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अरुणिमा वापस आई तो उसको पास बुलाया और उसको अपना लंड सहलाने को | सबकी सविता भाभी ❤

अरुणिमा वापस आई तो उसको पास बुलाया और उसको अपना लंड सहलाने को कहा.
मेरी बीवी चुपचाप लंड सहलाने लगी और जैसे ही दोनों का लंड टाइट हुआ, दोनों ने उसे खड़ा किया और उसकी चूत और गांड में एक साथ लंड घुसा कर उसकी घमासान और आक्रामक चुदाई करने लगे.
दोनों इतनी आक्रामक चुदाई कर रहे थे कि एक बार तो अरुणिमा की भी गांड फट गई, पर जैसे तैसे उसने खुद को संभाला और प्रोफेशनल रंडी की तरह पोज़ दे दे कर चुदवाती रही.
काफी देर चोदने के बाद दोनों एक साथ उसकी चूत और गांड में झड़ गए और अपने कपड़े पहनने लगे.
उनके तैयार होने के बाद मैंने अरुणिमा से कहा कि मैं दोनों को बाहर छोड़ कर आता हूँ.
अरुणिमा उठी और चुपचाप बाथरूम में चली गई.
मैं बाहर आया और दोनों ने अपने अपने कैमरा के मेमोरी कार्ड निकाल कर मुझे दे दिए और चले गए.
कार्ड लेकर मैं ऑफिस गया और सब डाटा लैपटॉप में डाल दिया.
ऑनलाइन सॉफ्टवेयर्स की मदद से मैंने थोड़ी बहुत एडिटिंग की और कुछ फोटो और वीडियो को मोबाइल में कॉपी कर लिए.
मैंने अपने कांट्रेक्टर दोस्त को कॉल करके बुला लिया.
वो आया तो उसको अपने मोबाइल पर अरुणिमा के फोटो और वीडियो दिखाए.
अरुणिमा के जलवे देख कर वो मंत्रमुग्ध हो गया.
उसने मुझे अरुणिमा को फाइनल करने को बोल दिया.
उसने मुझसे ये जरूर पूछा कि लड़की कौन है?
पर मैंने बात घुमा दी.
अब उसके बाद मुझे ध्यान आया कि अरुणिमा को इन लोगों से घर पर तो चुदवाना ठीक नहीं लगा.
कोई भी घूमते फिरते घर पहुंच सकता था और फिर स्थायी तौर पर अरुणिमा को चोदना चालू कर सकता था.
मैंने फिर से विश्वेश्वर जी को कॉल किया और एक रूम का सस्ता फ्लैट का इंतजाम करवा लिया.
विश्वेश्वर जी बड़े प्यार से बिना सवाल किए सहयोग कर रहे थे.
एक हफ्ते में मैंने उस जगह पर बिस्तर टेबल का इंतजाम कर दिया और पंखा कूलर लगवा दिया.
एक हफ्ते के बाद मेरा दोस्त आया और मुझे बताया कि कुल मिला कर चार लोग उस लड़की (अरुणिमा) की चुदाई करेंगे.
मैंने हामी भर दी और उसे उस फ्लैट का एड्रेस और एक चाभी दे दी.
रविवार का दिन तय हुआ और उसके अफसर लगभग दो बजे दोपहर में पहुंचने वाले थे.
मेरे दोस्त ने मुझे बता दिया तो मैंने अरुणिमा को कॉल किया.
मैंने उससे कहा- एक एड्रेस भेज रहा हूँ तुम्हारे मोबाइल पर, विश्वेश्वर जी के कुछ ख़ास आदमी मिलेंगे वहां, विश्वेश्वर जी ने हिदायत दी है कि उनको अपनी सही पहचान मत देना और घर का पता और मोबाइल नंबर भी मत देना. वो लोग दो बजे तक पहुंचने वाले हैं, तुम ज्यादा लेट मत करना.
अरुणिमा ने कुछ नहीं कहा, बस हां बोल कर कॉल काट दी.
लगभग सात बजे मैं घर पहुंच गया पर अरुणिमा घर से नदारद थी.
मैंने ना उसे कॉल किया ना किसी से खबर ली.
लगभग नौ बजे से आस पास अरुणिमा ऑटो से घर पहुंची.
वो अन्दर आई पर मुझसे कुछ नहीं बोली और सीधा नहाने चली गई.
उसी चाल ढाल बता रही थी कि वो वहां किस कदर चुदी होगी.
मेरे दिल में इस बात से काफी सुकून हो रहा था. मन ही मन सोच रहा था, चुदने का मन है ना छिनाल तेरा, मज़ा आया होगा चुद कर रंडी.
नहा कर अरुणिमा ने खाना खाया और चुपचाप बिस्तर पर आकर सो गई.
अगले दिन एक बजे के आस पास मेरे कांट्रेक्टर दोस्त ने मुझे कॉल करके एक बियर बार में बुलाया.
यूँ तो मैं दिन में पीता नहीं था पर फिर भी मिलने चला गया.
उसने जिद करके एक बियर मंगा ही ली.
उसके बाद उसने मुझे एक पैकेट दिया और कहा- वो चारों उस लड़की से बहुत खुश हुए हैं और इनाम दिया है.
मैंने उसकी तरफ देखा तो उसने कहा- दो लाख है इसमें … उस लड़की की कीमत समझ ले.
मैंने मुस्कुरा कर वो पैकेट जेब में रख लिया.
उसके बाद उसने एक छोटा बैग मुझे दिया और कहा- मेरा लगभग बीस करोड़ फंसा था, जो अब क्लियर हो गया है. मैंने सोचा हुआ था कि जो मेरा पेमेंट क्लियर करवा देगा उसको एक परसेंट दे दूंगा. ये आपके लिए बीस लाख हैं, प्लीज मना मत करना.
मैंने पहले मना किया, पर फिर रख लिया.
निकलते टाइम उसने कहा- बहुत तारीफ सुनी है उस छिनाल की, एक बार मुझे भी मौका दिलवा दो.
मैं वापस टेबल पर बैठ गया और उन्होंने मुझे एक अलग लिफाफा दिया.
मैंने उनसे कहा- चाभी है ना, कल दो बजे पहुंच जाना.
उन्होंने कहा- अभी दो नहीं बजे हैं, अभी का कोई मुहूर्त है क्या?
मैंने कहा- आप पहुंचो.
वो मुस्कुराये और बिल पेमेंट करके निकल गए.
मैंने तुरंत अरुणिमा को कॉल किया और कहा- कल एक आदमी छूट गया था और आज अभी वहां पहुंचने वाला है. लेट मत करना.
अरुणिमा ने सिर्फ हां कहा और फ़ोन काट दिया.
शाम को पांच बजे के आस पास मेरे दोस्त ने मुझे कॉल करके बताया कि उसे बहुत मजा आया.
मैंने उससे कहा- आपके और दोस्त होंगे, उनको भी इस तरह के मदद की आवश्यकता होगी तो उन्हें मेरा सुझाव दे दीजिये.