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उस दिन भाभी ने रेड कलर की साड़ी और बहुत ही गहरे गले का ब्लाउज प | ℍ𝕚𝕟𝕕𝕚 & 𝔼𝕟𝕘𝕝𝕚𝕤𝕙 𝕊𝕖𝕩 𝕊𝕥𝕠𝕣𝕪

उस दिन भाभी ने रेड कलर की साड़ी और बहुत ही गहरे गले का ब्लाउज पहना था. उसमें से उनके आधे से ज्यादा दूध बाहर झांक रहे थे.
उन्हें देखकर ऐसा लग रहा था कि स्वयं काम की देवी रति स्वर्ग से धरती पर उतर आई हो.

भाभी को देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया.
मुझसे रहा न गया और उसी समय मैंने भाभी के पास जाकर उनकी तारीफ की- भाभी आज तो आप बहुत हॉट लग रही हो.
वर्षा भाभी बोलीं- रोज तो मुझको देखते हो … तब हॉट नहीं लगती हूँ?

मैंने कहा- ऐसा नहीं है भाभी, आप तो बहुत ही ज्यादा सुंदर हो. आपकी आंखें आपसे भी ज्यादा सुन्दर हैं, जी करता है कि आपको और आपकी आंखों रोज देखता रहूँ.

भाभी ने इठला कर कहा- अच्छा मैं … और मेरी आंखें ही अच्छी लगती हैं. इनके अलावा और क्या क्या अच्छा लगता है?
मैंने आंखों के इशारे से उनके मम्मों की तरफ इशारा कर दिया.

भाभी मेरा इशारा देख कर शर्म के मारे लाल हो गईं.

इतने में मम्मी आ गईं और उन्होंने वर्षा भाभी को जबरदस्ती भांग वाली ठंडाई पिला दी.

इसके बाद हम सब अपनी मस्ती में होली खेलने लगे.
थोड़ी देर बाद हम सब होली खेल कर अपने अपने घर चले गए.

जब नहाने की बारी आई, तो मैं अपनी छत पर नहाने चला गया.
उधर छत पर नहा कर मैं केवल एक चड्डी में ही खड़ा था.

इतने में वर्षा भाभी ब्लाउज पेटीकोट मैं छत पर कपड़े सुखाने के लिए आईं.
उनके सफ़ेद रंग के पेटीकोट में से उनकी गुलाबी कलर की पैंटी साफ़ झलक रही थी.

इस अर्धनग्न हालत में भाभी को देखकर मेरे लंड का बुरा हाल हो गया और मेरा लंड का चड्डी में तंबू बन गया.

भाभी को देखकर लग रहा था कि उनको अच्छी खासी भांग चढ़ गई है.

तभी भाभी ने मुझे इस हालत में देखा और हंस कर एक मिनट तक मेरे लंड को घूर घूर कर देखने लगीं.

उनकी आंखों में साफ-साफ कामवासना दिख रही थी जो कि भांग पीने से बढ़ गई थी.

वर्षा भाभी मेरे और मेरे लंड की तरफ देख कर हंसते हुए बोलीं- क्या अमन … आज आपने हमारे साथ तो होली खेली ही नहीं … हमें तो आपने सूखा सूखा ही छोड़ दिया.

मैंने भी मौके का फायदा उठाकर भाभी से बोला- भाभी आपके साथ होली अभी खेल लेता हूं … आपको भी गीला कर देता हूँ, आप बोलिए तो सही.

भाभी ने शर्माते हुए इशारे से मुझे उनके घर आने को कहा.
उनका इशारा पाकर मैं बड़ा खुश था कि मुझे मौका मिला है कि भाभी को चोद सकूं.

मैं भी होली के रंग लेकर उनके घर चला गया.
वे अपने कमरे में मेरा इंतजार कर रही थीं.

भाभी अभी भी केवल ब्लाउज और पेटीकोट में थीं.
उनको इस हालत में देखकर मेरा लंड कड़क हो गया और अन्दर ही अन्दर लंड झटके मारने लगा

फिर मैं भाभी के चेहरे पर रंग लगाने लगा और पीछे से पकड़ कर भी रंग लगाने लगा. मेरा खड़ा लंड भाभी की गांड में चुभने लगा, भाभी को भी मेरे लंड चुभन का मजा आ रहा था.

वर्षा भाभी मादक आवाज में बोलने लगीं- अमन जी, मुझे और कलर लगाओ ना.

मैं आगे हाथ करके उनके मम्मों पर कलर लगाने लगा.

इससे भाभी की एकदम सिसकारी निकल गयी और वो ‘अअअअ … अअ … अअअ … अह सीई ..’ की आवाज करने लगीं.

भाभी की विरोध ना करने वाली प्रतिक्रिया देखकर मेरा साहस बढ़ गया और वासना जाग गई.

तभी मैंने वर्षा भाभी के ब्लाउज में हाथ डाल दिया और उनके दूधों पर रंग लगाते हुए दूध मसलने लगा,

भाभी ने गुलाबी रंग की ब्रा पहनी थी. यह देखकर मेरा और लंड झटके मारने लगा.
लंड अब दर्द करने लगा था.

मुझसे रहा नहीं गया और मैंने भाभी के ब्लाउज के बटन खोल दिए.
उनकी ब्रा में से मम्मों को बाहर निकाल लिया.

वर्षा भाभी के बूब्स बड़े कड़क और एकदम दूध जैसे गोरे थे. उनके निप्पल भी गुलाबी थे.

यह देख कर मैं बहुत उत्तेजित हो गया और भाभी के मम्मों को चूसने लगा.

भाभी भी भांग के नशे में चूर होकर एकदम कामवासना के मद में मस्त हुई जा रही थीं.

उनके दोनों दूध को बारी बारी से मुँह में रख कर मैं कुछ देर तक चूसता रहा. भाभी भी अपना हाथ मेरे सर पर रख कर मुझसे चूची चुसवाने का मजा लेने लगीं.

मैंने भाभी के मम्मों को चूसते हुए ही उनके पेटीकोट का नाड़ा खोल कर गिरा दिया, जिससे भाभी अब सिर्फ ब्रा और पैंटी में आ गई थीं.

मैं नीचे बैठ गया और भाभी की गदराई हुई गोरी और मोटी जांघों को देखकर एकदम से गर्मा गया.
भाभी की मोटी गोरी जांघों को देखकर मुझसे रहा नहीं गया और मैं उनकी जांघों को बहुत बुरी तरीके से चाटने लगा.

उसी समय मेरे लंड ने पानी छोड़ दिया.
मैं लंड से पानी निकलने के बाद भी काफी उत्तेजित था.

मैंने भाभी की गुलाबी पैंटी को निकाल दिया. भाभी की चूत पर एक भी बाल नहीं था.
यह देख कर वर्षा भाभी की गीली और गुलाबी चूत ने मुझे और भी पागल कर दिया.

जैसे ही मैंने उनकी चूत पर हाथ फेरा, भाभी मचल उठीं.
भाभी की चूत बिल्कुल गर्म भट्टी की तरह तप रही थी.
उनकी चुत बहुत चिपचिपा रस और मादक महक छोड़ रही थी.