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देर करना उचित नहीं समझा और एक ही झटके में अपना लंड अंदर कर दिय | ℍ𝕚𝕟𝕕𝕚 & 𝔼𝕟𝕘𝕝𝕚𝕤𝕙 𝕊𝕖𝕩 𝕊𝕥𝕠𝕣𝕪

देर करना उचित नहीं समझा और एक ही झटके में अपना लंड अंदर कर दिया।

हर्षिता अचानक हमले से आह कर बैठी और मुस्कुरा कर बोली- मार ही डालोगे क्या?
मैंने भी उतर दिया- ऐसे कैसे? कोई अपनी जान को मारता है क्या? तुम्हें तो हम अब छोड़ेंगे नहीं। इतना चोदन करेंगे कि तुम कहोगी कि बस ननदोई जी, जान बक्श दीजिए। आप तैयार हैं ना जन्नत की सैर को?

उनका हाँ का इशारा पाते ही मैं पहले मद्धम गति से चोदने लगा।

मेरा हर प्रहार ऐसे जा रहा था जैसे कोई सितार की तारों पर उंगलियाँ चला रहा हो।
चूत और लंड के टकराने से एक मद्धम संगीत निकल रहा था जो इस कामुकता में और चार चाँद लगा रहा था।

उस पर कामुक आहें आग लगा रही थी।

गति को मैं लगातार बढ़ा रहा था और चूत की गहराई को जैसे भेदे जा रहा था।

चूत में लंड की रफ़्तार अब मैं बढ़ने लगा और हर्षिता आह आह किए जा रही थी। उसके नीचे से धक्के बता रहे थे कि वो इस पल को कितना मज़ा ले रही है।

हमने अपना पोज़ बदला और कुत्ते कुतिया की पोज़ में आ गये।
मैंने फिर से एक बार बिना बोले एक झटके में लंड पेल दिया और घनघोर चुदाई शुरू कर दी।
यह मेरा पसंदीदा पोज़ है।

मेरा लंड अपने विकराल रूप में चूत की धज्जियाँ उड़ा रहा था। नायिका की कामुक आहें इसमें घी का काम कर रही थी।

हर्षिता ने कहा- और तेज़ करो … आज फाड़ दो … बना लो मुझे अपनी कुतिया! इस निगोड़ी ने मुझे बहुत परेशान किया है। आज इसकी अच्छे से मरम्मत हुई है।
और भी जाने क्या क्या वो बोलती रही।

मैंने फिर से जगह बदली और उसके एक टाँग को अपने एक हाथ पे उठा कर दुगनी रफ़्तार से चोदने लगा।
मैं चाहता था कि जिस चरमसुख की हर्षिता को तलाश है उसमें हम दोनों एक साथ स्खलित हों।

बाहर बारिश का शोर और अंदर चुदाई का तूफान अब ठहरने को था।
मुझे अंदर से एक गर्म लावे का अनुभव हुआ और मेरे लंड ने भी उसी पल अपनी बरसात अंदर ही कर दी।

उस रात मेरे वीर्य की कितनी मात्रा निकली मुझे खुद नहीं पता!
पर हाँ अन्य दिनों से कहीं ज़्यादा था।

हम दोनों थक कर चूर हो चुके थे पर ऐसा लग रहा था कि अभी भी प्यास अधूरी है।

हर्षिता उठी और बाथरूम में जाकर खुद को साफ किया और नग्न ही आकर मेरे बांहों में लेट गयी।
उस रात हमने बहुत देर तक बात की।

दोस्तो, अक्सर पुरुष सहवास के बाद सो जाते हैं जबकि महिलाओं को उसके बाद एक अलग प्यार और स्पर्श की ज़रूरत होती है। जिसके बिना प्यार अधूरा है।

आज हर्षिता बहुत प्रसन्न थी; उसे जिस चरम सुख की तलाश थी, वो उसे अपने ननदोई मतलब आपके प्रिय पथिक रंगीला में मिला था।

अभी हमारे पास कुछ और दिन शेष थे और हमने इसका भरपूर उपयोग किया।