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मैंने सिर्फ कान पकड़ लिए, तो आंटी ने मुझे अपने सीने से लगा लिया | ℍ𝕚𝕟𝕕𝕚 & 𝔼𝕟𝕘𝕝𝕚𝕤𝕙 𝕊𝕖𝕩 𝕊𝕥𝕠𝕣𝕪

मैंने सिर्फ कान पकड़ लिए, तो आंटी ने मुझे अपने सीने से लगा लिया.

इसके बाद मैं उनके पूरे चेहरे हो चूमते हुए उनके गले पर चूमने लगा. उनके टॉप को उतार दिया और बस आंटी के मम्मों पर टूट पड़ा. उनके बड़े बड़े स्तनों को मैं खाने लगा.

आंटी भी अपने दोनों स्तनों को बड़ी मादकता से मुझसे चुसाने लगीं.

धीरे धीरे मैं नीचे होते हुए उनके पेट को चूमने लगा. फिर उनकी चूत पर आ पहुंचा, तो आकृति आंटी ने मुझे रोका और खुद जाकर कुर्सी पर बैठ गईं.

आंटी ने अपनी दोनों टांगों को फैला दिया और मुझे उंगली के इशारे से चुत चाटने के लिए बुलाने लगीं.
मैं भी उनके वफ़ादार डॉगी की तरह अपने घुटने पर बैठ कर अपनी मालकिन के पास आ गया.

अपने करीब पाकर उन्होंने अपने पालतू कुत्ते का मुँह अपनी भट्टी जैसी जलती गर्म चूत में घुसेड़ दिया.

मैं भी वफादार कुत्ते के तरह अपनी मालकिन की बुर को बड़े मजे और प्यार से चाटने लगा. आंटी की चुत में अपनी जीभ घुसा घुसा का अपनी मालकिन को मज़ा देने लगा.

मेरी इस हरकत से आकृति आंटी बहुत अधिक कामुक हो गईं.
उन्होंने मेरे सिर पर हाथ रखते हुए मेरे बालों को कसके पकड़ लिया और एकदम से मेरा मुँह अपनी चूत में दबा दिया. अपनी टांगों को मेरे कंधों पर रख कर मेरे गले को एकदम से दबा कर मुझे अपनी चूत में लगभग बांध लिया था.

अब मुझे सांस लेने में भी दिक्कत होने लगी थी क्योंकि मैं पहले से आकृति आंटी की चूत में घुसा था. ऊपर से उन्होंने अपनी टांगों को क्रॉस करके मेरे गले को भी बांध लिया था.
लेकिन मैं बिना रुके अपनी चुदासी भूखी मालकिन की चूत चाटने में लगा पड़ा था.

उन्होंने मेरे दोनों हाथों को ले जाकर अपने स्तनों पर रख दिया, जिनको मैं बड़ी बेदर्दी से मसलने लगा.

अब कुछ ही देर मैं आकृति आंटी की पकड़ मुझपर और सख्त होने लगी.
मुझे समझ आ गया कि अब आंटी झड़ने वाली हैं, तो मैं बिना रुके और आधी आधी सांस लेते हुए उनकी चुत के और अन्दर अपनी जीभ घुसेड़ने लगा.

आंटी की चुत रो पड़ी और उका रस मेरी जीभ के स्वाद को नमकीन करने लगा.
मैं बदस्तूर चुत चाटते हुए आंटी को झड़वाने में लगा रहा.

चुत का प्रीकम टपकना बंद हुआ तो मैं उनके मम्मों के निप्पलों को और मम्मों को भी एकदम निम्बू की तरह निचोड़ने लगा.

कुछ देर बाद जब मैंने फिर से चुत में मुँह लगाया, तो आकृति आंटी का सैलाब बहना शुरू हो गया.

इस सैलाब ने मेरे मुँह के अन्दर तक धार मार दी. उनकी चुत का रस सीधे मेरे हलक से होती हुई मेरे अन्दर समा गया. थोड़ा बहुत पानी मेरे पूरे मुँह पर भी लग गया.

इसके बाद आकृति आंटी ने मुझे छोड़ा और मुझे उठा कर अपने पास कर लिया.

आंटी मेरे मुँह को चाटते हुए बोलीं- मेरे राजा … मुझे ऐसा मज़ा मिलेगा, ये तो आज तक मैंने कभी सोचा नहीं था.

वो मेरे मुँह से मुँह लगा कर अपनी चुत की मलाई का स्वाद खुद लेने लगी थीं.

कुछ पल बाद उन्होंने मेरी टी-शर्ट उतार कर मुझे कुर्सी पर बिठा दिया.

फिर से एक बार आंटी ने मेरे होंठों से शुरू होकर मेरे पूरे चेहरे और मेरे गले पर चूमना चालू कर दिया.

मेरे गले पर तो आंटी ने खूब गहरा गहरा काट भी लिया.
मेरी कराह निकल गई. फिर यही हरकत उन्होंने मेरे सीने और पेट पर भी की.

इसके बाद आंटी ने मेरी पैंट उतार फेंकी और फिर से एक बार में ही मेरा पूरा लंड गोली समेत अपने मुँह में ऐसे भर लिया मानो वो मेरे लंड में एकदम घुस सी गयी हों.

मैंने भी उनके सिर के बालों को कसके पकड़ कर आंटी को अपने लंड में एकदम से घुसा दिया. जब उनकी सांस उखड़ने लगी, तब मैं उन्हें छोड़ा.