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जहाँगीरकालीन चित्रकला के बारे में जहाँगीर के अधीन मुगल चित | PaperLess Study™

जहाँगीरकालीन चित्रकला के बारे में


जहाँगीर के अधीन मुगल चित्रकला ने अधिकाधिक आकर्षण, परिष्कार एवं गरिमा प्राप्त की।

चित्रकला में रूढ़ियों के स्थान पर वास्तविकता के दर्शन होते हैं; संभवत: ऐसा बढ़ते हुए यूरोपीय प्रभाव के कारण हुआ।

इस काल में प्रकृति का अधिक सजीव और बारीक चित्रण किया गया है। पशु, पक्षी, पूलों, वनस्पतियों का बेहद सुंदर चित्रांकन किया गया है।

एक छोटे आकार के चित्र (मिनेयेचर) बनाने की परंपरा की शुरुआत हुई।

इस युग के विशिष्ट उदाहरण हैं- ‘अयार-ए- दानिश’ (पशुओं के किस्से-कहानी की पुस्तक) ‘गुलिस्तां’ (कुछ लघु चित्रकलाएँ,) ‘हाफिज़ का दीवान’ तथा ‘अनवर-ए-सुहावली’ आदि।

वर्जिन मैरी को अपने हाथ में पकड़े जहाँगीर का लघु चित्र (मिनेयेचर) प्रमुख है।

जहाँगीर के दरबार के प्रसिद्ध चित्रकार हैं- अकारिज़ा, आबुल हसन, मंसूर, बिशन दास, मनोहर, गोवर्धन, बालचंद, दौलत, मुखलिस, भीम और इनायत।

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