टेलीग्राम में पोर्न की टेराबाइट्स तक पहुंच प्राप्त करें »

ोद में उठाया और बेड पर लिटा दिया. बुआ अपनी आंखें बंद किये हुई | ℍ𝕚𝕟𝕕𝕚 & 𝔼𝕟𝕘𝕝𝕚𝕤𝕙 𝕊𝕖𝕩 𝕊𝕥𝕠𝕣𝕪

ोद में उठाया और बेड पर लिटा दिया.

बुआ अपनी आंखें बंद किये हुई थीं.
मैं कुछ देर तक उन्हें प्यार से देखने लगा.

इसके बाद मैंने बेड से उठकर दरवाज़ा बंद किया और उनके पास आ गया.

बुआ ने अब भी अपनी आंखें बंद कर रखी थीं. मैंने पहले उनके सिर पर किस किया … फिर गर्दन के पास किस करते हुए बुआ के पेट पर अपना हाथ रख दिया.

फिर मैं अपने हाथ को धीरे धीरे उनकी बड़ी बड़ी चूचियों की तरफ ले जाने लगा. लाल रंग की मस्त चोली के ऊपर से मैंने उनकी बाईं ओर की चूची पकड़ी और ज़ोर से दबा दी.
बुआ की हल्की सी ‘आहहहह सीई ..’ निकल गई.

अब मैंने दूसरे हाथ से उनकी दूसरी चूची भी पकड़ ली और दोनों चूचियों को मस्ती से दबाने लगा.

बुआ की वासना जागने लगी और वो मादक आहें भरने लगीं.
अब मैं समझ गया था आज बुआ की कुंवारी चुत का गिफ्ट मिल रहा है, इसे मजे से ले लो.

मैं अब पूरी तरह से खुल गया था. मैं बुआ के ऊपर बैठ गया और उनकी चोली के सामने से बटनों को खोल कर उनकी सेव जैसी भरी हुई चूचियों को आज़ाद कर दिया.

उनकी दूधिया चूचियों के ऊपर कड़क हो चुके पिंक निप्पलों को देख कर मुझे तरन्नुम आ गई.
मैंने एक निप्पल को अपने मुँह में भर लिया और मजे लेकर चूसने लगा; हल्के हल्के दांतों से उन्हें खींचते हुए काटने लगा.

वो ‘उईईईईई उउन्ह ..’ की आवाजें निकालने लगीं.

मैं मस्ती से उनकी दोनों चूचियों को काफी देर तक बारी बारी से चूसता रहा.

बुआ एकदम से गर्मा गई थीं.
उन्होंने मेरा सिर पकड़ कर ऊपर उठाया और मेरी आंखों में आंखें डाल कर बोलीं- जो भी करना है … जल्दी कर लो. मंदिर से लोग सब आने वाले होंगे.

ये बोलते हुए उन्होंने अपने हाथों से मेरे लंड पकड़ लिया और पायजामा नीचे कर लंड निकाल कर चूसने लगीं.

मेरा छोटा सा राजा बड़ा हो कर खड़ा हो गया.

बुआ ने पहले अपनी दोनों चूचियों के बीच मेरा खड़ा लंड रगड़वाया. उनकी मुलायम मुलायम चूचियों के बीच में लंड रगड़ने में बहुत मज़ा आ रहा था.

फिर बुआ ने नशीली आंखों से मुझे देख कर कहा- अब नीचे आ जाओ.

मैं नीचे आ गया और उनका पजामा खोल दिया.
उनकी गोरी टांगों पर ब्लैक कलर की पैंटी कसी हुई थी. उनकी चुत एकदम कचौड़ी सी थी जिस वजह से पैंटी एकदम पावरोटी की तरह फूली हुई थी.

मैंने उनकी दोनों टांगों को अपने कंधे पर रखा और बिना एक पल रुके, बुआ की पैंटी के ऊपर से बुआ की चूत को मुँह में लेकर दांत गड़ा दिए.

