टेलीग्राम में पोर्न की टेराबाइट्स तक पहुंच प्राप्त करें »

वह कुछ देर तक तक तो कांपती रही थी पर कुछ देर बाद वह नार्मल हो | deshi kahani

वह कुछ देर तक तक तो कांपती रही थी पर कुछ देर बाद वह नार्मल हो गयी.
मैंने उससे पूछा- क्या तुम अच्छा महसूस कर रही हो?
उसने हां में सर हिलाया.
मैंने उसकी ब्रा को ऊपर की तरफ खींच दिया तो उसकी छोटी छोटी चूचियां नुमाया हो गईं. बिल्कुल दूधिया चूचियां थीं, जिनके निप्पल बिल्कुल गुलाबी थे.
उसके एक निप्पल पर मैंने अपने होंठ रख दिए.
उसके शरीर में एकदम से सिहरन सी हो गई और उसके सारे रोएं खड़े हो गए.
अब मैं दूसरे निप्पल को भी मुँह में लेकर चुभलाने लगा.
साथ ही मैं अपने दांतों से भी उसके गुलाबी निप्पलों को धीरे धीरे कुतर देता, तो वो चिहुंक जाती.
मैं उसके पूरे चूचों को अपने मुँह में भरकर खींच कर उसे मजा दे रहा था.
अब वह लम्बी लम्बी सांसें लेने लगी और मुझसे चिपकने लगी थी.
मैंने कहा- कुक्कू, तुम्हारा शरीर बहुत लाजवाब है, इसे मैं गदरा दूंगा. तुम्हारे पोर पोर में नशा है. आज तुम मुझे ख़ुश कर दो.
तभी मैंने देखा उसके आर्मपिट में बाल थे, मैंने पूछा- इन्हें साफ नहीं करती क्या?
वो कुछ नहीं बोली, बस उसकी आंखों में वासना के नशे की खुमारी चढ़ गई थी.
अब मैंने उसकी चड्डी भी निकाल कर देखा तो वहां भी चूत के आसपास झांटें उगी थीं.
मैंने फिर से उसकी तरफ देखा.
वो बोली- अंकल, इन्हें कैसे साफ करना होता है. मुझे पता ही नहीं है.
मैंने बोला- ठीक है, ममता से बाद में वैक्स करवा दूंगा.
मैंने देखा कि उसकी चड्डी चूत के पानी से गीली हो गयी थी.
अब मैंने कुक्कू की चूत को उंगलियों से टटोला तो देखा कि उसकी चूत बहुत छोटी थी लेकिन फूली हुई चूत थी और उसका भगनासा बड़ा था.
मैं उसे अपने लंड का शिकार बनाने के मूड में आने लगा. उसे भी जवानी चढ़ी थी, तो लंड का स्वाद लेना था.
देसी बुर चुदाई कहानी के अगले भाग में मैं कुक्कू की कमसिन जवानी को चोदने का मजा लिखूंगा.@desi_story