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*159 पड़ोसन लड़की की जवानी का मजा सेक्सी हॉट लड़की की चुदाई क | Savita Bhabhi HINDI story..

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पड़ोसन लड़की की जवानी का मजा

सेक्सी हॉट लड़की की चुदाई कहानी में पढ़ें कि मेरे पड़ोस में एक नया परिवार आया. उनकी लड़की से मेरी दोस्ती हो गयी. सब लोग छत पर सोते थे तो एक रात …

नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम मोहन है, मैं एक शादीशुदा युवक हूँ. मैं सूरत गुजरात का रहने वाला हूँ. मेरी हाइट पांच फुट आठ इंच है. मेरे लंड का साइज़ छह इंच है. मैं दिखने में गुड लुकिंग हूँ और ज्यादा मस्ती वाला मिज़ाज़ का हूँ.

वैसे तो मुझे तरह तरह की लड़कियां और भाभी चोदना बहुत पसंद हैं. खास कर बड़े मम्मे और बड़ी गांड वाली भाभियां और लड़कियां लंड के नीचे लेना ज्यादा पसंद हैं.

मैं अन्तर्वासना का एक नियमित पाठक हूँ. इधर ये मेरी पहली सेक्स कहानी है. आज मैं आपके साथ मेरे साथ घटी एक मादक घटना साझा करना चाहता हूँ. मैं आशा करता हूँ कि आप सभी को मेरी सेक्सी हॉट लड़की की चुदाई कहानी पसंद आएगी.

ये घटना उस समय की है, जब मेरी शादी नहीं हुई थी. पढ़ाई खत्म हुए भी सिर्फ 5-6 महीने ही हुए थे.
मैं गर्मी की छुट्टी का आनन्द ले रहा था, तभी की ये बात है. उन दिनों गर्मी में हम सब लोग रात को छत पर सोने जाया करते थे.

हमारे साथ हमारे अपार्टमेंट की वो लड़की भी जाया करती थी. उसका नाम एकता (बदला हुआ नाम) था.

एकता हमारे यहां किराये पर अभी नई नई ही रहने आई थी. अभी मैं उससे ज्यादा खुला नहीं था, इसलिए हम दोनों आपस में ज्यादा बात नहीं करते थे.

एकता का फिगर 32-28-34 का था. एकता इतनी अधिक मादक लगती थी कि जाने भगवान ने किस फुर्सत की घड़ी में बड़े ही आराम से गढ़ा हो. क्या संगमरमर की मूरत सी थी वो! आह!

हालांकि देखने में थोड़ी सांवली थी … मगर उसके जिस्म की कसावट और थिरकन देख कर मेरा कलेजा हलक में आ जाता था.
सच में एकता बहुत सुंदर दिखती थी. उसके बूब्स एकदम गोल और बहुत मस्त थे.

वो जरा सी भी जुम्बिश लेती, तो उसके दूध यूं थिरकने लगते मानो उनमें कोई स्प्रिंग लगी हो.
मैं तो उसके लचकते मम्मों को देख कर एकदम से गदगद हो जाता था. उसकी चूत में गर्मी भी बहुत भरी थी, जो मैं उसकी आंखों में देख कर अंदाजा लगाता था.
उसकी कजरारी आंखों की चितवन देख कर मैं एकदम से नशे में हो जाता था.

एकता अपने मम्मी पापा और भाई के साथ छत पर सोने आया करती थी.

कुछ दिन तक बस यूं ही हम दोनों एक दूसरे को देख कर मन भर लिया करते थे और हल्की सी स्माईल देकर घूम जाते थे.

वो देखने में मुझे काफी सीधी साधी लग रही थी.

मैं उससे बात करने के लिए तड़प रहा था, बहुत हिम्मत जुटा कर जैसे तैसे मैंने उससे बात करने की कोशिश की.

एक दिन वो अकेली खड़ी थी मैं उसे हाय बोला. उसने भी मुझे हाय बोला. मैंने उसे अपना नाम बताया.
उसने भी अपना नाम बताया.

मैंने उससे पूछा- मुझसे बात करने में इंटरेस्ट है?
वो हंस दी- क्यों? ऐसे क्यों पूछ रहे हो?

मैंने भी हंस कर कहा- इसलिए पूछा क्योंकि तुमको मैं कोई चिपकू न लग रहा होऊं कि ये खामखां लस रहा है.
वो हंस दी और बोली- चिपकू हा हा हा … अरे यार ऐसा नहीं है.

उसने मुझे यार कहा, तो मुझे भी मजा आ गया.
हंसते समय उसके गालों पर गड्डे देख कर दिल खुश हो गया.

मैंने उसके डिम्पल की तारीफ़ की तो उसने थैंक्स कहा. फिर इस तरह धीरे धीरे हम दोनों की दोस्ती हो गई और बातचीत भी होने लगी.

हमारे बीच बातचीत की शुरुआत काफी अच्छे मूड में हुई थी, तो अब हम दोनों थोड़ी मस्ती मजाक भी कर लिया करते थे.

उन्हीं दिनों की बात है, जब हम लोग छत पर सोते थे और हमारे अपार्टमेंट के काफी सारे लोग छत पर सोने आते थे.
उसमें एकता की फैमिली मेरे मम्मी पापा और कुछ दूसरे किराएदार भी सोने के लिए आया करते थे.

हमारे बीच अब पहले से ही बोलचाल का व्यवहार था, तो हम दोनों सोने से पहले थोड़ी बहुत बात कर लिया करते थे; थोड़ी मस्ती मजाक भी कर लिया करते थे और सो जाते थे.

हम लोग सोने से पहले मोबाइल में एकता, उसका छोटे भाई और मैं हम तीनों लूडो खेलते थे.
मैंने लूडो का खेल खेलना इसलिए भी शुरू किया था ताकि उसके मम्मी पापा को ऐसा न लगे कि मैं उनकी बेटी को फ्लर्ट कर रहा हूँ.

मेरे खुशनुमा व्यवहार के कारण अब तो आलम ये हो गया था कि कभी कभी तो आंटी भी हमारे साथ लूडो खेलने आ जाती थीं.

इस तरह से मैं एकता के काफी करीब आ गया था और उसके मम्मी पापा की नजरों में भी मैं एक अच्छा बन्दा सिद्ध हो गया था.

हम जहां पर सोते थे, हमारे बाजू में ही एकता का बिस्तर लगता था. धीरे धीरे अब हम दोनों और भी करीब आने लगे थे.
वो भी मेरे साथ बात करने का कोई ना कोई बहाना ढूंढती रहती थी और मैं भी उससे बात करने का कोई न कोई बहाना ढूंढता रहता था.

मैं उसे किसी ना किसी बहाने से छूने की कोशिश करता रहता था और वो भी मेरी इन हरकतों का मजा लेती थी.
उसने मेरी टचिंग वाली बात से कभी भी विरोध नहीं किया था.
इससे मेरे दिमाग में एक बात पक्की होने लगी थी कि इसकी चुत में भी आग लगी है.