बुआ ने एकदम से तड़फ कर अपनी कमर को आगे पीछे करते हुए ‘आआह हहह ..’ की आवाज निकाल दी.

मैंने बुआ की पैंटी को खोला तो देखा कि बुआ की चिकनी रसीली चूत पूरी नमकीन पानी से भरी हुई थी.
जिस चूत के लिए मैं रोज रात मुठ मारता था, आज वो मेरे सामने खुली हुई थी और मेरे लंड को लेने को रेडी थी.

मेरा जी तो कर रहा था कि बुआ की चूत के साथ कुछ देर और खेल लूं.
लेकिन बुआ ने अपनी जल्दी चुदाई करने को लेकर अपनी दोनों टांगें फैला दीं और मेरा लंड पकड़ कर अपनी चूत की फांकों में घुमाने लगीं. फिर चुत के छेद में लंड का सुपारा रख दिया.

मैंने जोश में पूरी ज़ोर के साथ बुआ की चूत में लंड घुसा दिया.
मेरा लंड चुत में क्या घुसा … बुआ ज़ोर से चिल्ला दीं- आआह … मर गई मम्मी रे आऐ ययई … इस्सस्स.

मैंने जल्दी से बुआ का मुँह बंद कर दिया और आधा लंड बाहर निकाल फिर से ज़ोर से पेल दिया.

‘ओ मर गई रे … आह साले ने फाड़ दी मेरी … उम्मर ऊहह.’
बुआ की आंखें आंसुओं से भर गई थीं.

फिर भी मैं नहीं रुका, धकापेल शॉट मारता रहा. मेरे हरेक शॉट पर बुआ की चूचियां उछल उछल कर चुदाई की कहानी कह रही थीं.

बस कुछ ही देर का दर्द हुआ उसके बाद बुआ मजा लेने लगीं- आह और ज़ोर से कुलजीत … चोद दे आज आह … मजा आ गया.

बुआ की मादक आवाजों ने मेरी कमर की गति को खुद ही रफ्तार दे दी थी और मैं ज़ोर ज़ोर से बुआ की चूत चोदने में लगा था.
पूरे कमरे में चूत चुदने की आवाज़ गूंजने लगी थी.

बुआ को लगा होगा कि ये मेरी पहली चुदाई है, मैं ज़्यादा देर तक नहीं टिकूंगा.
मगर मैं पूरे ज़ोर से लगातार 15 मिनट तक उनकी चूत बजाता रहा.
फिर मैंने अपना माल बुआ की चूत में छोड़ दिया.

बुआ मुझसे पहले ही अपनी चुत का पानी छोड़ चुकी थीं.
अब बुआ एकदम शांत हो गई थीं.

मैंने बेड से उठ कर पजामा ठीक करते हुए बुआ को देखा.
वो नंगी बेड पर अपनी दोनों टांगें फैलाए हुए पड़ी थीं. बुआ की पिंक चूत खून निकलने से और भी पिंक हो गई थी, जिसमें से मेरा माल गिर रहा था.
ऊपर बुआ की चोली खुली हुई थी और उनकी चूचियां भी पिंक हो चुकी थीं.

मुझसे रहा न गया और मैंने उनकी चूचियों को फिर से पकड़ लिया. एक को मुँह में ले लिया और दूसरी को दबाने लगा.
फिर बुआ के मम्मों को चोली के अन्दर करके बटन लगा दिए.

मैंने बुआ की पैंटी लेकर उनकी चूत साफ की, फिर उनको पैंटी और पजामा पहनाया.

बुआ उठ कर खुद को ठीक करने लगीं और मैं उनके पास बैठ कर उन्हें देखने लगा.

तब तक घर के सब लोग मन्दिर से आ चुके थे.

दरवाजे पर दस्तक हुई तो मैंने दरवाज़ा खोला