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यह xxx स्टोरी मेरी सगी बहन की चुदाई की है. मेरी दीदी बहुत बड़ी | ℍ𝕚𝕟𝕕𝕚 & 𝔼𝕟𝕘𝕝𝕚𝕤𝕙 𝕊𝕖𝕩 𝕊𝕥𝕠𝕣𝕪

यह xxx स्टोरी मेरी सगी बहन की चुदाई की है. मेरी दीदी बहुत बड़ी चुदक्कड़ हैं. मैंने खुद दीदी की चुदाई अपनी आँखों के सामने होते देखी है. ट्रेन में फौजी ने दीदी को चोदा. कैसे?

नमस्ते दोस्तो … मेरा नाम सन्नी है. मैं बोकारो, झारखंड का रहने वाला हूँ. ज़िंदगी में कुछ इंसानों को कम उम्र में ही बहुत कुछ देखने को मिल जाता है, जो वे सोच भी नहीं सकते हैं.

आज इसी लिए मैं यहां अपनी xxx स्टोरी लेकर आया हूँ, जो कि मेरी सग़ी दीदी सोनाक्षी की चुदाई की कहानी है.

सोनाक्षी दीदी की शादी 5 साल पहले हो चुकी थी, पर आज भी उनकी चूत आज भी उतनी ही प्यासी है, जो उनके अविवाहित के समय थी. वो इतनी बड़ी चुदक्कड़ थी कि कहीं भी लंड लेने को राजी रहती थी.
मुझे उसके बारे में ये सब बताते हुए शर्म आ रही है, पर मैंने खुद अपनी आंखों के सामने अपनी शादीशुदा बहन को कई गैर मर्दों के साथ चुदवाते हुए पकड़ा था.

मेरी सोनाक्षी दीदी की उम्र 32 साल है. उनका रंग हल्का सांवला है, पर बहुत ही खूबसूरत चेहरा है. सोनाक्षी दीदी के दूध 36 डी के हैं. यही कोई 32 इंच की कमर है और 38 इंच की उठी हुई गांड है. दीदी की चुचियां बहुत ही ज्यादा टाइट और गोल गोल हैं. उनकी गांड भी ऐसी है कि किसी का भी लंड खड़ा हो जाए.

मेरी दीदी शादीशुदा होते हुए भी रोज जिम जाती हैं … योगा करती हैं और अपने आपको सेक्सी दिखाने के लिए डांस भी करती हैं. डांस करने से उनकी कमर और मम्मे बड़ी ही अदा से हिलते हैं, जो आग लगा देने में काफी हैं.

जब मैंने पहली बार जाना कि मेरी सोनाक्षी दीदी तो एक बड़ी रांड है, तो मैं हैरान रह गया. मुझे फर्स्ट टाइम ये तब पता चला, तब हम पूरे परिवार सहित ट्रेन से भुवनेश्वर जा रहे थे. जीजू को ऑफिस से छुट्टी नहीं मिली थी, तो मैं, दीदी, मम्मी-पापा हम चारों लोग जा रहे थे.

हमारी ट्रेन शाम के 5 बजे यहां से चली. ट्रेन में हम चारों की बर्थ आरक्षित थीं. ऊपर वाली बर्थ पर एक आर्मी का जवान था, जिसकी उम्र लगभग 38-40 साल की होगी और ऊपर की दूसरे तरफ की बर्थ खाली थी. वो फौजी आदमी काफी लंबा चौड़ा था. हम सभी ने ट्रेन में चढ़ने के बाद अपना सामान सैट कर लिया.

वो आदमी अभी खिड़की वाली सीट पर बैठा था. हम सब भी बैठ गए. दीदी भी खिड़की वाली सीट पर बैठी थीं. वो दोनों आमने सामने थे. उस दिन दीदी ने लम्बी स्कर्ट और स्लीवलैस टॉप पहना हुआ था, जो कि काफ़ी सेक्सी था. दीदी के उस टॉप में उनके आधे चुचे बाहर ही दिख रहे थे.

दीदी खिड़की के बाहर देख रही थीं, तब मेरी नज़र उस आदमी पर पड़ी. मैंने देखा वो दीदी को एकटक घूर रहा था. उसकी नजरों में हवस साफ़ दिख रही थी. वो दीदी को ऊपर से नीचे तक की हर चीज़ को अच्छी तरह से देख रहा था.

जब मैंने गौर किया तो देखा कि दीदी के मम्मे कुछ ज्यादा ही बाहर थे और उनकी लाल ब्रा तक साफ दिख रही थी.
मैं समझ गया कि उस फौजी ने अपनी कामुक नज़रों को क्यों नहीं हटाया.

मैंने फिर देखा कि अब मेरी दीदी ने भी उस फौजी को देखा, पर वो अभी भी वैसे ही मम्मों को दिखा रही थीं. थोड़ी देर बाद दोनों एक दूसरे को घूरने लगे.

मम्मी पापा थक गए थे, तो वे दोनों 7 बजे आराम करने के लिए अपनी बर्थ पर चले गए. अब सीट पर मैं, दीदी और वो आदमी ही बचे थे. उस आदमी ने मौके का फायदा उठाया.

वो दीदी से बोला- आपका नाम क्या है जी?
दीदी ने कहा- क्यों?
उसने कहा- मैं आर्मी में जवान हूँ … बहुत जगह घूमता हूँ, पर आज तक आपकी जैसी खूबसूरत लेडी को नहीं देखा.
इस पर दीदी खुश हो गईं और हंसने लगीं.

फिर दीदी ने अपना नाम बताया. अब दोनों के बीच बातचीत होने लगी. मैं चुपचाप उन दोनों की बातें सुन रहा था.

थोड़ी देर बाद दीदी को बाथरूम जाने की जरूरत महसूस हुई, तो वो मुझसे बोलीं- सामान देखना, मैं वाशरूम से आती हूँ.

दीदी टॉयलेट चली गईं. उनके जाने के 2 मिनट बाद वो आदमी भी उठ कर वहां से टॉयलेट की तरफ़ निकल गया. इस पर मुझे कुछ डाउट सा हुआ … पर मैं चुप रहा.

फिर भी मुझे बैचैनी सी महसूस हुई, तो मैं भी पीछे से चला गया.

जब मैं दरवाज़े के पास गया, तो थोड़ा पहले ही रुक गया. मैंने देखा कि दीदी और वो आदमी दरवाज़े के पास खड़े होकर धीमी आवाज़ में कुछ बातें कर रहे थे.

मैंने छिप कर देखा कि दीदी दरवाज़े से चिपक कर खड़ी थीं और वो आदमी अपने दोनों हाथों को उनके कंधे के पास रख कर खड़ा था. इस समय उन दोनों के चेहरे एक दूसरे के आमने सामने थे और वे दोनों खड़े होकर हंस हंस कर बातें कर रहे थे.

मैंने देखा कि वो आदमी इस समय भी दीदी के मम्मों को घूर रहा था और दीदी हंस रही थीं. थोड़ी देर में दोनों और पास आ गए. अब उस आदमी का सीना दीदी के मम्मों को दबाने की पोजीशन में हो गया था. ये मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था कि दीदी किसी के साथ ऐसा करें, पर मुझे नहीं पता था कि मुझे अभी इससे भी बहुत कुछ ज्यादा गंदा देखना था.