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यह रियल कहानी मेरी कजिन दीदी की बेटी की चुदाई की है. मेरे घर म | ℍ𝕚𝕟𝕕𝕚 & 𝔼𝕟𝕘𝕝𝕚𝕤𝕙 𝕊𝕖𝕩 𝕊𝕥𝕠𝕣𝕪

यह रियल कहानी मेरी कजिन दीदी की बेटी की चुदाई की है. मेरे घर मेरी मौसेरी दीदी अपनी युवा बेटी को लेकर रहने आयी थी. भानजी की कमसिन जवानी ने मेरे लंड को हिला दिया.

हाय दोस्तो, मैं शिवा आज फिर आप लोगों के लिए एक सच्ची कहानी लेकर आया हूँ जिसमें आप लोग पढ़ेंगे कि कैसे मैंने अपनी कजिन दीदी की बेटी की चुदाई की.
मेरी पिछली कहानी थी
दोस्त की बीबी की प्यासी चूत गांड में मेरा लंड

जैसा कि आप लोग जानते हैं कि मैं फर्रूखाबाद जिले के एक गाँव का रहने वाला हूँ तो अब आप लोग मेरा मतलब लड़के अपना लंड पकड़ने के लिए और लड़कियाँ अपनी चूत में उँगली डालने के लिए तैयार हो जाएँ.

अब मैं आपको अपनी कहानी बता रहा हूँ.

बात जून की छुट्टियों की है मेरे घर पर मेरी मौसी की लड़की और उनके साथ उनकी बेटी स्नेहा आई हुई थी जो कानपुर में रहती हैं. स्नेहा की उम्र 19 साल थी. रंग गोरा, उभरा हुआ सीना, एकदम कमसिन थी. उसका फिगर साईज 32 34 36 का होगा.
उसे मैंने 4 साल बाद देखा था. मैं तो उसे देखकर ही पागल सा हो गया था. क्या कमसिन जवान लग रही थी.

मैंने उससे पूछा- स्नेहा तुम तो एकदम बदल गई हो?
उसने कहा- मामा, आप भी बदल गये हो. और हम लोग 4 साल बाद मिल रहे हैं बदलाव तो होगा ही!
मैंने हाँ में जबाब दिया.

उसके बाद सब लोग बैठकर बातचीत करने लगे और मैं स्नेहा को चोदने के बारे में सोचने लगा कि इसे कैसे चोदा जाये.
एक दिन गुजरा. मैं सारी रात सिर्फ स्नेहा के बारे में सोचता रहा.

रात में न सोने की वजह से सुबह लेट तक सो रहा था कि तभी अचानक किसी ने मेरी चादर खींची.
मैंने देखा कि स्नेहा ही मुझे जगाने आई है और उसने कहा- रात में क्या सपना देख रहे थे? अभी 8 बज चुके हैं. उठो, मुझे मार्केट जाना है.

तो मैं एकदम उठा और उससे कहा- तुम तैयार हो जाओ. तब तक मैं भी तैयार हो जाता हूँ.

उसके बाद मैं फ्रेश हुआ, नहाया और तैयार हो गया.
मैंने स्नेहा से कहा- चलो!
जब स्नेहा तैयार होकर मेरे सामने आई तो ऐसा लगा जैसे कोई परी सामने खड़ी हो. उसे देखकर मेरा लंड खड़ा हो गया पर किसी तरह मैंने खुद को संभाला और उसे बाइक पर लेकर मार्केट चला गया.

पर वो मुझसे दूर बैठी थी और मैं चाहता था कि वह मुझसे चिपक कर बैठे ताकि उसके मम्में मेरी पीठ पर टच हों.
लेकिन ऐसा नहीं हो रहा था.

तभी मैंने अचानक ब्रेक मारी और वो मुझसे चिपक गई. मुझे ऐसा लगा जैसे रेगिस्तान में बहार आ गई. अब उसके मम्मे मेरी पीठ पर टच होने लगे.
अब मैंने हिम्मत करके उसका एक हाथ जो मेरी कमर पर था, पकड़ कर अपनी जांघ पर रखवा लिया.

मैं उससे बातें करने लगा. तभी उसने अपना हाथ मेरी जांघ से हटा लिया.
मैंने पूछा- क्या हुआ?
तो उसने कहा- कुछ नहीं, मुझे कुछ अजीब सा लग रहा था.

उसके बाद हम दोनों ने शापिंग की, वहीं लंच किया और वापिस आ गये.

शाम के 6 बज चुके थे. उसके बाद हम सब लोगों ने खाना खाया और बैठ के बातें करने लगे. मैं बार बार स्नेहा को टच कर रहा था. उसके स्पर्श से मेरा 6 इंच का लंड खड़ा हो गया.

तभी मैं वहां से उठा और छत पर आ गया. शायद उसने भी मेरे लोवर में बना तम्बू देख लिया था मैं अपने तख्त पर लेटा स्नेहा के बारे में सोचकर अपना लंड मसल रहा था.

अचानक स्नेहा वहां आ गई और कहा- मामा, क्या कर रहे हो? आप बहुत जल्दी लेट गये. क्या बात है? किसी की याद आ रही है क्या जो अकेले में लेट गये आकर?
मैंने कहा- नहीं!
और वो मेरे पास बैठ गई.

तभी उसने कहा- मैं आज थक गई हूँ, मेरी कमर में दर्द हो रहा है.
तो मैंने कहा- नीचे जाओ और दीदी से बाम लगवा लो.
उसने कहा- मैंने मम्मी से कहा पर वो नाराज होने लगीं.

तो आवाज लगा कर मैंने कहा- दीदी, स्नेहा के कमर में दर्द हो रहा है इसके बाम लगा दो.
दीदी ने कहा- अगर तुझे इतनी चिंता है तो तू ही लगा दे, तू भी तो उसका मामा है.

मुझे यह बात सुनकर बहुत खुशी हुई. मैं झट से नीचे गया और बाम ले आया.
मैंने कहा- स्नेहा लेटो, मैं बाम लगा देता हूँ.

उस समय उसने हाफ लोवर और टीशर्ट पहन रखी थी.
मैंने कहा- स्नेहा, तुम्हारी चुस्त टीशर्ट में हाथ डाल कर बाम कैसे लग पायेगा? कुछ ढीला पहन कर आओ.
पर उसने कहा- अब मैं चेंज नहीं करूँगी, आप टीशर्ट ऊपर कर दो.

मैंने टीशर्ट ऊपर की. टीशर्ट चुस्त होने की वजह से उसका पेट भी खुल गया. अब जैसे ही मैंने उसकी नंगी पीठ पर हाथ रखा, मेरा लंड फिर से टाइट होने लगा. अब धीरे-धीरे अपने एक हाथ से बाम लगा रहा था और दूसरा हाथ उसके मम्मों पर टच करने लगा.

तभी उसने कहा- मामा पूरी पीठ पर बाम लगाओ.
अब मैं अपना हाथ उसकी पूरी पीठ घुमाने लगा. अब उसकी ब्रा मेरे हाथ में फंसने लगे.
मैंने कहा- स्नेहा, तुम्हारी ब्रा फंस रही है.
तो उसने कहा- कोई बात नहीं, ऐसे लगा दो.

मैंने कहा- यहाँ कौन देख रहा है? इसे खोल दो.
तो उसने मना कर दिया.
मुझे लगा कि अब मैं इसे नहीं चोद पाऊँगा.