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न्यू सेक्सी भाभी को चोदा मैंने होली के बहाने. भाभी बला की खूबस | ℍ𝕚𝕟𝕕𝕚 & 𝔼𝕟𝕘𝕝𝕚𝕤𝕙 𝕊𝕖𝕩 𝕊𝕥𝕠𝕣𝕪

न्यू सेक्सी भाभी को चोदा मैंने होली के बहाने. भाभी बला की खूबसूरत जवान थीं. मगर हमेशा उदास सी रहती थीं. मैंने उनसे दोस्ती बढ़ायी और मौक़ा पा लिया.

नमस्कार दोस्तो, कैसे हो आप सब. मेरा नाम अमन है ‌और‌ यह मेरी पहली चुदाई की कहानी है.

मैं अन्तर्वासना का पिछले दस सालों से नियमित पाठक हूं. आज मैं भी अपनी एक सच्ची और सुखद घटना का अनुभव आप सबके सामने इस न्यू सेक्सी भाभी चुदाई कहानी के माध्यम से रख रहा हूँ.

चूत की मालकिनें और लंड के मालिकों आप सब अपना सामान पकड़ कर ध्यान से सेक्स कहानी को पढ़ें और मजा आए तो मुठ मारने से पहले मेल जरूर कर दें.

मैं इंदौर एमपी से हूं. मेरी उम्र 28 साल है और मेरी हाइट 5 फुट 10 इंच है. दिखने में मैं स्मार्ट हूं.

सबकी तरह मैं यह तो नहीं कहूंगा कि मेरा लंड 9 इंच का है. मेरे लंड की साइज 6 इंच है और ये ढाई इंच मोटा है.
मैं किसी भी जवान या बूढ़ी औरत को चोद कर संतुष्ट कर सकता हूं, इतना मुझे यकीन है.

मेरी इस सेक्स कहानी की नायिका का नाम वर्षा भाभी है, जो बदला हुआ है और एक काल्पनिक नाम है.

वर्षा भाभी हमारी बिल्डिंग में मेरे सामने वाले फ्लैट में रहती हैं. भाभी की शादी अभी 2 साल पहले ही हुई थी. भाभी 36-34-38 के फिगर वाली हैं, उनका जिस्म बिल्कुल भरा हुआ है. उनकी आंखें बड़ी बड़ी और नशीली हैं.

यदि भाभी आपको बस एक बार प्यार से नजर भरके देख लें, तो मेरा दावा है कि आपका लंड एकदम से खड़ा हो जाएगा.

भाभी को मैं जब भी देखता था, तो मेरा मन उनको उसी समय चोदने को करने लगता था.
मैं उनको देख कर अपने मन में सोचता था कि कामदेव ने भी उनको कितनी फुर्सत से बनाया होगा.

भाभी इतनी बला की खूबसूरत जवान औरत थीं. मगर वह मुझे हमेशा कुछ उदास सी दिखाई देती थीं.
इस बात पर मैंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया क्योंकि मैं उनकी उदासी को कैसे दूर कर सकता था.

होली से कुछ दिन पहले की बात है. भाभी रोज की तरह छत पर गई हुई थीं. मैं देखता रहता था कि वो सूखे हुए कपड़े उतारने जाती थीं.

उस दिन मैं नीचे अपने छज्जे में खड़ा था.
अचानक से एक ब्रा नीचे आकर मेरे मुँह पर गिरी, तो मैंने ऊपर देखा.
मुझे इधर से छत पर कोई नहीं दिखाई दिया.

मैं अब ब्रा को देखने लगा. उस पर बड़े साइज़ टैग को देख कर मैं समझ गया कि ये ब्रा मेरी पसंदीदा भाभी की है.

मैं भाभी की ब्रा को देखकर उत्तेजित हो गया और उनकी ब्रा को सूंघने लगा.

भाभी की ब्रा में से इतनी मादक खुशबू आ रही थी कि मुझको मालूम ही नहीं पड़ा कि भाभी ऊपर छत पर खड़ी यह सब देख रही हैं.

अचानक भाभी की आवाज आई- अमन जी, मेरे कपड़े गिर गए हैं, मुझको ऊपर आकर दे दीजिए.

भाभी ने जब ये कहा, तो मैंने ऊपर देखा. ऊपर भाभी दिखाई दीं तो मैं झैंप गया और भाभी जी हंसते हुए अदर चली गईं.

उनकी इस आवाज से पहले तो मेरी सिट्टी-पिट्टी गुम हो गई थी, मैं एकदम से घबरा गया था कि कहीं भाभी जी, मेरी मम्मी से ना बोल दें.
मगर उनकी हंसी देख कर मैं समझ गया कि अब भाभी मेरी मम्मी से कुछ नहीं कहेंगी.

तब भी मैं डरते हुए भाभी के घर गया और वर्षा भाभी को उनकी ब्रा दे दी.

उस समय मेरे मुँह से न जाने कैसे निकल गया कि भाभी आपकी ब्रा गीली है.
ये सुनकर पहले तो भाभी का मुँह शर्म के मारे लाल हो गया.

फिर भाभी धीमी आवाज में बोल पड़ीं- जब नाक से लगा कर सूंघोगे, तो गीली तो हो ही जाएगी.
ये कह कर भाभी हंसने लगीं.

मैंने जाने लगा तो भाभी बोलीं- अमन जी अब आए हो, तो चाय पीकर ही जाइएगा.
इससे मेरी हिम्मत बंधी और मैंने हामी भर दी.

भाभी चाय बना कर ले आईं और हम लोग चाय पीने लगे. इधर उधर की बातें करने लगे.

उस समय मैंने वर्षा भाभी से पूछा- भाभी आप इतनी उदास क्यों रहती हो?

भाभी ने मेरे सवाल का जवाब नहीं दिया और मुझसे पूछने लगीं- क्या आपकी कोई गर्लफ्रेंड है?
मैंने कहा- नहीं भाभी … मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है.

भाभी ने मुझसे बोला कि आप तो इतने स्मार्ट और अच्छे दिखते हो, आपकी गर्लफ्रेंड क्यों नहीं है … आप झूठ बोल रहे हो.
मैंने भी कह दिया कि आपकी जैसी हॉट सुंदर लड़की अभी तक मिली ही नहीं.

भाभी ने बोला- क्या मैं इतनी सुंदर दिखती हूं.
मैंने हां में सर हिला दिया.
भाभी हंस दीं.

अब तक हमारी चाय खत्म हो गई थी.
दो मिनट तक हम दोनों थोड़ी बहुत इधर उधर की बातें हुईं, फिर मैं चला आया.

अब दिन रात मुझे वर्षा भाभी और उनकी ब्रा की मादक सुगंध याद आती थी. हर रोज रात को मैं उनकी ब्रा और उनके नाम की मुठ मारने लगा था.

मैं रोज छत पर उनकी ब्रा को सूखते हुए देखने जाने लगा था.
अब मैं बस यही सोचता था कि काश वर्षा भाभी के मम्मों को चूसने का मौका मिल जाए और एक बार चोदने का मौका मिल जाए.

फिर होली का त्यौहार आया. इंदौर में होली के बाद रंगपंचमी का अवसर होली से भी ज्यादा मनाया जाता है. इधर लोग ज्यादातर रंगपंचमी पर ही रंगों से खेलते हैं.

हम सब बाहर के दोस्त, आस पास के पड़ोसी रंगों से खेल रहे थे.

तभी वर्षा भाभी आईं.