे तो लग रहा था कि इसके टॉप में गले की तरफ से हाथ डालकर एक दूध मसल दूँ. मगर जब आज खुद बकरा कटने को मिमिया रहा हो तो जल्दबाजी की क्या जरूरत थी.
मैं कामुक निगाहों से एकता के मम्मों का नजारा देखने लगा. मेरा लंड भी उठ कर अपनी औकात में आने लगा था.

आज एकता का लूडो के खेल में जरा सा भी ध्यान नहीं था, शायद वो आज कुछ और खेलना चाहती थी.
वो बात बात में मेरा हाथ पकड़ ले रही थी और जोर से मेरे हाथ पर चूंटी काटती थी फिर तुरंत की बड़ी मुहब्बत से मेरे हाथ में किस कर लेती थी.

थोड़ी देर बाद मुझे भी साफ़ समझ आ गया था कि आज इसे क्या चाहिए था.

हम लोगों ने आज बहुत देर तक ऐसा किया. हम दोनों ने इसी तरह से बेमन से बहुत देर तक लूडो खेला.
खेल तो बहाना था … हमें तो आज कुछ और ही खेल खेलना था मगर समझ नहीं आ रहा था कि शुरुआत कैसे करें.
उसकी आंखों में शरारत कुछ ज्यादा ही झलक रही थी.

मैंने उससे कहा- यार आज कुछ मजा नहीं आ रहा है. कुछ नया होना चाहिए.
वो अपनी ठोड़ी पर अपने दोनों हाथ लगा कर बैठ गई और मेरी तरफ देख कर बोली- तुम्हें क्या नया चाहिए?

मैंने उसकी आंखों में आंखें डालकर देखा और कहा- तुमको भी नया चाहिए हो तो बात बन सकती है.
वो बोली- हम्म … चलो बताओ क्या नया चाहिए.

मैंने कहा- शर्त लगा कर खेल खेलोगी?
वो बोली- मतलब!

मैंने कहा- लूडो में एक गोटी मारने पर एक बात माननी पड़ेगी … तुम्हें भी और मुझे भी.
वो बोली- ठीक है.

खेल शुरू हुआ. पहली गोटी मेरी मर गई.
वो हंस दी और बोली- तुम गाना सुनाओ.

मैंने कहा- कौन सा!
वो बोली- तुम अपनी पसंद का सुनाओ.

मैंने कहा- ठीक है.

मैंने वो गाना सुनाना शुरू किया- हम तुम एक कमरे में बंद हों और चाभी खो जाए.
वो हंस पड़ी.