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वो काफी उदास हो गई थी. मुझे भी बुरा लग रहा था, पर क्या कर सकता | ℍ𝕚𝕟𝕕𝕚 & 𝔼𝕟𝕘𝕝𝕚𝕤𝕙 𝕊𝕖𝕩 𝕊𝕥𝕠𝕣𝕪

वो काफी उदास हो गई थी. मुझे भी बुरा लग रहा था, पर क्या कर सकता था.

दूसरे दिन लड़के वाले हमारे घर आ गए और उन्होंने स्नेहा को पसंद भी कर लिया. स्नेहा सबके सामने खुश थी, पर मुझे पता था उसके दिल पर क्या बीत रही थी.

लड़के वाले चले गए और दो ही दिन बाद लॉकडाउन का ऐलान हो गया.

आज पूरे 10 दिन हो गए थे. हम घर पर ही थे. श्वेता उसकी नानी के घर अटक गई थी. चाचा और स्नेहा के घर पर होने के कारण मैं चाची संग कुछ नहीं कर पा रहा था.
बैठे बैठे मेरे दिमाग में सिर्फ सेक्स के विचार घूम रहे थे. हर वक्त मेरा लंड चुदाई करने को बेताब हो रहा था.

मैं किचन में जाता तो चाची मौका देख कर मेरा लंड सहला देतीं. फिर मैं बाथरूम में जाकर लंड हिला कर उसका पानी निकाल लेता.

स्नेहा और चाचा घर में होने की वजह से खतरा बहुत था.

शाम को खाना खाने के बाद मैं और स्नेहा रूम में बैठे बात कर रहे थे.
स्नेहा का फोन आ गया, तो वो फोन पर बात करने लगी थी.
और मैं पोर्न क्लिप देख रहा था.

अचानक मुझे रोने की आवाज सुनाई देने लगी, तो मेरा ध्यान स्नेहा की ओर गया. वो अपने आंसू मुझसे छुपा रही थी. मैं उसके पास बैठ गया और उसे समझाने की कोशिश करने लगा था.

उसे अपने बीएफ की याद आ रही थी. मैंने काफी देर तक उसको समझाया.
थोड़ी देर मैं वो से गई. मुझे स्नेहा काफी अच्छी लगती थी, मैं उसकी काफी केयर भी करता था.
मैंने उठकर लाइट बंद कर दी और पोर्न देखने बैठ गया.

रात के करीब 12 बज चुके थे. पोर्न देखने की वजह से मेरा लंड काफी सख्त हो गया था. उसे हिला कर शांत करने के अलावा मेरे पास कोई विकल्प नहीं था.
रूम में काफी अंधेरा था, इस लिए मैंने अपना लंड अपने लोवर से बाहर निकाला और उसे हिलाने लगा.

चाची और श्वेता को याद कर मैं अपना लंड सहला रहा था. थोड़ी ही देर में मेरा पानी निकल गया. मैं अपना लंड पकड़ कर वैसे ही बाथरूम में चला गया.

मेरे लंड से पानी तो निकल गया था, पर वो सख्त अभी भी था. मैं वापिस रूम में आया और रूम की लाइट जला दी.
स्नेहा दूसरे बेड पर सो रही थी.

वो कुछ पटियाला टाइप की लोअर पहनी हुई थी और ऊपर एक टी-शर्ट थी, जो काफी ऊपर सरक चुकी थी.
इस वजह से मुझे नीचे से ऊपर की ओर देखने से उसकी पीठ साफ़ दिख रही थी.

उसकी पैंटी का ऊपर का हिस्सा भी दिख रहा था. वो सब देख कर मेरा बहुत बुरा हाल था.

मैंने 10-12 दिन से सेक्स नहीं किया था. मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया. मैंने कभी स्नेहा के बारे में ये नहीं सोचा था.
तो मैंने एक चादर ले ली ताकि वो जाग भी जाए तो उसे कहूंगा कि मैं उसे चादर ओढ़ा रहा था.

मैं उसके पास चला गया. वो बड़ी गहरी नींद में थी. रो रो कर वो थक चुकी थी.

मैंने उसकी टी-शर्ट पीछे से नीचे करने के लिए उसकी टी-शर्ट को पकड़ा. टी-शर्ट के साथ मुझे उसकी ब्रा का हुक भी हाथ में लग गया. टी-शर्ट को नीचे करने की बजाए मैंने थोड़ा सा ऊपर की ओर सरका दिया. इस वजह से मुझे अब उसकी ब्रा के हुक पूरी तरह से दिख रहे थे.
मेरी तो जान निकल रही थी.

मैंने एक तरकीब निकाली. रूम की लाइट बंद करके मैंने छोटा वाला बल्ब जला दिया जिसके कारण मैं उसके पास जाकर उसे अच्छे से देख सकूं.

अब मैं स्नेहा के पीछे जाकर लेट गया. कुछ पल रुकने के बाद मैंने धीरे धीरे हाथ चलाना शुरू किए.

धीरे से उसकी टी-शर्ट उठा कर ब्रा का एक हुक निकाला. फिर रुका और दो मिनट बाद दूसरा भी हुक निकाल दिया.
उसके ब्रा की साइज करीब 34-डी साइज़ की होगी. मतलब उसके स्तन बहुत भरे हुए थे.
साली ने अपने ब्वॉयफ्रेंड से चुदाई के समय अपने मम्मे खूब मिंजवाए होंगे.

फिर धीरे से मैं अपना हाथ आगे की तरफ ले गया और धीरे धीरे उसकी एक चूची को सहलाने लगा.
मुझे काफी मजा आ रहा था. उसके बड़े स्तन दबाने से मैं तो जन्नत में विचरने लगा था.

अभी तक उसने कुछ विरोध नहीं किया था.

अब मुझे उसकी चूत देखने की इच्छा हो रही थी. मैंने धीरे से उसकी पटियाला पैंट पीछे से नीचे खिसका दी.
अन्दर उसने फूलों के प्रिंट वाली जालीदार पैंटी पहनी थी. जो उसके गोरे बदन की काफी सेक्सी लग रही थी.

इतने में वो पलट गई.
मैं आंख बंद करके सोने का नाटक कर रहा था.
उसने पास पड़ी हुई चादर ओढ़ ली और सो गई.

फिर मेरी भी आंख लग गई.

दूसरे दिन सुबह मेरी आंख देरी से खुली. पर अभी भी स्नेहा मेरे बाजू में सोई हुई थी. मैंने धीरे से उसकी टी-शर्ट के ऊपर से ही चैक किया, तो उसकी ब्रा का हुक लगा हुआ था.

मैं ये देख कर बहुत डर गया था. पर उस दिन उसने मुझे कुछ नहीं कहा.

दो दिन ऐसे ही चलता रहा. मैं रोज उसकी ब्रा खोल देता, थोड़ी देर उसके गोल गोल गुब्बारों को सहलाता और सो जाता.

फिर एक दिन सुबह सुबह बाहर बारिश हो रही थी, इसी लिए मैंने बाहर सुखाए हुए सभी कपड़े अपने रूम में ला रखे थे.
इतने मैं स्नेहा नहा कर मेरे कमरे में आई और अपने कपड़े खोजने लगी.
उसे ब्रा तो मिल गई थी, पर पैंटी नहीं मिल पा रही थी.

मैं बगल मैं ही बैठा था, तो उसने मुझसे पूछा- अरे राहुल