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*158 लॉकडाउन में विवाह में मिली चूत मेरी बुआ के घर में शादी | Savita Bhabhi HINDI story..

*158

लॉकडाउन में विवाह में मिली चूत

मेरी बुआ के घर में शादी थी। कोरोना के कारण शादी में कम ही लोगों को शामिल होना था तो मैं बुआ के घर गया।

वहां शादी में मैंने एक जबरदस्त कमसिन गोल गोल भरे बूब्स, गोरा रंग, और भरी गांड वाली एक जवान औरत को देखा।
उसकी उम्र 25-27 साल थी। उसे देखकर मेरा मन और लंड दोनों मचलने लगे।

दिन में मैंने एक दो बार उससे किसी न किसी बहाने से बात की।

फिर मैंने बुआ से उसके बारे में पूछा कि वो कौन है.
बुआ ने बताया कि उनकी जेठानी के भाई की बहू है जो रिश्ते में मेरी भाभी हुई।

अब मैं मन ही मन में बहुत खुश था।
और अब उसको (राखी भाभी) को चोदने के बारे में सोचने लगा।

धीरे धीरे शाम हो गई और खाना के लिए भाभी बुलाने आ गई।

फिर मैंने खाना खाया और उनको इशारों में अपनी दिल की बात कह दी।
वो मुस्कुरा कर खाना परोस रही थी।

लेकिन उन्होंने कुछ बोला नहीं मैं खाना खाकर ऊपर छत पर टहलने लगा।

फिर राखी भाभी के बारे में सोचने लगा और अपने बिस्तर पर आ गया।

कहावत है ना:
जहां चाह वहां राह
और शायद अब क़िस्मत भी मुझ पर मेहरबान होने वाली थी।

मैं पलंग पर लेटा सो रहा था तभी बुआ और राखी भाभी रूम में आ गई।
डबलबैड था तो बुआ फिर भाभी भी आकर लेट गई।

अब मेरी नींद जा चुकी थी। अब मेरे सामने रसमलाई थी लेकिन मैं उसे खा नहीं सकता था।

तभी दरवाजे से कोई बुआ को बुलाने आ गई।
कोई औरत थी, वो बोल रही थी- शादी का घर है और तुम यहां लेटी हो।
बुआ ने एक बार रूम के अंदर देखा और बाहर से गेट बंद करके वो दोनों नीचे आ गई।

अब मैं बहुत खुश था। राखी भाभी मेरे साथ थी।

मैं धीरे से नींद के बहाने करवट बदलकर भाभी के पास आ गया।

अब मेरे शरीर में करंट दौड़ने लगा और मैंने अपना हाथ भाभी के क़मर में रख दिया।

तभी भाभी ने नींद में करवट बदल लिया और अपनी एक टांग मेरे ऊपर रख दी।

अब धीरे धीरे मेरी हिम्मत बढ़ने लगी और मैंने धीरे धीरे भाभी की साड़ी निकाल दी।
अब राखी भाभी मेरे सामने ब्लाउज़ और पेटीकोट में थी।

तभी भाभी ने करवट बदल ली और पेटीकोट उसकी टांगों पर ऊपर आ गया।

मैं धीरे से बिस्तर से उतरकर गया और रूम अंदर से बंद कर दिया। फिर मैं वापस बिस्तर पर लेट गया और अपना हाथ उसके बूब्स पर रख दिया जैसे मैं नींद में हूँ।

धीरे धीरे मैं ऊपर से उसके बूब्स सहलाने लगा, वो चुपचाप सो रही थी।

अब मेरी हिम्मत बढ़ गई और मैंने उसके ब्लाउज के हुक खोल दिए. अब गुलाबी ब्रा में कैद भरे हुए बूब्स मेरे हाथों में थे।

मेरा लौड़ा अब तक पूरा खड़ा हो गया था और बाहर निकलने को मचल उठा था।
मैंने लोवर और अंडरवियर उतार दी और लन्ड बाहर निकाल लिया।

अब मैंने धीरे धीरे भाभी का पेटीकोट ऊपर कर दिया उसकी चिकनी जांघों को सहलाने लगा।
क्या मस्त लग रही थी जैसे ही उंगली लगाई तो लगा मलाई में डूब गई हो जैसे!

तभी भाभी ने एकदम से करवट बदल ली और उसकी गान्ड मेरे लौड़े के सामाने आ गई।

मैंने अपनी बनियान भी उतार दी और धीरे धीरे भाभी का पेटीकोट उतार दिया.

तभी एकदम से भाभी जाग गई और चिल्ला कर बोली- राज … यह क्या कर रहे हो तुम?
मैंने उससे कहा- भाभी, मेरी बात सुनो!
वो बोली- कोई आ गया तो? यह सब गलत है.

मैं समझ गया कि मेरी हरकत के बारे में भाभी किसी को नहीं बताएगी।
मैंने उसको पकड़ा और किस करने लगा. वो मुझे हटाने लगी, मारने लगी और थोड़ा छटपटाने लगी।
लेकिन उसका विरोध नाम मात्र ही था, वो असल में मेरा सहयोग ही कर रही थी. नारी सुलभ लज्जा के कारण दिखावे का विरोध तो हर कोई करती ही है.

मैंने किस करते करते उसकी ब्रा उतार दी और तेज़ी से बूब्स दबाने लगा।
अब उसने धक्का मारना बंद कर दिया और मेरे लौड़े को अपने हाथों से सहलाने लगी।

तभी मैंने उसे बिस्तर पर लिटा दिया और उसकी पैंटी भी उतार कर फेंक दिया।

अब दोनों ही नंगे थे और एक दूसरे से लिपट कर किस करने लगे।

मैं भाभी के बूब्स मसलने लगा और होंठों को चूसने लगा.
वो भी साथ देने लगी थी।

उसने कहा- राज, आराम से करो … आज की रात हमारी है।
कुछ देर बाद वो बोली- राज, अंधेरा बहुत है; जीरो बल्ब जला दो.
मैंने नाईट लैंप जला दिया.

जैसे ही उसने मेरे लौड़े को देखा उसके मुंह में पानी आ गया और मेरे लौड़े को मुंह में लेकर चूसने लगी.
वो ऐसे चूस रही थी जैसे बहुत दिनों बाद किसी बच्चे को लोलीपोप मिला हो।
मैं भी उसके बूब्स और उसकी गान्ड को सहला रहा था।

वो बहुत मस्त लौड़ा चूस रही थी जैसे रेखा आंटी चूसती हैं।
मुझे रेखा आंटी की याद आ गई थी।

राखी भाभी लंड को अंदर तक ले रही थी और अपनी लार से लंड को गीला कर दिया था।

मैं भी बहुत खुश था और जोश में आ गया और झटके मारने लगा.

और तभी एकदम से मेरे लौड़े से ज्वालामुखी फूट पड़ा और वीर्य की धार राखी भाभी के गले के अन्दर तक उतर गई थी।
भाभी ने चाटकर मेरे लौड़े को साफ़ किया.