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वाइफ हॉट सेक्स कहानी में पढ़ें कि एक दिन मैंने अपनी बीवी को चार | सबकी सविता भाभी ❤

वाइफ हॉट सेक्स कहानी में पढ़ें कि एक दिन मैंने अपनी बीवी को चार अनजान लड़कों से एक साथ चुदाई करवाते देखा. तो मैंने सोचा कि इसकी अन्तर्वासना कभी शांत नहीं होगी.
हैलो फ्रेंड्स, मैं स्वप्निल झा आपको अपनी बीवी की चुदाई की कहानी में फिर से एक बार मजा देने आ गया हूँ.
मेरी पिछली कहानी
मेरी बीवी की चूत गांड चुदाई हवालात में
में अब तक आपने पढ़ा था कि मेरी अति चुदक्कड़ बन चुकी बीवी की चुदाई घर पर तीन मर्द कर रहे थे. उनसे चुद कर वो सो गई.
अब आगे वाइफ हॉट सेक्स कहानी:
अगले दो तीन दिन तक अरुणिमा का ताना बढ़ता गया.
ऑफिस से कॉल करता तो बोलती- ठीक हूँ, किसी से चुद नहीं रही हूँ.
कभी फ़ोन कट कर देती, कभी बोलती बार बार कॉल करके नज़र रखते क्या … या कहती कि कॉल करके परेशान मत किया करो.
मैंने भी कॉल करना बंद कर दिया.
लगभग एक हफ्ते बाद मैं एक जरूरी फाइल लेने घर आया.
उस समय लगभग दो बज रहे थे.
मैं बाइक खड़ा करके उतरा और गेट तक पहुंचा.
गेट बंद था तो सोचा कि शायद अरुणिमा सो रही होगी.
मुझे उसको उठाना मुझे ठीक नहीं लगा तो मैंने अपने चाभी से दरवाजा खोल लिया.
मैं बरामदे से अन्दर ड्राइंग रूम में जा रहा था कि मुझे अरुणिमा की आवाज सुनाई दी.
‘बाबू को मम्मी का दुधु पीना है? नहीं आ रहा मुँह में? पापा को बोलो जोर से चोदे मम्मी को … तब तो दुधु आएगा.’
मैंने दरवाजे पर लगे परदे को जरा सा हटा कर अन्दर झांका. अन्दर सोफा टेबल पर अरुणिमा नंगी पड़ी थी. दो लड़के टेबल के दोनों तरफ बैठ कर उसके निप्पल्स को चूस रहे थे.
उसके नीचे की तरफ एक और लड़का खड़ा था जो अरुणिमा की जांघों को पकड़ कर उसकी चूत चोद रहा था.
उसके सर के ऊपर की तरफ एक और लड़का खड़ा था, जिसका लंड थूक से गीला था.
इसका ये मतलब था कि थोड़ी देर पहले अरुणिमा उसका लंड चूस रही थी.
मुझे विश्वेश्वर जी पर बड़ा गुस्सा आ रहा था इसलिए मैं दबे पांव बाहर आया और तुरंत विश्वेश्वर जी को कॉल किया.
उन्होंने दो बार तो कॉल काट दिया.
पर तीसरी बार झल्ला कर उठाया, उन्होंने कड़क कर पूछा- क्या हुआ भड़वे?
मैंने आवाज में नर्मी लाते हुए कहा- आप मुझसे इतना क्यों नाराज हैं? अरुणिमा को आप चारों ने चोद लिया. एक बार का आवेश सोच कर मैंने आप सबके कहने पर उसे अहसास करवाया कि मेरी मर्जी शामिल थी. उसके बाद आप लोगों ने रोज का रूटीन बना लिया. जब जैसे मर्जी पड़ी, उसे चोदते रहे. कभी मेरे घर पर कभी कहीं और. मैंने उस पर भी कोई प्रतिरोध नहीं किया. लेकिन आप फिर भी इतना गुस्सा हैं कि पता नहीं मुझसे क्या गलती हो गई?
ये बोल कर मैं चुप हो गया.
तो विश्वेश्वर जी बोले- सॉरी स्वप्निल! तुम ठीक बोल रहे हो, हम लोग कुछ ज्यादा ही ज्यादती कर रहे हैं. चलो जो हो गया सो हो गया, आइंदा से ऐसा कुछ नहीं होगा. आज के बाद हम चारों में से कोई भी अरुणिमा को और तुम्हें परेशान नहीं करेगा. मैं बाकी लोगों को भी बोल दूंगा, वैसे भी अरुणिमा में मेरी दिलचस्पी खत्म हो गई है. गुरुबचन का मन है थोड़ा … लेकिन मैं उसको कॉल कर दूंगा. उसके बाद उसकी गांड में इतना दम नहीं होगा कि वो मेरी बात काटे. तुम बेफिक्र रहो.
मैंने ताना मार कर कहा- और ये जो गाहे बगाहे अरुणिमा को चोदने के लिए लोग भेज देते हो उसका क्या?
उन्होंने कहा- साले हरामी, एक बार ही तो भेजा था बस!
मुझे झटका लगा, उनकी बात से तो लग रहा था कि जो चार लड़के अन्दर अरुणिमा को चोद रहे थे, उनको यदि विश्वेश्वर जी ने नहीं भेजा है, तो फिर किसने भेजा था.
मैंने उन्हें धन्यवाद बोल कर फ़ोन काट दिया और वापस अन्दर आ गया.
इस बार मैं धड़ल्ले से अन्दर घुस गया.
अरुणिमा की चूत में एक लंड, मुँह में दूसरा और दो लड़के उसके निप्पल्स को चूस रहे थे.
जिसका लंड अरुणिमा के मुँह में था उसने अपना लंड बाहर निकाला.
मैंने अरुणिमा को घूरा, तो उसने कहा- ये लोग विश्वेश्वर जी के ख़ास लोग हैं, उन्होंने भेजा है.
मेरी तो विश्वेश्वर जी से बात हो ही चुकी थी, पर ये बात अरुणिमा को पता नहीं थी.
अगर विश्वेश्वर जी से मेरी बात नहीं हुई रहती, तो अरुणिमा की बात मान भी लेता.
मुझे भी थोड़ी देर पहले यही लगा था.
लेकिन विश्वेश्वर जी से बात करने के पश्चात ये तो तय था कि अरुणिमा साफ़ झूठ बोल रही थी.
मैंने उससे कुछ नहीं कहा और अन्दर जाकर फाइल निकाल कर वापस आया.
वो लोग वैसे ही जड़ रुके हुए थे.
मैं बरामदे में गया और जोर से दरवाजा बंद कर दिया लेकिन मैं अन्दर ही रुक गया.
मैंने परदे के पास कान लगा दिया कि इनकी बात सुन सकूं.
एक लड़का तुरंत बोला- हमें तो किसी विश्वेश्वर जी ने नहीं भेजा है, बल्कि आपने खुद बुलाया है. फिर आपने उस आदमी से झूठ क्यों कहा? कौन था वो आदमी?