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मेरी गर्दन में डाल दिए. मैं उनकी कमर पर हाथ रखकर डांस करने लगा | deshi kahani

मेरी गर्दन में डाल दिए.
मैं उनकी कमर पर हाथ रखकर डांस करने लगा. वो भी साथ देने लगीं, छाती से चूची, लंड से चूत, कमर से कमर चिपकी पड़ी थीं.
दीदी बोलीं- बहुत रोमांटिक हो तुम … मैं तो सोच रही थी कि तुझमें बस एक जंगली लड़का है.
मैं उनकी गांड दबाने लगा, वो मेरे सीने पर सिर रखकर बात करती रहीं और डांस करती रहीं.
मैंने कहा- आज सुकून से सब हो रहा तो कोई जल्दी नहीं है.
वो ‘हम्म …’ कह कर सांसें मेरे सीने में छोड़ती रहीं.
मैं बोला- आज आपको ब्रा और पैंटी में देखना है.
दीदी बोलीं- अभी आती हूं.
वो मेरे होंठों पर चुम्मा देकर अपने बेडरूम से ब्रा पैंटी ले आईं. आकर बताया कि बच्चे सो गए हैं.
मैंने अपनी टी-शर्ट उतार दी, दीदी ने भी मैक्सी को उतार दिया.
दीदी की चूचियां एकदम तनी हुई थीं और चूत से सफ़ेद पानी आ रहा था.
लाल ब्रा और काली पैंटी थी.
दीदी ने पैंटी पहन ली और चूची दिखाती हुई बोलीं- पहले चुम्मा दो इसको.
वो एकदम मासूम बन गईं थीं, कह कह कर प्यार करवा रही थीं.
एकदम जैसे बीवी हों और उनको पति के प्यार की सख्त जरूरत हो.
मैंने दोनों निप्पल्स को चुम्मा दिया और दीदी ब्रा अपने मम्मों पर डाल कर पीछे मुड़ गईं.
वो बोलीं- हुक लगाओ.
मैंने हुक लगाकर दीदी को अपनी तरफ मोड़ा.
हाय क्या लग रही थीं … एकदम मस्त माल … थोड़ा सा पेट निकला था. फूले हुए पेट का मज़ा तब आता है, जब चोदो और वो हिले.
वो बोलीं- अब उतार रही हूँ … तुम इनको चूसो.
मैं सोफे पर बैठ गया और उनको अपनी गोद में लेकर चूमने लगा.
ब्रा खोले बिना ऊपर करके चूची पीने लगा.
वो अपनी चूत लंड पर रगड़ने लगीं.
दीदी बोलीं- एक बार गोद में बैठकर करो.
उनको बस मेरा लंड चूत में चाहिए था.
मैंने कहा- जल्दी क्या है … चूत चाटने के बाद करूंगा.
मैं सोफे पर लेट गया और बोला कि मैं चूत चाटता हूं … आप लंड चूसिए.
ऐसे ही हुआ … गर्म गर्म जीभ और मुँह के मेरा लंड मुझे किसी और दुनिया में ले गया.
वो अपनी गांड हिला हिला चूत मेरे मुँह पर रगड़ रही थीं.
उनके बाल बिखरे हुए, आंखें वासना से लबरेज … सच में दीदी इस समय पक्की रांड लग रही थीं.
मैंने उनको बेड पर लिटा दिया और लंड चूत में डाल कर धीरे धीरे पेलने लगा.
दवा खाकर तो मुझमें मानो असीम ताकत आ गई थी.
मैं इतनी जोर जोर से धक्का मारने लगा कि दीदी कराहने लगीं, चीखने लगीं.
उन्होंने चादर का सिरा मुँह में डाल लिया ताकि आवाज ना आए.
मैंने लंड खींच कर दौड़ के दरवाज़ा बंद किया और फिर से लौड़ा अन्दर पेल दिया.
अब कमरे में ‘पट पट …’ की ध्वनि के साथ मादक सिसकारियों की आवाज आ रही थी और तेज सांसें चल रही थीं.
उनकी टांगें आसमान में लहरा रही थीं. चूचियां डोल रही थीं, पेट हिल रहा था.
मैं दीदी की चूचियां भींच भींच कर उन्हें ताबड़तोड़ चोद रहा था.
फिर एक नया तरीका मैंने इजाद कर दिया.
मैं खड़ा हो गया, दीदी के दोनों पैर अपनी जांघों पर टिकवा दिए.
दीदी मेरी गर्दन पकड़ कर ऊपर आ गईं और मैंने उनकी गांड से उनको पकड़ लिया.
मेरा लंड चुत में था.
वो भी धक्का मारने लगीं. पूरा लंड चूत में समाहित हो रहा था.
पसीने के कारण दीदी फिसलने लगीं.
अब मैं लेट गया और वो लंड पर बैठ कर अपना कमाल दिखाने लगीं- आह यही सुख तो तेरे जीजा जी नहीं दे पा रहे थे.
दीदी लंड पर उछल उछल कर अन्दर ले रही थीं.
मैं भी मस्त था.
काफी देर बाद दीदी ने चूत से फुहार छोड़ दी और निढाल मेरे ऊपर गिर गईं.
मैं नीचे से धक्का मारने लगा.
पच पच … करता हुआ उनकी चूत का पानी मेरी गांड तक आ गया.
मैं भी स्खलित हो गया.
दीदी हांफ रही थीं और मुझे बेशुमार पप्पियां देने में लगी थीं.
मेरा लंड अभी दीदी की चूत में ही था, पर छोटा हो गया था.
जब मैंने बाहर निकाला तो दीदी लंड चूमने लगीं.
फिर हम दोनों लेट के बात करने लगे दीदी बोलीं- राज, मेरी चूची का साइज़ बढ़ रहा है. तुम रोज इनको मसलते हो.
मैंने कहा- क्या करूं … ये तो मेरी जान हैं.
मैं फिर से चुची चूमने लगा.
दीदी बोलीं- चूची बढ़ेगी तो तुम्हारे जीजा को शक हो जाएगा.
मैंने कहा- कुछ नहीं होगा … बोल दीजिएगा कि घर में ब्रा नहीं पहनती हूँ और कहीं जाना होता नहीं है, इसलिए ऐसा हुआ है.
उस रात मैंने रुक रुक कर दीदी को 4 बार चोदा.
मैंने उनकी चूत और चूची का बुरा हाल कर दिया था, शरीर का एक एक अंग आगे पीछे चूमता रहा था.
लंड सुबह तक दुहाई मांगने लगा कि छोड़ दो मुझे, चूत में मेरा दम घुटने लगा है.
सुबह मैं लंड पकड़ कर घर चला आया.
शाम को दीदी का फोन आया कि राज चल नहीं पा रही हूं … तुमने बहुत दर्द दिया है. रात भर में तोड़ कर रख दिया है. दिन भर सोई रही हूँ अभी उठी, तो चल ही नहीं पा रही हूँ.
मैंने कहा- कल सुबह स्कूटी सीखने आइए, पूरा दर्द ठीक कर दूंगा.
दीदी बोलीं- रहने दो, चुत सूज कर गुझिया हो गई है.
मैं हंसने लगा.
दीदी- राज सुनो ना!
मैं- हां बोलो.
दीदी- आई लव यू.
मैं- आई लव यू टू.
दोस्तो, इस तरह से दीदी की चुदाई का खेल चलने लगा. कभी सड़कों के किनार