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आदरणीय देवियों, सज्जनों और प्रेम रसिकों को लेखक पथिक रंगीला का | ℍ𝕚𝕟𝕕𝕚 & 𝔼𝕟𝕘𝕝𝕚𝕤𝕙 𝕊𝕖𝕩 𝕊𝕥𝕠𝕣𝕪

आदरणीय देवियों, सज्जनों और प्रेम रसिकों को लेखक पथिक रंगीला का सादर प्रणाम।
मेरी उम्र 32 साल, लंड 6 इंच का और लंबाई 5′ 10″, गठीला शरीर है।

लंबे समय से एक बात दिल में छुपा रखी थी हमने!
वो बोली इस बात को एक कहानी का रूप दे दो मुझे भी अमर कर दो अपने संग संग।

पहली बार किसी प्रसंग को कहानी का रूप देने की कोशिश कर रहा हूँ. मेरी हॉट साली सेक्स कहानी में कुछ त्रुटि हो जाए तो क्षमा करें और अपना अमूल्य सुझाव देने की कृपा करें।

दोस्तो, यह बात 2 साल पहले की है उन दिनों की जब मेरी शादी मधु से हुए कुछ महीने ही बीते थे।
मधु मेरी धर्मपत्नी … क्या बदन पाया है उसने … क्या यौवन … और चुदाई का ऐसा शौक कि क्या कहना?

उन दिनों आलम यह था कि यदि मैं व्यवसाय के सिलसिले में पास के शहरों में कभी जाता तो वो मुझे जिद करके चार दिन के जगह दो दिन में ही लौटने को विवश कर देती थी।
मैं भी उसे बेहद प्रेम करता था तो कभी उसकी बात टाल नहीं पाता था और दौड़ा दौड़ा आ जाता था.

फिर बिस्तर पर हमारी घमासान चुदाई होती थी।

खैर ये कहानी मेरी और मधु की नहीं है, मेरी और मधु की कहानी मैं फिर कभी लिखूंगा।

चलिए मेरी इस कहानी चरम सुख की तलाश की नायिका से आपका साक्षात्कार कराते हैं।
उसका नाम है हर्षिता!
उस वक्त वो 35 वर्ष की थी।

यूँ तो रिश्ते में वो मेरी सलहज (साले की पत्नी, भाभी) लगती थी पर ये संबंध इस कहानी में रह नहीं जाता।
यह बात आगे आपको स्वतः ही समझ आ जाएगी।

यदि मैं अपनी हर्षिता को पंक्तिबद्ध करना भी चाहूं तो मेरे शब्द कम पड़ जायें!

वो चंचल शोख अदाओं की स्वामिनी,
अल्हड़ सी मस्ती लिए एक जवानी!
समर्पण की वो असीम मूरत सी,
समा जाने को बेताब खड़ी मेरी सोणी कली।
शांत इतनी कि दर्द और प्रेम की कोई थाह नहीं,
प्रेम प्रसंग पर आये तो रहे ना प्रेम रस में भीगे कोई अंग।

ये बात जून 2018 के बरसात के दिनों की है।
मेरी शादी को हुए कुछ महीने हो गये थे और मैं ससुराल उदयपुर में अक्सर आया जाया करता था।

मैं जयपुर से अपना व्यवसाय चलाता हूँ परंतु काम के सिलसिले में जोधपुर, उदयपुर, लखनऊ, दिल्ली जाना आना लगा रहता है।

मुझे इनमें उदयपुर जाना सबसे प्रिय है जिसका कारण उस वक़्त एक तो उस शहर का सौंदर्य और उस पर ससुराल की विशेष आवभगत!

पर अब उसमें एक विशिष्ट नाम मेरी चरमसुख की साथी हर्षिता का नाम भी जुड़ चुका है।
जो अब सबसे महत्वपूर्ण है।

मुझे 5 दिन का काम था पर मैं काम 3 दिन में ही निपटा कर एक दो दिन ससुराल में विशेषकर हर्षिता के स्वादिष्ट पकवानों का मज़ा लेते हुए बिताना चाहता था।

उस वक़्त तक ना मुझे पता था, ना मेरी साथी हर्षिता को कि उसको जिस सुख की तलाश पिछले कई साल से है, वो अब बहुत करीब है।

सलहज जी हमेशा से ही शांत सुंदर घरेलू महिला थी जिन्हें देख कर कोई अंदाज़ा ही नहीं लगता था कि इस शांत चित्त के पीछे ख्वाहिशों का एक पहाड़ दबा है।
एक अंतहीन तलाश है अनकहे से अधूरे से सुख की … जो सभी सुखों से बड़ा है।

मेरी महिला पाठक यह बात भली भाँति समझ सकती हैं कि चरमसुख कितना अनमोल है; और कैसे अनेकों भारतीय महिलायें उसे बिना अनुभव किए जिए जा रही हैं।

दो वर्षो पूर्व हर्षिता भी उन्ही में से थी।

पर क्या प्यारी सलहज जी को सिर्फ़ चुदाई वाले चरमसुख की तलाश थी या कुछ और भी?
चलिए ढूंढते हैं कहानी में।

हमारा रिश्ता मस्ती मज़ाक का था तो वो काफ़ी खुल के मजाक किया करती थी.
जैसे कि ‘सुना है कि मेरी मधु को आप सोने नहीं देते?’
और मैं शरमा जाया करता था।

आप समझ ही सकते हैं कि नयी नयी शादी के बाद ससुराल वालों की ये बातें अनायास ही हमें शरमाने पर विवश कर ही देती हैं।
यूँ तो हर्षिता जी के दो बच्चे थे पर उनको देख कर लगता नहीं था कि वो 25-26 से अधिक की होंगी।

उन्होंने आज भी स्वयं को बहुत संभाल कर संवार कर रखा है। आज भी कोई बूढ़ा भी उन्हें देखे तो उसका खड़ा हो जाए।
34-28-36 का साइज़ किसी पर भी कहर बरसाने को काफ़ी है।

मेरे साले साहब एक बड़े बैंक के मार्केटिंग विभाग पर कार्यरत हैं और महीने का बड़ा हिस्सा अलग अलग जगहों पर व्यवसाय (क्लाइंट) के लिए बिताते थे।

उनके पास पैसों की कोई कमी नहीं थी पर शायद उन्होंने दो बच्चे होने के बाद इसे अत्यधिक गंभीरता से ले लिए था या उनका मन अब सेक्स जैसी चीजों में पूरी तरह नहीं लगता था।

खैर उनकी वो जाने, पर इस बात का असर सलहज जी पर पड़ने लगा था।
मैंने कई बार उनकी आँखों में एक अज़ीब सी ख़ालीपन देखा था। कोशिश भी की थी जब हम साथ होते तो कारण जानने की … पर वो हमेशा कोई ना कोई बहाना करके पीछा छुड़ा लेती थी।
पर उन्हें कहा पता था कि उसका समाधान ही उनसे कारण पूछ रहा था।

आज मैं काम से लौटा तो पता चला कि साले साहब अभी अभी माता पिताजी के साथ अजमेर की ओर निकले हैं जो सासू जी का मायका है. और एक दिन रुककर वो आगे अपने काम के सिलसिले में और 4 दिन रुकेंगे।

मैं यह जानकर मंद मंद मुस्काया क्योंकि घर में